"एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है,
तुम ने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना।"
दिल्ली के आजादपुर मंडी में टमाटर खरीदने गए एक सब्जी ठेले वाले के मुंह से निकले शब्द और आंख में झलके आंसू, महंगाई के सामने न सिर्फ उसकी मजबूरी और बेबसी को बयां कर रहे हैं बल्कि रात-दिन इंडिया के तीसरे नंबर की इकोनॉमी होने का ढोल पीटने वाली सरकार और सिस्टम के साथ, समाज की गुरबत को भी उधेड़कर, रख दे रहे हैं। लल्लनटॉप की इस वायरल वीडियो में आंसू पोंछते हुए सब्जी ठेले वाला रामेश्वर कह रहा है कि "टमाटर बहुत महंगे हैं, मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही है (खरीदने की)।"
...तो फिर क्या मंडी से खाली ठेला लेकर जाओगे या फिर कोई और सब्जी लोगे। सवाल पर ठिठका रामेश्वर थोड़ा रुककर कहता है कि " ...इतना महंगा (टमाटर) बाहर जाके बिके या ना बिके, हमें घाटा लग जाता है। गुजारा नहीं हो पाता है" यह कहते-कहते उसकी आंख भर आईं। गला रूंध गया। उसकी आंखों की नमी चिल्ला चिल्ला कर उसकी बेबसी को बयां कर रही थी। मानो कह रही हो कि "एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है, तुमने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना।" लेकिन हुकूमत तो शायद महंगाई को विकास और लोगों की नियति मान बैठी है।
खैर, पूरे एक माह बाद भी सब्जियों के रेट कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिससे अब ग्राहकों के साथ सब्जी विक्रेता भी परेशान हो गए हैं। महंगी सब्जी होने की वजह से व्यापारियों/विक्रेताओं का धंधा भी चौपट होने लगा है। वहीं दूसरी ओर कहीं बारिश नहीं होने तो कहीं ज्यादा बारिश और बाढ़ की वजह से सब्जियां खराब हो रही हैं। टमाटर हो या कोई और सब्जियां, मंडी में आवक गिरी है। नतीजा अभी भी बाजार में 160 किलो तक टमाटर बिक रहा है। महंगाई के चलते टमाटर की मांग भी कम हो गई है। लोगों की थाली से हरी सब्जी गायब हो गई है।
सब्जी विक्रेताओं को भी लग रहा घाटा
मंडी में सब्जी विक्रेता संतोष ने बताया कि थोक मंडी में 90 परसेंट सब्जियां बाहर से आ रही हैं। जिनके रेट काफी बड़े हुए हैं। ऐसे में सब्जी विक्रेताओं द्वारा अगर बढ़े रेट में सब्जी ले ली जाती हैं, तो बाजार में रेट बढ़े होने से इन सब्जियों की मांग कम हो रही है। ऐसे में इन दिनों मौसम की वजह से सब्जियां खराब भी हो रही हैं, जिससे सब्जी विक्रेताओं को घाटा उठाना पड़ रहा है।
एक नजर में कुछ सब्जियों के रेट
1. शिमला मिर्च 100 रुपए किलो
2. हरी मिर्च 120 रुपए किलो
3. अदरक 240 रुपए किलो
4. लहसुन 200 रुपए किलो
5. टमाटर 160 रुपए किलो
6. पालक 80 रुपए किलो
7. फूलगोभी 100 रुपए किलो
8. गिलकी 60 रुपए किलो
9. भिंडी 40 रुपए किलो
मसालों के दाम पर एक नजर
खाद्य मुद्रास्फीति ने समस्या और बढ़ा दी
जून के महीने में अनियमित बारिश के कारण टमाटर की कीमतों में 400% का उछाल आया और कई जगहों पर टमाटर 250 रुपये प्रति किलो मिलने लगा। अनियमित वर्षा, बाढ़ और मानसून के देरी से आने के कारण विभिन्न राज्यों में ख़रीफ़ की फ़सलों की बुआई प्रभावित हुई है। इससे चावल की कीमतों में तेज उछाल आया। नियमानुसार सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अरहर दाल की कीमतें आसमान छू रही हैं। खुदरा बाजार में अरहर दाल 180 से 200 रुपये प्रति किलो उपलब्ध है। गेहूं की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा गया। अगले साल लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
अगले साल खाने-पीने के सामान और होंगे महंगे!
