इस बैठक में वाराणसी पुलिस की भूमिका और उनके द्वारा दर्ज किए गए फर्जी व मनगढ़ंत एफआईआर की कड़ी आलोचना की गई। वक्ताओं ने इसे छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने की साजिश करार देते हुए बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर शिव प्रकाश सिंह के तत्काल इस्तीफे की मांग की।
साभार : हिंदुस्तान टाइम्स
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के 13 कार्यकर्ताओं को मनुस्मृति पर चर्चा आयोजित करने के लिए गिरफ्तार किए जाने के विरोध में गुरूवार को शहर के प्रतिष्ठित सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक कार्यकर्ताओं ने अहम बैठक की। यह बैठक पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के वाराणसी अध्यक्ष प्रवाल कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में वाराणसी पुलिस की भूमिका और उनके द्वारा दर्ज किए गए फर्जी व मनगढ़ंत एफआईआर की कड़ी आलोचना की गई। वक्ताओं ने इसे छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने की साजिश करार देते हुए बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर शिव प्रकाश सिंह के तत्काल इस्तीफे की मांग की।
बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय
- 3 जनवरी 2025 को नागरिक समाज का एक प्रतिनिधिमंडल पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी से मुलाकात करेगा। इस दौरान फर्जी FIR को रद्द करने और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी।
- 4 जनवरी को शास्त्री घाट पर एक प्रतिवाद मार्च का आयोजन होगा, जिसके अंत में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
- 8 जनवरी को इस प्रकरण पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें राजनीतिक दलों को शामिल किया जाएगा।
- पूरे घटनाक्रम में पुलिस की संदिग्ध भूमिका और मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दिल्ली में ज्ञापन सौंपा जाएगा।
बैठक में PUCL के अध्यक्ष प्रवाल कुमार सिंह ने कहा कि यह घटना न केवल छात्रों के अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है, बल्कि उनके शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश है। साझा संस्कृति मंच के सदस्य रवि शेखर ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला करार दिया।
स्वराज इंडिया के प्रतिनिधि रामजनम ने कहा कि छात्रों को मनुस्मृति जैसे ऐतिहासिक और सामाजिक विषयों पर चर्चा करने से रोकना शैक्षणिक स्वतंत्रता का हनन है। सजप के वरिष्ठ नेता अफलातून ने इसे सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले छात्रों की आवाज दबाने का प्रयास बताया।
इस बैठक में सजप, साझा संस्कृति मंच, स्वराज इंडिया, कम्युनिस्ट फ्रंट, PS4, और भगतसिंह अंबेडकर विचार मंच जैसे संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।
प्रमुख प्रतिभागियों में अफलातून, राजेंद्र चौधरी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व प्रोफेसर महेश विक्रम, फादर आनंद, रवि शेखर, सतीश सिंह, शहजादी बानो, मनीष शर्मा, और छेदीलाल निराला शामिल थे।
इसके अलावा, भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की तरफ से आकांक्षा आजाद, समाजवादी लोहिया वाहिनी से रंजना यादव, और अन्य संगठनों के करीब 40 सदस्य शामिल हुए।
बैठक के अंत में वक्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल छात्रों की रिहाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के बड़े संघर्ष में बदला जाएगा।
बता दें कि पिछले सप्ताह अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर बीएचयू से गिरफ्तार छात्रों पर दर्ज फर्जी आरोप को हटाने की मांग की। अधिवक्ताओं ने छात्रों पर लगाई गई मनगढ़ंत, गंभीर और गैर जमानती धाराओं को हटाने तथा मामले की जांच डीसीपी स्तर के अधिकारी से कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
छात्रों की गिरफ्तारियां 26 दिसंबर 2024 की एक घटना के बाद हुई जब बीएचयू के मार्क्सवादी छात्र संगठन भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) से जुड़े तीन महिलाओं सहित 13 छात्रों को वाराणसी के लंका पुलिस स्टेशन ने हिरासत में लिया था। इसके बाद उन्हें वाराणसी जिला न्यायालय ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ये गिरफ्तारियां 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर आयोजित एक चर्चा के बाद हुई, जो डॉ बीआर अंबेडकर द्वारा 1927 में मनुस्मृति को जलाने की ऐतिहासिक घटना की याद में मनाया जाता है। विश्वविद्यालय के कला संकाय में आयोजित इस चर्चा को विश्वविद्यालय के अधिकारियों और सुरक्षा कर्मचारियों ने बाधित कर दिया, जिससे छात्रों और सुरक्षा गार्डों के बीच झड़प हो गई।
