गोपीनाथ और पांच अन्य लोग पीड़ित पचीलिन के घर पहुंचे। पुलिस ने बताया कि उन्होंने डंडों से उस पर हमला किया और जातिसूचक गालियां दीं। पचीलिन ने पुलिस को बताया, “उन्होंने मुझे पीटा और बार-बार कहा कि मुझे इस तरह की बाइक नहीं चलानी चाहिए।” वह किसी तरह बचकर पुलिस स्टेशन पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई।

तमिलनाडु के पप्पनडु इलाके में छह लोगों को एक 21 वर्षीय दलित युवक पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने मीडिया को बताया कि पीड़ित, वेल्लूर का रहने वाला एन. पचीलिन, पप्पनडु के एक छोटे से ढाबे में काम करता है। सोमवार रात, जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहा था, तो नेम्मेली के 30 वर्षीय टी. गोपीनाथ ने उसे रोक लिया। गोपीनाथ ने कथित तौर पर उससे कहा, “तुम्हारी जाति के लोगों को इतनी महंगी बाइक नहीं चलानी चाहिए।” पचीलिन ने जवाब दिया कि उसने बाइक अपने पैसों से खरीदी है और उसे इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उसी रात बाद में गोपीनाथ और पांच अन्य लोग पचीलिन के घर पहुंचे। पुलिस ने बताया कि उन्होंने डंडों से उस पर हमला किया और जातिसूचक गालियां दीं। पचीलिन ने पुलिस को बताया, “उन्होंने मुझे पीटा और बार-बार कहा कि मुझे इस तरह की बाइक नहीं चलानी चाहिए।” वह किसी तरह बचकर पुलिस स्टेशन पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई।
पप्पनडु पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। मंगलवार को छह लोगों — गोपीनाथ, वी. लिकांतन, ए. सारथी, एम. अरुणकुमार, के. उदयन और ए. प्रहदीश्वरन — को गिरफ्तार किया गया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “पीड़ित सुरक्षित है और उसका इलाज चल रहा है। हमने सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच जारी है।”
ज्ञात हो कि हाल ही में मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक दलित परिवार के सदस्य पर जानलेवा हमला किया गया। साल 2019 में 15 वर्षीय दलित किशोरी अंजना अहिरवार के साथ कथित छेड़छाड़ और इसके बाद नितिन व राजेंद्र की हत्या के मामले ने पहले ही प्रदेश को झकझोर दिया था। अब उसी परिवार के सदस्य विष्णु अहिरवार पर जानलेवा हमला किया गया है। विष्णु का आरोप है कि उन पर लगातार केस वापस लेने का दबाव डाला जा रहा था, और जब उन्होंने इनकार किया तो उन पर हमला कर दिया गया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में खुरई तहसील के बरोदिया नोनागिर गांव में 15 वर्षीय अंजना के साथ कथित छेड़छाड़ की गई थी। परिजनों ने ऊंची जाति के कुछ युवकों पर आरोप लगाया था, लेकिन पुलिस ने उस समय केवल मारपीट की FIR दर्ज की थी। परिवार का आरोप था कि आरोपी सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़े हुए हैं, इसलिए मामला कमजोर कर दिया गया।
इसके बाद परिवार पर लगातार केस वापस लेने का दबाव बनाया गया। अंजना की मां ने कई बार पुलिस और प्रशासन को शिकायत दी, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। इसी बीच, अगस्त 2023 में इस परिवार पर फिर हमला हुआ और अंजना के भाई नितिन की हत्या कर दी गई।
इसी तरह, गुजरात के खेड़ावाड़ा लक्ष्मीपुरा गांव के 38 वर्षीय दलित मज़दूर शैलेश सोलंकी पर भी कथित तौर पर हमला किया गया और उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं। उनका एकमात्र “अपराध” यह था कि उन्होंने हिम्मतनगर स्थित काल भैरव मंदिर में दर्शन करने की कोशिश की थी।
बलूचपुर के एक चौराहे पर गाड़ी का इंतज़ार करते समय, सोलंकी का सामना पास के धनपुरा गांव के निवासी भरत पटेल से हुआ। पटेल ने सोलंकी से पूछा कि वह उस इलाके में क्यों है और उसकी पहचान पूछी।
सोलंकी ने बताया कि वह मंदिर जा रहा था। पटेल ने कथित तौर पर इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया और जानना चाहा कि सोलंकी अनुसूचित जाति से है या सामान्य वर्ग से। जब सोलंकी ने अपना आधार कार्ड दिखाया, तो पटेल ने कथित तौर पर उपनाम से उसकी जाति पहचान ली और जातिवादी गालियां देने लगा। फिर उसने सोलंकी को कई थप्पड़ मारे और अंधेरा होने के बाद मंदिर जाने पर सवाल उठाया।
बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के फतेहगंज थाना क्षेत्र के जबरापुर गांव में 30 सितंबर को अनुसूचित जाति के दो बुज़ुर्गों — भगत वर्मा (60) और कल्लू श्रीवास (70) — पर ऊंची जाति के लोगों ने कथित तौर पर लाठी-डंडों और चाकू से हमला कर दिया। आरोप है कि यह हमला तब हुआ जब पीड़ितों ने खड़े होकर हमलावरों को “राम-राम” नहीं कहा। हमलावरों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं और एक बुज़ुर्ग से 500 रुपये भी छीन लिए।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब पीड़ित अपने खेतों में काम कर रहे थे। भगत को लाठियों से पीटा गया और बीच-बचाव करने की कोशिश करने पर कल्लू पर चाकू से हमला किया गया। आस-पास के ग्रामीणों ने हस्तक्षेप नहीं किया और हमलावर धमकाकर वहां से भाग निकले। भगत के बेटे गंगाराम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने मारपीट और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
