एनआरसी में बड़े पैमाने पर गलतियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, नोटिस जारी

Written by sabrang india | Published on: September 3, 2025
राज्य के पूर्व एनआरसी समन्वयक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हितेश देव शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से ड्राफ्ट और पूरक एनआरसी की व्यापक समीक्षा का आदेश देने का आग्रह किया है। उन्होंने गलत तरीके से शामिल किए जाने, बाहर किए जाने, वित्तीय अनियमितताओं और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों का हवाला दिया है।



सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के मसौदा और पूरक दोनों संस्करणों की पूर्ण, व्यापक और समयबद्ध तरीके से फिर से सत्यापन की मांग की गई है। यह याचिका 2003 के नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमों के अनुसूची के खंड 4(3) का हवाला देते हुए दायर की गई है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में जोर देकर कहा गया है कि "सही और बिना किसी गलती के NRC" की तैयारी राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है और यह पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगरानी में रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि NRC को अपडेट करने की प्रक्रिया के दौरान कई "चूक और गड़बड़ियां" हुई हैं, जिनके कारण न्यायालय के हस्तक्षेप और सुधारात्मक कदम उठाना आवश्यक हो गया है।

22 अगस्त को, न्यायमूर्ति पामिडिघंटम श्री नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदूरकर की पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी किया।

याचिकाकर्ता कौन है?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, यह याचिका सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हितेश देव शर्मा ने दायर की है, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से और "असम के मूल निवासियों के एक बड़े वर्ग" के प्रतिनिधि के रूप में अदालत का रुख किया है। उनकी दलील है कि त्रुटिपूर्ण एनआरसी प्रक्रिया ने संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 25 और 29 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन किया है।

शर्मा को इस मामले की अच्छी जानकारी है क्योंकि उन्होंने 2014 से 2017 तक एनआरसी असम के कार्यकारी निदेशक और 2019 से 2022 तक राज्य एनआरसी समन्वयक के तौर पर काम किया है। रिटायर होने तक वे इस प्रक्रिया से जुड़े रहे। उनका कहना है कि एनआरसी को अपडेट करने के दौरान जो जांच-पड़ताल के नियम बनाए गए, उनमें वे सीधे तौर पर शामिल थे।

एनआरसी प्रक्रिया की पृष्ठभूमि

● 30 जुलाई 2018 को संपूर्ण मसौदा (Complete Draft) एनआरसी प्रकाशित किया गया था।

● 31 अगस्त 2019 को पूरक सूची (Supplementary List) जारी की गई।

● अंतिम एनआरसी (Final NRC) अब तक भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा प्रकाशित नहीं की गई है।

लाइव लॉ के अनुसार, याचिका में सरकारी पत्राचार, सत्यापन रिपोर्टें, आईटी विक्रेता से जुड़े दस्तावेज, साइबर सुरक्षा ऑडिट और कैग (CAG) की रिपोर्ट का व्यापक रूप से जिक्र किया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ये सभी दस्तावेज एनआरसी प्रक्रिया में गंभीर खामियों को उजागर करते हैं।

याचिका में उठाए गए प्रमुख आधार

1. योग्य व्यक्तियों को बाहर करना

○ ड्राफ्ट एनआरसी से 40,07,719 लोग बाहर कर दिए गए थे, जिनमें से लगभग 3,93,975 लोगों ने कोई दावा (claim) नहीं किया।

○ याचिकाकर्ता के अनुसार, इस समूह में से लगभग 50,695 लोग ऐसे थे जो इसमें शामिल होने के पात्र थे, फिर भी उन्हें अंतिम सूची से बाहर रखा गया।

2. मूल निवासियों (OI) की गलत पहचान करना

○ कामरूप के उपायुक्त ने 28 जून, 2019 को बताया कि चमारिया सर्कल में 64,247 आवेदकों को मूल निवासी के रूप में चिह्नित किया गया था।

○ बाद में सत्यापन से पता चला कि उनमें से 14,183 पात्र नहीं थे।

○ 30,791 व्यक्तियों के विशेष सत्यापन में 7,446 अपात्र पाए गए, जिनमें घोषित विदेशी, विदेशियों के वंशज, संदिग्ध मतदाता और विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित मामलों वाले व्यक्ति शामिल थे।

3. स्पष्ट आदेश का अभाव

○ दावों और आपत्तियों के दौरान, मामला निपटाने वाले अधिकारियों (डीओ) द्वारा 5,06,140 निर्णय लिए गए।

○ फिर भी, केवल 4,148 के साथ ही स्पष्ट कारणों सहित आदेश (speaking orders) जारी किए गए थे।

○ चौंकाने वाली बात यह है कि 43,642 व्यक्तियों के नाम 'अस्वीकार' से 'स्वीकार' में स्थानांतरित हो गए, जबकि 4,62,498 व्यक्तियों के नाम 'स्वीकार' से 'अस्वीकार' में स्थानांतरित हो गए और ये सब बिना किसी सुनवाई या स्पष्ट आदेश के हुआ।

4. पारिवारिक वंशावली मिलान (Family Tree Matching) में गलतियां:

○ एक सैंपल जांच (sample check) में यह सामने आया कि 943 नाम ड्राफ्ट एनआरसी में गलत तरीके से शामिल किए गए, क्योंकि परिवारिक वंशावली के मिलान (family tree matching) में गंभीर त्रुटियां थीं।

○ इसने यह संकेत दिया कि गलतियों की दर काफी ज्यादा थी और गुणवत्ता नियंत्रण (quality control) की उचित व्यवस्था नहीं थी।

5. वित्तीय अनियमितताएँ (Financial Irregularities)

○ कैग (CAG) की रिपोर्ट (31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए) में 260 करोड़ रुपयं की अनियमितताओं का पता चला।

○ रिपोर्ट में तत्कालीन राज्य एनआरसी समन्वयक पर जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की गई है।

सहायक दस्तावेज (Supporting Documents) जिनका हवाला दिया गया है:

याचिका में निम्नलिखित दस्तावेजों को आधार बनाया गया:

● एनआरसी असम के राज्य समन्वयक द्वारा जारी पत्र

● सत्यापन टीमों की रिपोर्टें

● आईटी विक्रेता Bohniman Systems Pvt. Ltd. से संबंधित पत्राचार

● एनआरसी डेटा की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा सलाहकार के निष्कर्ष

न्यायालय के समक्ष निवेदन

याचिकाकर्ता ने न्यायालय से ड्राफ्ट एनआरसी और पूरक सूची का पुनः सत्यापन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। उनकी दलील है कि बड़े पैमाने पर हुई गलतियों और प्रणालीगत खामियों के कारण यह प्रक्रिया प्रभावित हुई है और अंतिम एनआरसी की विश्वसनीयता को खतरा है।

यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोस्वामी और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड रामेश्वर प्रसाद गोयल के माध्यम से दायर की गई है।

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