शिक्षा मंत्रालय की समिति के आरएसएस से जुड़े अध्यक्ष की योग्यता के बारे में जानकारी देने से सरकार का इनकार

Written by sabrang india | Published on: May 6, 2025
भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष और संघ से जुड़े रहे चमू कृष्णशास्त्री की शैक्षणिक योग्यता और वेतन तय करने के आधार की जानकारी देने से केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया।



केद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से गठित भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री के बारे में आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी का जवाब देने से केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया है। सरकार ने चमू कृष्णशास्त्री की शैक्षणिक योग्यताओं और बायोडाटा की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है।

द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अखबार द्वारा दाखिल आरटीआई के जवाब में शिक्षा मंत्रालय न तो शास्त्री की शैक्षणिक पृष्ठभूमि बता सका और न ही यह स्पष्ट कर पाया कि उनके वेतन का निर्धारण किस आधार पर किया गया।

ज्ञात हो कि चमू कृष्णशास्त्री साल 2021 में इस पद पर नियुक्त किए गए थे। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्था संस्कृत भारती के सदस्य हैं, जो बच्चों के लिए संस्कृत शिविर जैसे कार्यक्रमों के जरिए इस भाषा को बढ़ावा देने का काम करती है।

भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के उपाय सुझाने हेतु भारतीय भाषा समिति का गठन नवंबर 2021 में किया गया था।

आरटीआई के प्रारंभिक उत्तर में जब अपेक्षित जानकारी नहीं मिली, तो द टेलीग्राफ ने अपील दायर की। इस अपील के जवाब में 20 मार्च को प्रथम अपीलीय प्राधिकारी सुमन दीक्षित ने कहा कि मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिकॉर्ड में जो जानकारी मौजूद थी, वही दी गई है।

रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि दिसंबर 2023 से चमू शास्त्री को हर महीने 2.5 लाख रुपये का वेतन मिल रहा है, जो किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के वेतन से भी ज़्यादा है।

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