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मनुस्मृति जलाने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार बीएचयू छात्र जेल में बंद, अधिवक्ताओं ने झूठे आरोपों को हटाने की मांग की
साभार : हिंदुस्तान टाइम्स
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के 13 कार्यकर्ताओं को मनुस्मृति पर चर्चा आयोजित करने के लिए गिरफ्तार किए जाने के विरोध में गुरूवार को शहर के प्रतिष्ठित सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक कार्यकर्ताओं ने अहम बैठक की। यह बैठक पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के वाराणसी अध्यक्ष प्रवाल कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में वाराणसी पुलिस की भूमिका और उनके द्वारा दर्ज किए गए फर्जी व मनगढ़ंत एफआईआर की कड़ी आलोचना की गई। वक्ताओं ने इसे छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने की साजिश करार देते हुए बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर शिव प्रकाश सिंह के तत्काल इस्तीफे की मांग की।
बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय
- 3 जनवरी 2025 को नागरिक समाज का एक प्रतिनिधिमंडल पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी से मुलाकात करेगा। इस दौरान फर्जी FIR को रद्द करने और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी।
- 4 जनवरी को शास्त्री घाट पर एक प्रतिवाद मार्च का आयोजन होगा, जिसके अंत में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
- 8 जनवरी को इस प्रकरण पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें राजनीतिक दलों को शामिल किया जाएगा।
- पूरे घटनाक्रम में पुलिस की संदिग्ध भूमिका और मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दिल्ली में ज्ञापन सौंपा जाएगा।
बैठक में PUCL के अध्यक्ष प्रवाल कुमार सिंह ने कहा कि यह घटना न केवल छात्रों के अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है, बल्कि उनके शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश है। साझा संस्कृति मंच के सदस्य रवि शेखर ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला करार दिया।
स्वराज इंडिया के प्रतिनिधि रामजनम ने कहा कि छात्रों को मनुस्मृति जैसे ऐतिहासिक और सामाजिक विषयों पर चर्चा करने से रोकना शैक्षणिक स्वतंत्रता का हनन है। सजप के वरिष्ठ नेता अफलातून ने इसे सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले छात्रों की आवाज दबाने का प्रयास बताया।
इस बैठक में सजप, साझा संस्कृति मंच, स्वराज इंडिया, कम्युनिस्ट फ्रंट, PS4, और भगतसिंह अंबेडकर विचार मंच जैसे संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।
प्रमुख प्रतिभागियों में अफलातून, राजेंद्र चौधरी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व प्रोफेसर महेश विक्रम, फादर आनंद, रवि शेखर, सतीश सिंह, शहजादी बानो, मनीष शर्मा, और छेदीलाल निराला शामिल थे।
इसके अलावा, भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की तरफ से आकांक्षा आजाद, समाजवादी लोहिया वाहिनी से रंजना यादव, और अन्य संगठनों के करीब 40 सदस्य शामिल हुए।
बैठक के अंत में वक्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल छात्रों की रिहाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के बड़े संघर्ष में बदला जाएगा।
बता दें कि पिछले सप्ताह अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर बीएचयू से गिरफ्तार छात्रों पर दर्ज फर्जी आरोप को हटाने की मांग की। अधिवक्ताओं ने छात्रों पर लगाई गई मनगढ़ंत, गंभीर और गैर जमानती धाराओं को हटाने तथा मामले की जांच डीसीपी स्तर के अधिकारी से कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
छात्रों की गिरफ्तारियां 26 दिसंबर 2024 की एक घटना के बाद हुई जब बीएचयू के मार्क्सवादी छात्र संगठन भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) से जुड़े तीन महिलाओं सहित 13 छात्रों को वाराणसी के लंका पुलिस स्टेशन ने हिरासत में लिया था। इसके बाद उन्हें वाराणसी जिला न्यायालय ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ये गिरफ्तारियां 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर आयोजित एक चर्चा के बाद हुई, जो डॉ बीआर अंबेडकर द्वारा 1927 में मनुस्मृति को जलाने की ऐतिहासिक घटना की याद में मनाया जाता है। विश्वविद्यालय के कला संकाय में आयोजित इस चर्चा को विश्वविद्यालय के अधिकारियों और सुरक्षा कर्मचारियों ने बाधित कर दिया, जिससे छात्रों और सुरक्षा गार्डों के बीच झड़प हो गई।
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