सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पंजाब सरकार की कोशिश है कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराया जाए लेकिन सभी किसानों ने ऐसा न होने देने के लिए पूरा जोर लगा दिया है और ट्रैक्टर-ट्रालियों से उनके आसपास घेरा बना लिया है।
साभार : सोशल मीडिया एक्स
"हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर फरवरी माह से किसानों का आंदोलन जारी है। इससे पहले भी 2020-21 में दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया था। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के नेतृत्व में किसान आंदोलन को एक बार फिर मीडिया में सुर्खियां मिली हैं। खास है कि बुधवार को 37वें दिन दल्लेवाल का अनशन जारी हैं।"
खास है कि मंगलवार को पंजाब सरकार ने दल्लेवाल का अनशन तुड़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दो दिन की मोहलत मांगी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति दी है। शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार से कहा था कि वह दल्लेवाल को उचित इलाज मुहैया कराए और उनका अनशन तुड़वाने का प्रयास करें। जगजीत सिंह दल्लेवाल 26 नवंबर से अनशन पर बैठे हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी और अदालत ने उस दिन पंजाब सरकार से रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके अलावा राज्य के डीजीपी गौरव यादव एवं मुख्य सचिव से व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई में रहने को कहा है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस सूर्यकांत की वैकेशन बेंच ने कहा, 'परिस्थितियों को देखते हुए और न्याय के हित में हम पंजाब सरकार की ओर से दो दिन का अतिरिक्त समय मांगने की बात को स्वीकार करते हैं।'
इससे पूर्व पंजाब के एडीजी गुरमिंदर सिंह ने अदालत में दलील दी थी कि पंजाब सरकार की ओऱ से वार्ताकार मौके पर पहुंचे थे। इसके लिए 7000 सुरक्षाकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सोमवार को पंजाब बंद का आयोजन किसान संगठनों की ओर से किया गया था। इस बीच पंजाब सरकर ने किसान आंदोलन की गेंद केंद्र सरकार के पाले में भी डाल दी है। पंजाब के वकील ने कहा, 'किसानों की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है कि यदि उन्हें बातचीत के लिए न्योता मिलता है तो फिर दल्लेवाल जरूरी मेडिकल सुविधा लेने को तैयार हैं।' वहीं, किसानों ने भी दो टूक कहा है कि अगर केंद्र सरकार की ओर से मांगों पर बातचीत का न्योता आता है तो दल्लेवाल अपना अनशन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं। स्वयं दल्लेवाल की ओर से किसानों को 4 जनवरी की महापंचायत में आने की अपील की गई है। इसी सब को लेकर खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों ने दो टूक कहा है कि चाहे जितनी ताकत लगा लो, हम पीछे नहीं हटेंगे’। केंद्र सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन में मौजूद सरदार बूटा सिंह पंजाबी भाषा में कहते हैं- “ऐ बेबे नानक दा लंगर ऐ, सेंटर जिन्ना मर्जी धक्का कर ले, ऐ नी रुकदा (यह गुरु नानक का लंगर है, केंद्र जितनी चाहे उतनी ताकत लगा ले, यह नहीं रुकेगा)। एक्सप्रेस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पंजाब सरकार की कोशिश है कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराया जाए लेकिन सभी किसानों ने ऐसा न होने देने के लिए पूरा जोर लगा दिया है और ट्रैक्टर-ट्रालियों से उनके आसपास घेरा बना लिया है। डल्लेवाल के आसपास बड़ी संख्या में बुजुर्ग किसान जमा हुए हैं। पिछली बार के किसान आंदोलन और इस बार के किसान आंदोलन में कुछ बड़े अंतर हैं। इस बार बड़े-बड़े स्पीकर से पंजाबी गाने बजाने वाली लग्जरी गाड़ियां, एनआरआई समर्थक और सेलिब्रिटी नहीं दिखाई दे रहे हैं। इस बार एक छोटे से मंच पर गद्दे बिछाए गए हैं और लाउडस्पीकर पर गुरबाणी और शब्द कीर्तन बजाए जा रहे हैं। लेकिन लंगर पिछली बार की ही तरह चल रहा है।
