राजस्थान के सीकर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद अमरा राम ने लोकसभा में बजट सत्र के बाद जारी आम चर्चा के दौरान किसान और एमएसपी का मुद्दा उठाया।
बजट सत्र पर चर्चा के दौरान इंडिया गठबंधन से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद अमरा राम ने कहा कि माननीय सभापति, देश का किसान, देश का जवान और महिलाएं जिस तरह की उम्मीद कर रही थीं, यह बजट उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है। उन्होंने कहा कि देश का किसान आजादी के सत्तर साल बाद भी कृषि संकट के चलते आत्महत्या कर रहा है, इससे बड़ी बात नहीं हो सकती। मैं समझता हूं कि आजादी से पहले जब अंग्रेजों का शासन था और राजशाही थी उस वक्त भी किसान आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाता था लेकिन आज वह मौत को गले लगा रहा है इससे बड़ी बात नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि किसान अपनी पैदावार पर एमएसपी मांग रहा है, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मांग रहा है उसे भी देने के लिए सरकार तैयार नहीं है। जिस जगह से हमारे कृषि मंत्री आते हैं वहां किसानों ने 100 रुपये किलो का बीज लेकर लहसुन बोया था लेकिन जब उसे बेचने की बारी आई तो उसे कोई 5 रुपये किलो भी लेने को तैयार नहीं था। लेकिन जब किसान अपना हक मांगने गया तो मंदसौर में उन्होंने किसानों को गोली देने का काम किया और मंदसौर में पांच किसानों को मौत के घाट उतार दिया।
किसान से 5 रुपये में फसल खरीदकर 300 रुपये में बेच रहे उद्योगपति
बजट सत्र पर चर्चा के दौरान इंडिया गठबंधन से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद अमरा राम ने कहा कि माननीय सभापति, देश का किसान, देश का जवान और महिलाएं जिस तरह की उम्मीद कर रही थीं, यह बजट उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है। उन्होंने कहा कि देश का किसान आजादी के सत्तर साल बाद भी कृषि संकट के चलते आत्महत्या कर रहा है, इससे बड़ी बात नहीं हो सकती। मैं समझता हूं कि आजादी से पहले जब अंग्रेजों का शासन था और राजशाही थी उस वक्त भी किसान आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाता था लेकिन आज वह मौत को गले लगा रहा है इससे बड़ी बात नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि किसान अपनी पैदावार पर एमएसपी मांग रहा है, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मांग रहा है उसे भी देने के लिए सरकार तैयार नहीं है। जिस जगह से हमारे कृषि मंत्री आते हैं वहां किसानों ने 100 रुपये किलो का बीज लेकर लहसुन बोया था लेकिन जब उसे बेचने की बारी आई तो उसे कोई 5 रुपये किलो भी लेने को तैयार नहीं था। लेकिन जब किसान अपना हक मांगने गया तो मंदसौर में उन्होंने किसानों को गोली देने का काम किया और मंदसौर में पांच किसानों को मौत के घाट उतार दिया।
किसान से 5 रुपये में फसल खरीदकर 300 रुपये में बेच रहे उद्योगपति
बिचौलिए, उद्योगपतियों और सरकार की उदासीनता पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ''किसान जो फसल 15 रुपये किलो में बेचता है उसे आगे जाकर 300 रुपये किलो में बेचा जाता है तब तो देश विकास करता है लेकिन अगर किसान को थोड़ा मुनाफा जोड़कर उसकी लागत दे दी जाए तो देश विनाश कर देगा। मैं जहां सीकर से आता हूं वहां प्याज पैदा होता है। जब किसान पैदा करके लाता है तब पांच रुपये में लेने वाला कोई पैदा नहीं होता। और जब वो ही प्याज बड़ी बड़ी कंपनियों के गोदामों में चला जाता है तो वही प्याज 65 और 70 रुपये में बिकता है। आम आदमी जब 65 और 70 रुपये में खरीदकर खाता है तब देश विकास करता है। किसान को भाव नहीं मिलेगा, उसे दाम नहीं मिलेगा।''
किसान के दूध से ज्यादा महंगा उद्योगपति का पानी
उन्होंने आगे कहा कि ''दूध का उत्पादन करके किसान देश को दूध पिलाता है, मक्खन खिलाता है लेकिन आज हालत ये है कि इस देश के किसान का दूध और कंपनी का पानी बराबर रेट में बिक रहे हैं और हम कहते हैं कि यह देश के साथ न्याय है लेकिन मैं समझता हूं कि इससे बड़ा अन्याय नहीं हो सकता। आज 36 रुपये में दूध दिया जाता है और 30 रुपये और 40 रुपये में पानी मिलता है तो सरकार में बैठे लोग कहते हैं कि हम किसान के साथ न्याय कर रहे हैं लेकिन मैं समझता हूं कि इससे बड़ा अन्याय नहीं हो सकता। ये सरकार बनते ही भूमि अध्यादेश लेकर आई, इस देश का किसान मरा, अध्यादेश पास नहीं कर पाए। फिर काले कानून लेकर आए, एक साल से ज्यादा समय तक इस पूरे देश का किसान लड़ता रहा, आखिर में काले कानून वापस लेने पड़े। लेकिन इस देश की सरकार ने 9 अगस्त 2021 को लिखकर दिया था कि हम किसानों को एमएसपी देंगे। सरकार ने ये मान लिया था कि ये आंदोलन सच था। ये जो दूसरी तरफ बैठे हुए लोग हैं इन्होंने किसानों को आतंकवादी कहा लेकिन आखिर में मान लिया कि किसान सही थे और इन्होंने किसानों पर लगे झूठे मुकदमे वापस लेने और 700 से ज्यादा शहीद हुए किसानों के परिजनों को आर्थिक पैकेज देने का आश्वासन दिया लेकिन सभापति महोदय इन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया। न तो शहीद किसानों को पैकेज दिया गया न ही दिल्ली पुलिस ने किसानों पर लगाया गया एक भी केस वापस लिया है।''
