किसान नेताओं का दावा है कि देश के नौ राज्यों से दो सौ से ज़्यादा सगंठन उनकी अपील पर मंगलवार को दिल्ली की ओर रवाना होंगे। इससे पहले किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों ने सोमवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं से बातचीत की।
किसान मजदूर मोर्चा का कहना है कि सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है। सरकार के मन में खोट है, वे हमें कुछ नहीं देना चाहते। किसान आज मंगलवार सुबह 10 बजे आगे बढ़ेंगे। इसके साथ ही किसानों ने 16 फरवरी को भारत बंद भी बुलाया है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए सड़कों में कीलें ठुकवाने से लेकर बैरिकेटिंग व भारी कंटेनर खड़े कर मार्ग अवरूद्ध करने आदि की तमाम कोशिशों में जुटी है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 12 मार्च तक 30 दिनों की अवधि के लिए धारा 144 (निषेधाज्ञा) लागू करने के आदेश जारी किए हैं। यही नहीं, नई दिल्ली में ट्रैक्टर चलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बावजूद किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने किसानों के 'दिल्ली चलो मार्च' आह्वान को देखते हुए, आदेश जारी किया कि, संयुक्त किसान मोर्चा, किसान मजदूर मोर्चा और कई अन्य किसान यूनियनों और संघों ने अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए 13 फरवरी को 'दिल्ली चलो' मार्च की घोषणा की है। आशंका है कि उपरोक्त मार्च में भाग लेने वाले, नई दिल्ली पहुंचने और अपनी मांगों पर जोर देने के लिए प्रदर्शन करने के लिए निकटवर्ती राज्यों के साथ अपनी सीमाओं के विभिन्न प्रवेश बिंदुओं से दिल्ली के क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास कर सकते हैं। आदेश में आगे कहा गया है कि मार्च में भाग लेने वालों के दिल्ली/नई दिल्ली के क्षेत्र में प्रवेश करने के कारण व्यापक तनाव, सार्वजनिक उपद्रव, सार्वजनिक झुंझलाहट, सामाजिक अशांति और हिंसा की संभावना का आसन्न खतरा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, 13 फरवरी के 'दिल्ली चलो मार्च' में लगभग 20 हजार किसान 2500 ट्रैक्टर्स से दिल्ली पहुंच सकते हैं। हरियाणा और पंजाब के कई बॉर्डर क्षेत्र में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं। ये प्रदर्शनकारी दिल्ली में दाखिल होने को तैयार हैं। किसान प्रदर्शनकारी छोटी-छोटी टुकड़ियों में ट्रैक्टर और ट्रॉली के साथ मौजूद हैं।
उधर, किसान संगठनों ने ‘दिल्ली चलो’ का ऐलान किया है। किसान नेताओं का दावा है कि देश के नौ राज्यों से दो सौ से ज़्यादा सगंठन उनकी अपील पर मंगलवार को दिल्ली की ओर रवाना होंगे। इससे पहले किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों ने सोमवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं से बातचीत की। इस बातचीत में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय शामिल थे। इसके उलट केंद्र और हरियाणा की सरकार, किसानों को रोकने के लिए दिनभर तैयारी में व्यस्त रहीं। किसानों की गिरफ्तारियां करने के साथ दिल्ली के हर बॉर्डर पर सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं।
मांगों की बाबत किसान नेता बोले, ‘प्रधानमंत्री चाहें तो जीत सकते हैं दिल’
पंजाब किसान मजूदर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंढेर के अनुसार, “अगर स्वयं प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जी कोशिश करें जैसे 75 सालों से एमएसपी खरीद की गारंटी का कानून नहीं दिया गया, उस पर कोई नोटिफिकेशन जारी करें, उसके बाद डॉक्टर स्वामीनाथन कमीशन की जो रिपोर्ट है सी-2 प्लस 50 परसेंट, उसके हिसाब से हमें दाम मिलें फसलों के सी-2 प्लस 50 परसेंट का मतलब है, जितनी हमारा लागत खर्चा है, उस पर 50 प्रतिशत मुनाफा दें। गन्ने की फसल एक साल की है तो उसका 100 परसेंट बनता है। किसान मजदूर का कर्ज खत्म करने का सवाल है। केस वापस लेने का सवाल है। बिजली संशोधन बिल का सवाल है तो लखीमपुर खीरी का इंसाफ भी है।” उन्होंने बताया कि इसमें मज़दूरों के सवाल भी उठाए गए हैं। उन्हें नरेगा में 200 दिन काम देने और दिहाड़ी 700 रुपये करने की मांग है। पंढेर ने कहा, “अभी एक महीना (लोकसभा चुनाव में) रह गया है, मोदी जी चाहें तो किसान मज़दूर का दिल जीत सकते हैं। लोगों के दिल खुश हो जाएंगे।”
आंदोलन में किन राज्यों के कुल कितने सगंठन?
