किसानों का MSP गारंटी को लेकर आंदोलन और स्वामीनाथन को भारत रत्न!

Written by sabrang india | Published on: February 13, 2024


आज किसान अपनी मांगों पर केंद्र की मोदी सरकार का ध्यान खींचने के लिए दिल्ली का रुख कर रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाना और उसे लागू करना किसानों की प्रमुख मांगों में से एक है जिसे लेकर किसान दिल्ली आ रहे हैं लेकिन केंद्र व राज्यों की भाजपा सरकारें उन्हें रोकने का पूरा प्रयत्न कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 फरवरी को कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया। ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि स्वामीनाथन का किसानों की प्रमुख मांग- एमएसपी की गारंटी से क्या संबंध है। 
 
क्या है स्वामीनाथन आयोग

साल 2004 में केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। इस सरकार ने स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया जिसे स्वामीनाथन आयोग के नाम से जाना जाता है। कमेटी ने साल 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें कई तरह की सिफारिशें की गई थीं। लेकिन अब तक कोई सरकार इन सिफारिशों को पूरी तरह लागू नहीं कर पाई है। यही वजह है कि जब-तब इस आयोग की रिपोर्ट को पूरी तरह लागू करने की मांग उठती रहती है। कहा जाता है कि अगर इस रिपोर्ट को लागू किया जाए तो किसानों की तकदीर बदल जाएगी।

समिति की सिफारिशें

समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश की थी ताकि छोटे किसानों को फसल का उचित मुआवजा मिल सके। समिति का कहना था कि किसानों की फसल के न्यूनतम सर्मथन मूल्य कुछ ही फसलों तक सीमित न रहें। गुणवत्ता वाले बीज किसानों को कम दामों पर मिलें। साथ ही आयोग ने जमीन का सही बंटवारा करने की भी सिफारिश की थी। इसके तहत सरप्लस जमीन को भूमिहीन किसान परिवारों में बांटा जाना चाहिए। आयोग ने राज्य स्तर पर किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति मजबूत करने की भी बात कही।

आयोग की एक बड़ी सिफारिश महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना था। साथ ही आयोग का कहना था कि किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर उन्हें मदद मिल सके। असल में सूखा और बाढ़ में फसल पूरी तरह बर्बाद होने के बाद किसानों के पास कोई खास आर्थिक मदद नहीं पहुंचती है। बीज आदि में पैसे लगा चुका किसान कर्ज में दब जाता है और आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाता है। हाल के वर्षों में देश में सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या की है। यह सिलसिला आज भी जारी है।

पिछली बार से अलग है इस बार का आंदोलन 

इस बार का किसान आंदोलन पिछली बार साल 2020-21 में हुए आंदोलन की तुलना में कई मायनों में अलग है। इस बार किसानों की मांग अलग है। पिछली बार किसानों का आंदोलन मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ था और वो इसमें सफल भी हुए थे क्योंकि सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया था और एमएसपी पर गारंटी देने का वादा किया था। लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी को लेकर जो वादे किए थे वो पूरे नहीं किए। इसी को लेकर इस बार किसान दिल्ली आ रहे हैं। इसके अलावा अखिल भारतीय किसान सभा ने 16 फरवरी को भारत बंद बुलाया है। 


 
किसानों की मांगें 

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं, जिसमें छोटे किसानों के हितों की रक्षा करने और एक पेशे के रूप में कृषि पर बढ़ते जोखिम के मुद्दे को संबोधित करने का प्रावधान है। इसके अलावा, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेना और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” भी मांगों का हिस्सा है। इसके अलावा मांगों में शामिल हैं:
 
-- किसानों और मजदूरों की संपूर्ण कर्जमाफी।
 
-- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का कार्यान्वयन, जिसमें अधिग्रहण से पहले किसानों से लिखित सहमति और कलेक्टर दर से चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान है।

-- अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी हत्याकांड के अपराधियों को सजा मिले।

- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से बाहर निकलना और सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाना।

-- किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन।

-- दिल्ली विरोध प्रदर्शन के दौरान मरने वाले किसानों के लिए मुआवजा, जिसमें परिवार के एक सदस्य के लिए नौकरी शामिल है;

-- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को ख़त्म करना।

-- मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 100 के बजाय 200 दिन का रोजगार, दैनिक मजदूरी 700 रुपये और योजना को खेती से जोड़ा जाए।

- नकली बीज, कीटनाशक, उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना लगे; बीज की गुणवत्ता में सुधार हो।

--मिर्च और हल्दी जैसे मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग बने।

MSP पर कानून आया तो क्या होगा?

सरकार को तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों के दाम चुकाने पड़ेंगे। एमएसपी पर कानून बना तो सरकार जो एमएसपी तय करेगी उससे कम दाम पर किसानों से कोई फसल नहीं खरीद पाएगा। अगर कोई फसल कम कीमत में खरीदता है तो कानूनन अपराध होगा। इससे किसानों की हालत में निश्चित तौर पर अभूतपूर्व बदलाव होगा क्योंकि जिस समय किसान की फसल आती है, उस समय उसके दाम बिचौलियों द्वारा कंट्रोल किए जाते हैं और भंडारण आदि की सुविधा न होने पर किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ती है। 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में (9 फरवरी को) कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की है। किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानून बनाना है। एमएसपी और स्वामीनाथन परस्पर एक दूसरे से जुड़े हैं, ऐसे में बेहतर होगा कि भारत रत्न के साथ ही किसानों की एमएसपी की मांग मानकर केंद्र सरकार किसानों की तरक्की का रास्ता साफ करे यह स्वामीनाथन जी को सबसे बड़ा सम्मान होगा। 

चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न की घोषणा करने और किसानों की मांगें न मानने को लेकर सोशल मीडिया पर भी सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट प्रशांत भूषण ने इसे पाखंड और असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने एक्स पर ट्वीट किया है:



आम आदमी पार्टी की नेता और संसद सदस्य स्वाती मालीवाल ने ट्वीट किया है:



एक फेसबुक यूजर ने पोस्ट किया है: 



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