मध्य प्रदेश में एक मंदिर में बलात्कार का आरोप लगाने वाली पोस्ट से पुणे के यवत गांव में दंगा भड़क गया। यह इलाका पहले से ही शिवाजी प्रतिमा के अपमान के बाद तनावग्रस्त था। भीड़ ने वाहनों को आग लगाई और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद पुलिस ने कर्फ्यू लगाया, आंसू गैस छोड़ी, और कई प्राथमिकियाँ दर्ज कर बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ कीं।

पुणे जिले के दौंड तालुका के यवत गांव में एक आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद 1 अगस्त, शुक्रवार को सांप्रदायिक तनाव ने हिंसक रूप ले लिया। यह पोस्ट मध्य प्रदेश में एक बलात्कार मामले से संबंधित थी। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्ट में एक मंदिर के अंदर 60 वर्षीय पुजारी द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के कथित बलात्कार का ज़िक्र था। यह मामला पहले से तनावग्रस्त गांव में नाराज़गी और सांप्रदायिक अशांति का कारण बन गया।
हालांकि किसी के घायल होने की सूचना नहीं मिली, लेकिन हिंसा तेजी से भड़क उठी। इस घटना में पथराव, आगज़नी और निजी व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। कोल्हापुर रेंज के विशेष पुलिस महानिरीक्षक सुनील फुलारी के अनुसार, क्षतिग्रस्त संपत्तियों में दो कारें, एक मोटरसाइकिल (जिसे आग के हवाले कर दिया गया), एक बेकरी और एक मंदिर शामिल हैं।
सांप्रदायिक हिंसा
जिस व्यक्ति की सोशल मीडिया पोस्ट के कारण कथित रूप से हिंसा भड़की, उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हालांकि द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वह व्यक्ति यवत का मूल निवासी नहीं है। अधिकारियों ने यह भी पुष्टि की है कि प्रारंभिक जांच जारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस व्यक्ति के किसी संगठित समूह से संबंध हैं या नहीं।
पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संदीप सिंह गिल ने मीडिया को बताया कि 1 अगस्त को दोपहर लगभग 12:30 बजे पहली सूचना मिली, जिसके बाद संबंधित व्यक्ति को तुरंत हिरासत में ले लिया गया। हालांकि, जैसे-जैसे पोस्ट वायरल हुई, यवत पुलिस स्टेशन के बाहर ग्रामीण इकट्ठा होने लगे। अधिकारियों ने जब समुदाय के लोगों के साथ बातचीत कर तनाव कम करने की कोशिश की, उसी दौरान सहकार नगर, स्टेशन रोड और इंदिरा नगर जैसे कई इलाकों में हिंसा फैल गई। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इन इलाकों में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और आरोपी के घर को आग के हवाले कर दिया गया।
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फुलारी ने ज़ोर देकर कहा कि हिंसा अचानक भड़की और पुलिस न केवल स्थानीय लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, बल्कि उन बाहरी तत्वों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाएगी जिन्होंने हिंसा भड़काई या उसमें हिस्सा लिया।
पहले से मौजूद तनाव और शिवाजी प्रतिमा का अपमान
यह घटना पहले से चल रहे तनाव के बीच सामने आई है। 26 जुलाई को गांव में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा को कथित रूप से तोड़ दिया गया था, जिससे समुदायों के बीच तनाव उभर आया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दिन सभी समुदायों के लोगों ने मिलकर इस अपमान की निंदा की और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद हिंदुत्व संगठनों और भाजपा नेताओं ने 1 अगस्त को "हिंदू जन आक्रोश मोर्चा" के बैनर तले एक रैली आयोजित की, ताकि इस घटना के खिलाफ अपना आक्रोश जताया जा सके। हालांकि प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि 2 अगस्त को हुई हिंसा का इस रैली से कोई संबंध नहीं है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "गुरुवार [1 अगस्त] को हिंदू जन आक्रोश मोर्चा की जो बैठक हुई थी, उसका शुक्रवार को हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। हिंसा इसलिए शुरू हुई क्योंकि एक बाहरी व्यक्ति ने एक आपत्तिजनक पोस्ट डाली थी जिसमें इशारा था कि एक पुजारी ने बलात्कार किया है या कुछ उस तरह की वारदात को अंजाम दिया है, जिससे तनाव पैदा हुआ और लोग सड़कों पर उतर आए।" हालांकि यह निष्कर्ष किस आधार पर निकाला गया, यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि जांच अभी जारी है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, "कुछ लोग केवल तनाव फैलाने के लिए इस तरह की आपत्तिजनक पोस्ट करते हैं," और आश्वासन दिया कि ऐसे कंटेंट और उसके कारण हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक और पुलिस प्रतिक्रिया
