"चीनी की कीमत में पिछले कुछ दिनों से लगातार तेजी देखी जा रही है। आलम यह है कि चीनी के दाम अपने छह साल के उच्चतम स्तर पर है। दरअसल देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में इस मॉनसून सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है जिसके चलते मिठाइयों की मिठास कड़वी होने की नौबत आ गई है।"
देश में त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है और शादी-ब्याह समेत तमाम तरह से शुभ लग्न शुरू होने वाले हैं। नवरात्रि, दिवाली जैसे त्योहार सामने हैं। ऐसे में देश में चीनी के बढ़ते दाम पर लगाम लगाने के लिए सरकार हरकत में आ गई है। दरअसल देश में त्योहारों के शुरू होने के साथ ही चीनी की कीमत बढ़ने लगी है।
जी हां, टमाटर और प्याज की महंगाई से अभी लोग उबरे भी नहीं थे कि अब मिठाइयों की मिठास भी कड़वी होने की नौबत आ गई। दरअसल हम बात कर रहे हैं चीनी की जो अपने बढ़ते भाव की वजह से लोगों के लिए कड़वी हो सकती है। देश में चीनी की कीमतों के भाव आसमान छू रहे हैं। चीनी के घरेलू दाम इस समय तीन फीसदी बढ़कर पिछले छह साल के हाई लेवल पर चला गया है। बाजार की मानें तो चीनी के कम उत्पादन की आशंका के चलते भाव में इतना इजाफा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, महज पिछले 15 दिनों में ही चीनी की कीमत में तीन फीसदी की तेजी आई है। गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में मॉनसून की बेरुखी के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि देश में त्योहारी और शादी ब्याह का सीजन भी लगभग शुरू होने वाला है। इसी आशंका के चलते चीनी की कीमतें सितंबर 2017 के बाद सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच चुकी है।
चीनी की बढ़ रही है कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खुदरा बाजार में 1 जुलाई 2023 को चीनी की औसत कीमत 42.98 रुपए किलो थी, लेकिन यह 5 सितंबर को बढ़कर 43.42 रुपए किलो हो गई। इससे पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 जनवरी 2023 को औसत कीमत 41.45 रुपये किलो थी। वहीं बात करें चीनी से बने उत्पादन की तो, चीनी के महंगे होने से बिस्कुट से लेकर चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, मिठाइयों आदि की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।
चीनी के भाव बढ़ने का कारण
देश के जो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हैं वहां इस मॉनसून सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। इसी के चलते देशभर में गन्ना उत्पादन की कमी को लेकर आशंका पैदा हो गई है। बाजार की बात करें, तो बाजार को उम्मीद है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी का उत्पादन घट सकता है। अकेले महाराष्ट्र में 14 फीसदी तक चीनी का उत्पादन कम हुआ है। यह पिछले चार सालों में सबसे कम है। वहीं नए सीजन में भी उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है। नए सीजन में चीनी का उत्पादन 3.3 फीसदी घटकर 3.17 करोड़ टन होने की आशंका है।
15 अप्रैल तक ही 6 प्रतिशत कम था चीनी का उत्पादन
करंट मार्केटिंग ईयर में 15 अप्रैल तक ही चीनी का उत्पादन 6% गिरकर 3 करोड़ 11 लाख टन रहा था। इस गिरावट का मुख्य कारण महाराष्ट्र में उत्पादन का घटना है। उद्योग संगठन इस्मा (ISMA) के मुताबिक, मार्केटिंग ईयर 2021-22 की समान अवधि में चीनी उत्पादन 3 करोड़ 28.7 लाख टन हुआ था। शुगर मार्केटिंग ईयर अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।
यूपी में चीनी का उत्पादन बढ़ा
भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) के आंकड़ों के अनुसार, देश में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन करंट मार्केटिंग ईयर में 1 अक्टूबर, 2022 से 15 अप्रैल, 2023 तक बढ़कर 96.6 लाख टन हो गया। एक साल पहले की इसी अवधि में यह 94.4 लाख टन रहा था।
इस दौरान देश में चीनी के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन पहले के 1 करोड़ 26.5 लाख टन से घटकर 1.05 करोड़ टन रह गया, जबकि कर्नाटक में उत्पादन 58 लाख टन से घटकर 55.3 लाख टन रह गया। अकेले महाराष्ट्र में 14 फीसदी तक चीनी का उत्पादन कम हुआ है। यह पिछले चार सालों में सबसे कम है।
3.40 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान
इस्मा ने मार्केटिंग ईयर 2022-23 के लिए 3.40 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया था। मार्केटिंग ईयर 2021-22 में चीनी उत्पादन 3.58 करोड़ टन रहा था। भारत दुनिया में ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। सरकार ने चालू सत्र 2022-23 में 60 लाख टन निर्यात की अनुमति दी है।
चीनी मिल मालिक परेशान तो किसान हैरान
चीनी मिल मालिक गन्ने के उत्पादन में गिरावट से चिंतित हैं। गन्ने की कमी के कारण चीनी मिलों का उत्पादन घट गया है। एक आंकड़े के मुताबिक चीनी उत्पादन में 3.3 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसे में चीनी मिलें अब पहले वाले रेट पर चीनी बेचने को तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर किसान हैरान हैं। उसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन उसे उचित भाव नहीं मिल पा रहा है।
हालांकि इंटरनेशनल मार्केट पर नजर डालें तो यहां भी चीनी के दाम में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। थाइलैंड, इंडोनेशिया में चीनी के दाम बढ़े हैं। वहीं USDA ने हाल ही में कहा है कि चीनी का ग्लोबल स्टॉक 13 सालों के निचले स्तरों पर पहुंचा है। एक्सपर्ट्स ने मानसून और बिपरजॉय साइक्लोन दोनों फैक्टर का अध्ययन किया है। उनके अनुसार इन दोनों वजहों से खरीफ फसल बाधित हुई। इसके बाद से आशंका जताई जा रही थी कि उत्पादन कम होते ही चीनी की कीमतों में उछाल आना तय है। पिछले साल के मुकाबले देंखे तो अब तक एक तिहाई कीमतें बढ़ चुकी हैं।
पूरी दुनिया में चीनी का सबसे अधिक उत्पादन ब्राजील में होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां पर 6.5 फीसदी अधिक चीनी का उत्पादन हुआ है। लेकिन जब तक यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में नहीं पहुंचता है, तब तक कीमतों पर लगाम लगाना मुश्किल है। ब्राजील में उत्पादन बढ़ने की वजह मौसम का साथ देना है।
सवाल ये है कि क्या ब्राजील इंटरनेशनल मार्केट में चीनी निर्यात करेगा या नहीं। क्योंकि ब्राजील इथेनॉल और बायोफ्यूल के लिए सरप्लास चीनी का इस्तेमाल करता है। हाल ही में जी-20 की बैठक के दौरान भी ब्राजील ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस को भरोसा दिया है कि वह इसका उत्पादन प्रभावित होने नहीं देगा। ब्राजील और अमेरिका के संबंध अच्छे हैं। ब्राजील ने अमेरिका को बायोफ्यूल को लेकर भरोसा दिया है। साथ ही ब्राजील अपने यहां से रूस, ईरान और कई अफ्रीकी देशों को भी चीनी निर्यात करता रहा है। इस बीच भारत ने चीनी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है, तो जाहिर है इसका फायदा ब्राजील उठाएगा, ताकि वहां के किसानों को भी इसका फायदा मिल सके।
चीनी उत्पादक देश थाइलैंड की स्थिति देंखे तो इसने भी ब्राजील से चीनी के लिए मदद मांगी है। अगर उनकी मांग पूरी होती है तो जाहिर है भारत के बाजार में ब्राजील की चीनी नहीं आ सकती है। चीनी उत्पादक देशों के लिए यह सुनहरा अवसर है।
