किशोर ठेकेदत्त का 89 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। वे केरल के रहने वाले थे और 1966 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स यूनियन (BUCTU) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे 2016 तक लगातार पचास वर्षों तक इस संस्था की कार्यकारी समिति के सदस्य रहे। वे केरल पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी (KPES) के उपाध्यक्ष भी थे, जो कई दशकों से मुंबई में बड़े आदर्श विद्यालय का सफल संचालन कर रही है। सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता अशोक धावले की यह श्रद्धांजलि शिक्षकों और छात्रों के सामूहिक संघर्षों में ठेकेदत्त के योगदान को स्मरण करती है।

डॉ. किशोर कुमार ठेकेदत्त का 20 दिसंबर 2025 की रात मुंबई में 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे ऐसे व्यक्तित्व थे जिनमें मार्क्सवादी विचारक, जमीनी संगठक और नेता—तीनों का दुर्लभ संगम था। वे सीपीआई(एम) की महाराष्ट्र राज्य सचिवालय के पूर्व सदस्य रहे और मुंबई व महाराष्ट्र में कॉलेज–विश्वविद्यालय शिक्षकों के आंदोलनों को खड़ा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आपातकाल (1975–77) के दौरान वे 15 महीनों तक हिरासत में भी रहे। उन्हें एक सम्मानित मार्क्सवादी चिंतक, लेखक और शिक्षक के रूप में व्यापक पहचान प्राप्त थी।
उनके परिवार में उनकी पत्नी शोभा, छोटे पुत्र धनंजय (उनके बड़े पुत्र देवतोष का दुर्भाग्यवश 2017 में कैंसर से निधन हो गया था) तथा परिवार के अन्य सदस्य हैं।
किशोर ठेकेदत्त का परिवार मूल रूप से केरल के त्रिशूर जिले के पेरिनजानम गांव से था, लेकिन उनका जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ। उनके पिता मुंबई की धनराज मिल्स में कपड़ा मिल मज़दूर थे और उनकी माता गृहिणी थीं। किशोर का जन्म 8 नवंबर 1936 को हुआ था। उन्होंने भौतिकी और गणित में बी.एससी. किया, शुद्ध और अनुप्रयुक्त गणित—दोनों में एम.एससी. की डिग्री प्राप्त की और बाद में 1987 में “डायलेक्टिकल मैटेरियलिज़्म एंड मॉडर्न साइंस: थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम मैकेनिक्स के विशेष संदर्भ में” विषय पर पीएच.डी. पूरी की। अपनी गहन विद्वता के बावजूद, उन्हें अपनी मज़दूर वर्गीय जड़ों पर हमेशा गहरा गर्व रहा।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत राज्य सरकार की नौकरी में एक क्लर्क के रूप में की। 1958 में पहली एम.एससी. पूरी करने के बाद उन्होंने कई स्कूलों और कॉलेजों में अध्यापन किया और 1965 से 1994 तक लगभग 30 वर्षों तक मुंबई के प्रतिष्ठित विल्सन कॉलेज में पढ़ाया, जहाँ से उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। वे हमेशा छात्रों के बीच एक अत्यंत लोकप्रिय और प्रिय शिक्षक रहे।
ठेकेदत्त 1966 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स यूनियन (BUCTU) के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। मुंबई में कॉलेज शिक्षकों के आंदोलन को संगठित करने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। वे नियमित रूप से विभिन्न कॉलेजों में जाकर शिक्षकों से मिलते, उनकी समस्याएं समझते और उन्हें अन्याय के खिलाफ संगठित करते थे। 1966 से 2016 तक वे लगातार आधी सदी तक BUCTU की कार्यकारी समिति के लिए निर्वाचित होते रहे। 1974 से एक दशक से अधिक समय तक वे BUCTU के महासचिव रहे और बाद में इसके अध्यक्ष भी बने।
