मोदी-योगी के दावे बेनकाब, हेल्थ इंडेक्स में डबल इंजन वाला उत्तर प्रदेश रहा फिसड्डी, केरल फिर से टॉप पर

Written by Navnish Kumar | Published on: December 28, 2021
स्वास्थ्य सुविधाओं में उत्तर प्रदेश के शानदार प्रदर्शन के पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों के दावों की पोल खुद भारत सरकार के ही नीति आयोग ने खोल दी है। नीति आयोग की 'स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत' रिपोर्ट में स्वास्थ्य पैमाने पर देश का सबसे बड़ा और डबल इंजन वाला राज्य उत्तर प्रदेश फिसड्डी स्थान पर रहा है। नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में अगर 20 बड़े राज्यों की बात करें तो यूपी सबसे निचले पायदान पर है। जबकि केरल ने एक बार फिर से देश भर में अव्वल स्थान पाया है। नीति आयोग ने चौथी बार ये स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया है। बड़े राज्यों की बात करें तो सभी मानकों पर हेल्थ सेक्टर में केरल ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। जबकि उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य सूचकांक में उत्तर प्रदेश के खराब प्रदर्शन को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। 



समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नीति आयोग द्वारा जारी स्वास्थ्य सूचकांक में उत्तर प्रदेश के खराब प्रदर्शन पर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है। यादव ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स (स्वास्थ्य सूचकांक) में स्वास्थ्य और चिकित्सा के मामले में यूपी (उत्तर प्रदेश) सबसे नीचे। ये है उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की सच्ची रिपोर्ट। दुनियाभर में झूठे विज्ञापन छपवाकर सच्चाई बदली नहीं जा सकती।’’ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने इसी ट्वीट में कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश की सेहत ख़राब करने वालों को जनता बाइस में जवाब देगी। यूपी कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।’’

गौरतलब है कि नीति आयोग के चौथे स्वास्थ्य सूचकांक के अनुसार, बड़े राज्यों में, सभी मानकों पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में केरल ने एक बार फिर शीर्ष स्थान हासिल किया है, जबकि उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर है। चौथे स्वास्थ्य सूचकांक में 2019-20 की अवधि को ध्यान में रखा गया है। सरकारी थिंक टैंक द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में कहा गया कि स्वास्थ्य के मानकों पर तमिलनाडु और तेलंगाना क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धि संबंधी प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश ने सबसे ऊंचा स्थान हासिल किया है। 

उत्तर प्रदेश ने 2018-19 से 2019-20 तक सर्वाधिक उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है। नीति आयोग के अनुसार, हेल्थ इंडेक्स के लिए चार दौर का सर्वे किया गया है और इस आधार पर अंक दिए गए हैं। चारों राउंड में केरल शीर्ष पर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक ओवरऑल प्रदर्शन के मामले में केरल का इंडेक्स स्कोर 82.20 रहा, जबकि उत्तर प्रदेश का 30.57 था। दूसरे स्थान पर तमिलनाडु (72.42), तीसरे पर तेलंगाना (69.96), आंध्रप्रदेश (69.95), महाराष्ट्र (69.14), गुजरात (63.59), हिमाचल (63.17), पंजाब (58.08), कर्नाटक (57.93), छत्तीसगढ़ (50.70), हरियाणा (49.26), असम (47.74), झारखंड (47.55), ओडिशा (44.31), उत्तराखंड (44.21), राजस्थान (41.33), मध्य प्रदेश (36.72), बिहार (31.00) और उत्तर प्रदेश (30.57) का नंबर रहा। 

वहीं 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में प्रदर्शन में सुधार करने के मामले में 'बड़े राज्यों' की श्रेणी में उत्तर प्रदेश पहले नंबर रहा। उत्तर प्रदेश में 5.52 इंक्रीमेंटल स्कोर दर्ज किया। इसके बाद असम, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्रप्रदेश, बिहार, केरल, उत्तराखंड, ओडिशा का नंबर रहा। इसके बाद कई राज्यों को सुधार के मामले में नेगेटिव अंक दिए गए हैं। जिनमें हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक शामिल हैं। इस रिपोर्ट को "स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत" शीर्षक दिया गया है। यह राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग उनके स्वास्थ्य परिणामों में साल-दर-साल क्रमिक प्रदर्शन के साथ-साथ उनकी व्यापक स्थिति के आधार पर तय करती है।

इंडेक्स में यूपी के खराब परफॉर्मेंस पर विपक्षी दल कांग्रेस भी हमलावर है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि मोदी और योगी जी की पोल खुल गई है, हेल्थ इंडेक्स के बहाने सुरेंद्र राजपूत ने कोरोना काल में गंगा में बह रही लाशों की भी याद दिला दी। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि सीएम योगी पूरे यूपी में हेलिकॉप्टर से घूम कर कह रहे हैं कि हमने स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारी, लेकिन नीति आयोग ने हकीकत बयां कर दी है। 

खास है कि योगी राज में स्वास्थ्य सुविधाओं में शानदार प्रदर्शन को लेकर उत्तर प्रदेश में ''मोदी-योगी ने कोरोना को बेहतरीन तरीके से हैंडल किया है और मोदी-योगी न होते तो कोरोना काल में प्रदेशवासियों का हाल और भयंकर होता'' का जो झूठा नैरेटिव भाजपा चला रही थी, उसकी भी नीति आयोग की रिपोर्ट ने कलई खोलकर रख दी है। अब खुद की सरकार की रिपोर्ट है तो न निगलते बन रहा है और न उगलते बन रहा है। बस प्रदर्शन में थोड़ा सुधार होने का ही राग अलाप रहे हैं।

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