आईआईएसईआर कोलकाता के छात्रों ने शनिवार 9 अगस्त को संस्थान की एंटी-रैगिंग समिति के सदस्यों के खिलाफ जांच की मांग की। छात्रों का आरोप है कि समिति ने अप्रैल में शोध छात्रा अनामित्रा रॉय द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने गुरुवार 7 अगस्त की रात आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाया।

फोटो साभार : द टेलिग्राफ
आईआईएसईआर कोलकाता के छात्रों ने शनिवार, 9 अगस्त को संस्थान की एंटी-रैगिंग समिति के सदस्यों के खिलाफ जांच की मांग की।
द टेलीग्राफ के अनुसार, छात्रों ने आरोप लगाया कि अप्रैल में शोध छात्र अनामित्रा रॉय द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर एंटी-रैगिंग समिति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसके चलते उन्होंने गुरुवार, 7 अगस्त की रात आत्महत्या कर ली।
आईआईएसईआर के छात्रों ने एंटी-रैगिंग समिति को तुरंत भंग करने की मांग की है, साथ ही उन्होंने अनामित्रा रॉय की मृत्यु में कथित लापरवाही के लिए समिति के सदस्यों से सार्वजनिक माफी की भी मांग की है।
छात्रों ने तीसरे वर्ष के पीएचडी स्कॉलर की मृत्यु की जांच के लिए बाहरी विशेषज्ञों और एक छात्र प्रतिनिधि को शामिल करते हुए एक विशेष जांच समिति के गठन की भी मांग की है।
छात्रों का आरोप है कि वरिष्ठ शोध छात्र सौरभ बिस्वास, जिन्हें अपनी पर्यवेक्षक अनिंदिता भद्रा का संरक्षण प्राप्त था, ने अनामित्रा रॉय के साथ बार-बार दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकाया।
सूत्रों के अनुसार, संस्थान ने अब एम्स कल्याणी के एक प्रतिनिधि सहित आंतरिक और बाहरी सदस्यों को मिलाकर एक फैक्ट-फाइंडिंग समिति का गठन किया है, जिसे सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
इस संबंध में आईआईएसईआर के प्रवक्ता ने जांच समिति से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया।
वहीं ये बात सामने आई है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय भी फैक्ट फाइंडिंग टीम भेज सकता है।
गौरतलब है कि शनिवार को छात्रों ने 16 सूत्रीय मांगों वाला एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें प्रोफेसरों और कर्मचारियों के लिए एक अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति के गठन, बिस्वास की पीएचडी थीसिस में कथित वैज्ञानिक कदाचार की जांच के लिए एक बाहरी पैनल के गठन-जैसा कि मृतक अनामित्रा रॉय ने अपनी आत्महत्या से पहले फेसबुक पोस्ट में उल्लेख किया था-और 2022 में शोधार्थी सुभादीप रॉय की आत्महत्या की पुनः जांच जैसी मांगें शामिल थीं।
उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर शनिवार को परिसर में विरोध प्रदर्शन उस समय तेज हो गया, जब छात्रों ने एम्स कल्याणी में पोस्टमार्टम के बाद अनामित्रा रॉय के पार्थिव शरीर को मोहनपुर स्थित आईआईएसईआर के अनुसंधान परिसर में लाया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था की आशंका के चलते पुलिस को परिसर में बुला लिया।
एक वरिष्ठ शोधार्थी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्र मामलों के निदेशक (डीओएसए), जो अपने पद के चलते एंटी-रैगिंग समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने रॉय की शिकायत को गंभीरता से लेने की जहमत नहीं उठाई। यह केवल अक्षमता ही नहीं, बल्कि उदासीनता भी है, क्योंकि लापरवाही के आरोप न केवल एक वरिष्ठ शोधार्थी पर थे, बल्कि पर्यवेक्षक पर भी, जो संयोगवश उनकी पत्नी हैं।’
‘रैगिंग के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी’
एक अन्य छात्र ने कहा, ‘डीओएसए और एंटी-रैगिंग समिति के अध्यक्ष को रैगिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए था और शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित छात्र से संपर्क कर एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, रैगिंग की हर शिकायत पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है, चाहे पीड़ित या संस्थान आंतरिक उपायों से संतुष्ट हो या न हो।
इस मामले पर कलकत्ता के एक वकील ने कहा, ‘एफआईआर दर्ज न करना या संस्थागत अधिकारियों द्वारा जानबूझकर की गई देरी को गंभीर लापरवाही माना जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अनुकरणीय और कड़े दंड की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
