किसान को कर्ज नहीं, फसलों के भाव और ग्रामीण युवाओं को नौकरी दे सरकार: राकेश टिकैत

Written by Navnish Kumar | Published on: October 14, 2023
"उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के ग्राम बढ़ेडी स्थित साधन सहकारी समिति में आयोजित प्रथम आम किसान सभा में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार, किसान को कर्ज नहीं बल्कि उसकी फसलों का भाव दे। हमारी प्राथमिकता एमएसपी गारंटी कानून हैं सरकार इसको जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाये। टिकैत ने कहा कि फसलों के दाम नहीं मिल पा रहे। वहीं एमएसपी गारंटी कानून लाने में सरकार हिचक रही है जबकि सब को पता है कि किसान को कर्ज नहीं फसलों के दाम चाहिए। उन्होंने कहा कि आने वाला समय किसान के लिए बेहद कठिन है। ऐसे में हक पाने को किसानों को बड़ा आंदोलन करना होगा।"



खास है कि भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने किसान आंदोलन को और मजबूती देने के लिए गांव का रुख किया है। इसकी शुरुआत बुधवार को मुजफ्फरनगर के बढ़ेडी गांव से की गई। मौका था साधन सहकारी समिति  में पहली आम किसान सभा का। सभा को संबोधित करते हुए भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आने वाला समय किसानों के लिए बेहद कठिन है। देश के बड़े पूंजीपति सरकार से मिलकर खेतों को कब्जाने की जुगत में हैं। किसानों को और कर्ज में डुबोकर ये बैंकों से मिलकर किसानों की जमीनों पर कब्जा करेंगे और आम किसान हाथ पर हाथ धरे रह जाएगा। कहा जमीन किसान की पहचान है। उससे छीनने से बचाना है तो आंदोलन करना होगा। यही नहीं, टिकैत ने कहा कि आंदोलन की रूपरेखा गांव में ही बनानी होगी। गांव की इकाइयों और समितियों को मजबूत किए बिना यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। इसलिए देशभर में गांव-गांव जाकर ट्रैक्टर प्रमुख बनाने का अभियान चलाया जाएगा।

ग्राम स्तर पर भाकियू की समितियों का गठन किया जाएगा और उसी से निकले कर्मठ कार्यकर्ताओं को ब्लॉक, तहसील, जिला और प्रदेश स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। स्थानीय मीडिया के अनुसार, राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि अगर केंद्र में ऐसी सरकार दोबारा बनी तो मीडिया पर भी बंदिश लगेगी और बाकी राजनीतिक पार्टियों में भी टूट-फूट होगी। कोई विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। इसी के साथ खेती-किसानी पर कब्जा करने का षड़यंत्र रचा जाएगा। वहीं सभा को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि शहर में सस्ते मजदूरों की फौज तैयार करने के लिए गांव के किसान को उनकी जमीनें सस्ते में छीनकर उन्हें कृषि मजदूर बनाने का काम किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा, ये काम आज भी हो रहा है। केसीसी यानी किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों को ऋण के जाल में फंसाकर आज भी उनकी जमीनों को नीलाम करने का दुष्चक्र रचा जा रहा है। देश भर के मक्का किसानों को अभी 5 हज़ार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।

राकेश टिकैत ने कहा कि आज फसलों के दाम नहीं मिल पा रहे। वहीं एमएसपी गारंटी कानून लाने में सरकार हिचक रही है जबकि सब को पता है कि किसान को कर्ज नहीं फसलों के दाम चाहिए। ग्रामीण युवाओं को नौकरी चाहिए।



उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि भाकियू की गांव की इकाई को मजबूत करें और खेती-किसानी बचाने की इस अपनी जंग की खुद ही कमान संभालें तभी किसान बिरादरी के साथ मजदूर बिरादरी का भी भला होगा। वरना गांवों को खत्म होते देर नहीं लगेगी। टिकैत ने गांव के युवाओं से सामाजिक बुराईयों को छोड़ शिक्षा, खेल के साथ अपने हकों की लड़ाई लड़ने का भी आह्वान किया।

इससे पहले भाकियू ने राजधानी लखनऊ में भी एक दिनी महापंचायत बुलाई थी। जहां टिकैत ने प्रदेश सरकार को चेताया कि किसानों की मांगें न मानी गईं तो इस बार आर-पार की लड़ाई होगी और आने आने वाले चुनाव में किसान के साथ आम जनता सबक सिखाने का काम करेगी।

टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने वादा किया था कि किसानों को मुफ्त बिजली देंगे, फ्री बिजली तो किसानों को नहीं दी। उल्टे आज किसानों के ट्यूबवेल पर बिजली मीटर जबरन लगाए जा रहे हैं। गन्ना सीजन शुरू होने को है लेकिन गन्ना रेट अब तक घोषित नहीं किया गया। अब गन्ना रेट नहीं बढ़ेगा तो कब बढ़ेगा। आज गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है और उसका ब्याज अलग से बकाया चल रहा है।



