केरल: पादरी को धर्म परिवर्तन के आरोप में धमकाया गया, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

Written by sabrang india | Published on: August 5, 2025
केरल पुलिस ने धर्म परिवर्तन के आरोप में एक पादरी को धमकाने के आरोप में दक्षिणपंथी समूह के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया है।


प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार : द इंडियन एक्सप्रेस

केरल पुलिस ने दक्षिणपंथी समूह द्वारा कथित तौर पर एक पादरी को धर्म परिवर्तन के आरोप में धमकाने के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर FIR दर्ज की है।

द वायर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के हवाले से लिखा, पुलिस ने यह कार्रवाई बिना किसी औपचारिक शिकायत के शुरू की है।

ज्ञात हो कि यह मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है।

वायनाड पुलिस ने शनिवार 2 अगस्त को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के आधार पर नया मामला दर्ज किया है। ऐसा माना जा रहा है कि यह घटना कुछ महीने पहले हुई थी।

इस मामले में स्थानीय मीडिया द्वारा जारी किए गए फुटेज में एक समूह को पादरी को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकी देते हुए देखा जा सकता है।

सुल्तान बाथरी पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि आरोपियों ने धर्म परिवर्तन के आरोप लगाकर एक व्यक्ति को धमकाने का प्रयास किया, घटना का वीडियो बनाया और समाज में शांति भंग करने की नीयत से उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया।

इस मामले में बीएनएस की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें धारा 192 (दंगा भड़काने के उद्देश्य से जान-बूझकर उकसावा), धारा 351(3) (मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने के लिए आपराधिक धमकी) और धारा 3(5) (एक ही उद्देश्य से कई लोगों द्वारा किए गए अपराध) शामिल हैं।

पीटीआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि वीडियो में मौजूद आरोपियों की पहचान के लिए जांच जारी है।

इस बीच, छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में गिरफ्तार की गई केरल की दो ननों और एक अन्य व्यक्ति को शनिवार 2 अगस्त को राज्य की एक विशेष अदालत से जमानत मिलने के बाद दुर्ग केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ननों के वकील अमृतो दास ने कहा, ‘न्यायाधीश ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि उन्हें हिरासत में रखने की कोई जरूरत नहीं है।’

गौरतलब है कि इससे पहले शुक्रवार 1 अगस्त को जमानत पर सुनवाई के दौरान अदालत में न्यायाधीश दास ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने तीनों आरोपियों की पूछताछ के लिए हिरासत की मांग नहीं की थी और कथित पीड़ितों को पहले ही उनके घर भेजा जा चुका था।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि कथित पीड़ित सभी वयस्क हैं और स्वेच्छा से ईसाई धर्म का पालन करते हैं।

Related

ईसाई-विरोधी हिंसा का बढ़ता ग्राफ

पुणे के यवत में सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर सांप्रदायिक हिंसा; 17 गिरफ्तार, कई FIR दर्ज

बाकी ख़बरें