महाराष्ट्र: एक बार फिर किसानों का पैदल मार्च, 'खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे'

Written by मुकुंद झा | Published on: April 27, 2023
“पिछले साल हमारे कपास का हमें 14 हज़ार प्रति क्विंटल का भाव मिला था लेकिन इस बार सिर्फ़ 7 हज़ार का भाव मिल रहा है। ये सरकार की ग़लत नीतियों की वजह से है।”



महाराष्ट्र के किसान और खेत मज़दूरों ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर पैदल मार्च शुरू कर दिया। राज्य के अलग-अलग ज़िले से हज़ारों किसान 26 अप्रैल से 28 अप्रैल, 2023 के बीच तीन दिवसीय पैदल मार्च के लिए अहमदनगर ज़िले के अकोले में एकजुट हुए और यहां से लोनी के लिए मार्च शुरू कर दिया। इस मार्च की शुरआत से पहले एक जनसभा की गई। मार्च की शुरूआत जाने-माने कृषि पत्रकार पी. साई नाथ के भाषण के साथ हुई। इसके अलावा इस जनसभा को प्रोफेसर एन राम, जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय महासचिव मरियम धावले, सीटू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीएल कराड़ और माकपा के राज्य सचिव व किसान सभा के उपाध्यक्ष उदय नराकर ने संबोधित किया।

साई नाथ ने देश में गंभीर कृषि संकट को लेकर अपनी बात रखी और कहा कि, "किसानों ने देश के बुद्धिजीवियों से पहले इस चुनौती को समझा और संघर्ष किया। अब कृषि संकट केवल किसानी तक नहीं बल्कि समाज का संकट बन गया है।"

साई नाथ ने कहा कि किसानों ने पिछले कुछ सालों के दौरान देश के सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि किसानों के संघर्ष के साथ एकजुटता दिखाते हुए वो भी तीन दिन किसानों के साथ पैदल मार्च करेंगे।

साथ ही किसान नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि, "सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो पैदल मार्च के बाद वे सभी 28 अप्रैल 2023 से लोनी में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर देंगे।

किसानों का ये पैदल मार्च एक बार फिर अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के नेतृत्व में निकाला जा रहा है जिसमें हज़ारों किसान प्रतिकूल मौसम में पैदल चल रहे हैं। किसान सभा के मुताबिक़ उन्होंने लोनी कूच इसलिए किया है क्योंकि यहां पर सर्वश्री राधाकृष्ण विखे पाटिल जो कि राजस्व, पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री है, उनका गांव है।

पिछले दो वर्षों में बड़े स्तर पर हुई बेमौसम बारिश ने राज्य के बड़े हिस्से में फसलों को नष्ट कर दिया। आरोप है कि राज्य सरकार ने ज़ोर-शोर से ऐलान तो किया कि किसानों को मुआवज़ा दिया जाएगा, लेकिन कुछ भी नहीं दिया गया।

उदय नराकर ने कहा, "सरकार ने काफ़ी कोशिश की कि ये पैदल यात्रा न हो सके लेकिन हमने साफ़ किया कि ये हमारा अधिकार मार्च है और हमारी विजय होगी ये तय है।"

राम कुमार ने कहा, "ये कोई पहला संघर्ष नही हैं। इससे पहले 2017 में संघर्ष हुआ था। तब मैंने कहा था कि ये सरकार जुमला सरकार है। अभी भी जुमला बाबू की सरकार चल रही है। सरकार ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी होगी लेकिन आज आय पहले से भी कम हो गई है।"

किसानों का आरोप है कि, "वन भूमि, मंदिर भूमि, इनाम भूमि, वक्फ भूमि, चरागाह भूमि, और किसानों व कृषि श्रमिकों के आवास के लिए भूमि, जहां वास्तव में कई पीढ़ियों से किसान उस भूमि का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें उनके मालिकाना हक़ के लिए बार-बार आश्वासन दिया गया लेकिन ज़मीन उनके नाम करने के बजाय, पुलिस और वन विभाग का दुरूपयोग कर ग़रीब किसानों को पीटा जा रहा है और उन्हें उनकी ही ज़मीन और घरों से खदेड़ा जा रहा है। राजमार्गों, गलियारों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों के लिए बहुत कम मुआवज़े के साथ जबरन भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है और किसानों को उनके हक़ की ज़मीन से बेदख़ल किया जा रहा है।”

इसके अलावा दुग्ध किसान भी परेशान हैं। दुग्ध किसानों का कहना है कि, "कोविड महामारी संकट में उन्हें मजबूरन महज़ 17 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध बेचना पड़ा। इसके अलावा इनका आरोप है कि अब, जब वे फिर से खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं, तो भाजपा की केंद्र सरकार ने दूध और डेयरी उत्पादों के आयात की चाल शुरू कर दी है, इस प्रकार एक बार फिर उनका भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। इसी तरह कपास, सोयाबीन, अरहर, चना और अन्य फसलों की कीमतों में गिरावट आई है।"