आईआईएसईआर कोलकाता के डीओएसए एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं आउटरीच के डीन, अयान बनर्जी ने पुलिस की चल रही जांच का हवाला देते हुए रॉय की मौत पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
एंटी-रैगिंग समिति के एक सदस्य ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर दावा किया कि रॉय की शिकायत में ‘रैगिंग’ का स्पष्ट उल्लेख नहीं था।"
सदस्य ने कहा, ‘उनकी शिकायत में ‘रैगिंग’ शब्द स्पष्ट रूप से नहीं था, इसलिए रैगिंग के आरोपों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। फिर भी, शिकायत को गंभीरता से लिया गया और पर्यवेक्षक को मौखिक रूप से समस्या का समाधान करने की सलाह दी गई। चूंकि शिकायत अप्रैल में दर्ज की गई थी और इसके बाद कोई नया मामला सामने नहीं आया, इसलिए माना गया कि समस्या सुलझ गई है। दुर्भाग्यवश, वास्तविक स्थिति इससे अलग थी, जो हमारी जानकारी से बाहर थी।’
हालांकि, छात्रों और पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया।
आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप
शनिवार को रॉय के चचेरे भाई ऋषिकेश रॉय ने बिस्वास और भद्रा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में हरिणघाटा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
इस संबंध में ऋषिकेश ने बताया, ‘दोनों ने अनामित्रा को बुरी तरह परेशान किया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। यह कोई साधारण आत्महत्या का मामला नहीं है। उसने स्पष्ट रूप से बताया था कि उसने अपनी जान क्यों दी।’
पीड़िता के एक रिश्तेदार ने आरोप लगाया कि आईआईएसईआर के अधिकारी स्थिति की गलत व्याख्या कर रहे हैं और अनामित्रा के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाकर मामले से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर एफआईआर दर्ज करने में असफल रहे हैं।
रिश्तेदार ने कहा, ‘अगर ऐसा है भी, तो भी उन्होंने कभी उसकी बीमारी का ध्यान रखने की जहमत नहीं उठाई।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रैगिंग की हर घटना के लिए स्थानीय पुलिस में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। इस मामले में, आईआईएसईआर की ओर से डीओएसए को एफआईआर दर्ज कराना आवश्यक था और वह केवल पर्यवेक्षक की टिप्पणियों पर निर्भर नहीं रह सकता था। यह स्पष्ट रूप से लापरवाही है।’
शनिवार को छात्रों ने रॉय के पार्थिव शरीर के साथ परिसर में न्याय और प्रशासन के रवैये में बदलाव की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
उल्लेखनीय है कि उत्तर 24 परगना के श्यामनगर स्थित साहेबबागन उनके घर ले जाए जाने से पहले रॉय के पार्थिव शरीर को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए लगभग 500 छात्र शोध परिसर में इकट्ठा हुए।
एंटी-रैगिंग समिति के भंग और नई जांच टीम के गठन की घोषणा
दोपहर बाद आईआईएसईआर कोलकाता के निदेशक सुनील कुमार खरे ने रवींद्रनाथ टैगोर सभागार में छात्रों को संबोधित किया।
उन्होंने कथित रूप से एंटी-रैगिंग समिति की ‘चूक’ को स्वीकार किया और छात्रों की चिंताओं का पूरी तरह समर्थन किया।
उन्होंने एंटी-रैगिंग समिति को भंग करने और एक नई जांच टीम के गठन की घोषणा की, जिसमें आईआईएसईआर या समकक्ष संस्थान से निदेशक स्तर से नीचे का एक अधिकारी तथा एक छात्र प्रतिनिधि शामिल होंगे।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण केंद्र का पुनर्गठन किया जाएगा।
खरे ने अखबार द्वारा संपर्क करने पर विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन फोन काटने से पहले कहा, ‘मैं बहुत तनावपूर्ण स्थिति में हूं।
इससे पहले, राज्य समिति सचिव देबांजन डे के नेतृत्व में एसएफआई के एक प्रतिनिधिमंडल ने हरिणघाटा पुलिस स्टेशन में शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की।
डे ने रॉय की मौत को ‘संस्थागत लापरवाही’ करार दिया और एंटी-रैगिंग समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, ‘यह चौंकाने वाली बात है कि समिति के अध्यक्ष ने छात्र को व्यक्तिगत रूप से बुलाकर आरोपों की जांच करने की भी जहमत नहीं उठाई। ऐसी चूक को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’
