भारत में धन की असमानता दुनिया में सबसे ज्यादा, शीर्ष 1% लोगों के पास 40% संपत्ति: अध्ययन में खुलासा

Written by sabrang india | Published on: December 15, 2025
2026 वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर शीर्ष 0.001% लोगों के पास दुनिया की सबसे गरीब आधी आबादी की कुल संपत्ति से तीन गुना ज्यादा संपत्ति है।



इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स डे पर बुधवार, 10 दिसंबर को जारी 2026 वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आबादी के शीर्ष 1% लोगों के पास 40% दौलत है, जिससे यह देश दुनिया के सबसे अधिक असमान देशों में से एक बन गया है।

वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब द्वारा प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्षों में यह भी पाया गया कि भारत में दौलत की यह असमानता हाल के वर्षों में कम होने के कोई संकेत नहीं दिखाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अमीर 10% लोगों के पास कुल दौलत का लगभग 65% हिस्सा है, जबकि शीर्ष 1% लोगों के पास करीब 40% संपत्ति है।

रिपोर्ट के अनुसार, आय असमानता के मामले में सबसे अधिक कमाने वाले शीर्ष 10% लोगों को राष्ट्रीय आय का लगभग 58% हिस्सा मिलता है, जबकि निचले 50% लोगों को केवल 15%। रिपोर्ट बताती है कि 2014 से 2024 के बीच शीर्ष 10% और निचले 50% के बीच आय का अंतर लगभग स्थिर बना हुआ है।

परचेज़िंग पावर पैरिटी (PPP) के आधार पर भारत में औसत वार्षिक आय लगभग 6,200 यूरो, यानी करीब 6.49 लाख रुपये प्रति व्यक्ति आंकी गई है। परचेज़िंग पावर पैरिटी एक आर्थिक मापदंड है, जो यह दर्शाता है कि अलग-अलग देशों में समान राशि से क्या खरीदा जा सकता है, और इसी आधार पर विभिन्न मुद्राओं की क्रय-शक्ति की तुलना करता है। PPP के आधार पर औसत संपत्ति लगभग 28,000 यूरो बताई गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला श्रम भागीदारी दर 15.7% पर “बेहद कम” बनी हुई है और पिछले एक दशक में इसमें कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “कुल मिलाकर, भारत में आय, संपत्ति और लैंगिक असमानता गहराई से जड़ें जमाए हुए है, जो अर्थव्यवस्था के भीतर मौजूद स्थायी संरचनात्मक विभाजनों को उजागर करती है।”

भारत के लिए असमानता का आउटलुक स्रोत: वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2026

ग्लोबल ट्रेंड्स

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में कुल संपत्ति ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है, लेकिन भारत की तरह यह भी “बेहद असमान रूप से वितरित” है। रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष 0.001%—जिसमें 60,000 से भी कम अरबपति शामिल हैं—के पास दुनिया की निचली 50% आबादी की कुल संपत्ति से तीन गुना अधिक दौलत है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में केवल शीर्ष 1% लोगों के पास निचले 90% लोगों की कुल संपत्ति से अधिक संपत्ति है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली अब भी अमीर देशों के पक्ष में झुकी हुई है। रिपोर्ट के मुख्य लेखक रिकार्डो गोमेज़-कैरेरा ने कहा कि असमानता “तब तक शांत रहती है, जब तक वह शर्मनाक स्तर तक नहीं पहुंच जाती।”

गोमेज़-कैरेरा ने आगे कहा, “यह रिपोर्ट असमानता को आवाज देती है—और उन अरबों लोगों को भी, जिनके अवसर आज की असमान सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं के कारण समाप्त हो चुके हैं।”

वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट पहली बार 2018 में प्रकाशित की गई थी। इसका तीसरा संस्करण, जो बुधवार को जारी हुआ, दक्षिण अफ्रीका द्वारा नवंबर में समूह-20 (G20) की अध्यक्षता संभालने की पृष्ठभूमि में सामने आया। विश्लेषण के अनुसार, यह रिपोर्ट दो प्रमुख संकटों को रेखांकित करती है—वैश्विक असमानताओं में तेज़ वृद्धि और बहुपक्षीयता का कमजोर होना।

यह रिपोर्ट 21वीं सदी में असमानता के नए आयामों की भी पड़ताल करती है, जैसे—जलवायु परिवर्तन, लैंगिक असमानताएं, मानव पूंजी तक असमान पहुंच, वैश्विक वित्तीय प्रणाली में विषमताएं और वे क्षेत्रीय विभाजन जो लोकतंत्रों को नए सिरे से आकार दे रहे हैं।

चित्र 2.7 में 1980 और 2025 के दौरान वैश्विक आय समूहों का भौगोलिक वितरण दिखाया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि समय के साथ सबसे अधिक कमाने वाले समूहों और अन्य वर्गों की संरचना कैसे बदली है। 1980 में वैश्विक एलीट मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, ओशिनिया और यूरोप में केंद्रित थे, जहां दुनिया के अधिकांश शीर्ष आय समूह मौजूद थे। लैटिन अमेरिका में भी शीर्ष वर्ग की कुछ मौजूदगी थी, लेकिन चीन और भारत लगभग पूरी तरह वितरण के निचले आधे हिस्से तक सीमित थे। उस समय वैश्विक एलीट में चीन की लगभग कोई मौजूदगी नहीं थी, जबकि भारत, व्यापक रूप से एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के साथ, निचले परसेंटाइल में अत्यधिक केंद्रित था।



व्याख्या: ये ग्राफ वैश्विक आय समूहों का भौगोलिक वितरण दर्शाते हैं। 1980 से 2025 के बीच वैश्विक आय वितरण में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। चीन ने मध्य और उच्च-मध्य परसेंटाइल में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है, जबकि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया का शीर्ष आय समूहों में दबदबा कुछ कम हुआ है—हालांकि वह अब भी काफी मजबूत है। 1980 में वैश्विक शीर्ष 1% आय समूह में केवल 1% चीनी नागरिक थे, जबकि 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 5% हो गया। यह चीन की बढ़ती वैश्विक भूमिका और वैश्विक एलीट के विविधीकरण को दर्शाता है।

Sources and series: Chancel et al. (2022) and wir2026.wid.world/methodology

चित्र 2.9 मध्यम वर्ग के रूप में देखे जाने वाले बीच के 40% लोगों की स्थिति को दर्शाता है। यहां भी स्पष्ट अंतर दिखाई देते हैं। सबसे अधिक असमान क्षेत्रों—विशेषकर लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुछ हिस्सों—में बीच के 40% लोगों को कुल आय का केवल 23–35% हिस्सा मिलता है, जो एक कमजोर मध्य वर्ग की ओर इशारा करता है। इसके विपरीत, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया के कुछ हिस्सों में इस वर्ग की हिस्सेदारी 44–50% तक पहुंच जाती है, जिससे वे राष्ट्रीय आय वितरण में एक अहम भूमिका निभाते हैं। एशिया में दोनों तरह की स्थितियां देखने को मिलती हैं—भारत में बीच के 40% लोगों की हिस्सेदारी कम है, जबकि चीन में यह वर्ग अपेक्षाकृत अधिक आय अर्जित करता है।



Related

NBDSA ने टाइम्स नाऊ नवभारत को साम्प्रदायिक और पक्षपातपूर्ण प्रसारण के लिए चेतावनी दी और भड़काऊ अंश हटाने का निर्देश दिया

बिहार में भीड़ ने मुस्लिम फेरीवाले से धर्म पूछकर पीट-पीटकर हत्या की, बुरी तरह प्रताड़ित किया

बाकी ख़बरें