राजस्थान हाईकोर्ट ,जयपुर में 1989 से अवैध रूप से मनु प्रतिमा अधिरोपित है,इसे हटाने के आदेश स्वयं कोर्ट दे चुका है,जिस पर मनुस्ट्रीम लोग स्टे ले आये।
तब से अब तक इस प्रतिमा को राजस्थान ही नहीं पूरा देश ढो रहा है।
ऐसा नहीं है कि इस प्रतिमा का विरोध नहीं हुआ हो, जिस दिन यह लगाई गई,उसी दिन विरोध शुरू हो गया,नतीजतन इसका अनावरण रोक दिया गया,आज तक यह बिना अनावरण के ही खड़ी है।
इसके नेमप्लेट नहीं लगने दी गई, आज भी बेनामी ही है ।
इसको हटाने के लिए कोर्ट कह चुका है, पर कतिपय मनुवादी लोग इसके समर्थन में कानूनी दांव पेंच खेल रहे हैं और इस कलंक को बचाये हुए है।
कोर्ट में दलित संगठन इसके विरुद्ध 26 साल से लड़ रहे हैं, जंग जारी है ।
1996 में मान्यवर काशीराम ने मनु मूर्ति हटाने की मांग को लेकर अम्बेडकर सर्कल पर एक बड़ी सभा की,जिसमें मैंने भी शिरकत की ।
बाद में प्रख्यात समाजवादी मजदूर नेता डॉ बाबा आढ़ाव ने वर्ष 2000 से 2005 के दौरान दो यात्राएं इस मूर्ति को हटाने के लिए की,जिसमें वे अपने सैंकड़ों साथियों के साथ पुणे से जयपुर पहुंचे ।
बीच बीच मे सदैव संघर्ष चलता रहा है,वर्ष 2017 में हम लोगों ने राजस्थान की सिविल सोसायटी के साथ मिलकर इस प्रतिमा को हटाने की मांग को बलवती करते हुए स्वामी कुमारानंद हॉल में एक 'मनुवाद विरोधी सम्मेलन' भी किया।
हमारा सदैव यह मानना रहा है कि मनु भारतीय सामाजिक जीवन में विघटनकारी संहिता बनाने वाले व्यक्ति रहे है,जिन्होंने असमानता को शास्त्रीय आधार देते हुये मनु स्मृति को रचना की,जिससे स्त्री व शूद्रों को दासता झेलनी पड़ी और आज तक झेलनी पड़ रही है ।
ऐसे मानव समानता के विरोधी की प्रतिमा हाईकोर्ट में लगे और मानव मानव की समानता का संविधान देने वाले डॉ अम्बेडकर को उसी हाईकोर्ट के बाहर चौराहे पर उपेक्षित खड़ा कर दिया जाए तो यह असहनीय बात है ।
जयपुर हाईकोर्ट देश का एकमात्र न्यायालय परिसर है जिसमें अन्याय और असमानता के पोषक की प्रतिमा खड़ी है,इसलिए इसका जितना विरोध हो सकता है,किया जाना चाहिए ।
कल दो बहुजन वीरांगनाओं ने मनु प्रतिमा पर कालिख छिड़कने का काम किया और बेख़ौफ़ पुलिस को यह कहते हुये सरेंडर भी कर दिया कि जिस अदालत में ले जाना चाहो,ले जा सकते हो,हमने अपना काम कर दिया है ।
बाबा साहब अम्बेडकर की इन बेटियों की हिम्मत को सलाम ,उन्होंने वह कर दिखाया जो हम कभी नहीं कर पाते।
मनु की प्रतिमा फिर से एक बड़ा देश व्यापी मुद्दा बनेगा, इस पर चर्चा होगी। इस प्रकरण से मनु की मूर्ति हटाने का अब तक जारी संघर्ष और भी आगे बढ़ेगा, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
तौर तरीकों की भिन्नता व तमाम सहमतियों असहमतियों के मध्य मेरा मानना है कि दोनों बहनों को तुरन्त हर प्रकार की मदद हमारे जयपुर के साथी करें, अशोक नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई है,इन बहनों की यथाशीघ्र रिहाई और क्रांतिकारी अभिनंदन की तैयारी की जाये।
मैं आज रात तक जयपुर पहुंच जाऊंगा,ताकि कल से इस काम मे लगा जा सके,वैसे हमारे साथी कल शाम से सक्रिय हो गये थे।
कुलमिलाकर ज्यादा दिन तक अपमान के प्रतीक टिके नहीं रह सकते है,कब तक पहरे लगा कर देश के मनुवादी अपने आदर्श मनु को बचाएंगे ?
