चिंता: सरकारी सख्ती भी नहीं दिला पाई गेहूं की महंगाई से राहत, इस साल MSP बढ़ा- खरीद का लक्ष्य घटा

Written by Navnish Kumar | Published on: March 2, 2024
"हालांकि मंडियों में बीते 2-3 महीने में सरकारी सख्ती से गेहूं के थोक भाव कुछ गिरे हैं लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा है। हालांकि सरकारी खरीद शुरू होने और यूपी सरकार द्वारा इस साल MSP 150 रुपए कुंतल बढ़ाए जाने से कीमतों में जल्द नरमी आने के संकेत है लेकिन लगातार दूसरे साल सरकार का एमएसपी पर गेहूं खरीद का लक्ष्य घटाना चिंता की बात है।"



सरकारी सख्ती के बाद भी गेहूं की कीमतों में कोई ज्यादा कमी नहीं आई है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बावजूद खुदरा बाजार में गेहूं और आटे का भाव कम होने की बजाय बढ़ गया है। हालांकि थोक कीमतों में जरूर कुछ कमी आई है। जानकारों का कहना है कि इस साल गेहूं का उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे आगे लोगों को कीमतों में राहत मिल सकती है। लेकिन एक बार फिर से सरकार ने एमएसपी पर खरीद का लक्ष्य घटा दिया है। 

केंद्र सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लागम लगाने के लिए पिछले साल 12 जून को भंडारण सीमा लगाई थी। इसके साथ ही सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचना शुरू किया था। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अभी तक करीब 84 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचा जा चुका है। आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने ‘भारत आटा’ नाम से 27.50 रुपये किलो के रियायती भाव पर आटा बेचना शुरू किया है। लेकिन सरकार द्वारा उठाए गए इन बड़े कदमों के बावजूद गेहूं व आटे के दाम कम नहीं हुए हैं।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार, पिछले साल 12 जून को भंडारण सीमा लगने के दिन देश भर में गेहूं की औसत खुदरा कीमत 29.16 रुपये थी, जो अभी 30.89 रुपये किलो है। जाहिर है कि गेहूं के खुदरा भाव घटने के बजाय बढ़ गए हैं। इसी तरह भंडारण सीमा लगाने के दिन आटा की औसत खुदरा कीमत 34.40 रुपये थी जो बढ़कर 36.10 रुपये किलो हो गई है। हालांकि मंडियों में बीते दो-तीन महीने में सरकारी सख्ती से गेहूं के थोक भाव जरूर गिरे हैं लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका खास असर नहीं दिखा है।

रिपोर्ट के अनुसार, चालू विपणन सीजन में पिछले साल 27 अक्टूबर को दिल्ली में गेहूं के थोक भाव 2,900 रुपये प्रति क्विंटल के ऊंचे भाव पर पहुंच गए थे। इस स्तर को छूने के बाद अब गेहूं के थोक भाव 300 रुपये तक घटकर करीब 2,600 रुपये कुंतल रह गए हैं। लेकिन इस दौरान भी गेहूं खुदरा बाजार में सस्ता नहीं हुआ।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में गेहूं की औसत खुदरा कीमत 30.45 रुपये से बढ़कर 30.89 रुपये किलो हो गई। इस दौरान आटा 35.78 रुपये से बढ़कर 36.10 रुपये किलो हो गया। उत्तर प्रदेश की हरदोई मंडी के गेहूं कारोबारी व आटा मिल मालिक संजीव अग्रवाल कहते हैं कि सरकारी अनुमान के उलट पिछले साल गेहूं की पैदावार कम थी। इसलिए सरकारी सख्ती के बावजूद गेहूं के भाव तेज रहे। हरदोई मंडी में अक्टूबर महीने में गेहूं के भाव 2,550 रुपये के ऊपरी स्तर तक चले गए थे।

इस साल गेहूं का रकबा बढ़ने और जल्द एमएसपी पर खरीद शुरू होने से कीमतों में जल्द कुछ नरमी आने की उम्मीद है। यूपी में एक मार्च से खरीद शुरू कर दी गई है। दूसरा, जानकारों के अनुसार रकबा बढ़ने के बीच अनुकूल मौसम से इस साल गेहूं का उत्पादन बढ़ सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन में 341.57 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है जबकि पिछली समान अवधि में इसका रकबा 339.20 लाख हेक्टेयर था।

कमोडिटी विशेषज्ञ इंद्रजीत पॉल कहते हैं कि गेहूं की बुआई बढ़ने के साथ ही मौसम भी फसल के अनुकूल है। जिससे इस साल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। पिछले साल सरकारी अनुमान के मुताबिक गेहूं का उत्पादन 1,105.54 लाख टन था। लेकिन इस फसल को प्रतिकूल मौसम के कारण हुए नुकसान से कारोबारी अनुमान के मुताबिक उत्पादन 1,040 लाख टन के आसपास ही रहा। हालांकि इतने सब के बावजूद, सरकार ने एमएसपी पर गेहूं खरीद का लक्ष्य घटा दिया है।

