पर्यावरण संकट को नजरअंदाज करते आधुनिकता और उपभोगवाद

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: June 6, 2022
विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है. इस दिवस की उपयोगिता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. बढ़ते आधुनिकता की वजह से दुनिया भर में प्राकृतिक संसाधनों का निरंतर दोहन हो रहा है जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है. लगातार पर्यावरणीय समस्याओं के बढ़ने की वजह से भयावह स्थिति उत्पन्न होती जा रही है. वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन ने मानव जीवन के अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है. 


Image: TOI

दुनिया उपभोगवाद की प्रवृति और पूंजीवादी आधुनिकता की संस्कृति में फंस चूका है जिसकी वजह से पर्यावरण की अनदेखी की जाती है. वर्षों से प्रकृति के साथ सामजस्य बिठा कर मानव अपनी जरूरतों को पूरा करता आया है. वर्तमान में पर्यावरण दूषित हो रहा है जिससे प्राकृतिक आपदाएं सहित कई समस्याओं का सामना मानव समाज कर रहा है. आज प्राकृतिक संसाधनों के साथ साथ मानव के अस्तित्व को भी खतरा है. हालांकि पर्यावरण को बचाने की दिशा में कार्य जारी है. 

हर साल पर्यावरण दिवस की कोई न कोई खास थीम होती है. इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम है, “Only One Earth” यानि केवल एक पृथ्वी जिसका मतलब है प्रकृति के साथ सद्भाव रखना जरुरी है.

वर्ष 2021 की थीम: “पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली” था 

यह पारिस्थितिक तंत्र बहाली (वर्ष 2021-30) पर संयुक्त राष्ट्र दशक की शुरुआत करेगा, साथ ही यह जंगलों से लेकर खेत तक, पहाड़ों की चोटी से लेकर समुद्र की गहराई तक अरबों हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्जीवित करने हेतु एक वैश्विक मिशन बताया गया. भारत में इस वर्ष की थीम 'बेहतर पर्यावरण के लिये जैव इंधन को बढ़ावा देना' था. 

विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास 
हर साल यह दिन 5 जून को मनाया जाता है. प्रकृति और उसके संसाधनों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में सर्वप्रथम विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव पास किया गया. संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रस्ताव भले ही पास कर दिया लेकिन पहली बार स्वीडन की राजधानी स्टोकहोम में 5 जून 1972 को पर्यावरण सम्मलेन का आयोजन किया गया था जिसमें दुनिया भर के 119 देशों नें हिस्सा लिया था. इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का उद्भव हुआ. 1972 में अपनी स्थापना के बाद से, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) वैश्विक प्राधिकरण रहा है जो पर्यावरण एजेंडा सेट करता है. संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत विकास के पर्यावरणीय आयाम के सुसंगत कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है और वैश्विक वातावरण के लिए एक आधिकारिक वकील के रूप में कार्य करता है. स्टोकहोम सम्मलेन में पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. 

पर्यावण दिवस मनाने का उद्धेश्य 
पर्यावरण संतुलन को नजरअंदाज कर लोगों नें विकास के रास्ते को अपनाया. आधुनिकता व्  मुनाफे पर टिके बाजारवाद ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचाया. जल जंगल जमीन को या तो दूषित किया जा रहा है या नष्ट किया जा रहा है. नदी और झरनों का रुख बदला जा रहा है. 

इस दिवस का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना है. प्रदुषण का स्तर दुनिया भर में लगातार बढ़ रहा है. बढ़ते प्रदुषण और उससे प्रकृति को होने वाले नुकसान को बचाने के लिए इस दिन का चुनाव किया गया ताकि समाज में जागरूकता फैलाई जा सके और प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाया जा सके. 

भारत में पर्यावरण संरक्षण कानून 
भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से लागू हुआ. उससे पहले स्टॉकहोम में हुए पर्यावरण सम्मलेन में तत्कालीन प्रधान मन्त्री इंदिरा गाँधी नें हिस्सा लिया. उन्होंने ‘पर्यावरण की बिगडती स्थिति और उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव’ विषय पर व्याख्यान दिया था. पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में वह भारत का प्रसांगिक कदम था. 

वर्तमान में पर्यावरण असंतुलन बढ़ता ही जा रहा है जिस पर दुनिया भर के देशों की चिंता जायज है. लगातार बढ़ती आबादी, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, अद्यौगिकीकरण की वजह से आज वातावरण के तापमान में वृद्धि हो रही है. पिघलते ग्लेशियर और डूबते तटीय इलाकों और द्वीपों ने विश्व का ध्यान आकर्षित किया है. इसके साथ ही पर्यावरण प्रदुषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग,इन सभी मुद्दों पर भी जागरूकता की जरुरत है. पूंजीवादी व्यवस्था से उपजी आधुनिकतावादी सोच, भोग विलासिता की प्रवृति, व् बाजारवादी रवैये नें पर्यावरण संतुलन को दरकिनार कर अपनी जरूरतों को पूरा किया है, परिणामतः दुनिया इस भयावह संकट का सामना करने के कगार पर है. आज सामने आ चुके मानव अस्तित्व का संकट और उससे बचाव विश्व भर की एकजुटता से ही संभव है. 

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