1975 में उन्हें महाराष्ट्र फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन्स (MFUCTO) का संस्थापक महासचिव चुना गया और बाद के वर्षों में वे इसके अध्यक्ष भी रहे। 1987 में उन्हें ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन्स (AIFUCTO) का अध्यक्ष भी चुना गया।
इन वर्षों के दौरान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के प्रबंधन द्वारा किए गए अन्यायों तथा तत्कालीन कांग्रेस-नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा नीतियों के खिलाफ शिक्षकों के कई साहसिक और सफल संघर्ष हुए। ठेकेदत्त आरएसएस, बीजेपी और संघ परिवार की नीतियों के कट्टर आलोचक थे, जो उनके लेखन, सार्वजनिक भाषणों और पार्टी मंचों पर दिए गए हस्तक्षेपों में स्पष्ट दिखाई देता था।
वे मुंबई और महाराष्ट्र में एकजुट शिक्षक आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने केजी से पीजी तक के विभिन्न शिक्षक संगठनों को संयुक्त संघर्षों के लिए एकजुट करने में नेतृत्व प्रदान किया। 1977 में वे कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ द टीचर्स ऑफ बॉम्बे (CCTOB) के संस्थापकों में भी शामिल थे। उनके नेतृत्व में BUCTU और MFUCTO, एकजुट ट्रेड यूनियन और कर्मचारी आंदोलनों के सक्रिय हिस्सेदार बने।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध वैज्ञानिक और मार्क्सवादी विचारक जे.बी.एस. हाल्डेन के कार्यों के अध्ययन से वे वैचारिक रूप से मार्क्सवाद की ओर आकृष्ट हुए। वरिष्ठ पार्टी नेताओं पी.बी. रंगनेकर और एम.वी. गोपालन से संपर्क और संवाद के बाद 1966 में वे सीपीआई(एम) में शामिल हुए। महाराष्ट्र में पार्टी के पहले राज्य सचिव एस.वाई. कोल्हटकर उनके मार्गदर्शक थे।
1977 में वे पार्टी की मुंबई जिला समिति, 1982 में राज्य समिति और 2012 में राज्य सचिवालय के सदस्य चुने गए। अपनी मृत्यु तक वे राज्य समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य बने रहे। महाराष्ट्र में शिक्षकों और छात्रों के बीच पार्टी को मजबूत करने में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
ठेकेदत्त एक प्रमुख मार्क्सवादी बुद्धिजीवी थे और उन्होंने अनेक पुस्तकें व लेख लिखे। वे एक उत्कृष्ट मार्क्सवादी शिक्षक भी थे। उनकी प्रमुख पुस्तकों में A First Course in Marxist Economic Theory, Dialectics, Relativity and Quantum, तथा Frederick Engels and Modern Science शामिल हैं। उनके लेख The Marxist और Social Scientist जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
इसके अतिरिक्त, वे केरल पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी (KPES) के उपाध्यक्ष रहे, जो कई दशकों से मुंबई में बड़े आदर्श विद्यालय का सफल संचालन कर रही है।
पिछले 47 वर्षों से—1978 में पार्टी में मेरे शामिल होने के बाद से—किशोर के साथ मेरा अत्यंत निकट राजनीतिक और व्यक्तिगत संबंध रहा। वे मुंबई स्टूडेंट्स पार्टी ब्रांच के प्रभारी थे, जिसमें मैं पहले सदस्य और बाद में सचिव रहा। जब मैं पार्टी का राज्य सचिव था, तब उन्हें राज्य सचिवालय के लिए चुना गया—यह मेरे लिए गर्व का विषय रहा। इस महान कॉमरेड और इंसान की अनेक स्मृतियाँ मेरे साथ हैं, जिन्हें स्थान की सीमा के कारण यहाँ साझा करना संभव नहीं है।
ठेकेदत्त का अंतिम संस्कार 21 दिसंबर को मुंबई के बोरीवली स्थित उनके निवास के पास हुआ। यह मेरा सौभाग्य रहा कि मैं उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सका और उनके परिवार को सांत्वना व्यक्त कर सका। अंतिम संस्कार में सीपीआई(एम) की पूर्व राज्य सचिवालय सदस्य और शिक्षकों की अनुभवी नेता तापती मुखोपाध्याय, राज्य सचिवालय सदस्य एस.के. रेगे, शैलेंद्र कांबले और प्राची हतिवलेकर, राज्य नियंत्रण आयोग की अध्यक्ष और शिक्षकों की वरिष्ठ नेता मधु परांजपे, तथा पार्टी, शिक्षक आंदोलन और अन्य जन संगठनों के अनेक नेता उपस्थित थे।
