SIR: वाराणसी से गायब हो जाएंगे 6 लाख मतदाता, जिले में 31 लाख मतदाता लेकिन करीब 25 लाख लोगों ने ही भरे फॉर्म

Written by sabrang india | Published on: December 10, 2025
उत्तर प्रदेश में करीब 2.93 करोड़ वोटर जांच के दायरे में हैं, क्योंकि उन्होंने एन्यूमरेशन फॉर्म जमा नहीं किए हैं, जिससे उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है।



वाराणसी जिले में मतदाता सूची की SIR प्रक्रिया पूरी होने के बाद अनुमान है कि करीब छह लाख मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। कुल मतदाताओं में से अब तक 25 प्रतिशत SIR पूरे हो चुके हैं और लगभग 14 लाख कापियों का सत्यापन भी पूरा किया जा चुका है। मतदाता सूची से नामों की सबसे ज्यादा कटौती शहर क्षेत्र में होने के संकेत मिल रहे हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अजगरा, पिंडरा, शिवपुर और सेवापुरी विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे का 100 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। कैंट और दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र में 97%, रोहनिया में 96% और उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में 15% काम निपट चुका है। करीब छह लाख वोटर मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। ये वे मतदाता हैं जो मर चुके हैं, शहर छोड़कर जा चुके हैं, कहीं और रहने लगे हैं या जिन्होंने अपना वोटर कार्ड अन्य स्थानों पर बनवा लिया है। 11 दिसंबर तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। शहरी क्षेत्र से करीब 25% और ग्रामीण क्षेत्र से 14% मतदाता कम हो जाने का अनुमान है।

पिता का नाम तीन अलग-अलग जगह मिला

राजातालाब के राजकुमार ने बताया कि जब उन्होंने 2003 की मतदाता सूची में अपने पिता का नाम खोजा, तो उनका नाम तीन अलग-अलग स्थानों पर दर्ज मिला। उन्होंने कहा कि उन्हें पिता के नाम से तीन आईडी मिलीं—विधानसभा 230 गंगापुर के भाग संख्या 111 (जक्खिनी), भाग संख्या 147 (कचनार) और भाग संख्या 122 (तोफापुर) में। तीनों जगह मतदाता का नाम राजकुमार और पिता का नाम बाबूलाल ही दर्ज था। बाद में उन्होंने कचनार, राजातालाब की मतदाता सूची अपलोड करके मिलान किया, जिसके बाद वे इस गांव के लिए अपना एलाइ स्टेशन फॉर्म भर पाए।

BLO ने पूरे परिवार का नाम हटाया

श्रीकापुर के बूथ संख्या 153 पर तैनात BLO विमला देवी पर ग्रामीण दूधनाथ यादव ने आरोप लगाया है कि उनके पूरे परिवार का नाम मतदाता सूची से बिना जानकारी दिए हटा दिया गया है। दूधनाथ यादव ने सोमवार को BDO चिरईगांव को शिकायत पत्र भी सौंपा। उनका कहना है कि उनके परिवार के सभी सदस्यों का नाम उत्तर प्रदेश में केवल एक ही स्थान पर दर्ज था, फिर भी बिना किसी सत्यापन के सभी नाम सूची से काट दिए गए। जब इस बारे में BLO से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “इनके परिवार के लोग कहीं और रहते हैं, हम उन्हें कहां ढूंढें।” इस पर BDO ने आश्वस्त किया कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।

सिरिस्ती गांव की वर्ष 2003 की मतदाता सूची में खितौना गांव के लोगों के नाम दर्ज हैं। ऐसे में वर्तमान सूची के नामों की 2003 वाली सूची में मैपिंग असंभव है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य रमेश ने बताया कि वर्ष 2003 में सिरिस्ती गांव की सही मतदाता सूची उपलब्ध कराने की मांग को लेकर DM, MDM और भारत निर्वाचन आयोग को पंजीकृत पत्र भेजा गया है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में करीब 2.93 करोड़ वोटर जांच के दायरे में हैं, क्योंकि उन्होंने एन्यूमरेशन फॉर्म जमा नहीं किए हैं, जिससे उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है।

जिन लोगों ने अपने एन्यूमरेशन फॉर्म जमा नहीं किए हैं, उन्हें “अनकलेक्टिबल” कैटेगरी में रखा गया है। वे या तो गैर-मौजूद, मृत, डुप्लीकेट या स्थायी रूप से शिफ्ट हो चुके वोटर हैं। SIR प्रक्रिया पूरी होने और फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित होने के बाद ऐसे वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे।

ECI के डेटा के अनुसार, उत्तर प्रदेश की 2025 की वोटर लिस्ट में 15.44 करोड़ वोटर रजिस्टर्ड हैं। SIR प्रक्रिया के तहत बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने 15.43 करोड़ (99.97%) वोटरों को एन्यूमरेशन फॉर्म बांटे हैं। BLOs ने जमा किए गए 15.15 करोड़ (98.14%) फॉर्म डिजिटाइज़ किए हैं। इनमें से 79.95% फॉर्म वोटर या परिवार के किसी सदस्य के सिग्नेचर के साथ मिले हैं।

सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में SIR प्रक्रिया को दो हफ्ते के लिए बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले चुनाव आयोग ने SIR की अंतिम तिथि, जो 4 दिसंबर थी, उसे बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दिया था।

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