सरकार ने लगाई निर्यात पर रोक
भारत में अभी फेस्टिव सीजन आने वाला है। शादी ब्याह का भी सीजन है। ई टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार खाद्य पदार्थों, सब्जियों, आटे, दाल, चावल आदि की बढ़ती महंगाई से पहले से ही देश में आम आदमी परेशान हैं। ऊपर से अब चीनी की कीमतों ने लोगों को पैनिक कर दिया है। इसलिए सरकार ने कीमतों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए तुरंत प्रभाव से निर्यात पर रोक लगा दी है। इसका मतलब साफ है कि सरकार एक और फूड इंफ्लेशन का दौर देखने के लिए तैयार नहीं है। वह टमाटर वाला अनुभव दोहराना नहीं चाहती है, जिसने कृषि नीति और अक्षमता को उधेड़ कर रख दिया।
केंद्र सरकार अलर्ट, तय की स्टॉक लिमिट
हालांकि सरकार कुछ अलर्ट दिख रही है। तभी उसने टमाटर, प्याज, दाल, चावल और गेहूं के बाद अब चीनी के बढ़ते काम को कंट्रोल में रखने के लिए स्टॉक लिमिट का नियम भी लागू कर दिया है। इसके तहत दुकानदार एक तय लिमिट से ज्यादा चीनी का स्टॉक नहीं रख सकेंगे। दरअसल त्योहारों के सीजन में सीजन में आटा, चीनी समेत अन्य चीजों की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में त्योहारी सीजन में महंगाई बढ़ने की आशंका बनी रहती है। लिहाजा केंद्र सरकार ने चीनी के दाम बेकाबू होने से पहले ही एहतियातन ये कदम उठाएं है।
केंद्र सरकार ने स्टॉक लिमिट के साथ-साथ बाजार में खुद भी चीनी भी बेचने का ऐलान किया है। इस सिलसिले में सरकार अगले महीने अक्टूबर में वह 13 लाख टन चीनी का कोटा जारी करने जा रही है। अनुमान है कि सरकार के इस कदम से दुर्गा पूजा और दिवाली समेत अन्य त्योहारों में चीनी की कीमत स्थिर रहे और मांग बढ़ने का इसके दाम पर कोई खास असर न पड़े और त्योहारों की मिठास कम न होने पाएं।
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देश में त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है और शादी-ब्याह समेत तमाम तरह से शुभ लग्न शुरू होने वाले हैं। नवरात्रि, दिवाली जैसे त्योहार सामने हैं। ऐसे में देश में चीनी के बढ़ते दाम पर लगाम लगाने के लिए सरकार हरकत में आ गई है। दरअसल देश में त्योहारों के शुरू होने के साथ ही चीनी की कीमत बढ़ने लगी है।
जी हां, टमाटर और प्याज की महंगाई से अभी लोग उबरे भी नहीं थे कि अब मिठाइयों की मिठास भी कड़वी होने की नौबत आ गई। दरअसल हम बात कर रहे हैं चीनी की जो अपने बढ़ते भाव की वजह से लोगों के लिए कड़वी हो सकती है। देश में चीनी की कीमतों के भाव आसमान छू रहे हैं। चीनी के घरेलू दाम इस समय तीन फीसदी बढ़कर पिछले छह साल के हाई लेवल पर चला गया है। बाजार की मानें तो चीनी के कम उत्पादन की आशंका के चलते भाव में इतना इजाफा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, महज पिछले 15 दिनों में ही चीनी की कीमत में तीन फीसदी की तेजी आई है। गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में मॉनसून की बेरुखी के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि देश में त्योहारी और शादी ब्याह का सीजन भी लगभग शुरू होने वाला है। इसी आशंका के चलते चीनी की कीमतें सितंबर 2017 के बाद सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच चुकी है।
