असम में बांग्लादेशियों को लेकर सैयदा हमीद के बयान पर दर्ज हुई कई शिकायतें

Written by sabrang india | Published on: September 2, 2025
प्लानिंग कमिशन की पूर्व सदस्य और एक्टिविस्ट सैयदा हमीद के असम के गोआलपाड़ा का दौरे के बाद की टिप्पणी को लेकर उनके ख़िलाफ़ कई शिकायतें दर्ज की गई हैं।



असम जातीय परिषद (एजेपी) ने योजना आयोग की पूर्व सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता सैयदा हमीद के खिलाफ पुलिस में कई शिकायतें दर्ज कराई हैं और उन पर 'असम विरोधी और सांप्रदायिक बयान' देने का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की है।

मुस्लिम मिरर ने एजेपी प्रवक्ता जुयाउर रहमान के हवाले से कहा, “असम के 16 जिलों में सैयदा हमीद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं। हम उनके असम विरोधी और सांप्रदायिक बयानों के लिए उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।”

द वायर को पता चला है कि अपडेट के समय तक ये मह तहरीर (शिकायतें) थीं, एफआईआर नहीं, जैसा कि रहमान ने कहा।

ज्ञात हो कि सैयदा हमीद असम में नागरिक समाज के एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थीं, जिसमें कार्यकर्ता हर्ष मंदर, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार भी शामिल थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नागरिक समाज के प्रतिनिधिमंडल ने 23 अगस्त को असम के गोआलपाड़ा का दौरा किया था, जहां हिमंता बिस्वा शर्मा सरकार ने हाल ही में लोगों को बेदखल किया था। इसके अलावा, बोर्डुआर में एक प्रस्तावित टाउनशिप के लिए एक क्षेत्र को चिह्नित किया गया है, जिससे भूमि अधिग्रहण को लेकर स्थानीय लोगों के बीच चिंताएं और असंतोष बढ़ गए हैं।

24 अगस्त को प्रतिनिधिमंडल ने असम नागरिक सम्मेलन द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया, जिसकी अध्यक्षता निर्दलीय राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां ने की थी।

हमीद ने कहा था, “अगर बांग्लादेशी असम में रहते हैं, तो समस्या क्या है?” उनके इस बयान से क्षेत्रीय समूहों में विवाद छिड़ गया था। इन समूहों ने आरोप लगाया कि सैयदा हमीद न सिर्फ असमिया पहचान का अपमान कर रही हैं, बल्कि सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश भी कर रही हैं।

हमीद की टिप्पणी से हंगामा मचने के बाद असम नागरिक सम्मेलन (एएनएस) ने एक बयान जारी कर खुद को इस टिप्पणी से अलग कर लिया और स्पष्ट किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है।

राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां और परेश मालाकार ने एक संयुक्त बयान में कहा, “विदेशियों के बारे में हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। असम समझौता हमारे लिए मान्य है। हम 25 मार्च, 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को - चाहे उनका धर्म कुछ भी हो - निर्वासित करने की मांग करते हैं। हम असमिया और अन्य मूलनिवासी समुदायों की पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए धारा 6 पर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट को तत्काल लागू करने की भी मांग करते हैं।”

उधर, असम भाजपा ने सैयदा हमीद के खिलाफ एक बयान जारी किया और कहा कि उन्हें बांग्लादेशियों को ‘अपने घर में’ शरण देना चाहिए, न कि असम में।

द वायर ने लिखा, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, जिन्होंने सैयदा हमीद पर घुसपैठियों को वैध ठहराने का आरोप लगाया था, ने 27 अगस्त को कहा कि सरकार उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करेगी, क्योंकि उन्हें डर है कि वह इसका इस्तेमाल ‘चंदा इकट्ठा करने’ के लिए करेंगी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यदि हमीद असम वापस लौटती हैं, तो उनके साथ उचित सम्मान के साथ, लेकिन कानून के अनुसार व्यवहार किया जाएगा।

एजेपी प्रमुख लुरिनज्योति गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

उन्होंने कहा, “विदेशियों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए। असम किसी भी तरह से विदेशियों के बसने की जगह नहीं है, और न ही हम उनका बोझ उठाएंगे।”

एजेपी की जिला समितियों ने सैयदा हमीद के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिसमें नेताओं ने उन पर असम के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और समुदायों के बीच संघर्ष भड़काने का आरोप लगाया है।

एजेपी महासचिव जगदीश भुइयां के हवाले से कहा गया, “सरकार को सैयदा हमीद की विभाजनकारी टिप्पणियों के लिए उन्हें तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए। अन्यथा, यह स्पष्ट हो जाएगा कि वह मुख्यमंत्री की तरफ से बोल रही हैं।”

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