भारत के कुछ हिस्सों में बारिश तो कई इलाके सूखे की चपेट में होने से खाद्यान्न उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। देश समेत विदेशों में भी खाद्यान्न संकट मंडरा रहा है। खाने पीने की चीजें पहले के मुकाबले महंगी हुई हैं। भारत के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश नहीं होने से धान की रोपाई सही तरीके से नहीं हो पाई है। जिससे कई इलाके सूखे पड़े हैं। वहीं, कई क्षेत्रों में पर्याप्त पानी से बाढ़ आ गई। सब्जियों और दालों की कीमतें काफी बढ़ गईं। साल की शुरुआत से टमाटर की कीमत में 400% की वृद्धि हुई और प्याज और आलू की कीमतें भी अस्थिर हैं। इस बीच भारत ने बासमती चावलों की निर्यात पर रोक लगाई है। सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया गया जब देश में चावलों के उत्पादन कम हुए हैं। इस सबके बीच अब ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय समूह एचएसबीसी ने भी आशंका जताई है कि भारत में अनाज की कमी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इससे कीमतें बढ़ सकती हैं और लोगों की जेबें और ढीली हो सकती हैं।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत में सिर्फ टमाटर ही महंगा नहीं हुआ है, बल्कि खाने पीने की कई चीजों के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेष रूप से चावल और गेहूं जैसे अनाजों की कमी भी चिंता की मुख्य वजह है। मोटे अनाज यानी चावल, गेहूं, दालों की पैदावार कम होने से कीमतें बढ़ सकती हैं। आम लोगों पर दोहरी मार पड़ सकती है। एक तरफ दुनिया के कई देश मंदी की चपेट में हैं। वहीं, भारत पर भले ही मंदी की आहट नहीं हुई है, लेकिन खाद्यान्न की कमी के चलते खाने-पीने के सामान महंगे हो सकते हैं।
मार्च 2024 तक और बढ़ेगी महंगाई
HSBC की मानें तो भारत में खाने पीने के सामानों की कीमतों में अभी और बढ़ोत्तरी हो सकती है। अगले साल मार्च 2024 तक महंगाई 5 फीसदी तक पहुंच सकती है। क्योंकि इस साल उत्तर-पश्चिम भारत में चावल की फसल अच्छी तरह से नहीं लगाई गई है, जबकि दक्षिण और पूर्व में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी नही हैं। किसानों के सामने सूखे की समस्या से निपटना बड़ी चुनौती बनी हुई है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। कई देशों को चावल निर्यात करता है, लेकिन इस बार कुछ जगहों पर सूखा और कई हिस्सों में भारी बारिश से धान की रोपाई नहीं हो पायी है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक और अगले साल की पहली तिमाही में चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, अगर चावल का उत्पादन प्रभावित होता है, तो इससे गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका उपयोग कुछ मामलों में चावल के विकल्प के रूप में किया जाता है। अगर भारत में चावल की कीमतें प्रभावित होती हैं तो इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखने को मिल सकता है। ग्लोबल लेवल पर फूड की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
ब्लैक सी ग्रेन डील रद्द होने से महंगे होंगे अनाज
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने बड़ा फैसला लिया है। रूस ने यूक्रेन के साथ ब्लैक सी ग्रेन डील को रद्द कर दी। इसी डील से ग्लोबल फूड क्राइसिस पैदा हो सकती है। रूस के इस फैसले का हर तरफ विरोध हो रहा है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि इससे लाखों लोगों के भूख से मरने का खतरा बढ़ जाएगा। यूक्रेन फूड सप्लाई के मामले में विश्व में अव्वल देशों में से एक है। अगर यूक्रेन खाद्य पदार्थ रोक देता है तो दुनिया में इसका असर तेजी से दिखने लगेगा। कई यूरोपीय देशों के अलावा अफ्रीका में लोगों के भूख से मरने का खतरा पैदा हो गया। खास बात यह है कि यूक्रेन फूड आइटम्स के अलावा बड़ी तादाद में फर्टिलाइजर भी निर्यात करता है।
सरकार को मुश्किल में डाल सकती है महंगाई
बात करें तो अनाज की कमी सरकार को भी परेशानी में डाल सकती है। क्योंकि इसी साल के आखिरी में चार राज्यों में चुनाव होने हैं। वहीं, अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। प्रधानमंत्री मोदी के लिए बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करना जरूरी है। सरकार महंगाई कम करने के लिए कई मोर्चे पर काम कर रही है। सरसों तेल, दाल और चावलों की कीमतों को नियंत्रण में करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। महंगाई से निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में देश से चावल का निर्यात बंद कर दिया है।
दरअसल, खाद्य मुद्रास्फीति अभी ऊंची रह सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के कारण पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में जोरदार तेजी आई। खाने के तेल की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है। ऐसे में लगातार महंगाई बढ़ने से महंगी ईएमआई से राहत मिलने की संभावना कम होती जा रही है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बार-बार दोहराया है कि मुद्रास्फीति पर युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। और अब फिर से महंगाई डायन ने मुंह खोलना शुरू कर दिया है। इसलिए 8-10 अगस्त को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक से किसी राहत की उम्मीद करना बेमानी होगी। यानी महंगी ईएमआई से भी अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
बढ़ती महंगाई पर मल्लिकार्जुन खरगे का केंद्र पर निशाना, रेट चार्ट शेयर कर लिखा- 'अच्छे दिन, अमृत काल, कर्तव्य काल...'
