तिरुनेलवेली में दलित टेकनीशियन की ऑनर किलिंग में न्याय की मांग को लेकर NCSC के समक्ष याचिका दायर

Written by sabrang india | Published on: August 9, 2025
कविन सेल्वा गणेश की बेरहमी से जातीय हत्या को लेकर तमिलनाडु में हड़कंप मच गया है। इस मामले में एक याचिका में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) से मांग की गई है कि वह एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाए और FIR में नामित सब-इंस्पेक्टर्स की गिरफ्तारी सुनिश्चित करे।


Image: ndtv.com

पृष्ठभूमि

थूथुकुड़ी जिले के एरल के पास अरुमुगमंगलम गांव के रहने वाले 27 वर्षीय दलित सॉफ्टवेयर इंजीनियर कविन सेल्व गणेश की दिनदहाड़े तिरुनेलवेली के केटीसी नगर में 28 जुलाई 2025 को धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। आरोपी एस. सुरजीत (21वर्ष) ने कथित रूप से अपनी बहन सुभाषिनी (जो एक सिद्धा चिकित्सक हैं) के साथ कविन के संबंधों को लेकर उस पर दरांती से हमला किया। कविन और सुबाशिनी लंबे समय से अंतरजातीय रिश्तों में थे, जिसका सुरजीत और उसका परिवार, जो प्रभावशाली मरवर समुदाय (एमबीसी) से ताल्लुक रखते हैं, कड़ा विरोध कर रहे थे।

सुरजीत सिर्फ एक आम नागरिक नहीं है बल्कि वह तमिलनाडु सशस्त्र पुलिस के दो सेवारत सब-इंस्पेक्टरों, सरवनन और कृष्णकुमारी, का बेटा है। इन दोनों को भी प्राथमिकी (FIR) में सह-आरोपी के रूप में नामजद किया गया है। इसके बावजूद, इस दंपति को सिर्फ निलंबित किया गया है, गिरफ्तार नहीं किया गया, जिससे जनता में भारी नाराजगी है। यह मामला अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 2015 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।

कविन की मां एस. तमीज़सेल्वी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उनके अनुसार उनके बेटे को आरोपी के परिवार से बार-बार धमकियां मिल रही थीं। घटना वाले दिन, सुरजीत ने कथित तौर पर कविन को उसके माता-पिता से मिलने की इच्छा के बहाने बुलाया और फिर उस पर दरांती से बेरहमी से हमला कर दिया, उसका पीछा करते हुए सुभाषिनी के अस्पताल से 200 मीटर से भी कम दूरी पर उसकी हत्या कर दी। प्रत्यक्षदर्शी, सीसीटीवी फुटेज और कई मीडिया रिपोर्ट्स इन विवरणों की पुष्टि करते हैं।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) में दायर याचिका

30 जुलाई, 2025 को, विधि छात्र शैलेंद्र कार्तिकेयन ने कविन सेल्वा गणेश की जाति-आधारित हत्या में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में एक नागरिक याचिका पेश की। उन्होंने अध्यक्ष के निजी सचिव से मुलाकात की और प्रेस क्लिपिंग सहित विस्तृत दस्तावेज प्रस्तुत किए। बातचीत के दौरान, याचिकाकर्ता को बताया गया कि आयोग ने मामले का स्वतः संज्ञान ले लिया है।

हालांकि नई प्रस्तुत याचिका को कोई औपचारिक संख्या नहीं दी गई थी, फिर भी आयोग ने रिप्रेजेंटेंशन स्वीकार कर लिया। याचिकाकर्ता ने आयोग से आग्रह किया कि वह इस मामले को बेहद तत्परता से देखे और अपनी कार्यवाही में निम्नलिखित मांगें शामिल करे:

1. आरोपी के माता-पिता सब-इंस्पेक्टर सरवनन और कृष्णकुमारी का नाम एफआईआर में दर्ज है, उनकी तत्काल गिरफ्तारी की जाए।

2. जातिगत पूर्वाग्रह और पुलिस की मिलीभगत की भूमिका की जांच के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का गठन किया जाए।

3. एनसीएससी द्वारा जांच और अभियोजन की निरंतर निगरानी, जिसमें राज्य सरकार से नियमित स्थिति रिपोर्ट शामिल है।

4. पीड़ित परिवार को जो अभी भी बदले के डर में जा रहा है उसे सुरक्षा दी जानी चाहिए ताकि वे बिना डर के गवाही दे सकें।

याचिका यहां देखी जा सकती है:



गिरफ्तारी, CB-CID को जांच सौंपना और शव को स्वीकार करना

एक अहम मोड़ में मुख्य आरोपी सुरजीत के पिता और सेवारत सब-इंस्पेक्टर सरवनन को तमिलनाडु पुलिस ने कविन सेल्वा गणेश की जातीय हत्या के मामले में गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) में एक याचिका दायर की गई, हालांकि यह साफ नहीं है कि गिरफ्तारी और याचिका का सीधा संबंध है या नहीं। मामले की गंभीरता और निष्पक्ष जांच की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे CB-CID को सौंप दिया गया है। सरवनन की गिरफ्तारी के बाद, कविन के परिवार ने अपना पांच दिन से चल रहा विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया और तिरुनेलवेली गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल से उनका शव स्वीकार कर लिया। इस दौरान मंत्री के.एन. नेहरू और कलेक्टर आर. सुकुमार ने भी श्रद्धांजलि दी। गौरतलब है कि इससे पहले परिवार ने राज्य सरकार द्वारा दी जा रही 6 लाख रुपये की मुआवजे की पेशकश ठुकरा दी थी, यह कहते हुए कि उन्हें पैसे नहीं, इंसाफ चाहिए और FIR में नामित दोनों पुलिस अधिकारियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की थी।

नेताओं की चुप्पी बेहद चौंकाने वाली

तमिलनाडु की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रिया इस गंभीर घटना पर लगभग खामोश रही है, जिसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीखी आलोचना की है। अब तक सिर्फ वीसीके (थोल थिरुमावलवन), एनटीके (सीमन) और पुथिया तमिझगम पार्टी के के. कृष्णासामी ने ही खुले तौर पर बयान देकर ऑनर किलिंग रोकने के लिए अलग कानून बनाने की मांग की है। वहीं, सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों की चुप्पी ने दलित समुदाय की आवाज को और ज्यादा कमजोर कर दिया है।

एक व्यापक पैटर्न

यह कोई इकलौती घटना नहीं है। तमिलनाडु में जातिगत ऑनर किलिंग की चिंताजनक घटनाएं देखी गई है जहां 2016 में उदुमलपेट के शंकर की हत्या से लेकर हाल के कडलूर और कृष्णगिरी के मामलों तक दर्ज की गई हैं। इनमें से ज्यादातर मामलों में इंसाफ में देरी हुई है और अक्सर पुलिस की पक्षपातपूर्ण भूमिका भी साफ दिखाई देती है।

कविन सेल्वा गणेश की हत्या इस बात की हकीकत है कि इस देश में जाति ही तय करती है कि कौन प्यार कर सकेगा, कौन जिंदा रह पाएगा और कौन हत्या करने के बाद बच जाएगा।

Related

कानून के दलित छात्र सोमनाथ सूर्यवंशी की कस्टडी में मौत: बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखने के बाद FIR दर्ज

छात्र संगठनों ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल पर हिरासत में क्रूर यातना का आरोप लगाया

बाकी ख़बरें