उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ईवीएम घोटाले का आरोप लगाया। इसके बाद सपा कार्यकर्ता रातोंरात ईवीएम स्ट्रॉंग रूम की पहरेदारी के लिए राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर पहुंच गए। इसके बाद परिणाम आए तो बीजेपी को फिर से बहुमत मिल गया। इस बीच जौनपुर सदर विधानसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक मोहम्मद अरशद खान से सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार तीस्ता सीतलवाड़ ने बात की। जिसके दौरान सपा नेता ने आरोप लगाया कि उनके क्षेत्र की कम से कम 40% EVM मशीनों की सील टूटी हुई थी।
इस दौरान तीस्ता सीतलवाड़ ने इन मुद्दों पर विस्तार से बात की-
क्या यूपी के विधानसभा चुनावों के दौरान ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई थी?
ईवीएम बॉक्स को लाने और ले जाने से जुड़े नियम और क़ानून क्या कहते हैं?
बैलट बॉक्स, ईवीएम से बेहतर विकल्प कैसे हैं?
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जौनपुर की सीट से चुनाव कैसे हारे?
मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जौनपुर में क्या हुआ था?
अरशद खान ने कहा कि जौनपुर में करीब 40 हजार मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट में नहीं था, जिससे उन्हें उनके मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आठ मार्च को पूर्वांचल विश्वविद्यालय के स्ट्रांग रूम के बाहर पांच घंटे तक कैमरा बंद रहा। कुछ लोग पकड़े गए तो जिम्मेदारों ने कहा कि बीएसएनएल के कर्मी हैं। जिनके पास कोई पहचान पत्र नहीं था। उन्होंने कहा कि शंका आज भी कायम है। अरशद खान का यह दावा भी काफी गंभीर है कि सत्ताधारी पार्टी द्वारा बीएलओ को बोलकर अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार की पकड़ वाले क्षेत्रों से बहुत सारे योग्य मतदाताओं के नाम कटवा दिए जाते हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ ने पूछा कि क्या वे अदालत जाने के बारे में विचार कर रहे हैं। इस पर अरशद ने कहा कि वे वकीलों से विमर्श कर रहे हैं। अगर कोई ठोस बात बनी तो वीवीपैट के जरिए रीकाउंटिंग कराने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वे ईवीएम के खिलाफ और योग्य मतदाताओं के नाम काटे जाने के विरोध में अभियान चलाएंगे। अरशद ने कहा कि उनके यहां 23 राउंड में काउंटिंग हुई थी। इस दौरान हर टेबल पर 4-6 मशीनें ऐसी थीं जिनपर सील ही नहीं थी। उन्हें धागे के जरिए जोड़ा गया था।
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अरशद खान ने कहा कि जौनपुर में करीब 40 हजार मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट में नहीं था, जिससे उन्हें उनके मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आठ मार्च को पूर्वांचल विश्वविद्यालय के स्ट्रांग रूम के बाहर पांच घंटे तक कैमरा बंद रहा। कुछ लोग पकड़े गए तो जिम्मेदारों ने कहा कि बीएसएनएल के कर्मी हैं। जिनके पास कोई पहचान पत्र नहीं था। उन्होंने कहा कि शंका आज भी कायम है। अरशद खान का यह दावा भी काफी गंभीर है कि सत्ताधारी पार्टी द्वारा बीएलओ को बोलकर अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार की पकड़ वाले क्षेत्रों से बहुत सारे योग्य मतदाताओं के नाम कटवा दिए जाते हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ ने पूछा कि क्या वे अदालत जाने के बारे में विचार कर रहे हैं। इस पर अरशद ने कहा कि वे वकीलों से विमर्श कर रहे हैं। अगर कोई ठोस बात बनी तो वीवीपैट के जरिए रीकाउंटिंग कराने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वे ईवीएम के खिलाफ और योग्य मतदाताओं के नाम काटे जाने के विरोध में अभियान चलाएंगे। अरशद ने कहा कि उनके यहां 23 राउंड में काउंटिंग हुई थी। इस दौरान हर टेबल पर 4-6 मशीनें ऐसी थीं जिनपर सील ही नहीं थी। उन्हें धागे के जरिए जोड़ा गया था।
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