बिहार SIR: 65 लाख वोटर लिस्ट से बाहर, गरीबी और मुस्लिम आबादी वाले किशनगंज जिले पर सबसे ज़्यादा असर की आशंका

Written by sabrang india | Published on: August 2, 2025
अनुमान के अनुसार बिहार की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में करीब 65 लाख नाम हटाए गए हैं और यह सब ज्यादातर गरीब, अल्पसंख्यक और पिछड़े इलाकों में देखा गया है।



शुक्रवार 1 अगस्त को जारी की गई बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में करीब 65 लाख नाम हटाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स (Economic Times) के अनुसार, ये नाम राज्य की 243 विधानसभा सीटों से हटाए गए हैं यानी ऐसा नहीं है कि किसी एक इलाके को टारगेट किया गया हो। लेकिन रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि किशनगंज विधानसभा सीट, जहां गरीबी ज्यादा है और मुस्लिम आबादी भी बड़ी संख्या में है, वहां से काफी ज्यादा नाम हटाए गए हैं।

विकिपीडिया के अनुसार, जिले में हिंदू आबादी ज्यादा है, लेकिन मुस्लिम आबादी भी एक अहम हिस्सा है। खास तौर पर किशनगंज शहर में हिंदू कुल आबादी का 55.48% हैं, जबकि मुस्लिम 42.67% हैं। इसके अलावा, जैन (1.07%) और ईसाई (0.30%) धर्म के लोग भी वहां रहते हैं।

किशनगंज शहर जिले का मुख्यालय भी है और ये किशनगंज जिले की छह विधानसभा सीटों में से एक है। यहां मतदाताओं के ज्यादा नाम काटे जाने की जो आशंका जताई जा रही है, उसका असर बड़ा हो सकता है, क्योंकि किशनगंज बिहार के उत्तर-पूर्वी हिस्से के मिथिला क्षेत्र में फैले सीमांचल के सात ज़िलों में से एक है।

विडंबना यह है कि इसी हफ्ते चुनाव आयोग ने कहा था कि बिहार के 91.69% मतदाताओं यानी करीब 7.24 करोड़ के एन्युमरेशन फॉर्म उसे मिल चुके हैं। इसके बावजूद, करीब 65 लाख मतदाता ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं हो पाएंगे और इसके कई कारण हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, इनमें से 22 लाख लोग अब जीवित नहीं हैं (मतदान सूची से हटाए गए), और करीब 7 लाख लोगों के नाम एक से ज्यादा जगहों पर दर्ज पाए गए। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि 36 लाख मतदाताओं -जो बिहार के कुल मतदाताओं का 4.59% हैं -को 'स्थायी रूप से स्थानांतरित या नहीं मिले' की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि या तो BLO (बूथ लेवल अधिकारी) उन्हें ढूंढ नहीं पाए या फिर उनका फॉर्म वापस नहीं आया।

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से यह साफ तस्वीर मिलेगी कि ऐसे मामलों की संख्या किन-किन इलाकों में ज्यादा है और ये कैसे फैले हुए हैं।

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने से पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने गुरुवार को कहा कि बिहार के सभी 38 ज़िलों में जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEOs) के जरिए मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों को ड्राफ्ट लिस्ट की फिज़िकल और डिजिटल कॉपी दी जाएगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और 243 निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी (EROs) भी हर विधानसभा क्षेत्र के किसी भी मतदाता या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी को 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावा और आपत्ति दर्ज कराने के लिए आमंत्रित करेंगे। इस दौरान लोग ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में किसी पात्र मतदाता का नाम जोड़ने, किसी अपात्र नाम को हटाने या किसी जानकारी में सुधार के लिए आवेदन कर सकेंगे।

यह इलाका नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से भी जुड़ा हुआ है, जिस वजह से मतदाता सूची में “बाहरी लोगों” की मौजूदगी को लेकर शक और आरोप उठते रहे हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर आरोपों के कोई ठोस सबूत अब तक सामने नहीं आए हैं। इसी संदर्भ में यह भी याद दिलाना जरूरी है कि 13 जुलाई को चुनाव आयोग के सूत्रों ने दावा किया था कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान घर-घर जाकर की गई जांच में बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) को बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले जो नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए हुए बताए जाते हैं। सूत्रों के अनुसार, इन लोगों के पास आधार, निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड जैसी सभी जरूरी दस्तावेज भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि 1 अगस्त से 30 अगस्त तक इन मामलों की ठीक से जांच की जाएगी और अगर आरोप सही पाए गए, तो ऐसे लोगों के नाम 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किए जाएंगे।

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