शेख ने आरोप लगाया, शनिवार की आधी रात को करीब 80 लोग अचानक हमारे घर आए और दरवाजे को जोर-जोर से पीटने लगे। जब हमने दरवाजा खोला, तो उनमें से कुछ लोग अंदर घुस आए और परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड की मांग करने लगे। जब हमने दस्तावेज दिखाए तो उन्होंने उन्हें नकली बता दिया और महिलाओं व बच्चों से भी आधार कार्ड दिखाने को कहा।

फोटो साभार : एनडीटीवी 'एक्स'
करगिल युद्ध के पूर्व सैनिक के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े करीब 80 लोगों का एक समूह पुणे स्थित उनके घर में जबरन घुस आया और उन्हें बांग्लादेशी कहकर उनकी भारतीय नागरिकता का प्रमाण मांगने लगा।
यह घटना पुणे के चंदननगर इलाके में शनिवार की आधी रात को घटी। उन्होंने यह भी कहा कि उस समय कुछ पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में मौजूद थे लेकिन वे मूक दर्शक बने रहे।
रिडीफ की रिपोर्ट के अनुसार, इरशाद शेख (48) ने बताया कि उनके बड़े भाई हकीमुद्दीन शेख, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में रहते हैं, भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं और उन्होंने करगिल युद्ध में भाग लिया था। वे 2000 में इंजीनियर्स रेजिमेंट से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए।
उन्होंने बताया, "जहां मेरे बड़े भाई उत्तर प्रदेश में रहते हैं, वहीं मैं अपने दो भाइयों और उनके बच्चों के साथ पिछले कई दशकों से पुणे के चंदननगर इलाके में रह रहा हूं।"
शेख ने आरोप लगाया, शनिवार की आधी रात को करीब 80 लोग अचानक हमारे घर आए और दरवाजे को जोर-जोर से पीटने लगे। जब हमने दरवाजा खोला, तो उनमें से कुछ लोग अंदर घुस आए और परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड की मांग करने लगे। जब हमने दस्तावेज दिखाए तो उन्होंने उन्हें नकली बता दिया और महिलाओं व बच्चों से भी आधार कार्ड दिखाने को कहा।
उन्होंने कहा कि परिवार ने उस समूह को समझाने की कोशिश की कि वे पिछले 60 वर्षों से वहीं रह रहे हैं और उनके बड़े भाई के अलावा, उनके दो चाचा भी सेना में सेवा कर चुके हैं।
"लेकिन उस समूह के लोग कुछ सुनने के मूड में नहीं थे। उन्होंने गालियां दीं और हमें बांग्लादेशी कहकर आरोप लगाने लगे। मैंने उनसे कहा कि अगर वे जांच करना चाहते हैं तो करें, हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन किसी के घर में जबरन घुसना, गालियां देना और आधी रात को बच्चों से जबरदस्ती दस्तावेज दिखवाना बिल्कुल भी उचित नहीं है।"
शेख ने दावा किया कि जब हिंदुत्ववादी समर्थक वह समूह 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगा और परिवार के सदस्यों को पुलिस स्टेशन चलने के लिए मजबूर करने की कोशिश करने लगा तो उनके साथ आए दो लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया।
उन्होंने कहा, पूरे घटनाक्रम के दौरान ये दोनों सादे कपड़ों में मौजूद पुलिसकर्मी चुपचाप खड़े रहे और कुछ नहीं किया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब वे चंदननगर पुलिस स्टेशन पहुंचे तो महिला पुलिस निरीक्षक ने उनके दस्तावेज ले लिए और उन्हें बाहर इंतजार करने को कहा।
शेख ने कहा, "दो घंटे इंतजार करवाने के बाद अधिकारी ने हमें अगली सुबह दोबारा आने को कहा और चेतावनी दी कि अगर हम नहीं आए, तो हमें बांग्लादेशी नागरिक घोषित कर दिया जाएगा।"
उन्होंने आगे बताया कि वे अगले दिन फिर पुलिस स्टेशन गए।
शेख ने कहा, "हमें कहा गया कि इस मामले को तूल न दें और कोई शिकायत दर्ज न करें। अब पुलिस हम पर दबाव बना रही है और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हमारे घर में कोई घुसा ही नहीं था।"
उन्होंने आगे कहा, अगर दस्तावेजों में कोई गड़बड़ी होती, तो पुलिस जबरन कार्रवाई करती।
"लेकिन चूंकि हमारे सभी दस्तावेज़ असली हैं, अब वे हमें चुप रहने को कह रहे हैं," उन्होंने दावा किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपनी भारतीय नागरिकता का 400 साल पुराना प्रमाण भी दे सकते हैं।
शेख ने कहा कि उनके परिवार के कई सदस्य भारतीय सेना में सेवा कर चुके हैं।
उन्होंने बताया, "मेरे चाचा 1971 के युद्ध में एक बम विस्फोट में घायल हो गए थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया गया था। एक और चाचा 1965 के भारत-पाक युद्ध में अब्दुल हमीद के साथ लड़े थे।"