सीपीआई(एम) अपने इस महान नेता डॉ. किशोर ठेकेदत्त की स्मृति में अपना लाल झंडा झुकाती है।
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डॉ. किशोर कुमार ठेकेदत्त का 20 दिसंबर 2025 की रात मुंबई में 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे ऐसे व्यक्तित्व थे जिनमें मार्क्सवादी विचारक, जमीनी संगठक और नेता—तीनों का दुर्लभ संगम था। वे सीपीआई(एम) की महाराष्ट्र राज्य सचिवालय के पूर्व सदस्य रहे और मुंबई व महाराष्ट्र में कॉलेज–विश्वविद्यालय शिक्षकों के आंदोलनों को खड़ा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आपातकाल (1975–77) के दौरान वे 15 महीनों तक हिरासत में भी रहे। उन्हें एक सम्मानित मार्क्सवादी चिंतक, लेखक और शिक्षक के रूप में व्यापक पहचान प्राप्त थी।
उनके परिवार में उनकी पत्नी शोभा, छोटे पुत्र धनंजय (उनके बड़े पुत्र देवतोष का दुर्भाग्यवश 2017 में कैंसर से निधन हो गया था) तथा परिवार के अन्य सदस्य हैं।
किशोर ठेकेदत्त का परिवार मूल रूप से केरल के त्रिशूर जिले के पेरिनजानम गांव से था, लेकिन उनका जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ। उनके पिता मुंबई की धनराज मिल्स में कपड़ा मिल मज़दूर थे और उनकी माता गृहिणी थीं। किशोर का जन्म 8 नवंबर 1936 को हुआ था। उन्होंने भौतिकी और गणित में बी.एससी. किया, शुद्ध और अनुप्रयुक्त गणित—दोनों में एम.एससी. की डिग्री प्राप्त की और बाद में 1987 में “डायलेक्टिकल मैटेरियलिज़्म एंड मॉडर्न साइंस: थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम मैकेनिक्स के विशेष संदर्भ में” विषय पर पीएच.डी. पूरी की। अपनी गहन विद्वता के बावजूद, उन्हें अपनी मज़दूर वर्गीय जड़ों पर हमेशा गहरा गर्व रहा।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत राज्य सरकार की नौकरी में एक क्लर्क के रूप में की। 1958 में पहली एम.एससी. पूरी करने के बाद उन्होंने कई स्कूलों और कॉलेजों में अध्यापन किया और 1965 से 1994 तक लगभग 30 वर्षों तक मुंबई के प्रतिष्ठित विल्सन कॉलेज में पढ़ाया, जहाँ से उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। वे हमेशा छात्रों के बीच एक अत्यंत लोकप्रिय और प्रिय शिक्षक रहे।
ठेकेदत्त 1966 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स यूनियन (BUCTU) के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। मुंबई में कॉलेज शिक्षकों के आंदोलन को संगठित करने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। वे नियमित रूप से विभिन्न कॉलेजों में जाकर शिक्षकों से मिलते, उनकी समस्याएं समझते और उन्हें अन्याय के खिलाफ संगठित करते थे। 1966 से 2016 तक वे लगातार आधी सदी तक BUCTU की कार्यकारी समिति के लिए निर्वाचित होते रहे। 1974 से एक दशक से अधिक समय तक वे BUCTU के महासचिव रहे और बाद में इसके अध्यक्ष भी बने।
1975 में उन्हें महाराष्ट्र फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन्स (MFUCTO) का संस्थापक महासचिव चुना गया और बाद के वर्षों में वे इसके अध्यक्ष भी रहे। 1987 में उन्हें ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन्स (AIFUCTO) का अध्यक्ष भी चुना गया।