देश में बढ़ती महंगाई और सब्जियों की कीमत पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को उनसे उनके कर्तव्यों को पूरा करने को कहा है। बढ़ती महंगाई पर मल्लिकार्जुन खरगे का केंद्र पर निशाना, रेट चार्ट शेयर कर लिखा- 'अच्छे दिन, अमृत काल, कर्तव्य काल...' कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पिछले दिनों 12 जुलाई को मसालों की बढ़ती कीमतों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया। उन्होंने एक ट्वीट करके कहा कि लोगों को पीएम मोदी के डॉयलॉग की नहीं बल्कि प्रधानमंत्री पद के कर्तव्यों के पूरा करने की जरूरत है। कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने एक ट्वीट में कहा कि अच्छे दिन, अमृत काल और कर्तव्य काल सिर्फ मार्केटिंग करने के तरीके हैं। ये बस कथा बदलने का तरीका है।
एक के बाद एक किए गए ट्वीट में कांग्रेस अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी कभी भी लोगों को लूटने का काम नहीं बंद करती है। उन्होंने कहा, अब मोदी जी देश में महंगाई बढ़ाकर लोगों की जमा पूंजी बदलने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, जो लोग महंगाई से जूझ रहे हैं उनको आपका वक्तव्य नहीं चाहिए क्योंकि आपको सबसे पहले अपने कर्तव्य पूरे करने थे।
देश में बढ़े हैं सब्जियों के दाम
बीते कुछ समय से अगर हम राज्य में बढ़ने वाली सब्जियों की कीमतों पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि इन दिनों देश में खाद्य पदार्थों के दाम काफी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। इसलिए मुख्य विपक्षी दल सरकार से लगातार जरूरी चीजों के दाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इससे पूर्व भी कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बढ़ती महंगाई की वजह से सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि टमाटर, लहसुन, अदरक और हरी मिर्च की एक टोकरी गिफ्ट देने का एक अच्छा विकल्प हो सकती है।
वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी महंगाई को लेकर ट्वीट किया है।
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दिल्ली के आजादपुर मंडी में टमाटर खरीदने गए एक सब्जी ठेले वाले के मुंह से निकले शब्द और आंख में झलके आंसू, महंगाई के सामने न सिर्फ उसकी मजबूरी और बेबसी को बयां कर रहे हैं बल्कि रात-दिन इंडिया के तीसरे नंबर की इकोनॉमी होने का ढोल पीटने वाली सरकार और सिस्टम के साथ, समाज की गुरबत को भी उधेड़कर, रख दे रहे हैं। लल्लनटॉप की इस वायरल वीडियो में आंसू पोंछते हुए सब्जी ठेले वाला रामेश्वर कह रहा है कि "टमाटर बहुत महंगे हैं, मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही है (खरीदने की)।"
...तो फिर क्या मंडी से खाली ठेला लेकर जाओगे या फिर कोई और सब्जी लोगे। सवाल पर ठिठका रामेश्वर थोड़ा रुककर कहता है कि " ...इतना महंगा (टमाटर) बाहर जाके बिके या ना बिके, हमें घाटा लग जाता है। गुजारा नहीं हो पाता है" यह कहते-कहते उसकी आंख भर आईं। गला रूंध गया। उसकी आंखों की नमी चिल्ला चिल्ला कर उसकी बेबसी को बयां कर रही थी। मानो कह रही हो कि "एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है, तुमने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना।" लेकिन हुकूमत तो शायद महंगाई को विकास और लोगों की नियति मान बैठी है।
खैर, पूरे एक माह बाद भी सब्जियों के रेट कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिससे अब ग्राहकों के साथ सब्जी विक्रेता भी परेशान हो गए हैं। महंगी सब्जी होने की वजह से व्यापारियों/विक्रेताओं का धंधा भी चौपट होने लगा है। वहीं दूसरी ओर कहीं बारिश नहीं होने तो कहीं ज्यादा बारिश और बाढ़ की वजह से सब्जियां खराब हो रही हैं। टमाटर हो या कोई और सब्जियां, मंडी में आवक गिरी है। नतीजा अभी भी बाजार में 160 किलो तक टमाटर बिक रहा है। महंगाई के चलते टमाटर की मांग भी कम हो गई है। लोगों की थाली से हरी सब्जी गायब हो गई है।
