भोपाल के सबसे बड़े अस्पतालों की बदहाली का आलम यह है कि इनमें अगर ऑपरेशन कराना हो तो जांचें बाहर से कराकर लानी पड़ती हैं। हमीदिया अस्पताल में तो करीब महीने भर से एक दर्जन ज़रूरी जांचें नहीं हो पा रही हैं। जो मरीज ओपीडी में आते हैं, उन्हें भी बिना जांच के लौट जाना पड़ता है, क्योंकि अस्पताल के पास जांच किटें मंगाने के लिए बजट ही नहीं है।
ऐसी स्थिति कोई पहली बार नहीं बनी है। दो महीने पहले भी ऐसा हुआ था जिसके बाद कुछ दिनों के लिए जांच किटें आ गई थीं। अब फिर से वही हाल हो गए हैं।
एक जांच पर डेढ़ सौ रुपए से लेकर साढ़े 4 सौ रुपए तक का खर्चा होता है जो मरीजों को ही वहन करना पड़ रहा है।
नईदुनिया की खबर के अनुसार, हमीदिया अस्पताल की सेंट्रल पैथोलॉजी लैब में हमीदिया-सुल्तानिया अस्पताल के मरीजों की जांच की जाती है। करीब ढाई सौ मरीजों की हर दिन 1500 से 1800 जांचें की जाती हैं। मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी यहां कई जरूरी जांचें नहीं हो पा रही हैं।
डॉक्टर निजी लैब से जांच कराने की सलाह देते हैं और मरीजों को उनकी बात माननी पड़ती है। तमाम डॉक्टर हर दिन करीब 40 मरीजों को विटामिन डी और विटामि बी-12 की जांच कराने की सलाह देते हैं। प्रोस्टेट कैंसर का पता करने के लिए पीएसए, किडनी की बीमारी पता करने के लिए माइक्रो एल्बुमिन साधारण जांचें हैं, जो हमीदिया में नहीं हो रही हैं।
ऐसी स्थिति कोई पहली बार नहीं बनी है। दो महीने पहले भी ऐसा हुआ था जिसके बाद कुछ दिनों के लिए जांच किटें आ गई थीं। अब फिर से वही हाल हो गए हैं।
एक जांच पर डेढ़ सौ रुपए से लेकर साढ़े 4 सौ रुपए तक का खर्चा होता है जो मरीजों को ही वहन करना पड़ रहा है।
नईदुनिया की खबर के अनुसार, हमीदिया अस्पताल की सेंट्रल पैथोलॉजी लैब में हमीदिया-सुल्तानिया अस्पताल के मरीजों की जांच की जाती है। करीब ढाई सौ मरीजों की हर दिन 1500 से 1800 जांचें की जाती हैं। मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी यहां कई जरूरी जांचें नहीं हो पा रही हैं।
डॉक्टर निजी लैब से जांच कराने की सलाह देते हैं और मरीजों को उनकी बात माननी पड़ती है। तमाम डॉक्टर हर दिन करीब 40 मरीजों को विटामिन डी और विटामि बी-12 की जांच कराने की सलाह देते हैं। प्रोस्टेट कैंसर का पता करने के लिए पीएसए, किडनी की बीमारी पता करने के लिए माइक्रो एल्बुमिन साधारण जांचें हैं, जो हमीदिया में नहीं हो रही हैं।