किसान मज़दूर संघर्ष कमिटी के नेता सुखविंदर सिंह साभरा ने आंदोलन में शामिल संगठनों के बारे में जानकारी दी। साभरा ने बताया, “पूरे उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पश्चिम और पूर्वी भारत से 200 से ज़्यादा संगठन दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। ये आंदोलन जो अधूरा छोड़कर आए थे, उसको पूरा कराने के लिए दिल्ली की तरफ बढ़ेंगे।” उन्होंने बताया कि नौ राज्यों के किसान संगठन संपर्क में हैं। वो मीटिंग बैठे हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब आंदोलन के लिए तैयार हैं।
दिल्ली पुलिस की भी पूरी तैयारी
किसानों के आंदोलन को लेकर दिल्ली पुलिस सोमवार को दिन भर तैयारी में व्यस्त रही। बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के साथ ट्रैफिक व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी (कानून व्यवस्था) रविंद्र सिंह यादव ने कहा, “आप देख रहे हैं, सब तैयारी कर रहे हैं।” दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बेरिकेड लगाए गए हैं और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। साथ ही दिल्ली को हरियाणा से जोड़ने वाली सीमा पर भी बेरिकेड लगाए गए हैं। टिकरी बॉर्डर पर भी पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। सिंघू बॉर्डर पर बेरिकेड लगाने के साथ सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया है। दिल्ली पूर्वी ज़िला की डीसीपी अपूर्वा गुप्ता ने बताया, “हमारी प्राथमिकता है कि दिल्ली में कहीं भी शांति व्यवस्था भंग न हो। इसके लिए काफी सुरक्षाबल तैनात किया गया है।
हरियाणा में क्या है तैयारी?
हरियाणा में भी आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए पूरी तैयारी की गई है। सरकार के मंत्री और प्रशासन के बड़े अधिकारी सोमवार को दिनभर इंतजामों की समीक्षा करते रहे। हरियाणा पुलिस ने अंबाला के करीब शंभू बॉर्डर पर ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराने की टेस्टिंग की। हरियाणा के प्रिंसपल सेक्रेट्री विजयेंद्र कुमार ने सिरसा पहुंचकर इंतजाम का जायजा लिया। उन्होंने बताया, “हरियाणा के साथ दो राज्यों की सीमा लगी हुई हैं। राजस्थान और पंजाब. मैने ज़िला प्रशासन के इंतजाम को देखा है। एंट्री पर पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं। फ़ोर्स प्रयाप्त तादाद में आ चुकी है। पिछले बार के आंदोलन को देखते हुए जो सीखा था, उससे इस बार के इंतज़ाम काफी पुख्ता हैं। जो सामान लगाया गया है, उसे हिलाना मुश्किल होगा।”
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किसान मजदूर मोर्चा का कहना है कि सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है। सरकार के मन में खोट है, वे हमें कुछ नहीं देना चाहते। किसान आज मंगलवार सुबह 10 बजे आगे बढ़ेंगे। इसके साथ ही किसानों ने 16 फरवरी को भारत बंद भी बुलाया है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए सड़कों में कीलें ठुकवाने से लेकर बैरिकेटिंग व भारी कंटेनर खड़े कर मार्ग अवरूद्ध करने आदि की तमाम कोशिशों में जुटी है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 12 मार्च तक 30 दिनों की अवधि के लिए धारा 144 (निषेधाज्ञा) लागू करने के आदेश जारी किए हैं। यही नहीं, नई दिल्ली में ट्रैक्टर चलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बावजूद किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने किसानों के 'दिल्ली चलो मार्च' आह्वान को देखते हुए, आदेश जारी किया कि, संयुक्त किसान मोर्चा, किसान मजदूर मोर्चा और कई अन्य किसान यूनियनों और संघों ने अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए 13 फरवरी को 'दिल्ली चलो' मार्च की घोषणा की है। आशंका है कि उपरोक्त मार्च में भाग लेने वाले, नई दिल्ली पहुंचने और अपनी मांगों पर जोर देने के लिए प्रदर्शन करने के लिए निकटवर्ती राज्यों के साथ अपनी सीमाओं के विभिन्न प्रवेश बिंदुओं से दिल्ली के क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास कर सकते हैं। आदेश में आगे कहा गया है कि मार्च में भाग लेने वालों के दिल्ली/नई दिल्ली के क्षेत्र में प्रवेश करने के कारण व्यापक तनाव, सार्वजनिक उपद्रव, सार्वजनिक झुंझलाहट, सामाजिक अशांति और हिंसा की संभावना का आसन्न खतरा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, 13 फरवरी के 'दिल्ली चलो मार्च' में लगभग 20 हजार किसान 2500 ट्रैक्टर्स से दिल्ली पहुंच सकते हैं। हरियाणा और पंजाब के कई बॉर्डर क्षेत्र में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं। ये प्रदर्शनकारी दिल्ली में दाखिल होने को तैयार हैं। किसान प्रदर्शनकारी छोटी-छोटी टुकड़ियों में ट्रैक्टर और ट्रॉली के साथ मौजूद हैं।