पिछले किसान आंदोलन और इस बार के आंदोलन में एक चीज जो बिल्कुल वैसी ही है वह है लंगर। यहां हर वक्त लस्सी, गर्म दूध, चाय, खीर, रोटी- दाल-सब्जी और कड़ाह प्रसाद परोसा जा रहा है। दान में आए सामान का हिसाब-किताब भी रखा जाता है। पटियाला के रहने वाले बूटा सिंह साल 2020 में सिंघु बॉर्डर पर हुए आंदोलन में भी शामिल थे। बूटा सिंह द इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, “दान देने के लिए आपकी नेक भावना काम करती है। हर किसान जो अपने दिल की आवाज सुनता है, वह इस आंदोलन में आ रहा है।” बूटा सिंह के साथ ही किसान आंदोलन में शामिल शमशेर सिंह उन्हें चाय देते हुए कहते हैं, “पिछले आंदोलन में दिखावा थोड़ा ज्यादा था लेकिन इस बार यह आंदोलन हमारे नेता की जिंदगी का सवाल है।” बरनाला के रहने वाले बलविंदर सिंह धरना स्थल पर चलने वाले लंगर का काम संभाल रहे हैं।
…पांच और किसान हैं तैयार
बलविंदर सिंह कहते हैं कि पीने के पानी और दूध से लेकर कच्ची सब्जियां और खाने के तेल तक लगातार दान आ रहा है। बलविंदर सिंह कहते हैं कि हमें सब कुछ अपने गांव से मिल रहा है और हम किसी से कुछ नहीं मांगते। जगजीत सिंह डल्लेवाल के तंबू में मौजूद एक किसान दान की किताब दिखाते हुए बताते हैं कि हमें 100 से लेकर 10 हजार रुपये तक दान मिल रहा है। वह कहते हैं कि अगर जगजीत सिंह अपना अनशन खत्म कर देते हैं तो पांच और किसान उनकी जगह लेने के लिए तैयार हैं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शमशेर सिंह से जब यह पूछा गया कि क्या राजनीतिक दल भी किसी तरह का चंदा दे रहे हैं तो वह कहते हैं कि हम इसे वापस कर देते हैं। बरनाला के रहने वाले बलौर सिंह कहते हैं कि बीजेपी की सरकार ने उन्हें आंदोलन करने के लिए मजबूर किया है क्योंकि केंद्र सरकार अपने वादे भूल गई।
सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा
बलौर सिंह कहते हैं कि हमने यह आंदोलन इसलिए शुरू किया क्योंकि हम केंद्र सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि उसने वादा किया था कि वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी और एमएसपी को कानूनी गारंटी देगी। बलौर सिंह कहते हैं कि सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा और जैसे ही सरकार अपने वादे पूरे करेगी, हम यहां से चले जाएंगे।"
37वें दिन भी जारी रहा दल्लेवाल का अनशन
उधर, खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन बुधवार को 37वें दिन भी जारी रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार को उनकी जांच कर रहे डॉ. स्वयंमान सिंह ने एक वीडियो जारी करते बताया कि दल्लेवाल की हालत नाजुक बनी हुई है। वह इस समय केवल अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर जी रहे हैं। दल्लेवाल शरीर में प्रोटीन कम हो गया है। गुर्दे की कार्यप्रणाली को मापने वाला जीएफआर टेस्ट के अलावा लीवर व किडनी फंक्शन टेस्ट भी खराब आए हैं। डॉ. स्वयमान सिंह ने कहा कि इसे देखते हुए उनकी केंद्र सरकार से अपील है कि समय बर्बाद न करते हुए किसानों की मांगों पर जल्द गौर किया जाए। वहीं खराब सेहत के बावजूद दल्लेवाल ने वीडियो जारी करके किसानों को ज्यादा से ज्यादा गिनती में चार जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर होने वाली महापंचायत में शामिल होने की अपील की है। दल्लेवाल ने कहा कि वह जरूरी संदेश किसानों को देना चाहते हैं। यह किसान महापंचायत सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगी, जिसमें पंजाब, हरियाणा के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी किसानों के पहुंचने की बात ही जा रही है।
केंद्र बातचीत के लिए हो तैयार, तभी खत्म होगा अनशन
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दोबारा सुनवाई की बाबत किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटड़ा, सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि अदालत में हुई पूरी प्रक्रिया का विश्लेषण किया गया है। पहले की तुलना में सुप्रीम कोर्ट का रूख बदला है। साथ ही कहा है कि अगर केंद्र सरकार की ओर से मांगों को लेकर बातचीत का न्योता आता है, तो दल्लेवाल अपना अनशन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं।