MSP पर गेहूं खरीद के लक्ष्य में कटौती  

2024-25 में रबी फसल सीजन में गेहूं की MSP पर खरीद का कार्य शुरू होने वाला है। लेकिन इसमें एक बड़ा अपडेट फ़िलहाल सामने आ चुका है। इस बार भी MSP खरीद के लक्ष्य में कटौती की गई है। जिसके चलते इस बार गेहू की MSP दर पर खरीद कम होगी। तीन से 3.2 करोड़ टन गेहूं की ही खरीदारी की जाएगी। जी हां, अब देश में जहां एक तरफ एमएसपी की गारंटी को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। किसान MSP गारंटी कानून को लेकर अड़े हुए है और इसी बीच केंद्र सरकार ने MSP खरीद लक्ष्य को लेकर बड़ी अपडेट जारी कर दी है। जिसके मुताबिक साल 2024-25 के दौरान MSP पर खरीद लक्ष्य को घटाया गया है। अभी गेहू की फसल खेतों में तैयार खड़ी है और देश में राज्य सरकारों ने गेहू की खरीद की पूर्ण तैयारी शुरू कर दी है।

सरकार ने 2024-25 के सत्र में तीन से 3.2 करोड़ टन का लक्ष्य तय किया है। साल 2022-23 के गेहूं की खरीद 4.44 करोड़ टन एवं 2023-24 यानी बीते सीजन में गेहूं खरीद के लक्ष्‍य की बात करें तो 341.5 मिलियन टन का लक्ष्य था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बुधवार को राजधानी में केंद्रीय खाद्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यों के खाद्य सचिवों की बैठक हुई थी। इस मीटिंग में MSP खरीद लक्ष्य को लेकर विचार विमर्श करके निर्णय लिया गया है। दरअसल इसके पीछे टारगेट पूर्ण नहीं हो पाने को बड़ा कारण बताया जा रहा है।

पिछले कुछ सालों में देखा जा रहा है कि राज्य सरकार MSP खरीद लक्ष्य को पूर्ण कर पाने में सफल नहीं हो पा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसान अपनी फसल को MSP पर बेचने के बजाय, खुले बाजार में ज़्यादा दाम पर बेचना पसंद कर रहे हैं। कई राज्‍यों में, खुले बाजार में गेहूं का दाम MSP से ज़्यादा है। इसका कारण यह है कि इन राज्‍यों में गेहूं की मांग ज़्यादा है और आपूर्ति कम है। अब आंकड़े देखे तो रबी सीजन 2022-23 के दौरान MSP पर गेहूं खरीद का लक्ष्‍य 444 लाख टन निर्धारित था, लेकिन MSP पर गेहू खरीद के लिए तय लक्ष्य के मुकाबले 187.9 लाख टन कितनी की खरीदारी हुई, यही हाल पिछले सीजन में रहा है। 2023-24 में गेहूं खरीद का लक्ष्‍य 341 लाख टन निर्धारित था, उसके उलट 262 लाख टन गेहूं की खरीदी MSP पर हुई।

UP में 1 मार्च से गेहूं खरीद शुरू, 150 रुपए कुंतल बढ़ा MSP

यूपी में शुक्रवार 1 मार्च से गेहूं खरीद खरीद शुरू हो गई है। इस बार योगी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 150 रुपए की वृद्धि कर, 2275 प्रति कुंतल निर्धारित किया है। प्रदेश भर में 6,500 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं। 15 जून तक गेहूं की खरीद की जाएगी। रविवार और अन्य अवकाशों को छोड़कर 15 जून तक क्रय केंद्रों पर प्रतिदिन गेहूं की खरीद सुबह 9 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक चलेगी। गेहूं बिक्री के लिए किसानों को खाद्य और रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in पर या मोबाइल ऐप UP KISHAN MITRA पर रजिस्ट्रेशन-नवीनीकरण कराना जरूरी है। किसी तरह की समस्या के लिए खाद्य और रसद विभाग ने गेहूं खरीद के लिए Toll free number 18001800150 भी जारी किया है। 

जनवरी में खुदरा महंगाई गिरकर हुई 5.1%, पर खाद्य पदार्थों की महंगाई दर अभी भी 8.3%

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 8.3% पर रही। जबकि उससे पिछले महीने यह 9.53% पर थी। दूसरी ओर, खुदरा महंगाई दर जनवरी 2024 में कम होकर 5.1% पर पहुंच गई है। यह पिछले तीन महीने में सबसे न्यूनतम स्तर है। दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 5.69% था। खुदरा महंगाई आधारित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) दिसंबर 2023 में 5.69% पर था। जनवरी 2023 में यह आंकड़ा 6.52% पर था। अगस्त 2023 में खुदरा महंगाई दर 6.83% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था जो भी अपने आप में चिंता की बात है। खास है कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत पर (दोनों ओर दो प्रतिशत की मार्जिन के साथ) रखने का लक्ष्य दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सब्जियों (27.6 फीसदी बनाम 27 फीसदी), दालों (19.5 फीसदी बनाम 20.7 फीसदी), मसालों (19.7 फीसदी की तुलना में 16.4 फीसदी) और फलों (11.1 फीसदी की तुलना में 8.7 फीसदी) की कीमतों में कम वृद्धि हुई और तेल और वसा (-15 फीसदी बनाम 15 फीसदी) के लिए कीमतों में गिरावट जारी रही। महंगाई से जुड़े आंकड़े साप्ताहिक रोस्टर पर एनएसओ और एमओएसपीआई के फील्ड ऑपरेशन डिवीजन के कर्मचारियों द्वारा व्यक्तिगत यात्राओं के माध्यम से सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को कवर करने वाले चयनित 1114 शहरी बाजारों और 1181 गांवों से एकत्र किए जाते हैं। जनवरी 2024 में, एनएसओ ने 99.8% गांवों और 98.5% शहरी बाजारों से कीमतें एकत्र कीं, जबकि इसमें रिपोर्ट की गई बाजार-वार कीमतें ग्रामीण क्षेत्र के लिए 89.9% और शहरी के लिए 93.6% थीं।

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