किसान को एमएसपी देने के वादे से मुकर रही सरकार
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार के 2021 के वादे को लेकर भी उन्होंने मोदी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ''जहां हम एमएसपी की बात करते हैं मैं समझता हूं, राजस्थान सबसे ज्यादा बाजरा पैदा करता है। अभी 2500 रुपये एमएसपी थी अभी सरकार ने 150 रुपये बढ़ाकर 2650 रुपये किया है। लेकिन हमारी वित्त मंत्री जी बता दें कि एक भी क्विंटल बाजरा सरकार द्वारा खरीदा गया हो। ये किसान सम्मान निधि की बात करते हैं लेकिन राजस्थान के बाजरा किसान का ही बड़ा नुकसान किया है। ये हालत एक जगह नहीं है, हर फसल में जहां तक सरकार कहती है हम दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर करेंगे, मैं समझता हूं कि आज भी देश की सरकार विदेशी दाल के लिए ज्यादा दाम दे सकती है लेकिन यहां के किसान को बढ़ा हुआ भाव नहीं देगी। जब सरसों और चना खरीदने की बात आती है तो देश की सरकार कहती है कि हम 25 क्विंटल से ज्यादा नहीं खरीदेंगे लेकिन अगर 50 क्विंटल किसी का हो गया तो वो 25 क्विंटल आपके यहां बेचेगा और 25 क्विंटल बाजार में ले जाकर बेचेगा। मैं समझता हूं किसान की इससे भयानक हालत नहीं हो सकती।''
फर्टिलाइजर पर बजट घटाया
अमरा राम ने फर्टीलाइजर के बढ़ते दाम और बजट कटौती को लेकर भी सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि ''आज बजट में 24894 करोड़ की कटौती की गई है। जो डीएपी 400 रुपये में मिलती थी वो अब 1400 की मिल रही है। जो 50 किलो मिलती थी वो आज 45 किलो मिलती है। जो डीजल 50 रुपये में मिलता था वो आज 95 रुपये में मिलता है। खाद हो, बीज हो या डीजल हो सब कंपनियां मालामाल हैं और इन्हें इस्तेमाल करने वाला किसान निश्चित रूप से बेहाल है।''
मनरेगा में 100 दिन की गारंटी पर सवाल
इस बजट में मनरेगा में जहां 86 हजार करोड़ रुपया अलॉट किया गया है, इन चार महीनों में 41 हजार करोड़ रुपया खत्म हो गया है। आज मंत्री जी कह रहे थे कि हम 100 दिन का काम दे रहे हैं लेकिन एक भी राज्य ऐसा नहीं है जहां काम मांगने वालों को 100 दिन का काम मिल रहा हो। इसमें महिलाएं सबसे ज्यादा 90 प्रतिशत जाती हैं जिनमें 70 से 80 प्रतिशत महिलाएं एससी, एसटी और ओबीसी की होती हैं। उनको इस देश की संसद में बनाए गए कानून में 100 दिन के काम की गारंटी है लेकिन उनको काम नहीं दिया जाता। उनको समय पर मजदूरी नहीं दी जाती।
राजस्थान में पेयजल किल्लत पर भी बरसे अमरा राम
लोकसभा सांसद ने राजस्थान में पानी की किल्लत का भी मामला उठाया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में 13 जिलों के लिए एक आरसीपी योजना थी। लेकिन वहां की सरकार कह रही है कि अब केंद्रीय परियोजना है लेकिन उसके लिए भी बजट में कोई आवंटन नहीं किया गया है और उसका नाम तक नहीं है। राजस्थान में पीने के लिए पानी की भी गंभीर समस्या है लेकिन सरकार की नजर में नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि सीकर और शेखावाटी से सबसे ज्यादा जवान देश के लिए शहादत देते हैं लेकिन ये सरकार अग्निवीर योजना लेकर आ गई और अब कहती है कि चार साल बाद हम उन्हें पुलिस आदि में भर्ती करेंगे। अंत में उन्होंने कहा कि इस बजट का एक ही उद्देश्य है- सरकार बचाओ, उद्योगपति बढ़ाओ और रोजगार खत्म करो।
कौन हैं अमरा राम
अमरा राम ने लोकसभा चुनाव 2024 में माकपा पार्टी से सीकर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ा था। माकपा से अमरा राम चुनावी मैदान में थे। भाजपा से दो बार के लगातार सांसद सुमेधानंद सरस्वती को इस चुनाव में हराया। वे 2013 से 2017 तक ऑल इंडिया किसान महासभा के उपाध्यक्ष रहे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से राजस्थान विधानसभा में 1999 से 2013 तक विधायक भी रह चुके हैं और 2014 से माकपा की राजस्थान इकाई के राज्य सचिव भी हैं।
सांसद अमरा राम की बजट पर पूरी स्पीच यहां सुन सकते हैं
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