चीनी की बढ़ रही है कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खुदरा बाजार में 1 जुलाई 2023 को चीनी की औसत कीमत 42.98 रुपए किलो थी, लेकिन यह 5 सितंबर को बढ़कर 43.42 रुपए किलो हो गई। इससे पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 जनवरी 2023 को औसत कीमत 41.45 रुपये किलो थी। वहीं बात करें चीनी से बने उत्पादन की तो, चीनी के महंगे होने से बिस्कुट से लेकर चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, मिठाइयों आदि की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।
चीनी के भाव बढ़ने का कारण
देश के जो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हैं वहां इस मॉनसून सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। इसी के चलते देशभर में गन्ना उत्पादन की कमी को लेकर आशंका पैदा हो गई है। बाजार की बात करें, तो बाजार को उम्मीद है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी का उत्पादन घट सकता है। अकेले महाराष्ट्र में 14 फीसदी तक चीनी का उत्पादन कम हुआ है। यह पिछले चार सालों में सबसे कम है। वहीं नए सीजन में भी उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है। नए सीजन में चीनी का उत्पादन 3.3 फीसदी घटकर 3.17 करोड़ टन होने की आशंका है।
15 अप्रैल तक ही 6 प्रतिशत कम था चीनी का उत्पादन
करंट मार्केटिंग ईयर में 15 अप्रैल तक ही चीनी का उत्पादन 6% गिरकर 3 करोड़ 11 लाख टन रहा था। इस गिरावट का मुख्य कारण महाराष्ट्र में उत्पादन का घटना है। उद्योग संगठन इस्मा (ISMA) के मुताबिक, मार्केटिंग ईयर 2021-22 की समान अवधि में चीनी उत्पादन 3 करोड़ 28.7 लाख टन हुआ था। शुगर मार्केटिंग ईयर अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।
यूपी में चीनी का उत्पादन बढ़ा
भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) के आंकड़ों के अनुसार, देश में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन करंट मार्केटिंग ईयर में 1 अक्टूबर, 2022 से 15 अप्रैल, 2023 तक बढ़कर 96.6 लाख टन हो गया। एक साल पहले की इसी अवधि में यह 94.4 लाख टन रहा था।
इस दौरान देश में चीनी के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन पहले के 1 करोड़ 26.5 लाख टन से घटकर 1.05 करोड़ टन रह गया, जबकि कर्नाटक में उत्पादन 58 लाख टन से घटकर 55.3 लाख टन रह गया। अकेले महाराष्ट्र में 14 फीसदी तक चीनी का उत्पादन कम हुआ है। यह पिछले चार सालों में सबसे कम है।
3.40 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान
इस्मा ने मार्केटिंग ईयर 2022-23 के लिए 3.40 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया था। मार्केटिंग ईयर 2021-22 में चीनी उत्पादन 3.58 करोड़ टन रहा था। भारत दुनिया में ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। सरकार ने चालू सत्र 2022-23 में 60 लाख टन निर्यात की अनुमति दी है।
चीनी मिल मालिक परेशान तो किसान हैरान
चीनी मिल मालिक गन्ने के उत्पादन में गिरावट से चिंतित हैं। गन्ने की कमी के कारण चीनी मिलों का उत्पादन घट गया है। एक आंकड़े के मुताबिक चीनी उत्पादन में 3.3 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसे में चीनी मिलें अब पहले वाले रेट पर चीनी बेचने को तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर किसान हैरान हैं। उसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन उसे उचित भाव नहीं मिल पा रहा है।
हालांकि इंटरनेशनल मार्केट पर नजर डालें तो यहां भी चीनी के दाम में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। थाइलैंड, इंडोनेशिया में चीनी के दाम बढ़े हैं। वहीं USDA ने हाल ही में कहा है कि चीनी का ग्लोबल स्टॉक 13 सालों के निचले स्तरों पर पहुंचा है। एक्सपर्ट्स ने मानसून और बिपरजॉय साइक्लोन दोनों फैक्टर का अध्ययन किया है। उनके अनुसार इन दोनों वजहों से खरीफ फसल बाधित हुई। इसके बाद से आशंका जताई जा रही थी कि उत्पादन कम होते ही चीनी की कीमतों में उछाल आना तय है। पिछले साल के मुकाबले देंखे तो अब तक एक तिहाई कीमतें बढ़ चुकी हैं।