शेख ने कहा कि उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता राहुल डांबले से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मिलवाया।
उस अधिकारी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था लेकिन शेख के अनुसार, तीन से चार दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
पीटीआई से बात करते हुए इंजीनियर्स रेजिमेंट में सेवा दे चुके हकीमुद्दीन शेख ने कहा कि पुणे में उनके परिवार के साथ जो हुआ, वह गलत था।
उन्होंने कहा, "हम पिछले 50 वर्षों से पुणे में रह रहे हैं। पुणे में रहते हुए ही मेरे चाचा मोहम्मद सलीम की भर्ती भारतीय सेना में हुई थी। मेरे परिवार के साथ जो हुआ, वह गलत है और अगर जरूरत पड़ी तो मैं स्वयं पुलिस से बात करूंगा और स्पष्टीकरण मांगूंगा"
हालांकि, जोन 4 के पुलिस उपायुक्त सोमय मुंडे ने इस बात से इनकार किया कि शेख के घर में कोई बड़ा समूह जबरन घुसा था।
उन्होंने यह स्वीकार किया कि कुछ पुलिसकर्मी दस्तावेजों की पुष्टि के लिए उस स्थान पर गए थे।
पुलिस उपायुक्त सोमय मुंडे ने कहा, "शहर में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत पुलिस को कुछ जानकारी मिली, जिसके आधार पर वे दस्तावेजों की जांच के लिए उस घर पर गए। चूंकि रात का समय था, इसलिए किसी महिला को थाने नहीं लाया गया और केवल कुछ पुरुष सदस्यों को पुलिस के साथ चलने को कहा गया। देर रात होने के कारण उन्हें अगले दिन आने को कहा गया। प्रारंभिक जांच में उनके दस्तावेजों में कोई अवैधता नहीं पाई गई है।"
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस टीम ने जो घर का दौरा किया था, उसके पास पूछताछ का वीडियो फुटेज भी मौजूद है।
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस फॉर माइनॉरिटी के अध्यक्ष राहुल डांबले ने कहा कि हिंदुत्ववादी संगठन के सदस्यों ने युद्ध के दिग्गज के परिवार को डराने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, "हमने इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की मांग की है। हम पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार से मिलकर इस पर कार्रवाई की मांग करेंगे।"
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फोटो साभार : एनडीटीवी 'एक्स'
करगिल युद्ध के पूर्व सैनिक के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े करीब 80 लोगों का एक समूह पुणे स्थित उनके घर में जबरन घुस आया और उन्हें बांग्लादेशी कहकर उनकी भारतीय नागरिकता का प्रमाण मांगने लगा।
यह घटना पुणे के चंदननगर इलाके में शनिवार की आधी रात को घटी। उन्होंने यह भी कहा कि उस समय कुछ पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में मौजूद थे लेकिन वे मूक दर्शक बने रहे।
रिडीफ की रिपोर्ट के अनुसार, इरशाद शेख (48) ने बताया कि उनके बड़े भाई हकीमुद्दीन शेख, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में रहते हैं, भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं और उन्होंने करगिल युद्ध में भाग लिया था। वे 2000 में इंजीनियर्स रेजिमेंट से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए।
उन्होंने बताया, "जहां मेरे बड़े भाई उत्तर प्रदेश में रहते हैं, वहीं मैं अपने दो भाइयों और उनके बच्चों के साथ पिछले कई दशकों से पुणे के चंदननगर इलाके में रह रहा हूं।"
शेख ने आरोप लगाया, शनिवार की आधी रात को करीब 80 लोग अचानक हमारे घर आए और दरवाजे को जोर-जोर से पीटने लगे। जब हमने दरवाजा खोला, तो उनमें से कुछ लोग अंदर घुस आए और परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड की मांग करने लगे। जब हमने दस्तावेज दिखाए तो उन्होंने उन्हें नकली बता दिया और महिलाओं व बच्चों से भी आधार कार्ड दिखाने को कहा।
उन्होंने कहा कि परिवार ने उस समूह को समझाने की कोशिश की कि वे पिछले 60 वर्षों से वहीं रह रहे हैं और उनके बड़े भाई के अलावा, उनके दो चाचा भी सेना में सेवा कर चुके हैं।
"लेकिन उस समूह के लोग कुछ सुनने के मूड में नहीं थे। उन्होंने गालियां दीं और हमें बांग्लादेशी कहकर आरोप लगाने लगे। मैंने उनसे कहा कि अगर वे जांच करना चाहते हैं तो करें, हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन किसी के घर में जबरन घुसना, गालियां देना और आधी रात को बच्चों से जबरदस्ती दस्तावेज दिखवाना बिल्कुल भी उचित नहीं है।"