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, जो पुणे जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं, उन्होंने यवत का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने पुष्टि की कि स्थिति अब नियंत्रण में है और क्षेत्र में स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स (SRPF) की कई टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं ताकि शांति बनाए रखी जा सके।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, "हिंसा इसलिए भड़की क्योंकि एक बाहरी व्यक्ति ने एक गलत पोस्ट डाली थी," और ऐसे पोस्टों को जानबूझकर अशांति फैलाने की कोशिश बताया। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, उन्होंने यह भी पुष्टि की कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
यवत में अवैध जमावड़ों को रोकने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 लागू की गई। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों और 15 वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की गई है। पुलिस और स्थानीय समुदाय नेताओं दोनों ने शांति बनाए रखने की अपील जारी की है। पुलिस अधीक्षक संदीप सिंह गिल ने लोगों से आग्रह किया कि वे किसी भी उकसाने वाले या आपत्तिजनक कंटेंट की जानकारी पुलिस को दें और खुद कानून अपने हाथ में न लें।
एफआईआर, गिरफ्तारी और जांच
शनिवार शाम तक, पुलिस ने पांच प्राथमिकियाँ (FIR) दर्ज की हैं, जिनमें से चार एफआईआर में 500 से ज्यादा लोगों को तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, इन आरोपियों में से 100 से ज्यादा लोगों की पहचान हो चुकी है और अब तक 17 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
पुलिस की विशेष टीमें और जांच
पुलिस ने बाकी आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए तीन विशेष टीमें गठित की हैं। जांचकर्ता सीसीटीवी फुटेज, वायरल वीडियो और अन्य डिजिटल साक्ष्यों की मदद से आरोपियों का पता लगा रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रविवार को 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई, जिन्हें प्रारंभिक जांच के बाद छोड़ दिया गया।
एसपी संदीप सिंह गिल ने दोहराया कि प्रारंभिक जांच में अभी तक किसी पूर्व-योजना या साजिश का पता नहीं चला है, लेकिन साथ ही कहा, “जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।”
कारोबार फिर से खुल चुके हैं और यवत में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन उस समुदाय में तनाव अभी भी महसूस किया जा रहा है, जो हाल ही तक अपेक्षाकृत सौहार्दपूर्ण जीवन जी रहा था।
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हालांकि किसी के घायल होने की सूचना नहीं मिली, लेकिन हिंसा तेजी से भड़क उठी। इस घटना में पथराव, आगज़नी और निजी व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। कोल्हापुर रेंज के विशेष पुलिस महानिरीक्षक सुनील फुलारी के अनुसार, क्षतिग्रस्त संपत्तियों में दो कारें, एक मोटरसाइकिल (जिसे आग के हवाले कर दिया गया), एक बेकरी और एक मंदिर शामिल हैं।
सांप्रदायिक हिंसा
जिस व्यक्ति की सोशल मीडिया पोस्ट के कारण कथित रूप से हिंसा भड़की, उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हालांकि द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वह व्यक्ति यवत का मूल निवासी नहीं है। अधिकारियों ने यह भी पुष्टि की है कि प्रारंभिक जांच जारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस व्यक्ति के किसी संगठित समूह से संबंध हैं या नहीं।
पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संदीप सिंह गिल ने मीडिया को बताया कि 1 अगस्त को दोपहर लगभग 12:30 बजे पहली सूचना मिली, जिसके बाद संबंधित व्यक्ति को तुरंत हिरासत में ले लिया गया। हालांकि, जैसे-जैसे पोस्ट वायरल हुई, यवत पुलिस स्टेशन के बाहर ग्रामीण इकट्ठा होने लगे। अधिकारियों ने जब समुदाय के लोगों के साथ बातचीत कर तनाव कम करने की कोशिश की, उसी दौरान सहकार नगर, स्टेशन रोड और इंदिरा नगर जैसे कई इलाकों में हिंसा फैल गई। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इन इलाकों में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और आरोपी के घर को आग के हवाले कर दिया गया।