बहुजन जाग रहा है,वह कलंक के प्रतीकों को अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।
(लेखक भंवर मेघवंशी 'शून्यकाल' के संपादक हैं।)
तब से अब तक इस प्रतिमा को राजस्थान ही नहीं पूरा देश ढो रहा है।
ऐसा नहीं है कि इस प्रतिमा का विरोध नहीं हुआ हो, जिस दिन यह लगाई गई,उसी दिन विरोध शुरू हो गया,नतीजतन इसका अनावरण रोक दिया गया,आज तक यह बिना अनावरण के ही खड़ी है।
इसके नेमप्लेट नहीं लगने दी गई, आज भी बेनामी ही है ।
इसको हटाने के लिए कोर्ट कह चुका है, पर कतिपय मनुवादी लोग इसके समर्थन में कानूनी दांव पेंच खेल रहे हैं और इस कलंक को बचाये हुए है।
कोर्ट में दलित संगठन इसके विरुद्ध 26 साल से लड़ रहे हैं, जंग जारी है ।
1996 में मान्यवर काशीराम ने मनु मूर्ति हटाने की मांग को लेकर अम्बेडकर सर्कल पर एक बड़ी सभा की,जिसमें मैंने भी शिरकत की ।
बाद में प्रख्यात समाजवादी मजदूर नेता डॉ बाबा आढ़ाव ने वर्ष 2000 से 2005 के दौरान दो यात्राएं इस मूर्ति को हटाने के लिए की,जिसमें वे अपने सैंकड़ों साथियों के साथ पुणे से जयपुर पहुंचे ।
बीच बीच मे सदैव संघर्ष चलता रहा है,वर्ष 2017 में हम लोगों ने राजस्थान की सिविल सोसायटी के साथ मिलकर इस प्रतिमा को हटाने की मांग को बलवती करते हुए स्वामी कुमारानंद हॉल में एक 'मनुवाद विरोधी सम्मेलन' भी किया।
हमारा सदैव यह मानना रहा है कि मनु भारतीय सामाजिक जीवन में विघटनकारी संहिता बनाने वाले व्यक्ति रहे है,जिन्होंने असमानता को शास्त्रीय आधार देते हुये मनु स्मृति को रचना की,जिससे स्त्री व शूद्रों को दासता झेलनी पड़ी और आज तक झेलनी पड़ रही है ।
ऐसे मानव समानता के विरोधी की प्रतिमा हाईकोर्ट में लगे और मानव मानव की समानता का संविधान देने वाले डॉ अम्बेडकर को उसी हाईकोर्ट के बाहर चौराहे पर उपेक्षित खड़ा कर दिया जाए तो यह असहनीय बात है ।
जयपुर हाईकोर्ट देश का एकमात्र न्यायालय परिसर है जिसमें अन्याय और असमानता के पोषक की प्रतिमा खड़ी है,इसलिए इसका जितना विरोध हो सकता है,किया जाना चाहिए ।
कल दो बहुजन वीरांगनाओं ने मनु प्रतिमा पर कालिख छिड़कने का काम किया और बेख़ौफ़ पुलिस को यह कहते हुये सरेंडर भी कर दिया कि जिस अदालत में ले जाना चाहो,ले जा सकते हो,हमने अपना काम कर दिया है ।
बाबा साहब अम्बेडकर की इन बेटियों की हिम्मत को सलाम ,उन्होंने वह कर दिखाया जो हम कभी नहीं कर पाते।
मनु की प्रतिमा फिर से एक बड़ा देश व्यापी मुद्दा बनेगा, इस पर चर्चा होगी। इस प्रकरण से मनु की मूर्ति हटाने का अब तक जारी संघर्ष और भी आगे बढ़ेगा, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
तौर तरीकों की भिन्नता व तमाम सहमतियों असहमतियों के मध्य मेरा मानना है कि दोनों बहनों को तुरन्त हर प्रकार की मदद हमारे जयपुर के साथी करें, अशोक नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई है,इन बहनों की यथाशीघ्र रिहाई और क्रांतिकारी अभिनंदन की तैयारी की जाये।
मैं आज रात तक जयपुर पहुंच जाऊंगा,ताकि कल से इस काम मे लगा जा सके,वैसे हमारे साथी कल शाम से सक्रिय हो गये थे।
कुलमिलाकर ज्यादा दिन तक अपमान के प्रतीक टिके नहीं रह सकते है,कब तक पहरे लगा कर देश के मनुवादी अपने आदर्श मनु को बचाएंगे ?
बहुजन जाग रहा है,वह कलंक के प्रतीकों को अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।
(लेखक भंवर मेघवंशी 'शून्यकाल' के संपादक हैं।)