UP: गन्ना भुगतान और भाव घोषित न होने से किसान नाराज, भाकियू टिकैत ने मुजफ्फरनगर में ताना तंबू

Written by Navnish Kumar | Published on: February 1, 2023
"आधा सीजन बीत जाने के बाद भी गन्ना भाव घोषित न होने और गत वर्ष के बकाया भुगतान को लेकर, यूपी के किसान परेशान हैं। उन्हें यही पता नहीं कि क्या भाव मिलेगा। दूसरा कई चीनी मिलों ने अभी गत वर्ष का भी  भुगतान नहीं किया है जिसे लेकर प्रदेश भर में किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। रालोद ने वेस्ट यूपी में पत्र अभियान शुरू किया है तो भाकियू टिकैत ने मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में तंबू तान दिया है।"



उत्तर प्रदेश में वर्तमान गन्ना पेराई सत्र 2022-23 आधे रास्ते के करीब है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक गन्ने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (SAP) की घोषणा नहीं की है। चीनी मिलें पिछले गन्ना पेराई सत्र 2021-22 के लिए निर्धारित एसएपी के अनुसार ही गन्ना किसानों को भुगतान कर रही हैं। हालांकि यूपी के गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा है कि जल्द ही इसे लेकर फैसला लिया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ एसएपी को लेकर रालोद किसानों के बीच अभियान चलाने में जुटा हुआ है।

एसएपी की घोषणा नहीं करने के लिए भाजपा सरकार पर हमला करने वाले सपा व रालोद गठबंधन समेत विपक्षी दलों के साथ यह मुद्दा राजनीतिक रूप ले रहा है। उधर मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संकेत यह भी मिल रहे हैं कि मौजूदा पेराई सत्र में गन्ने के लिए एसएपी की घोषणा हो ही नहीं, गत वर्ष का ही एसएपी लागू रहे। चीनी मिलों के द्वारा अभी गत वर्ष के हिसाब से ही किसानों को भुगतान किया भी जा रहा है। हालांकि बढ़ती लागत के मद्देनजर किसानों को वर्तमान पेराई सत्र में भाव में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

खास है कि उत्तर प्रदेश में गन्ने के लिए एसएपी, हरियाणा और पंजाब के बाद देश में तीसरे स्थान पर है। पंजाब में सर्वाधिक 382 रूपये कुंतल का रेट है जबकि हरियाणा में हाल ही में 372 रूपये का रेट घोषित किया गया है। जबकि यूपी में 350 रूपये कुंतल का रेट है। यानी यूपी में हरियाणा पंजाब से क्रमश: 20 और 30 रूपये प्रति कुंतल तक कम रेट है। यह भी तब है जब यूपी में गन्ने की रिकवरी (प्रति कुंतल गन्ने से बनने वाली चीनी की मात्रा) हरियाणा पंजाब से एक से डेढ़ प्रतिशत तक ज्यादा है।

यूपी में चीनी मिलों ने नवंबर में गन्ने की पेराई शुरू की थी और 2021-22 सीजन के लिए तय रेट 350 रूपये के मुताबिक ही किसानों को भुगतान कर रही हैं। किसान संगठनों की मांग है कि गन्ने के लिए एसएपी में कम से कम की 50 रुपये कुंतल की बढ़ोतरी की जाएं।



SAP को लेकर अभियान चला रही रालोद

पश्चिम यूपी के गन्ना किसानों को अपना समर्थन देने वाले रालोद ने एसएपी की घोषणा की मांग करते हुए गन्ना किसानों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मुख्यमंत्री को भेजने के लिए 'किसान संदेश अभियान' शुरू किया है। मुख्यमंत्री को एक लाख से अधिक पत्र भेजने का लक्ष्य है और लगभग 10,000 पत्र पहले ही भेजे जा चुके हैं। रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि राज्य सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस दर पर किसानों से फसल खरीद रही है। 