साभार : सोशल मीडिया एक्स
"हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर फरवरी माह से किसानों का आंदोलन जारी है। इससे पहले भी 2020-21 में दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया था। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के नेतृत्व में किसान आंदोलन को एक बार फिर मीडिया में सुर्खियां मिली हैं। खास है कि बुधवार को 37वें दिन दल्लेवाल का अनशन जारी हैं।"
खास है कि मंगलवार को पंजाब सरकार ने दल्लेवाल का अनशन तुड़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दो दिन की मोहलत मांगी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति दी है। शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार से कहा था कि वह दल्लेवाल को उचित इलाज मुहैया कराए और उनका अनशन तुड़वाने का प्रयास करें। जगजीत सिंह दल्लेवाल 26 नवंबर से अनशन पर बैठे हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी और अदालत ने उस दिन पंजाब सरकार से रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके अलावा राज्य के डीजीपी गौरव यादव एवं मुख्य सचिव से व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई में रहने को कहा है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस सूर्यकांत की वैकेशन बेंच ने कहा, 'परिस्थितियों को देखते हुए और न्याय के हित में हम पंजाब सरकार की ओर से दो दिन का अतिरिक्त समय मांगने की बात को स्वीकार करते हैं।'
इससे पूर्व पंजाब के एडीजी गुरमिंदर सिंह ने अदालत में दलील दी थी कि पंजाब सरकार की ओऱ से वार्ताकार मौके पर पहुंचे थे। इसके लिए 7000 सुरक्षाकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सोमवार को पंजाब बंद का आयोजन किसान संगठनों की ओर से किया गया था। इस बीच पंजाब सरकर ने किसान आंदोलन की गेंद केंद्र सरकार के पाले में भी डाल दी है। पंजाब के वकील ने कहा, 'किसानों की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है कि यदि उन्हें बातचीत के लिए न्योता मिलता है तो फिर दल्लेवाल जरूरी मेडिकल सुविधा लेने को तैयार हैं।' वहीं, किसानों ने भी दो टूक कहा है कि अगर केंद्र सरकार की ओर से मांगों पर बातचीत का न्योता आता है तो दल्लेवाल अपना अनशन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं। स्वयं दल्लेवाल की ओर से किसानों को 4 जनवरी की महापंचायत में आने की अपील की गई है। इसी सब को लेकर खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों ने दो टूक कहा है कि चाहे जितनी ताकत लगा लो, हम पीछे नहीं हटेंगे’। केंद्र सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन में मौजूद सरदार बूटा सिंह पंजाबी भाषा में कहते हैं- “ऐ बेबे नानक दा लंगर ऐ, सेंटर जिन्ना मर्जी धक्का कर ले, ऐ नी रुकदा (यह गुरु नानक का लंगर है, केंद्र जितनी चाहे उतनी ताकत लगा ले, यह नहीं रुकेगा)। एक्सप्रेस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पंजाब सरकार की कोशिश है कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराया जाए लेकिन सभी किसानों ने ऐसा न होने देने के लिए पूरा जोर लगा दिया है और ट्रैक्टर-ट्रालियों से उनके आसपास घेरा बना लिया है। डल्लेवाल के आसपास बड़ी संख्या में बुजुर्ग किसान जमा हुए हैं। पिछली बार के किसान आंदोलन और इस बार के किसान आंदोलन में कुछ बड़े अंतर हैं। इस बार बड़े-बड़े स्पीकर से पंजाबी गाने बजाने वाली लग्जरी गाड़ियां, एनआरआई समर्थक और सेलिब्रिटी नहीं दिखाई दे रहे हैं। इस बार एक छोटे से मंच पर गद्दे बिछाए गए हैं और लाउडस्पीकर पर गुरबाणी और शब्द कीर्तन बजाए जा रहे हैं। लेकिन लंगर पिछली बार की ही तरह चल रहा है।
