अस्पतालों की बदहाली के लिए बदनाम हो चुके छत्तीसगढ़ में अब सरकारी अस्पताल गरीब मरीजों को लूटने भी लगे हैं।
आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिले में मुफ्त इलाज का दावा करने वाले सरकारी अस्पताल में मरीजों से बिना कोई टेस्ट किए भी फीस वसूली जाने लगी है।
मरीजों की ये लूट जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पर जारी है। इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब एक गर्भवती महिला से बिना जांच के ही 1800 रुपए वसूल लिए गए।
नईदुनिया में प्रकाशित खबर के अनुसार, रीना नाम की यह महिला शनिवार को जांच के लिए गीदम सामुदायिक केंद्र पहुंची जहां डॉक्टर ने उसे कुछ टेस्ट बताए।
जांच के नाम पर महिला से 100 रुपए लिए गए, साथ ही उसके स्मार्ट कार्ड से भी 1800 रुपए काट लिए गए। अस्पताल में जांच की सुविधा ही नहीं थी, इसलिए उसकी जांच भी नहीं हुई।
महिला रागिनी गुप्ता के पति अंकित गुप्ता ने इसकी शिकायत बीएमओ से की तो वे सरकारी नियमों का हवाला देने लगे लेकिन जांच क्यों नहीं की, इसका कोई जवाब वे नहीं दे पाए।
अंकित गुप्ता का कहना है कि उनकी पत्नी का ब्लड सैंपल तक नहीं लिया गया। अस्पताल ने स्मार्ट कार्ड से 1800 रुपए काटे जान की रसीद भी दी जिसमें सोनोग्राफी, टीएसएच, सीबीसी और डॉक्टर की फीस तक का जिक्र है, जबकि अस्पताल भी सरकारी और डॉक्टर भी सरकारी है।
लोगों का कहना है कि गीदम सामुदायिक केंद्र में आने वाले ज्यादातर मरीज निरक्षर होते हैं, इसलिए वो कोई सवाल-जवाब नहीं कर पाते, इसलिए अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों ने उनसे अवैध वसूली का नियम बना लिया है।
अस्पताल में सुविधाओं का भी घोर अभाव है लेकिन सरकार और प्रशासन का इस पर कोई ध्यान नहीं है जिसके कारण मरीज निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर होते हैं।
चित्र स्रोत- https://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/dantewada-rupees-from-smart-car...
आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिले में मुफ्त इलाज का दावा करने वाले सरकारी अस्पताल में मरीजों से बिना कोई टेस्ट किए भी फीस वसूली जाने लगी है।
मरीजों की ये लूट जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पर जारी है। इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब एक गर्भवती महिला से बिना जांच के ही 1800 रुपए वसूल लिए गए।
नईदुनिया में प्रकाशित खबर के अनुसार, रीना नाम की यह महिला शनिवार को जांच के लिए गीदम सामुदायिक केंद्र पहुंची जहां डॉक्टर ने उसे कुछ टेस्ट बताए।
जांच के नाम पर महिला से 100 रुपए लिए गए, साथ ही उसके स्मार्ट कार्ड से भी 1800 रुपए काट लिए गए। अस्पताल में जांच की सुविधा ही नहीं थी, इसलिए उसकी जांच भी नहीं हुई।
महिला रागिनी गुप्ता के पति अंकित गुप्ता ने इसकी शिकायत बीएमओ से की तो वे सरकारी नियमों का हवाला देने लगे लेकिन जांच क्यों नहीं की, इसका कोई जवाब वे नहीं दे पाए।
अंकित गुप्ता का कहना है कि उनकी पत्नी का ब्लड सैंपल तक नहीं लिया गया। अस्पताल ने स्मार्ट कार्ड से 1800 रुपए काटे जान की रसीद भी दी जिसमें सोनोग्राफी, टीएसएच, सीबीसी और डॉक्टर की फीस तक का जिक्र है, जबकि अस्पताल भी सरकारी और डॉक्टर भी सरकारी है।
लोगों का कहना है कि गीदम सामुदायिक केंद्र में आने वाले ज्यादातर मरीज निरक्षर होते हैं, इसलिए वो कोई सवाल-जवाब नहीं कर पाते, इसलिए अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों ने उनसे अवैध वसूली का नियम बना लिया है।
अस्पताल में सुविधाओं का भी घोर अभाव है लेकिन सरकार और प्रशासन का इस पर कोई ध्यान नहीं है जिसके कारण मरीज निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर होते हैं।
चित्र स्रोत- https://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/dantewada-rupees-from-smart-car...