राजस्थान में दो महिलाओं ने मनु की मूर्ति पर पोती कालिख, सोशल मीडिया पर हुई वाहवाही

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 9, 2018
राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में लगी मनु की मूर्ति पर सोमवार को दो महिलाओं ने कालिख पोत दी. महिलाओं ने काली स्याही फेंककर मनु की मूर्ति को रंग दिया. इसके बाद वहां मौजूद वकीलों ने हंगामा शुरु कर दिया. दोनों महिलाएं बिहार के औरंगाबाद जिले की रहने वाली हैं. पुलिस ने दोनों महिलाओं को हिरासत में लिया है. 



इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर हाईकोर्ट परिसर में मनु स्मृति और मनु मूर्ति को हटाने का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. पिछले साल एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने यहां से मनु स्मृति और मनु मूर्ति हटाने के लिए जन आन्दोलन की घोषणा की थी. जनवरी 2017 में यह घोषणा मनुवाद विरोधी सम्मेलन में की गई थी और साथ ही यह तय किया गया था कि मनुवाद विरोधी अभियान का एक शिष्टमंडल राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मिलकर मांग करेगा कि उच्च न्यायालय परिसर में लगी कथित अन्याय के प्रतीक मनु की मूर्ति को हटाने के लिये शीघ्र सुनवाई की जाए.

सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें महिलाओं का कहना है कि मनु द्वारा लिखी गई मनुस्मृति में महिला विरोधी बातें लिखी गई हैं. इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर दोनों महिलाओं की जमकर तारीफ हो रही है.

धर्मेंद्र कुमार यादव ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ''बिहार के औरंगाबाद की दो अम्बेडकरवादी महिला आंदोलनकारियो ने जयपुर हाईकोर्ट परिसर में लगी मनु की मूर्ति पर कालिख पोती। सेल्यूट दोनो महिलाओं को।''



वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा, ''बधाई, अभिनंदन, जयभीम! बाबा साहेब की मानस पुत्रियों ने मनु का मुंह काला किया. दोनों वीरांगनाओं को सलाम, अभिनंदन, जय फुले, जय भीम. जयपुर हाईकोर्ट के सामने अवैध तरीके से लगी है मनु की मूर्ति. बिल्डिंग प्लान का हिस्सा नहीं. कुछ ब्राह्मण वकीलों ने लगाई थी ये मूर्ति. 2017 में जयपुर में मनुवाद विरोधी सम्मेलन की मांग के बावजूद आरएसएस की जिद कि मूर्ति नहीं हटेगी.

दो महिलाओं ने आज मनु की इस मूर्ति पर कालिख पोती और ठीक भगत सिंह की तरह वहीं बनी रहीं. पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है. जयपुर और राजस्थान के फुले-आंबेडकरवादी साथियों और वकीलों से अनुरोध है कि उन बहादुर महिलाओं का साथ दें.

बहरहाल, इतिहास तो एक बार फिर से लिखा जा चुका है. बाबा साहेब ने जो 1927 में किया उसे बाबा साहेब की दो मानस पुत्रियों ने 2018 में फिर से कर दिखाया,

बाबा साहेब ने 25 दिसंबर, 1927 को मनुस्मृति का सार्वजनिक दहन कर जाति व्यवस्था के खिलाफ अपने विद्रोह की घोषणा की थी. वे इन धार्मिक स्मृतियों को बीमारियों की जड़ मानते थे. तब से देश भर में हर साल हजारों जगहों पर मनुस्मृति जलाई जाती है. राजस्थान का कलंक है ये मूर्ति. सरकार इसे तत्काल हटाए.''


एक दूसरे पोस्ट में मंडल ने लिखा, ''आज बहुत बड़ा दिन है. दो महिलाओं ने आज जयपुर हाईकोर्ट में लगी मनु की अवैध मूर्ति को कालिख पोत दी. उन वीरांगना महिलाओं को जय भीम बोलिए. बाबा साहेब ने जो काम 1927 में किया, उसे इन बहादुर महिलाओं ने दोहराया है. मेरी तरफ से जोरदार जय भीम.''

वहीं पत्रकार अरविंद शेष लिखते हैं, ''कल 8 अक्तूबर का दिन इतिहास में शानदार फ़ख्र के साथ दर्ज होगा!

वैसे मनु एक व्यक्ति और विचार की शक्ल में भी समूची दुनिया की स्त्रियों के लिए दुश्मन और नफरत के काबिल होना चाहिए! लेकिन कल 8 अक्तूबर को दो दलित महिलाओं ने राजस्थान हाईकोर्ट के सामने मुंह चिढ़ाते इंसानियत के अपराधी मनु की मूर्ति पर कालिख पोत कर इस दुनिया की सभी प्रगतिशील लड़ाइ़यों के सामने एक शानदार जबर्दस्त जिंदाबाद मिसाल पेश किया है कि चेतना के सशक्तीकरण की लड़ाई कहां तक पहुंच चुकी है और वह कैसे लड़ी जाती है!

जब उन्हें वहां के पिछड़े सामंती दिमाग वाले सवर्ण वकीलों और पुलिस ने पकड़ा तो भी वे पूरे फ़ख्र और हिम्मत से उन्हें पढ़ा रही थीं कि मनु ब्राह्मण था और उसने मनु-स्मृति में जो लिखा है, वह पढो... फिर बात करो..!

मेरी हीरोइनें ये ही औरतें हो सकती हैं, मंदिर में घुसने या नहीं घुसने की लड़ाई लड़ती हुई औरतें तो सिर्फ गुलामी के अंधेरे में ही डूब सकती हैं..!

सैल्यूट औरंंगाबाद की इन दोनों महिलाओं को... वह औरंगाबाद महाराष्ट्र का हो या बिहार का..! दलित आंदोलन की जमीन ऐसे ही नहीं नई दुनिया खड़ी कर रही है..!''

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