दलित इंजीनियर हत्या मामला: फिल्म निर्माता पा. रंजीत ने तमिलनाडु सरकार से कुछ जिलों को 'अत्याचार-संवेदनशील क्षेत्र' घोषित करने की मांग की

Written by sabrang india | Published on: August 1, 2025
तमिलनाडु में अनुसूचित जाति/जनजाति से संबंधित शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने और जांच उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) स्तर के अधिकारी को सौंपने जैसे बुनियादी कानूनी प्रोटोकॉल का अक्सर पालन नहीं होता, जैसा कि हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने भी अपने निर्देशों में उल्लेख किया है।



तमिलनाडु में दलित और बहुजनों पर बढ़ रहे अत्याचारों को लेकर नीलम सांस्कृतिक केंद्र के संस्थापक व फिल्म निर्माता पा. रंजीत ने राज्य सरकार और पुलिस की निष्क्रियता की कड़ी आलोचना की है। ताजा मामला तिरुनेलवेली का है जहां पिछले महीने 27 तारीख को 27 वर्षीय दलित सॉफ्टवेयर इंजीनियर कविन सेल्वगणेश की क्रूरता से हत्या कर दी गई। रंजीत ने इस घटना की पारदर्शी जांच, तुरंत गिरफ्तारी और तिरुनेलवेली, शिवगंगई, पुदुकोट्टई तथा थूथुकुडी जिलों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत ‘अत्याचार-संवेदनशील क्षेत्र’ घोषित करने की मांग की है।

कविन थूथुकुडी जिले के एरल तालुक के अरुमुगमंगलम के सरकारी स्कूल शिक्षक दंपति तमिलसेल्वी और चंद्रशेखर के बेटे थे। कविन की हत्या प्रेमिका सुभाषिनी के भाई ने उनके घर के पास दिनदहाड़े कर दी। सुभाषिनी तिरुनेलवेली के एक निजी अस्पताल में काम करती है। सुभाषिनी के माता-पिता, सरवनन और कृष्णवेणी, दोनों पुलिस कर्मी हैं और उन्हें इस रिश्ते पर एतराज था। विरोध के बावजूद जब दोनों ने यह रिश्ता जारी रखा तो परिणामस्वरूप सुभाषिनी के भाई सुरजीत ने कविन पर घातक हमला किया जिससे उसकी मौत हो गई।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में केवल सुरजीत को ही आरोपी बनाया गया था। लेकिन जब कविन के परिवार और रिश्तेदारों ने सुभाषिनी के माता-पिता की संलिप्तता का आरोप लगाकर जोरदार विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम किया तो पुलिस ने उन्हें भी आरोपी के रूप में नामजद कर लिया। हालांकि, सरवनन और कृष्णवेणी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, जिससे पुलिस की निष्पक्षता और जांच के प्रति पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

रंजीत ने सरकार पर अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का सही पालन न करने का आरोप लगाया, जिसमें ऐसी घटनाओं के बाद जिला कलेक्टर का तुरंत पीड़ितों से मिलना अनिवार्य है। हालांकि, कलेक्टर ने अब तक कविन के परिवार से मुलाकात नहीं की है। रंजीत ने बताया कि अनुसूचित जाति समुदायों को न्यूनतम न्याय के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, जैसा कि कविन के परिवार की चल रही लड़ाई से स्पष्ट है।

रंजीत ने वर्तमान डीएमके सरकार पर दलितों से जुड़े मामलों में पिछली सरकार की उदासीनता को जारी रखने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोपी के पुलिस कनेक्शन के मद्देनज़र जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और सरकार से मामले की पारदर्शी जांच करने तथा सुरजित के माता-पिता को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की।

तमिलनाडु में बढ़ते जातिगत अपराधों पर चिंता जताते हुए रंजीत ने मांग की कि जिन जिलों में जाति आधारित हिंसा की घटनाएं अधिक होती हैं, उन्हें “अत्याचार-संवेदनशील क्षेत्र” घोषित किया जाए और वहां विशेष पुलिस थानों की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में एफआईआर तुरंत दर्ज करने और जांच की जिम्मेदारी उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) को सौंपने जैसे बुनियादी कानूनी प्रोटोकॉल का अक्सर उल्लंघन होता है जिसकी पुष्टि हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने भी की है।

नीलम सांस्कृतिक केंद्र ने ऐसी घटनाओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए पुलिस द्वारा मीडिया में वैकल्पिक नैरेटिव फैलाने की प्रवृत्ति की कड़ी निंदा की और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। रंजीत ने इस ऑनर किलिंग मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति के गठन की मांग की, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश, दलित कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल हों जो न केवल घटना के सामाजिक कारणों का विश्लेषण करें, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय भी सुझाएं। उन्होंने डीएमके सरकार और उसके सहयोगी दलों द्वारा ऑनर किलिंग के खिलाफ अलग क़ानून बनाए जाने की मांग को लगातार नजरअंदाज करने की भी तीखी आलोचना की और सरकार से इस मुद्दे पर तुरंत ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया।

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