वोट चोरी के मुद्दे पर लोकसभा में अमित शाह और राहुल गांधी के बीच बहस, विपक्ष ने वॉकआउट किया

Written by sabrang india | Published on: December 11, 2025
संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—में बुधवार को चुनाव सुधारों, SIR प्रक्रिया, चुनाव आयोग की निष्पक्ष भूमिका, चुनाव आयुक्तों की चयन समिति से CJI को हटाने, वोट चोरी, BLO मौतें आदि मुद्दों पर बहस हुई। बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद विपक्षी सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए।


साभार : संसद टीवी

लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और राहुल गांधी के बीच तीखी बहस छिड़ गई। इसके बाद विपक्षी दलों के सदस्य विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट कर गए।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने आरोप लगाया कि विपक्ष किसी भी मुद्दे पर गंभीर चर्चा करने का धैर्य नहीं रखता और केवल संसद का समय गंवाना चाहता है। इसी दौरान गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच मतदाता घोटाले और चुनाव प्रक्रिया को लेकर दोनों ने एक-दूसरे को खुलकर चुनौती दी।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा हरियाणा में एक ही घर में 501 मतदाता पंजीकृत होने का आरोप लगाने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चुनाव आयोग इस मामले में पहले ही स्पष्ट जवाब दे चुका है।

उन्होंने कहा, “राहुल गांधी यह दावा कर रहे हैं कि हरियाणा के एक ही घर में 501 वोट पंजीकृत हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि हाउस नंबर 265 कोई छोटा मकान नहीं है, बल्कि एक एकड़ में फैला परिसर है, जिसमें तीन पीढ़ियों का परिवार रहता है। न तो यह फर्जी घर है और न ही यहां के मतदाता फर्जी हैं।”

शाह ने यह भी कहा कि हरियाणा में घरों की नंबरिंग व्यवस्था कांग्रेस सरकार के समय से लागू है। गृह मंत्री ने चुनाव आयोग के संवैधानिक अधिकारों पर जोर देते हुए कहा कि SIR पर बहस करने के लिए संसद उचित मंच नहीं है।

उन्होंने कहा, “SIR पर बहस संसद में नहीं हो सकती, क्योंकि यह विषय सीधे चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। चुनाव आयोग सरकार के साथ मिलकर काम नहीं करता है।”

चुनाव आयोग की निष्पक्ष भूमिका पर सवाल, CJI को प्रक्रिया से हटाने पर आलोचना

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) को क्यों बाहर रखा गया।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ के फैसले का उल्लेख किया, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश के.एम. जोसेफ ने की थी और जिसमें कहा गया था कि जब तक संसद कोई नया कानून नहीं बनाती, नियुक्ति समिति में प्रधानमंत्री, CJI और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल होने चाहिए। वेणुगोपाल ने कहा कि शीर्ष अदालत का उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना था।

उन्होंने कहा, “आप चाहते ही नहीं थे कि CJI उस समिति में शामिल हों, इसलिए उन्हें हटाने के लिए कानून बना दिया गया। अब निष्पक्ष चुनाव आयोग की धारणा समाप्त हो गई है और राजनीतिक दबाव में आयोग पक्षपाती बन गया है। वोट देना सरकार की दया नहीं, बल्कि लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है।”

द वायर ने लिखा कि कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि बिहार चुनाव के दौरान राज्य सरकार द्वारा किए गए कैश ट्रांसफर को रोकने में आयोग विफल रहा। उन्होंने पूछा, “ECI सत्ता पक्ष की एजेंट की तरह क्यों व्यवहार कर रहा है?”

उन्होंने कहा, “वोट चोरी देश के खिलाफ अपराध है। इसे रोकने के बजाय हमारा चुनाव आयोग इसे सक्षम बना रहा है।”

नियुक्ति प्रक्रिया पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री की नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार को परमाणु बटन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, “तो एक योग्य CEC या चुनाव आयुक्त के चयन पर भरोसा क्यों नहीं किया जा सकता?”

उन्होंने मतपत्रों की वापसी की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह “बूथ कैप्चरिंग के दिनों में लौटने जैसा होगा।” विपक्षी नेताओं, जिनमें समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव भी शामिल थीं, ने मतपत्रों की वापसी और SIR को रोकने की मांग की थी।

वोट चोरी मामले में तीखी बहस

द टेलीग्राफ के अनुसार, तनाव तब और बढ़ गया जब राहुल गांधी ने अपनी हाल की प्रेस वार्ता पर बहस की चुनौती दी। उन्होंने कहा, “अमित शाह, मैं आपको चुनौती देता हूं कि मेरी तीन प्रेस कॉन्फ़्रेंसों पर बहस करें।”

उन्होंने यह भी दावा किया कि हरियाणा में 19 लाख फर्जी मतदाता हैं और सरकार को मतदाता सूची में छेड़छाड़ के उनके आरोपों पर जवाब देना चाहिए।

वहीं, शाह ने कहा कि संसद किसी एक नेता की इच्छानुसार नहीं चल सकती। उन्होंने कहा, “विपक्षी नेता कहते हैं कि पहले मेरे सवालों का जवाब दो। संसद आपकी इच्छाओं से नहीं चलेगी। मैं तय करूंगा कि क्या कहना है। संसद ऐसे नहीं चल सकती। उन्हें मेरे जवाब सुनने का धैर्य रखना चाहिए।”