डीसीओ दफ्तर पर डाला ताला, कहा- अफसर नहीं सुन रहे किसानों की 

बुढ़ाना मुजफ्फरनगर के भैंसाना स्थित बजाज हिंदुस्थान ग्रुप की शुगर मिल पर बकाया गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर, डीसीओ दफ्तर पर धरना दे रहे किसानों ने दो दिन पहले गुरुवार को डीसीओ दफ्तर में तालाबंदी कर दी। धरने को संबोधित करते हुए भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने चेतावनी दी कि भुगतान नहीं होने पर भैसाना मिल को इस सत्र में गन्ना नहीं दिया जाएगा। धरना लंबा खिंचते देख, किसानों ने जिला गन्ना अधिकारी दफ्तर पर भट्टी भी शुरू कर दी है।

किसानों की विभिन्न समस्याओं और गन्ने के बकाया भुगतान की मांग को लेकर भाकियू जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय पर बीते सोमवार से धरना प्रदर्शन कर रही है। किसान जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय परिसर में ही डटे हुए हैं। गुरुवार को धरने के चौथे दिन यहां पर अच्छी संख्या में किसान जुटे। किसानों के बीच भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत भी पहुंचे। चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि गन्ने का नया सीजन शुरू होने जा रहा है, लेकिन शुगर मिलें किसानों को गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान नहीं कर रही हैं। शामली में आंदोलनरत एक वृद्ध किसान की मौत हो जाने पर भी यह सरकार संवेदनशील नजर नहीं आती है। 

उन्होंने कहा कि इस सरकार को किसानों और मजदूरों के हितों और समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने किसानों से एकजुटता का आह्वान करते हुए कहा कि आज हमें अपने अधिकार के लिए लंबे संघर्ष का संकल्प लेना होगा। कहा जो मिल किसानों का बकाया का भुगतान नहीं करेगी, उस मिल को किसान अब अपनी फसल नहीं देंगे। ऐसे किसानों के लिए जिला प्रशासन डायवर्जन योजना लागू करते हुए दूसरी मिलों को उनके गन्ना आपूर्ति की व्यवस्था करें।

उन्होंने कहा कि सरकार लागत देने की बात करती है, लेकिन अभी तक भी गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया गया है। कुछ गांवों में गन्ना सेंटर को लेकर विवाद है। ऐसे में जिला प्रशासन ग्रामीणों की मांग के अनुसार गन्ना सेंटर बनाने का काम करे। जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होगी, किसान यहां से नहीं उठने वाला है। इस दौरान जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा, युवा मंडल अध्यक्ष विकास शर्मा, नगराध्यक्ष गुलबहार राव, देव अहलावत सहित सैकड़ों किसान मौजूद रहे।

इजरायल- हमास संघर्ष पर भी बोले टिकैत 

टिकैत इजरायल-हमास संघर्ष को लेकर भी बोले। भाकियू प्रवक्ता ने मीडिया को बयान में कहा 'इजरायल और हमास की लड़ाई को लेकर हमारा देश और विपक्ष बंटा हुआ सा लगता है। कहा आज इजरायल से हमारे संबंध अच्छे हैं इसलिए देश पॉलिटिकल रूप से इजरायल के साथ खड़ा है, वही हमारे देश के कुछ लोग दूसरे का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में देश बंटना नहीं चाहिए, फैसला कराने की ताकत अगर हो तो उनके फैसले हो एवं संघर्ष विराम होना चाहिए क्योंकि युद्ध लड़ाई हमेशा हानिकारक होती है और अगर प्रधानमंत्री की बात यही है कि युद्ध विराम हो जाए एवं बातचीत से उनका समझौता हो और विवाद खत्म हो तो उसको करना चाहिए।'

टिकैत ने कहा कि वहां पर जमीन कब्जे का मामला है। कोई जमीन कब्जाना चाहता है तो कोई जमीन छुड़ाना चाहता है तो यह वहां का पुराना विवाद है, कोई कहता है कि हमारी जमीन कब्जा ली हम वहां पर जाएंगे एवं उनको आतंकवादी बताते हैं और वह कहते हैं कि यह हमारी जमीन है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग फिलिस्तीन का समर्थन इसीलिए कर रहे हैं, क्योंकि वह कहते हैं कि इजरायल ने हमारी जमीन कब्जा ली है और हम अपनी जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं, आतंकवादी तो क्या पता कौन है वह लड़ाई लड़ रहा है। कहा ये तो अफगानिस्तान वाले भी आतंकवादी थे और वह देश पर राज कर रहे हैं और यहां नेपाल में भी माओवादी थे लेकिन सत्ता दे दी। कहा चोर को पहरेदार बना दो बहुत बढ़िया सत्ता चलाता है।

टिकैत ने कहा कि आज इजराइल से हमारे अच्छे संबंध हैं तो देश पॉलिटिकल रूप से इजरायल के साथ में खड़ा है। वहीं यहीं के कुछ लोग दूसरे का समर्थन कर रहे हैं तो देश बंटना नहीं चाहिए, फैसला करने की ताकत अगर हो तो उनके फैसले हो एवं संघर्ष विराम होना चाहिए। क्योंकि युद्ध-लड़ाई हमेशा हानिकारक होती है अगर प्रधानमंत्री की बात यही है कि युद्ध विराम हो जाए एवं बातचीत से उनका समझौता हो और विवाद खत्म हो तो कराना चाहिए, ऐसे ही दूसरी जगह रूस वाला एक मामला चल रहा है। एक साल हो गया है वहां पर भी यही मामला है तो भारत को जो भूमिका निभानी चाहिए वो आपस में समझौतेवादी भूमिका होनी चाहिए।

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