पूरी दुनिया में चीनी का सबसे अधिक उत्पादन ब्राजील में होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां पर 6.5 फीसदी अधिक चीनी का उत्पादन हुआ है। लेकिन जब तक यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में नहीं पहुंचता है, तब तक कीमतों पर लगाम लगाना मुश्किल है। ब्राजील में उत्पादन बढ़ने की वजह मौसम का साथ देना है।
सवाल ये है कि क्या ब्राजील इंटरनेशनल मार्केट में चीनी निर्यात करेगा या नहीं। क्योंकि ब्राजील इथेनॉल और बायोफ्यूल के लिए सरप्लास चीनी का इस्तेमाल करता है। हाल ही में जी-20 की बैठक के दौरान भी ब्राजील ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस को भरोसा दिया है कि वह इसका उत्पादन प्रभावित होने नहीं देगा। ब्राजील और अमेरिका के संबंध अच्छे हैं। ब्राजील ने अमेरिका को बायोफ्यूल को लेकर भरोसा दिया है। साथ ही ब्राजील अपने यहां से रूस, ईरान और कई अफ्रीकी देशों को भी चीनी निर्यात करता रहा है। इस बीच भारत ने चीनी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है, तो जाहिर है इसका फायदा ब्राजील उठाएगा, ताकि वहां के किसानों को भी इसका फायदा मिल सके।
चीनी उत्पादक देश थाइलैंड की स्थिति देंखे तो इसने भी ब्राजील से चीनी के लिए मदद मांगी है। अगर उनकी मांग पूरी होती है तो जाहिर है भारत के बाजार में ब्राजील की चीनी नहीं आ सकती है। चीनी उत्पादक देशों के लिए यह सुनहरा अवसर है।
सरकार ने लगाई निर्यात पर रोक
भारत में अभी फेस्टिव सीजन आने वाला है। शादी ब्याह का भी सीजन है। ई टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार खाद्य पदार्थों, सब्जियों, आटे, दाल, चावल आदि की बढ़ती महंगाई से पहले से ही देश में आम आदमी परेशान हैं। ऊपर से अब चीनी की कीमतों ने लोगों को पैनिक कर दिया है। इसलिए सरकार ने कीमतों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए तुरंत प्रभाव से निर्यात पर रोक लगा दी है। इसका मतलब साफ है कि सरकार एक और फूड इंफ्लेशन का दौर देखने के लिए तैयार नहीं है। वह टमाटर वाला अनुभव दोहराना नहीं चाहती है, जिसने कृषि नीति और अक्षमता को उधेड़ कर रख दिया।
केंद्र सरकार अलर्ट, तय की स्टॉक लिमिट
हालांकि सरकार कुछ अलर्ट दिख रही है। तभी उसने टमाटर, प्याज, दाल, चावल और गेहूं के बाद अब चीनी के बढ़ते काम को कंट्रोल में रखने के लिए स्टॉक लिमिट का नियम भी लागू कर दिया है। इसके तहत दुकानदार एक तय लिमिट से ज्यादा चीनी का स्टॉक नहीं रख सकेंगे। दरअसल त्योहारों के सीजन में सीजन में आटा, चीनी समेत अन्य चीजों की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में त्योहारी सीजन में महंगाई बढ़ने की आशंका बनी रहती है। लिहाजा केंद्र सरकार ने चीनी के दाम बेकाबू होने से पहले ही एहतियातन ये कदम उठाएं है।
केंद्र सरकार ने स्टॉक लिमिट के साथ-साथ बाजार में खुद भी चीनी भी बेचने का ऐलान किया है। इस सिलसिले में सरकार अगले महीने अक्टूबर में वह 13 लाख टन चीनी का कोटा जारी करने जा रही है। अनुमान है कि सरकार के इस कदम से दुर्गा पूजा और दिवाली समेत अन्य त्योहारों में चीनी की कीमत स्थिर रहे और मांग बढ़ने का इसके दाम पर कोई खास असर न पड़े और त्योहारों की मिठास कम न होने पाएं।
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