छत्तीसगढ़: विहिप द्वारा ‘धर्मांतरण’ की शिकायत पर सैंकड़ों साल पुराने क्रिश्चियन हॉस्पिटल पर जांच बैठाई गई

Written by sabrang india | Published on: August 5, 2025
छत्तीसगढ़ के धमतरी में 115 साल पुराने क्रिश्चियन अस्पताल पर जिला प्रशासन ने जांच शुरू की है। यह जांच बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों की शिकायत के आधार पर शुरू की गई है। इन संगठनों ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही और धर्मांतरण के गंभीर आरोप लगाए हैं।



छत्तीसगढ़ में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी का मामला राज्य में ईसाई समुदाय पर हो रहे उत्पीड़न का अकेला उदाहरण नहीं है। हाल ही में एक और चिंताजनक घटना सामने आई, जिसमें बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अन्य हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों ने धमतरी जिले के एक ईसाई अस्पताल में तोड़फोड़ की और उसके फर्श को गोबर से पोत दिया। यह हमला बठेना क्रिश्चियन हॉस्पिटल पर हुआ, जो करीब 115 साल पुराना है और लंबे समय से कम लागत में गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए जाना जाता है।

लेकिन इस घटना के बाद भी, अस्पताल में तोड़फोड़ और अपमानजनक व्यवहार करने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके उलट, राज्य प्रशासन ने अस्पताल के खिलाफ ही इलाज में कथित लापरवाही के आरोपों को लेकर जांच बैठा दी है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, धमतरी के क्रिश्चियन हॉस्पिटल पर स्थानीय लोगों और विहिप ने मरीजों के इलाज में लापरवाही, धोखाधड़ी और कथित धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल से शिकायत की, जिसके बाद जिला प्रशासन ने हॉस्पिटल के खिलाफ जांच के निर्देश दे दिए।

धमतरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी उत्तम कौशिक ने द वायर हिंदी को बताया कि ‘विहिप, बजरंग दल तथा अन्य की शिकायतों के आधार पर अस्पताल के ऊपर जांच बैठाई गई है.’

कौशिक ने यह भी बताया कि अस्पताल के खिलाफ सिर्फ इलाज में लापरवाही ही नहीं, बल्कि धर्मांतरण के आरोपों को लेकर भी शिकायत की गई है। उनके अनुसार, इन शिकायतों के आधार पर जो जांच शुरू की गई है, उसमें जिला प्रशासन के अधिकारी भी शामिल हैं।

हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा अस्पताल में तोड़फोड़

पिछले कुछ महीनों से बठेना क्रिश्चियन हॉस्पिटल को लेकर लगातार तनाव और हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं। खासकर 27 जुलाई को स्थिति और गंभीर हो गई, जब हिंदू संगठनों ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अस्पताल परिसर में घुसकर तोड़फोड़ की, मेडिकल उपकरणों को नुकसान पहुंचाया और वहां मौजूद डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया।

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेअर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एएचपीआई) के छत्तीसगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने धमतरी के बठेना क्रिश्चियन अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटना की कड़ी निंदा की है।

अस्पताल परिसर में हुए उपद्रव को गंभीर और आपत्तिजनक बताते हुए डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा, "देश की आज़ादी से पूर्व, जब आदिवासी और दूरदराज़ के इलाकों में चिकित्सा सुविधाएं नहीं थीं, तब से 115 साल पुराना यह अस्पताल एक उत्कृष्ट सेवा का उदाहरण रहा है। ऐसे संस्थान को निशाना बनाना और उसे धार्मिक रंग देना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि चिकित्सा व्यवसाय को हतोत्साहित करने वाली घटना भी है।"

डॉ. गुप्ता ने आगे कहा, "इलाज में अगर कोई कमी महसूस होती है, तो उसके समाधान के लिए सरकार ने पहले से ही मंच उपलब्ध कराए हैं। मरीज या उनके परिजन प्रशासन के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। लेकिन कानून को हाथ में लेकर अस्पताल परिसर में आक्रमण करना और हुड़दंग मचाना गलत परिपाटी की शुरुआत है। इस तरह की घटनाएं पूरे चिकित्सा समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।"

एएचपीआई छत्तीसगढ़ ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि अस्पताल परिसर और वहां कार्यरत नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को पूरी सुरक्षा दी जाए ताकि वहां पहुंच रहे जरूरतमंद मरीज भय मुक्त वातावरण में इलाज करा सकें। साथ ही जिला प्रशासन से यह भी मांग की गई है कि जिन लोगों ने तोड़फोड़ की है उनके खिलाफ चिकित्सा परिसर हिंसा अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।