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फोटो साभार : द टेलिग्राफ
आईआईएसईआर कोलकाता के छात्रों ने शनिवार, 9 अगस्त को संस्थान की एंटी-रैगिंग समिति के सदस्यों के खिलाफ जांच की मांग की।
द टेलीग्राफ के अनुसार, छात्रों ने आरोप लगाया कि अप्रैल में शोध छात्र अनामित्रा रॉय द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर एंटी-रैगिंग समिति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसके चलते उन्होंने गुरुवार, 7 अगस्त की रात आत्महत्या कर ली।
आईआईएसईआर के छात्रों ने एंटी-रैगिंग समिति को तुरंत भंग करने की मांग की है, साथ ही उन्होंने अनामित्रा रॉय की मृत्यु में कथित लापरवाही के लिए समिति के सदस्यों से सार्वजनिक माफी की भी मांग की है।
छात्रों ने तीसरे वर्ष के पीएचडी स्कॉलर की मृत्यु की जांच के लिए बाहरी विशेषज्ञों और एक छात्र प्रतिनिधि को शामिल करते हुए एक विशेष जांच समिति के गठन की भी मांग की है।
छात्रों का आरोप है कि वरिष्ठ शोध छात्र सौरभ बिस्वास, जिन्हें अपनी पर्यवेक्षक अनिंदिता भद्रा का संरक्षण प्राप्त था, ने अनामित्रा रॉय के साथ बार-बार दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकाया।
सूत्रों के अनुसार, संस्थान ने अब एम्स कल्याणी के एक प्रतिनिधि सहित आंतरिक और बाहरी सदस्यों को मिलाकर एक फैक्ट-फाइंडिंग समिति का गठन किया है, जिसे सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
इस संबंध में आईआईएसईआर के प्रवक्ता ने जांच समिति से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया।
वहीं ये बात सामने आई है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय भी फैक्ट फाइंडिंग टीम भेज सकता है।
गौरतलब है कि शनिवार को छात्रों ने 16 सूत्रीय मांगों वाला एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें प्रोफेसरों और कर्मचारियों के लिए एक अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति के गठन, बिस्वास की पीएचडी थीसिस में कथित वैज्ञानिक कदाचार की जांच के लिए एक बाहरी पैनल के गठन-जैसा कि मृतक अनामित्रा रॉय ने अपनी आत्महत्या से पहले फेसबुक पोस्ट में उल्लेख किया था-और 2022 में शोधार्थी सुभादीप रॉय की आत्महत्या की पुनः जांच जैसी मांगें शामिल थीं।
उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर शनिवार को परिसर में विरोध प्रदर्शन उस समय तेज हो गया, जब छात्रों ने एम्स कल्याणी में पोस्टमार्टम के बाद अनामित्रा रॉय के पार्थिव शरीर को मोहनपुर स्थित आईआईएसईआर के अनुसंधान परिसर में लाया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था की आशंका के चलते पुलिस को परिसर में बुला लिया।
एक वरिष्ठ शोधार्थी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्र मामलों के निदेशक (डीओएसए), जो अपने पद के चलते एंटी-रैगिंग समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने रॉय की शिकायत को गंभीरता से लेने की जहमत नहीं उठाई। यह केवल अक्षमता ही नहीं, बल्कि उदासीनता भी है, क्योंकि लापरवाही के आरोप न केवल एक वरिष्ठ शोधार्थी पर थे, बल्कि पर्यवेक्षक पर भी, जो संयोगवश उनकी पत्नी हैं।’
‘रैगिंग के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी’
एक अन्य छात्र ने कहा, ‘डीओएसए और एंटी-रैगिंग समिति के अध्यक्ष को रैगिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए था और शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित छात्र से संपर्क कर एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, रैगिंग की हर शिकायत पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है, चाहे पीड़ित या संस्थान आंतरिक उपायों से संतुष्ट हो या न हो।
इस मामले पर कलकत्ता के एक वकील ने कहा, ‘एफआईआर दर्ज न करना या संस्थागत अधिकारियों द्वारा जानबूझकर की गई देरी को गंभीर लापरवाही माना जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अनुकरणीय और कड़े दंड की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