गत वर्ष का बकाया भी बड़ी समस्या

इसके साथ ही किसानों की दूसरी बड़ी समस्या गन्ना भुगतान की है। बजाज समूह आदि चीनी मिलों ने अभी गत वर्ष का भी गन्ना भुगतान नहीं किया है। बकाया भुगतान को लेकर किसान जिले जिले में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सहारनपुर में बजाज की गांगनौली मिल पर हफ्तों से किसान धरना दे रहे हैं। बागपत, शामली, बिजनौर, लखीमपुर, मेरठ आदि सभी जिलों में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि भाकियू टिकैत ने तो बकायदा मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में तंबू गाड़ बेमियादी धरना शुरू कर दिया है। 

भाकियू टिकैत ने मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में ताने तंबू

गन्ना मूल्य, बकाया भुगतान, आवारा पशुओं और एमएसपी समेत किसानों के मुद्दों पर भाकियू ने बेमियादी धरना शुरू कर दिया। चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के मुद्दों पर आर-पार होगी। सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली का वादा किया गया था, लेकिन ट्यूबवेलों पर मीटर लगाए जा रहे हैं।

राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर भाकियू कार्यकर्ता टेंट लगाकर धरने पर बैठे है। किसानों ने कहा कि गन्ना मूल्य अब तक घोषित नहीं किया है। पिछले एक साल से मिलों पर भुगतान बकाया है। बिजली की दर बढ़ाने से आम आदमी पर बोझ बढ़ रहा है। गोवंशीय पशु खेतों में नुकसान पहुंचा रहे हैं। बिजली मीटर लगाकर किसानों के खिलाफ साजिश रची जा रही है। गलत तरीके से किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर किसानों का उत्पीडऩ किया जा रहा है। भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने किसानों से कहा कि मांगे नहीं मानी गई तो जीआईसी में पक्का मोर्चा बनाया जाएगा। हक मिलने तक किसान घर नहीं जाएंगे। ट्यूबवेलों पर मीटर नहीं लगने देंगे। 



10 फरवरी तक मिल भुगतान न करें तो डीएम-एसडीएम दफ्तर लाएं गन्ना- टिकैत

मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज में मीडिया से वार्ता में चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि 10 फरवरी तक बजाज शुगर मिल बुढ़ाना अगर किसानों के गन्ने का भुगतान नहीं करता तो ग्यारह फरवरी से किसान बजाज शुगर मिल में गन्ना ना डालें, जो भुगतान करने में आनाकानी करती है। उन्होंने कहा कि सभी किसान DM और SDM कार्यालय पर गन्ना लेकर आए। वहां डीएम-एसडीएम की जिम्मेदारी होगी कि वे उस गन्ने को किस शुगर मिल को भेजें। भुगतान की जिम्मेदारी भी अधिकारियों की ही रहेगी।

उन्होंने कहा कि इसी मैदान से किसानों की समस्याओं का समाधान होना है। अगर किसान यहां जमे रहे तो किसानों की सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। चौधरी राकेश टिकैत ने कहा जो किसान बजाज शुगर मिल पर गन्ना नहीं डालेगा, तो उसके गन्ने की जिम्मेदारी हमारी है, जिस शुगर मिल में भी उनका गन्ना जाएगा वहीं से भुगतान समय से होगा। उन्होंने यह भी कहा कि गन्ना उसी शुगर मिल में डाला जाए जो समय से भुगतान करता है।

धरने पर गूंजा चंदन गांव का गाय अभयारण्य

भाकियू के धरने पर पुरकाजी के चंदन गांव के गाय अभयारण्य की गूंज रही। पुरकाजी क्षेत्र के किसानों का कहना था कि उनके पट्टे पर अभयारण्य बनाया जा रहा है। भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान का नाम लिए बगैर कहा कि गाय अभयारण्य को कुटबा-कुटबी, हड़ौली और सिसौली के जंगल में पट्टों की जमीन पर बनावा दें। पुरकाजी के किसानों को परेशान न करें।

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