उधर, किसान संगठनों ने ‘दिल्ली चलो’ का ऐलान किया है। किसान नेताओं का दावा है कि देश के नौ राज्यों से दो सौ से ज़्यादा सगंठन उनकी अपील पर मंगलवार को दिल्ली की ओर रवाना होंगे। इससे पहले किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों ने सोमवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं से बातचीत की। इस बातचीत में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय शामिल थे। इसके उलट केंद्र और हरियाणा की सरकार, किसानों को रोकने के लिए दिनभर तैयारी में व्यस्त रहीं। किसानों की गिरफ्तारियां करने के साथ दिल्ली के हर बॉर्डर पर सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं।
मांगों की बाबत किसान नेता बोले, ‘प्रधानमंत्री चाहें तो जीत सकते हैं दिल’
पंजाब किसान मजूदर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंढेर के अनुसार, “अगर स्वयं प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जी कोशिश करें जैसे 75 सालों से एमएसपी खरीद की गारंटी का कानून नहीं दिया गया, उस पर कोई नोटिफिकेशन जारी करें, उसके बाद डॉक्टर स्वामीनाथन कमीशन की जो रिपोर्ट है सी-2 प्लस 50 परसेंट, उसके हिसाब से हमें दाम मिलें फसलों के सी-2 प्लस 50 परसेंट का मतलब है, जितनी हमारा लागत खर्चा है, उस पर 50 प्रतिशत मुनाफा दें। गन्ने की फसल एक साल की है तो उसका 100 परसेंट बनता है। किसान मजदूर का कर्ज खत्म करने का सवाल है। केस वापस लेने का सवाल है। बिजली संशोधन बिल का सवाल है तो लखीमपुर खीरी का इंसाफ भी है।” उन्होंने बताया कि इसमें मज़दूरों के सवाल भी उठाए गए हैं। उन्हें नरेगा में 200 दिन काम देने और दिहाड़ी 700 रुपये करने की मांग है। पंढेर ने कहा, “अभी एक महीना (लोकसभा चुनाव में) रह गया है, मोदी जी चाहें तो किसान मज़दूर का दिल जीत सकते हैं। लोगों के दिल खुश हो जाएंगे।”
आंदोलन में किन राज्यों के कुल कितने सगंठन?
किसान मज़दूर संघर्ष कमिटी के नेता सुखविंदर सिंह साभरा ने आंदोलन में शामिल संगठनों के बारे में जानकारी दी। साभरा ने बताया, “पूरे उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पश्चिम और पूर्वी भारत से 200 से ज़्यादा संगठन दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। ये आंदोलन जो अधूरा छोड़कर आए थे, उसको पूरा कराने के लिए दिल्ली की तरफ बढ़ेंगे।” उन्होंने बताया कि नौ राज्यों के किसान संगठन संपर्क में हैं। वो मीटिंग बैठे हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब आंदोलन के लिए तैयार हैं।
दिल्ली पुलिस की भी पूरी तैयारी
किसानों के आंदोलन को लेकर दिल्ली पुलिस सोमवार को दिन भर तैयारी में व्यस्त रही। बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के साथ ट्रैफिक व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी (कानून व्यवस्था) रविंद्र सिंह यादव ने कहा, “आप देख रहे हैं, सब तैयारी कर रहे हैं।” दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बेरिकेड लगाए गए हैं और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। साथ ही दिल्ली को हरियाणा से जोड़ने वाली सीमा पर भी बेरिकेड लगाए गए हैं। टिकरी बॉर्डर पर भी पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। सिंघू बॉर्डर पर बेरिकेड लगाने के साथ सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया है। दिल्ली पूर्वी ज़िला की डीसीपी अपूर्वा गुप्ता ने बताया, “हमारी प्राथमिकता है कि दिल्ली में कहीं भी शांति व्यवस्था भंग न हो। इसके लिए काफी सुरक्षाबल तैनात किया गया है।
हरियाणा में क्या है तैयारी?
हरियाणा में भी आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए पूरी तैयारी की गई है। सरकार के मंत्री और प्रशासन के बड़े अधिकारी सोमवार को दिनभर इंतजामों की समीक्षा करते रहे। हरियाणा पुलिस ने अंबाला के करीब शंभू बॉर्डर पर ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराने की टेस्टिंग की। हरियाणा के प्रिंसपल सेक्रेट्री विजयेंद्र कुमार ने सिरसा पहुंचकर इंतजाम का जायजा लिया। उन्होंने बताया, “हरियाणा के साथ दो राज्यों की सीमा लगी हुई हैं। राजस्थान और पंजाब. मैने ज़िला प्रशासन के इंतजाम को देखा है। एंट्री पर पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं। फ़ोर्स प्रयाप्त तादाद में आ चुकी है। पिछले बार के आंदोलन को देखते हुए जो सीखा था, उससे इस बार के इंतज़ाम काफी पुख्ता हैं। जो सामान लगाया गया है, उसे हिलाना मुश्किल होगा।”
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