आईआईएसईआर कोलकाता के डीओएसए एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं आउटरीच के डीन, अयान बनर्जी ने पुलिस की चल रही जांच का हवाला देते हुए रॉय की मौत पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
एंटी-रैगिंग समिति के एक सदस्य ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर दावा किया कि रॉय की शिकायत में ‘रैगिंग’ का स्पष्ट उल्लेख नहीं था।"
सदस्य ने कहा, ‘उनकी शिकायत में ‘रैगिंग’ शब्द स्पष्ट रूप से नहीं था, इसलिए रैगिंग के आरोपों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। फिर भी, शिकायत को गंभीरता से लिया गया और पर्यवेक्षक को मौखिक रूप से समस्या का समाधान करने की सलाह दी गई। चूंकि शिकायत अप्रैल में दर्ज की गई थी और इसके बाद कोई नया मामला सामने नहीं आया, इसलिए माना गया कि समस्या सुलझ गई है। दुर्भाग्यवश, वास्तविक स्थिति इससे अलग थी, जो हमारी जानकारी से बाहर थी।’
हालांकि, छात्रों और पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया।
आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप
शनिवार को रॉय के चचेरे भाई ऋषिकेश रॉय ने बिस्वास और भद्रा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में हरिणघाटा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
इस संबंध में ऋषिकेश ने बताया, ‘दोनों ने अनामित्रा को बुरी तरह परेशान किया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। यह कोई साधारण आत्महत्या का मामला नहीं है। उसने स्पष्ट रूप से बताया था कि उसने अपनी जान क्यों दी।’
पीड़िता के एक रिश्तेदार ने आरोप लगाया कि आईआईएसईआर के अधिकारी स्थिति की गलत व्याख्या कर रहे हैं और अनामित्रा के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाकर मामले से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर एफआईआर दर्ज करने में असफल रहे हैं।
रिश्तेदार ने कहा, ‘अगर ऐसा है भी, तो भी उन्होंने कभी उसकी बीमारी का ध्यान रखने की जहमत नहीं उठाई।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रैगिंग की हर घटना के लिए स्थानीय पुलिस में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। इस मामले में, आईआईएसईआर की ओर से डीओएसए को एफआईआर दर्ज कराना आवश्यक था और वह केवल पर्यवेक्षक की टिप्पणियों पर निर्भर नहीं रह सकता था। यह स्पष्ट रूप से लापरवाही है।’
शनिवार को छात्रों ने रॉय के पार्थिव शरीर के साथ परिसर में न्याय और प्रशासन के रवैये में बदलाव की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
उल्लेखनीय है कि उत्तर 24 परगना के श्यामनगर स्थित साहेबबागन उनके घर ले जाए जाने से पहले रॉय के पार्थिव शरीर को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए लगभग 500 छात्र शोध परिसर में इकट्ठा हुए।
एंटी-रैगिंग समिति के भंग और नई जांच टीम के गठन की घोषणा
दोपहर बाद आईआईएसईआर कोलकाता के निदेशक सुनील कुमार खरे ने रवींद्रनाथ टैगोर सभागार में छात्रों को संबोधित किया।
उन्होंने कथित रूप से एंटी-रैगिंग समिति की ‘चूक’ को स्वीकार किया और छात्रों की चिंताओं का पूरी तरह समर्थन किया।
उन्होंने एंटी-रैगिंग समिति को भंग करने और एक नई जांच टीम के गठन की घोषणा की, जिसमें आईआईएसईआर या समकक्ष संस्थान से निदेशक स्तर से नीचे का एक अधिकारी तथा एक छात्र प्रतिनिधि शामिल होंगे।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण केंद्र का पुनर्गठन किया जाएगा।
खरे ने अखबार द्वारा संपर्क करने पर विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन फोन काटने से पहले कहा, ‘मैं बहुत तनावपूर्ण स्थिति में हूं।
इससे पहले, राज्य समिति सचिव देबांजन डे के नेतृत्व में एसएफआई के एक प्रतिनिधिमंडल ने हरिणघाटा पुलिस स्टेशन में शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की।
डे ने रॉय की मौत को ‘संस्थागत लापरवाही’ करार दिया और एंटी-रैगिंग समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, ‘यह चौंकाने वाली बात है कि समिति के अध्यक्ष ने छात्र को व्यक्तिगत रूप से बुलाकर आरोपों की जांच करने की भी जहमत नहीं उठाई। ऐसी चूक को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’
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