महाराष्ट्र सरकार का आदेश: सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर सरकारी नीतियों की आलोचना नहीं कर सकेंगे

Written by sabrang india | Published on: July 31, 2025
ये दिशानिर्देश राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय स्वशासन निकायों, बोर्डों, परिषदों और सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे। इनमें संविदा और आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी भी शामिल हैं।



महाराष्ट्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को सोशल मीडिया पर राज्य या केंद्र सरकार की वर्तमान या पूर्व नीतियों की आलोचना करने से प्रतिबंधित कर दिया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नए दिशानिर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि बिना पूर्व अनुमति के किसी भी आधिकारिक दस्तावेज को साझा नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही, राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा प्रतिबंधित वेबसाइटों व ऐप्स का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है। इन नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सोमवार को जारी किए गए ये दिशानिर्देश राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय स्वशासन निकायों, बोर्डों, परिषदों और सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे। इनमें संविदा और आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी भी शामिल हैं।

सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में सोशल मीडिया की व्यापक परिभाषा दी गई है, जिसमें फेसबुक और लिंक्डइन जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स, एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसी माइक्रॉग ब्लॉगिंग साइट्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे वीडियो साझा करने वाले प्लेटफॉर्म, वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स, साथ ही विकी और विभिन्न चर्चा मंच जैसे सहयोगात्मक उपकरण शामिल हैं।

सोमवार को जारी किए गए जीआर में बताया गया है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से कुछ गंभीर खतरे सामने आए हैं, जैसे गोपनीय जानकारी का प्रसार, गलत सूचनाओं का फैलाव और फर्जी जानकारी को वापस लेने में होने वाली कठिनाइयां।

इसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग सरकारी नीतियों, किसी राजनीतिक घटना या व्यक्ति के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी करने के लिए किया जा रहा है, जो सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन है।

सरकारी प्रस्ताव में बताया गया है कि महाराष्ट्र सिविल सेवा (रोजगार) नियम, 1979, जो सरकारी कर्मचारियों के आचरण को नियंत्रित करते हैं, अब सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर भी लागू किए जाएंगे।

दिशानिर्देशों में सरकारी कर्मचारियों से कहा गया है कि वे अपने व्यक्तिगत और आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स को अलग रखें और सोशल मीडिया का जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करें।

इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रतिबंधित वेबसाइटों और ऐप्स का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। केवल अधिकृत अधिकारी, सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी से, सरकारी योजनाओं के प्रचार और जनभागीदारी के लिए सरकारी मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कर्मचारी बिना अनुमति के गोपनीय या गोपनीय दस्तावेजों को आंशिक या पूर्ण रूप से साझा या अपलोड नहीं कर सकते। कार्यालय के कार्यों में समन्वय के लिए वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा सकता है। कर्मचारी सरकारी योजनाओं की सफलता में सामूहिक प्रयासों के बारे में पोस्ट कर सकते हैं, लेकिन आत्म-प्रशंसा से बचना आवश्यक है।

इसमें कहा गया है कि व्यक्तिगत फोटो के इस्तेमाल की अनुमति है, लेकिन व्यक्तिगत सोशल मीडिया अकाउंट पर फोटो या वीडियो अपलोड करते समय सरकारी नाम, लोगो तथा सरकारी संपत्ति जैसे वाहन और भवनों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। आपत्तिजनक, नफरत फैलाने वाली, अपमानजनक और भेदभावपूर्ण सामग्री साझा या अपलोड नहीं की जा सकती। स्थानांतरण के समय कार्यालय से संबंधित सोशल मीडिया अकाउंट तुरंत सौंपना अनिवार्य है।

दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी कर्मचारी पर महाराष्ट्र सिविल सेवा (अनुशासनात्मक और अपील) नियम, 1979 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

ज्ञात हो कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जुलाई को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसमें मुंबई पुलिस द्वारा फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में आयोजित विरोध प्रदर्शन की अनुमति न देने को चुनौती दी गई थी। यह विरोध प्रदर्शन आजाद मैदान में होना था, जो मुंबई का एक बड़ा मैदान है और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी ऐतिहासिक भूमिका के लिए मशहूर है।

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