यह पहली घटना नहीं है जब अस्पताल परिसर में हंगामा हुआ है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 28 जून को अस्पताल पर इलाज में लापरवाही और छात्रों को ईसाई धर्म की ओर प्रेरित करने के आरोपों के बाद विहिप के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल परिसर में करीब तीन घंटे तक हंगामा किया था। प्रदर्शनकारी अस्पताल में जबरन घुस गए और परिसर में झंडे लगाए, गोबर से जमीन लीप दी और व्हीलचेयर और सीसीटीवी कैमरों को नुकसान पहुंचाया।

अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया है कि प्रदर्शनकारियों ने जबरदस्ती अस्पताल के अंदर घुसपैठ की, कई उपकरणों को नुकसान पहुxचाया और मरीजों के इलाज में बाधा डाली।

हालांकि संगठन ने इन आरोपों से इनकार किया है। देवांगन कहते हैं कि वह वहां धरना प्रदर्शन करने गए थे, अस्पताल के उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया।

विहिप के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन न केवल इलाज में भारी लापरवाही कर रहा है, बल्कि अस्पताल परिसर में स्थित नर्सिंग कॉलेज के छात्रों पर धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने का भी दबाव बनाया जा रहा है। संगठन का कहना है कि छात्रों को बाइबिल पढ़ने और ईसाई प्रार्थनाओं में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

धर्मांतरण का आरोप

विहिप के रामचंद्र देवांगन ने अस्पताल पर धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए द वायर हिंदी को बताया, “इसी अस्पताल के तहत एक नर्सिंग कॉलेज संचालित होता है, जहां धर्मांतरण किया जाता है। छात्रों पर दबाव डालकर उन्हें चर्च में प्रार्थना करने के लिए ले जाया जाता है।”

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक संदीप कुमार पटोंडा ने धर्मांतरण के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह निराधार बताया। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल सौ से अधिक वर्षों से संचालित हो रहा है और यहां बिना किसी भेदभाव के मरीजों का इलाज किया जाता है। उनका कहना था कि अस्पताल का मुख्य उद्देश्य केवल सेवा करना है।

वे कहते हैं, “हमारे नर्सिंग कॉलेज में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि या धर्मांतरण नहीं होता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि उनके अस्पताल के खिलाफ जांच बैठाई गई है और उन्हें इस बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है।

अस्पताल पर लापरवाही के आरोप

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट और विहिप के अनुसार, अस्पताल ने कई मामलों में लापरवाही दिखाई है। उदाहरण के तौर पर जून के महीने में प्रसव के लिए आई एक महिला को सही सलाह नहीं दी गई। इसी तरह, एक एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल मरीज को अस्पताल ने दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया, जहां उसकी मृत्यु हो गई।

संदीप पटोंदा ने द वायर हिंदी से बातचीत के दौरान इन सभी आरोपों से इनकार किया है।

उन्होंने कहा कि कभी कोई मरीज या उसके परिजन अपनी शिकायत ले कर नहीं आए हैं। वह कहते हैं, ‘हमारे पास कोई लिखित शिकायत नहीं आई है। इलाज में लापरवाही और अन्य बातों की जानकारी उन्हें मीडिया से या अन्य किसी संगठन से पता लगता है।’

प्रसव के दौरान लापरवाही वाले मामले पर उन्होंने कहा कि अस्पताल के डॉक्टर इलाज कर रहे थे, लेकिन मरीज के परिजन अपनी मर्जी से उसे दूसरे अस्पताल ले गए जहां उसका प्रसव हुआ, अगर वह हमारे अस्पताल में भी रहतीं तब उनका सकुशल प्रसव होता।

वह बताते हैं, “इस मामले में परिजनों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी धमतरी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन बाद में शिकायत वापस ले ली गई। परिजनों ने खुद हमें बताया कि उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली है।”

विहिप ने स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रशासन के समक्ष आठ मांगें रखी हैं, जिनमें ‘दोषी डॉक्टरों’ पर हत्या और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करना, उनके मेडिकल लाइसेंस रद्द करना, पीड़ितों को मुआवजा देना, अस्पताल को सील करना, नर्सिंग कॉलेज में ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ सुनिश्चित करना, ‘जबरन’ धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना और लापरवाही से हुई मौतों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करना आदि शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत किसी से छुपी नहीं है, ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संचालित एक अस्पताल को निशाने पर लेना प्रशासन की मंशा को दर्शाता है।

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