सब्जी विक्रेताओं को भी लग रहा घाटा
मंडी में सब्जी विक्रेता संतोष ने बताया कि थोक मंडी में 90 परसेंट सब्जियां बाहर से आ रही हैं। जिनके रेट काफी बड़े हुए हैं। ऐसे में सब्जी विक्रेताओं द्वारा अगर बढ़े रेट में सब्जी ले ली जाती हैं, तो बाजार में रेट बढ़े होने से इन सब्जियों की मांग कम हो रही है। ऐसे में इन दिनों मौसम की वजह से सब्जियां खराब भी हो रही हैं, जिससे सब्जी विक्रेताओं को घाटा उठाना पड़ रहा है।
एक नजर में कुछ सब्जियों के रेट
1. शिमला मिर्च 100 रुपए किलो
2. हरी मिर्च 120 रुपए किलो
3. अदरक 240 रुपए किलो
4. लहसुन 200 रुपए किलो
5. टमाटर 160 रुपए किलो
6. पालक 80 रुपए किलो
7. फूलगोभी 100 रुपए किलो
8. गिलकी 60 रुपए किलो
9. भिंडी 40 रुपए किलो
मसालों के दाम पर एक नजर
खाद्य मुद्रास्फीति ने समस्या और बढ़ा दी
जून के महीने में अनियमित बारिश के कारण टमाटर की कीमतों में 400% का उछाल आया और कई जगहों पर टमाटर 250 रुपये प्रति किलो मिलने लगा। अनियमित वर्षा, बाढ़ और मानसून के देरी से आने के कारण विभिन्न राज्यों में ख़रीफ़ की फ़सलों की बुआई प्रभावित हुई है। इससे चावल की कीमतों में तेज उछाल आया। नियमानुसार सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अरहर दाल की कीमतें आसमान छू रही हैं। खुदरा बाजार में अरहर दाल 180 से 200 रुपये प्रति किलो उपलब्ध है। गेहूं की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा गया। अगले साल लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
अगले साल खाने-पीने के सामान और होंगे महंगे!
भारत के कुछ हिस्सों में बारिश तो कई इलाके सूखे की चपेट में होने से खाद्यान्न उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। देश समेत विदेशों में भी खाद्यान्न संकट मंडरा रहा है। खाने पीने की चीजें पहले के मुकाबले महंगी हुई हैं। भारत के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश नहीं होने से धान की रोपाई सही तरीके से नहीं हो पाई है। जिससे कई इलाके सूखे पड़े हैं। वहीं, कई क्षेत्रों में पर्याप्त पानी से बाढ़ आ गई। सब्जियों और दालों की कीमतें काफी बढ़ गईं। साल की शुरुआत से टमाटर की कीमत में 400% की वृद्धि हुई और प्याज और आलू की कीमतें भी अस्थिर हैं। इस बीच भारत ने बासमती चावलों की निर्यात पर रोक लगाई है। सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया गया जब देश में चावलों के उत्पादन कम हुए हैं। इस सबके बीच अब ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय समूह एचएसबीसी ने भी आशंका जताई है कि भारत में अनाज की कमी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इससे कीमतें बढ़ सकती हैं और लोगों की जेबें और ढीली हो सकती हैं।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत में सिर्फ टमाटर ही महंगा नहीं हुआ है, बल्कि खाने पीने की कई चीजों के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेष रूप से चावल और गेहूं जैसे अनाजों की कमी भी चिंता की मुख्य वजह है। मोटे अनाज यानी चावल, गेहूं, दालों की पैदावार कम होने से कीमतें बढ़ सकती हैं। आम लोगों पर दोहरी मार पड़ सकती है। एक तरफ दुनिया के कई देश मंदी की चपेट में हैं। वहीं, भारत पर भले ही मंदी की आहट नहीं हुई है, लेकिन खाद्यान्न की कमी के चलते खाने-पीने के सामान महंगे हो सकते हैं।
मार्च 2024 तक और बढ़ेगी महंगाई