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फुलारी ने ज़ोर देकर कहा कि हिंसा अचानक भड़की और पुलिस न केवल स्थानीय लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, बल्कि उन बाहरी तत्वों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाएगी जिन्होंने हिंसा भड़काई या उसमें हिस्सा लिया।
पहले से मौजूद तनाव और शिवाजी प्रतिमा का अपमान
यह घटना पहले से चल रहे तनाव के बीच सामने आई है। 26 जुलाई को गांव में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा को कथित रूप से तोड़ दिया गया था, जिससे समुदायों के बीच तनाव उभर आया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दिन सभी समुदायों के लोगों ने मिलकर इस अपमान की निंदा की और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद हिंदुत्व संगठनों और भाजपा नेताओं ने 1 अगस्त को "हिंदू जन आक्रोश मोर्चा" के बैनर तले एक रैली आयोजित की, ताकि इस घटना के खिलाफ अपना आक्रोश जताया जा सके। हालांकि प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि 2 अगस्त को हुई हिंसा का इस रैली से कोई संबंध नहीं है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "गुरुवार [1 अगस्त] को हिंदू जन आक्रोश मोर्चा की जो बैठक हुई थी, उसका शुक्रवार को हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। हिंसा इसलिए शुरू हुई क्योंकि एक बाहरी व्यक्ति ने एक आपत्तिजनक पोस्ट डाली थी जिसमें इशारा था कि एक पुजारी ने बलात्कार किया है या कुछ उस तरह की वारदात को अंजाम दिया है, जिससे तनाव पैदा हुआ और लोग सड़कों पर उतर आए।" हालांकि यह निष्कर्ष किस आधार पर निकाला गया, यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि जांच अभी जारी है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, "कुछ लोग केवल तनाव फैलाने के लिए इस तरह की आपत्तिजनक पोस्ट करते हैं," और आश्वासन दिया कि ऐसे कंटेंट और उसके कारण हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक और पुलिस प्रतिक्रिया
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, जो पुणे जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं, उन्होंने यवत का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने पुष्टि की कि स्थिति अब नियंत्रण में है और क्षेत्र में स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स (SRPF) की कई टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं ताकि शांति बनाए रखी जा सके।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, "हिंसा इसलिए भड़की क्योंकि एक बाहरी व्यक्ति ने एक गलत पोस्ट डाली थी," और ऐसे पोस्टों को जानबूझकर अशांति फैलाने की कोशिश बताया। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, उन्होंने यह भी पुष्टि की कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
यवत में अवैध जमावड़ों को रोकने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 लागू की गई। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों और 15 वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की गई है। पुलिस और स्थानीय समुदाय नेताओं दोनों ने शांति बनाए रखने की अपील जारी की है। पुलिस अधीक्षक संदीप सिंह गिल ने लोगों से आग्रह किया कि वे किसी भी उकसाने वाले या आपत्तिजनक कंटेंट की जानकारी पुलिस को दें और खुद कानून अपने हाथ में न लें।
एफआईआर, गिरफ्तारी और जांच
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पुलिस की विशेष टीमें और जांच
पुलिस ने बाकी आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए तीन विशेष टीमें गठित की हैं। जांचकर्ता सीसीटीवी फुटेज, वायरल वीडियो और अन्य डिजिटल साक्ष्यों की मदद से आरोपियों का पता लगा रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रविवार को 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई, जिन्हें प्रारंभिक जांच के बाद छोड़ दिया गया।
एसपी संदीप सिंह गिल ने दोहराया कि प्रारंभिक जांच में अभी तक किसी पूर्व-योजना या साजिश का पता नहीं चला है, लेकिन साथ ही कहा, “जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।”
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