इन वर्षों के दौरान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के प्रबंधन द्वारा किए गए अन्यायों तथा तत्कालीन कांग्रेस-नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा नीतियों के खिलाफ शिक्षकों के कई साहसिक और सफल संघर्ष हुए। ठेकेदत्त आरएसएस, बीजेपी और संघ परिवार की नीतियों के कट्टर आलोचक थे, जो उनके लेखन, सार्वजनिक भाषणों और पार्टी मंचों पर दिए गए हस्तक्षेपों में स्पष्ट दिखाई देता था।
वे मुंबई और महाराष्ट्र में एकजुट शिक्षक आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने केजी से पीजी तक के विभिन्न शिक्षक संगठनों को संयुक्त संघर्षों के लिए एकजुट करने में नेतृत्व प्रदान किया। 1977 में वे कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ द टीचर्स ऑफ बॉम्बे (CCTOB) के संस्थापकों में भी शामिल थे। उनके नेतृत्व में BUCTU और MFUCTO, एकजुट ट्रेड यूनियन और कर्मचारी आंदोलनों के सक्रिय हिस्सेदार बने।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध वैज्ञानिक और मार्क्सवादी विचारक जे.बी.एस. हाल्डेन के कार्यों के अध्ययन से वे वैचारिक रूप से मार्क्सवाद की ओर आकृष्ट हुए। वरिष्ठ पार्टी नेताओं पी.बी. रंगनेकर और एम.वी. गोपालन से संपर्क और संवाद के बाद 1966 में वे सीपीआई(एम) में शामिल हुए। महाराष्ट्र में पार्टी के पहले राज्य सचिव एस.वाई. कोल्हटकर उनके मार्गदर्शक थे।
1977 में वे पार्टी की मुंबई जिला समिति, 1982 में राज्य समिति और 2012 में राज्य सचिवालय के सदस्य चुने गए। अपनी मृत्यु तक वे राज्य समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य बने रहे। महाराष्ट्र में शिक्षकों और छात्रों के बीच पार्टी को मजबूत करने में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
ठेकेदत्त एक प्रमुख मार्क्सवादी बुद्धिजीवी थे और उन्होंने अनेक पुस्तकें व लेख लिखे। वे एक उत्कृष्ट मार्क्सवादी शिक्षक भी थे। उनकी प्रमुख पुस्तकों में A First Course in Marxist Economic Theory, Dialectics, Relativity and Quantum, तथा Frederick Engels and Modern Science शामिल हैं। उनके लेख The Marxist और Social Scientist जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
इसके अतिरिक्त, वे केरल पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी (KPES) के उपाध्यक्ष रहे, जो कई दशकों से मुंबई में बड़े आदर्श विद्यालय का सफल संचालन कर रही है।
पिछले 47 वर्षों से—1978 में पार्टी में मेरे शामिल होने के बाद से—किशोर के साथ मेरा अत्यंत निकट राजनीतिक और व्यक्तिगत संबंध रहा। वे मुंबई स्टूडेंट्स पार्टी ब्रांच के प्रभारी थे, जिसमें मैं पहले सदस्य और बाद में सचिव रहा। जब मैं पार्टी का राज्य सचिव था, तब उन्हें राज्य सचिवालय के लिए चुना गया—यह मेरे लिए गर्व का विषय रहा। इस महान कॉमरेड और इंसान की अनेक स्मृतियाँ मेरे साथ हैं, जिन्हें स्थान की सीमा के कारण यहाँ साझा करना संभव नहीं है।
ठेकेदत्त का अंतिम संस्कार 21 दिसंबर को मुंबई के बोरीवली स्थित उनके निवास के पास हुआ। यह मेरा सौभाग्य रहा कि मैं उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सका और उनके परिवार को सांत्वना व्यक्त कर सका। अंतिम संस्कार में सीपीआई(एम) की पूर्व राज्य सचिवालय सदस्य और शिक्षकों की अनुभवी नेता तापती मुखोपाध्याय, राज्य सचिवालय सदस्य एस.के. रेगे, शैलेंद्र कांबले और प्राची हतिवलेकर, राज्य नियंत्रण आयोग की अध्यक्ष और शिक्षकों की वरिष्ठ नेता मधु परांजपे, तथा पार्टी, शिक्षक आंदोलन और अन्य जन संगठनों के अनेक नेता उपस्थित थे।
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