पिछले किसान आंदोलन और इस बार के आंदोलन में एक चीज जो बिल्कुल वैसी ही है वह है लंगर। यहां हर वक्त लस्सी, गर्म दूध, चाय, खीर, रोटी- दाल-सब्जी और कड़ाह प्रसाद परोसा जा रहा है। दान में आए सामान का हिसाब-किताब भी रखा जाता है। पटियाला के रहने वाले बूटा सिंह साल 2020 में सिंघु बॉर्डर पर हुए आंदोलन में भी शामिल थे। बूटा सिंह द इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, “दान देने के लिए आपकी नेक भावना काम करती है। हर किसान जो अपने दिल की आवाज सुनता है, वह इस आंदोलन में आ रहा है।” बूटा सिंह के साथ ही किसान आंदोलन में शामिल शमशेर सिंह उन्हें चाय देते हुए कहते हैं, “पिछले आंदोलन में दिखावा थोड़ा ज्यादा था लेकिन इस बार यह आंदोलन हमारे नेता की जिंदगी का सवाल है।” बरनाला के रहने वाले बलविंदर सिंह धरना स्थल पर चलने वाले लंगर का काम संभाल रहे हैं।
…पांच और किसान हैं तैयार
बलविंदर सिंह कहते हैं कि पीने के पानी और दूध से लेकर कच्ची सब्जियां और खाने के तेल तक लगातार दान आ रहा है। बलविंदर सिंह कहते हैं कि हमें सब कुछ अपने गांव से मिल रहा है और हम किसी से कुछ नहीं मांगते। जगजीत सिंह डल्लेवाल के तंबू में मौजूद एक किसान दान की किताब दिखाते हुए बताते हैं कि हमें 100 से लेकर 10 हजार रुपये तक दान मिल रहा है। वह कहते हैं कि अगर जगजीत सिंह अपना अनशन खत्म कर देते हैं तो पांच और किसान उनकी जगह लेने के लिए तैयार हैं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शमशेर सिंह से जब यह पूछा गया कि क्या राजनीतिक दल भी किसी तरह का चंदा दे रहे हैं तो वह कहते हैं कि हम इसे वापस कर देते हैं। बरनाला के रहने वाले बलौर सिंह कहते हैं कि बीजेपी की सरकार ने उन्हें आंदोलन करने के लिए मजबूर किया है क्योंकि केंद्र सरकार अपने वादे भूल गई।
सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा
बलौर सिंह कहते हैं कि हमने यह आंदोलन इसलिए शुरू किया क्योंकि हम केंद्र सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि उसने वादा किया था कि वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी और एमएसपी को कानूनी गारंटी देगी। बलौर सिंह कहते हैं कि सरकार ने हमारे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा और जैसे ही सरकार अपने वादे पूरे करेगी, हम यहां से चले जाएंगे।"
37वें दिन भी जारी रहा दल्लेवाल का अनशन
उधर, खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन बुधवार को 37वें दिन भी जारी रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार को उनकी जांच कर रहे डॉ. स्वयंमान सिंह ने एक वीडियो जारी करते बताया कि दल्लेवाल की हालत नाजुक बनी हुई है। वह इस समय केवल अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर जी रहे हैं। दल्लेवाल शरीर में प्रोटीन कम हो गया है। गुर्दे की कार्यप्रणाली को मापने वाला जीएफआर टेस्ट के अलावा लीवर व किडनी फंक्शन टेस्ट भी खराब आए हैं। डॉ. स्वयमान सिंह ने कहा कि इसे देखते हुए उनकी केंद्र सरकार से अपील है कि समय बर्बाद न करते हुए किसानों की मांगों पर जल्द गौर किया जाए। वहीं खराब सेहत के बावजूद दल्लेवाल ने वीडियो जारी करके किसानों को ज्यादा से ज्यादा गिनती में चार जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर होने वाली महापंचायत में शामिल होने की अपील की है। दल्लेवाल ने कहा कि वह जरूरी संदेश किसानों को देना चाहते हैं। यह किसान महापंचायत सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगी, जिसमें पंजाब, हरियाणा के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी किसानों के पहुंचने की बात ही जा रही है।
केंद्र बातचीत के लिए हो तैयार, तभी खत्म होगा अनशन
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दोबारा सुनवाई की बाबत किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटड़ा, सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि अदालत में हुई पूरी प्रक्रिया का विश्लेषण किया गया है। पहले की तुलना में सुप्रीम कोर्ट का रूख बदला है। साथ ही कहा है कि अगर केंद्र सरकार की ओर से मांगों को लेकर बातचीत का न्योता आता है, तो दल्लेवाल अपना अनशन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं।
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