शेख ने दावा किया कि जब हिंदुत्ववादी समर्थक वह समूह 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगा और परिवार के सदस्यों को पुलिस स्टेशन चलने के लिए मजबूर करने की कोशिश करने लगा तो उनके साथ आए दो लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया।
उन्होंने कहा, पूरे घटनाक्रम के दौरान ये दोनों सादे कपड़ों में मौजूद पुलिसकर्मी चुपचाप खड़े रहे और कुछ नहीं किया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब वे चंदननगर पुलिस स्टेशन पहुंचे तो महिला पुलिस निरीक्षक ने उनके दस्तावेज ले लिए और उन्हें बाहर इंतजार करने को कहा।
शेख ने कहा, "दो घंटे इंतजार करवाने के बाद अधिकारी ने हमें अगली सुबह दोबारा आने को कहा और चेतावनी दी कि अगर हम नहीं आए, तो हमें बांग्लादेशी नागरिक घोषित कर दिया जाएगा।"
उन्होंने आगे बताया कि वे अगले दिन फिर पुलिस स्टेशन गए।
शेख ने कहा, "हमें कहा गया कि इस मामले को तूल न दें और कोई शिकायत दर्ज न करें। अब पुलिस हम पर दबाव बना रही है और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हमारे घर में कोई घुसा ही नहीं था।"
उन्होंने आगे कहा, अगर दस्तावेजों में कोई गड़बड़ी होती, तो पुलिस जबरन कार्रवाई करती।
"लेकिन चूंकि हमारे सभी दस्तावेज़ असली हैं, अब वे हमें चुप रहने को कह रहे हैं," उन्होंने दावा किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपनी भारतीय नागरिकता का 400 साल पुराना प्रमाण भी दे सकते हैं।
शेख ने कहा कि उनके परिवार के कई सदस्य भारतीय सेना में सेवा कर चुके हैं।
उन्होंने बताया, "मेरे चाचा 1971 के युद्ध में एक बम विस्फोट में घायल हो गए थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया गया था। एक और चाचा 1965 के भारत-पाक युद्ध में अब्दुल हमीद के साथ लड़े थे।"
शेख ने कहा कि उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता राहुल डांबले से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मिलवाया।
उस अधिकारी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था लेकिन शेख के अनुसार, तीन से चार दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
पीटीआई से बात करते हुए इंजीनियर्स रेजिमेंट में सेवा दे चुके हकीमुद्दीन शेख ने कहा कि पुणे में उनके परिवार के साथ जो हुआ, वह गलत था।
उन्होंने कहा, "हम पिछले 50 वर्षों से पुणे में रह रहे हैं। पुणे में रहते हुए ही मेरे चाचा मोहम्मद सलीम की भर्ती भारतीय सेना में हुई थी। मेरे परिवार के साथ जो हुआ, वह गलत है और अगर जरूरत पड़ी तो मैं स्वयं पुलिस से बात करूंगा और स्पष्टीकरण मांगूंगा"
हालांकि, जोन 4 के पुलिस उपायुक्त सोमय मुंडे ने इस बात से इनकार किया कि शेख के घर में कोई बड़ा समूह जबरन घुसा था।
उन्होंने यह स्वीकार किया कि कुछ पुलिसकर्मी दस्तावेजों की पुष्टि के लिए उस स्थान पर गए थे।
पुलिस उपायुक्त सोमय मुंडे ने कहा, "शहर में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत पुलिस को कुछ जानकारी मिली, जिसके आधार पर वे दस्तावेजों की जांच के लिए उस घर पर गए। चूंकि रात का समय था, इसलिए किसी महिला को थाने नहीं लाया गया और केवल कुछ पुरुष सदस्यों को पुलिस के साथ चलने को कहा गया। देर रात होने के कारण उन्हें अगले दिन आने को कहा गया। प्रारंभिक जांच में उनके दस्तावेजों में कोई अवैधता नहीं पाई गई है।"
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस टीम ने जो घर का दौरा किया था, उसके पास पूछताछ का वीडियो फुटेज भी मौजूद है।
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस फॉर माइनॉरिटी के अध्यक्ष राहुल डांबले ने कहा कि हिंदुत्ववादी संगठन के सदस्यों ने युद्ध के दिग्गज के परिवार को डराने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, "हमने इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की मांग की है। हम पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार से मिलकर इस पर कार्रवाई की मांग करेंगे।"
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