राहुल गांधी ने शाह के बयान को “डर से दिया गया जवाब” बताया। उन्होंने कहा, “यह जवाब डर के कारण दिया गया था, असली प्रतिक्रिया नहीं।” इसके जवाब में शाह ने कहा कि वे किसी भी उकसावे में नहीं आएंगे: “मैं केवल अपने मुद्दे पर बात करूंगा और उनके उकसावे का हिस्सा नहीं बनूंगा।”

उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष यह भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहा है कि सरकार चर्चा से भाग रही है।

अपने संबोधन में शाह ने “वोट चोरी” के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ने चुनाव अभियानों में बार-बार यह मुद्दा उठाया, इसलिए उन्हें जवाब देना पड़ा।

शाह ने कांग्रेस की चुनावी हार पर तंज कसते हुए कहा, “बिहार की रैलियों में आपने ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाया, लेकिन चुनाव हार गए। आपकी हार का कारण EVM या मतदाता सूची नहीं, बल्कि आपकी नेतृत्व क्षमता है। मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन एक दिन कांग्रेस के कार्यकर्ता पूछेंगे कि आखिर इतने चुनाव कैसे हार गए?”

उन्होंने दिल्ली की अदालत की उस नोटिस का भी उल्लेख किया, जिसमें सोनिया गांधी द्वारा भारतीय नागरिक बनने से पहले मतदान करने का मुद्दा उठाया गया है। उन्होंने कहा, “तीसरी ‘वोट चोरी’ का विवाद अब अदालत में है, जिसमें यह सवाल है कि सोनिया गांधी नागरिक बनने से पहले कैसे मतदाता बनीं?”

BLO की आत्महत्या का मुद्दा उठाया

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, वेणुगोपाल—जो स्वयं SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता हैं—ने सदन में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की आत्महत्याओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा, “जो BLO आत्महत्या कर चुके हैं, उनके परिवारों को कौन जवाब देगा?”

वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सदन की मर्यादा के अनुसार वेणुगोपाल को इस विषय पर बोलने का अधिकार नहीं था, क्योंकि वे इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। उन्होंने कहा, “मैं अध्यक्ष से अनुरोध करता हूं कि इस पर ध्यान दें और यदि उचित लगे तो इनके वक्तव्य को रिकॉर्ड से हटाया जाए।”

बुधवार को लोकसभा में चुनावों पर बहस का दूसरा दिन था, जिसे विपक्ष कई दिनों से SIR पर विशेष चर्चा की मांग करते हुए आगे बढ़ा रहा था।

भाजपा सांसद के फॉरेंसिक सवाल वापस लेने के बाद विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट किया

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार (10 दिसंबर) को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया। यह तब हुआ जब भाजपा के एक सांसद ने बिना किसी स्पष्टीकरण के वह प्रश्न वापस ले लिया, जिसे उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से नए आपराधिक कानूनों के संदर्भ में देश में फॉरेंसिक क्षमता बढ़ाने के बारे में पूछा था।

भाजपा सांसद आदित्य ने गृह मंत्री से पूछा था, “क्या सरकार नए आपराधिक कानूनों के तहत अनिवार्य साक्ष्य संग्रह के लिए केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (CFSL) का विस्तार कर रही है? यदि हां, तो उसके विवरण क्या हैं?”

उन्होंने यह भी पूछा था कि, “नए आपराधिक कानूनों के तहत निर्भया फंड से फॉरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, और फॉरेंसिक डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यवस्थित तरीके से संग्रहित और प्रबंधित करने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?”

राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध आधिकारिक प्रश्न सूची के अनुसार, प्रसाद का प्रश्न बुधवार के प्रश्नकाल में प्रश्न संख्या 2 के रूप में दर्ज था। हालांकि, बाद में जारी सुधार नोट में कहा गया कि इसे ‘वापस लिया गया’ माना जाए।

जब सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने इस प्रश्न को छोड़ दिया, तो कांग्रेस नेता जयराम रमेश और अन्य विपक्षी सांसदों ने पूछा कि यह प्रश्न वापस क्यों लिया गया।

सभापति ने जवाब दिया, “आप नियम जानते हैं। नियम 53 किसी भी सदस्य को अपना प्रश्न वापस लेने की अनुमति देता है।” उन्होंने आगे कहा, “यदि आप चाहें, तो आप भी अपना प्रश्न वापस ले सकते हैं। मैं सदस्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।”

जब विपक्षी सांसद स्पष्टीकरण की मांग करते रहे, तो सभापति ने कहा कि उन्हें इसे उठाने का “कोई अधिकार नहीं” है।

इसके बाद उन्होंने निर्देश दिया कि इस मुद्दे पर विपक्ष द्वारा कही गई कोई भी बात रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की जाएगी और उनसे अनुरोध किया कि वे प्रश्नकाल को बाधित न करें।

जवाब नहीं मिलने पर विपक्ष नाराज होकर सदन से वॉकआउट कर गया।

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