राम ने दूध उत्पादक किसानों की समस्या का ज़िक्र करते हुए कहा, "सरकारों की ग़लत नीतियों के कारण उनको उचित दाम नही मिल रहा है। सरकार अपने किसानों को उचित दाम दिला नहीं रही और विदेशो से डेयरी उत्पाद आयात कर रही है जो किसानों की दशा और ख़राब कर रहा है।"

मराठबाड़ा से शंकर सिराम ने बताया कि, "पिछले साल हमारे कपास का हमें 14 हज़ार प्रति क्विंटल का भाव मिला था लेकिन इस बार सिर्फ़ 7 हज़ार का भाव मिल रहा है। ये सरकार की ग़लत नीतियों की वजह से है। सरकार किसानों के भावों को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर विदेशों से कपास आयात कर रही है।"

किसानों के अलावा अन्य मेहनतकश श्रमिक जैसे आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन योजना, निर्माण श्रमिक, और घरेलू कामगारों जैसे असंगठित श्रमिकों की समस्याएं विकट होती जा रही हैं। इन श्रमिकों का आरोप है कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य या केंद्र सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है।

इस पृष्ठभूमि में अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) की ओर से राज्य के राजस्व मंत्री के लोनी स्थित कार्यालय तक एक विशाल राज्यव्यापी मार्च आयोजित किया जा रहा है। इस मार्च के तहत निम्नलिखित मांगें की जा रही हैं:

किसानों और खेत मज़दूरों को उनकी वन भूमि का मालिकाना हक़ मिले और आवश्यक भूमि अधिग्रहण के लिए उचित मुआवज़ा दिया जाए; दूध, कपास, सोयाबीन, अरहर, चना और अन्य उत्पादों का लाभकारी मूल्य मिले, दूध और डेयरी उत्पादों के आयात पर रोक लगाई जाए, प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान के लिए पर्याप्त मुआवज़ा मिले , किसानों, खेत मज़दूरों और निराश्रित लोगों के लिए बढ़ी हुई पेंशन दी जाए, निर्माण श्रमिकों के लिए मेडिक्लेम और आवास सुविधाएं मिले, आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मील और अन्य असंगठित श्रमिकों को बढ़ा हुआ पारिश्रमिक मिले और उन्हें सरकारी कर्मचारियों का दर्जा मिले।

बता दें कि ये मार्च तब शुरू है जब राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है, जिसके कारण जनता की समस्याओं और विकास के मुद्दों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। किसान सभा के  नेताओं का कहना है कि, "सत्ताधारी भाजपा और उनके अधिकांश सहयोगी दल के नेता, राजनीतिक दलों को तोड़ने में लगे हैं। विपक्षी नेताओ को तरह-तरह की घूस देने का प्रलोभन या जेल जाने का डर दिखाया जा रहा है इसलिए लोगों की मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिए हमें फिर से सड़कों पर उतरना ज़रूरी हो गया है।"

इस सिलसिले में AIKS ने 26 से 28 अप्रैल, 2023 तक अहमदनगर ज़िले के अकोले से लोनी तक हज़ारों किसानों के साथ तीन दिवसीय राज्यव्यापी मार्च आयोजित करने का आह्वान किया है। यह मार्च महाराष्ट्र के राजस्व और डेयरी विकास मंत्री श्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के लोनी कार्यालय तक जाएगा। किसान सभा का कहना है कि मांगें पूरी नहीं होने पर लोनी में अनिश्चितकालीन महापड़ाव आयोजित किया जाएगा।

इस तीन दिवसीय पैदल मार्च के लिए तय रूट :

26 अप्रैल : आज 26 अप्रैल के दिन दोपहर क़रीब 3 बजे इस मार्च की शुरुआत हुई, मार्च ने अकोले बाज़ार से रामेश्वरम मंदिर, धांडरफल, तहसील संगमनेर तक क़रीब 12 किलोमीटर का सफ़र तय किया।

27 अप्रैल : सुबह 7 बजे, रामेश्वरम मंदिर से खतोड़े लॉन तक क़रीब 10 किलोमीटर का पैदल मार्च किया जाएगा।

27 अप्रैल : शाम क़रीब 4 बजे, खतोड़े लॉन से जनता विद्यालय, वडगांव पन तक 9.6 किलोमीटर का सफ़र तय किया जाएगा।

28 अप्रैल : सुबह 7 बजे, वडगांव पन से समृद्धि लॉन, नीमगांव तक 11 किलोमीटर की पैदल यात्रा की जाएगी।

28 अप्रैल : शाम 4 बजे समृद्धि लॉन से लोनी तक 10 किलोमीटर की यात्रा की जाएगी।

बता दें कि AIKS द्वारा आयोजित किसानों के इस मार्च को CITU, AIAWU, AIDWA, DYFI, SFI और अन्य समान विचारधारा वाले जन संगठनों का समर्थन मिल रहा है।


Courtesy: Newsclick

बाकी ख़बरें