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तमिलनाडु के पप्पनडु इलाके में छह लोगों को एक 21 वर्षीय दलित युवक पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने मीडिया को बताया कि पीड़ित, वेल्लूर का रहने वाला एन. पचीलिन, पप्पनडु के एक छोटे से ढाबे में काम करता है। सोमवार रात, जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहा था, तो नेम्मेली के 30 वर्षीय टी. गोपीनाथ ने उसे रोक लिया। गोपीनाथ ने कथित तौर पर उससे कहा, “तुम्हारी जाति के लोगों को इतनी महंगी बाइक नहीं चलानी चाहिए।” पचीलिन ने जवाब दिया कि उसने बाइक अपने पैसों से खरीदी है और उसे इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उसी रात बाद में गोपीनाथ और पांच अन्य लोग पचीलिन के घर पहुंचे। पुलिस ने बताया कि उन्होंने डंडों से उस पर हमला किया और जातिसूचक गालियां दीं। पचीलिन ने पुलिस को बताया, “उन्होंने मुझे पीटा और बार-बार कहा कि मुझे इस तरह की बाइक नहीं चलानी चाहिए।” वह किसी तरह बचकर पुलिस स्टेशन पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई।
पप्पनडु पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। मंगलवार को छह लोगों — गोपीनाथ, वी. लिकांतन, ए. सारथी, एम. अरुणकुमार, के. उदयन और ए. प्रहदीश्वरन — को गिरफ्तार किया गया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “पीड़ित सुरक्षित है और उसका इलाज चल रहा है। हमने सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच जारी है।”
ज्ञात हो कि हाल ही में मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक दलित परिवार के सदस्य पर जानलेवा हमला किया गया। साल 2019 में 15 वर्षीय दलित किशोरी अंजना अहिरवार के साथ कथित छेड़छाड़ और इसके बाद नितिन व राजेंद्र की हत्या के मामले ने पहले ही प्रदेश को झकझोर दिया था। अब उसी परिवार के सदस्य विष्णु अहिरवार पर जानलेवा हमला किया गया है। विष्णु का आरोप है कि उन पर लगातार केस वापस लेने का दबाव डाला जा रहा था, और जब उन्होंने इनकार किया तो उन पर हमला कर दिया गया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में खुरई तहसील के बरोदिया नोनागिर गांव में 15 वर्षीय अंजना के साथ कथित छेड़छाड़ की गई थी। परिजनों ने ऊंची जाति के कुछ युवकों पर आरोप लगाया था, लेकिन पुलिस ने उस समय केवल मारपीट की FIR दर्ज की थी। परिवार का आरोप था कि आरोपी सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़े हुए हैं, इसलिए मामला कमजोर कर दिया गया।
इसके बाद परिवार पर लगातार केस वापस लेने का दबाव बनाया गया। अंजना की मां ने कई बार पुलिस और प्रशासन को शिकायत दी, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। इसी बीच, अगस्त 2023 में इस परिवार पर फिर हमला हुआ और अंजना के भाई नितिन की हत्या कर दी गई।
इसी तरह, गुजरात के खेड़ावाड़ा लक्ष्मीपुरा गांव के 38 वर्षीय दलित मज़दूर शैलेश सोलंकी पर भी कथित तौर पर हमला किया गया और उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं। उनका एकमात्र “अपराध” यह था कि उन्होंने हिम्मतनगर स्थित काल भैरव मंदिर में दर्शन करने की कोशिश की थी।
बलूचपुर के एक चौराहे पर गाड़ी का इंतज़ार करते समय, सोलंकी का सामना पास के धनपुरा गांव के निवासी भरत पटेल से हुआ। पटेल ने सोलंकी से पूछा कि वह उस इलाके में क्यों है और उसकी पहचान पूछी।
सोलंकी ने बताया कि वह मंदिर जा रहा था। पटेल ने कथित तौर पर इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया और जानना चाहा कि सोलंकी अनुसूचित जाति से है या सामान्य वर्ग से। जब सोलंकी ने अपना आधार कार्ड दिखाया, तो पटेल ने कथित तौर पर उपनाम से उसकी जाति पहचान ली और जातिवादी गालियां देने लगा। फिर उसने सोलंकी को कई थप्पड़ मारे और अंधेरा होने के बाद मंदिर जाने पर सवाल उठाया।
बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के फतेहगंज थाना क्षेत्र के जबरापुर गांव में 30 सितंबर को अनुसूचित जाति के दो बुज़ुर्गों — भगत वर्मा (60) और कल्लू श्रीवास (70) — पर ऊंची जाति के लोगों ने कथित तौर पर लाठी-डंडों और चाकू से हमला कर दिया। आरोप है कि यह हमला तब हुआ जब पीड़ितों ने खड़े होकर हमलावरों को “राम-राम” नहीं कहा। हमलावरों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं और एक बुज़ुर्ग से 500 रुपये भी छीन लिए।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब पीड़ित अपने खेतों में काम कर रहे थे। भगत को लाठियों से पीटा गया और बीच-बचाव करने की कोशिश करने पर कल्लू पर चाकू से हमला किया गया। आस-पास के ग्रामीणों ने हस्तक्षेप नहीं किया और हमलावर धमकाकर वहां से भाग निकले। भगत के बेटे गंगाराम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने मारपीट और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
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