HSBC की मानें तो भारत में खाने पीने के सामानों की कीमतों में अभी और बढ़ोत्तरी हो सकती है। अगले साल मार्च 2024 तक महंगाई 5 फीसदी तक पहुंच सकती है। क्योंकि इस साल उत्तर-पश्चिम भारत में चावल की फसल अच्छी तरह से नहीं लगाई गई है, जबकि दक्षिण और पूर्व में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी नही हैं। किसानों के सामने सूखे की समस्या से निपटना बड़ी चुनौती बनी हुई है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। कई देशों को चावल निर्यात करता है, लेकिन इस बार कुछ जगहों पर सूखा और कई हिस्सों में भारी बारिश से धान की रोपाई नहीं हो पायी है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक और अगले साल की पहली तिमाही में चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, अगर चावल का उत्पादन प्रभावित होता है, तो इससे गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका उपयोग कुछ मामलों में चावल के विकल्प के रूप में किया जाता है। अगर भारत में चावल की कीमतें प्रभावित होती हैं तो इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखने को मिल सकता है। ग्लोबल लेवल पर फूड की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
ब्लैक सी ग्रेन डील रद्द होने से महंगे होंगे अनाज
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने बड़ा फैसला लिया है। रूस ने यूक्रेन के साथ ब्लैक सी ग्रेन डील को रद्द कर दी। इसी डील से ग्लोबल फूड क्राइसिस पैदा हो सकती है। रूस के इस फैसले का हर तरफ विरोध हो रहा है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि इससे लाखों लोगों के भूख से मरने का खतरा बढ़ जाएगा। यूक्रेन फूड सप्लाई के मामले में विश्व में अव्वल देशों में से एक है। अगर यूक्रेन खाद्य पदार्थ रोक देता है तो दुनिया में इसका असर तेजी से दिखने लगेगा। कई यूरोपीय देशों के अलावा अफ्रीका में लोगों के भूख से मरने का खतरा पैदा हो गया। खास बात यह है कि यूक्रेन फूड आइटम्स के अलावा बड़ी तादाद में फर्टिलाइजर भी निर्यात करता है।
सरकार को मुश्किल में डाल सकती है महंगाई
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दरअसल, खाद्य मुद्रास्फीति अभी ऊंची रह सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के कारण पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में जोरदार तेजी आई। खाने के तेल की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है। ऐसे में लगातार महंगाई बढ़ने से महंगी ईएमआई से राहत मिलने की संभावना कम होती जा रही है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बार-बार दोहराया है कि मुद्रास्फीति पर युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। और अब फिर से महंगाई डायन ने मुंह खोलना शुरू कर दिया है। इसलिए 8-10 अगस्त को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक से किसी राहत की उम्मीद करना बेमानी होगी। यानी महंगी ईएमआई से भी अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
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एक के बाद एक किए गए ट्वीट में कांग्रेस अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी कभी भी लोगों को लूटने का काम नहीं बंद करती है। उन्होंने कहा, अब मोदी जी देश में महंगाई बढ़ाकर लोगों की जमा पूंजी बदलने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, जो लोग महंगाई से जूझ रहे हैं उनको आपका वक्तव्य नहीं चाहिए क्योंकि आपको सबसे पहले अपने कर्तव्य पूरे करने थे।
देश में बढ़े हैं सब्जियों के दाम
बीते कुछ समय से अगर हम राज्य में बढ़ने वाली सब्जियों की कीमतों पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि इन दिनों देश में खाद्य पदार्थों के दाम काफी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। इसलिए मुख्य विपक्षी दल सरकार से लगातार जरूरी चीजों के दाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इससे पूर्व भी कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बढ़ती महंगाई की वजह से सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि टमाटर, लहसुन, अदरक और हरी मिर्च की एक टोकरी गिफ्ट देने का एक अच्छा विकल्प हो सकती है।
वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी महंगाई को लेकर ट्वीट किया है।
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