यूपी: अनुसूचित जाति के शोधार्थी को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में बीजेपी नेता के खिलाफ मामला दर्ज

Written by sabrang india | Published on: June 11, 2025
लखनऊ विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति के एक शोध छात्र को फोन पर गाली देने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता आलोक सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक ऑडियो क्लिप के आधार पर की गई है।



पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र एवं राज्यसभा सांसद नीरज शेखर के करीबी माने जाने वाले भाजपा नेता पर लखनऊ विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति वर्ग के एक शोध छात्र को गाली देने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। पुलिस ने मंगलवार को जानकारी दी कि इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है।

पुलिस के अनुसार, तुर्तीपार गांव निवासी दीपक कनौजिया द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर सोमवार देर रात उभांव थाने में एफआईआर दर्ज की गई।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दीपक कनौजिया, जो लखनऊ विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर हैं, ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि भाजपा नेता आलोक सिंह ने 21 मई को उन्हें फोन कर जातिसूचक गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी।

शिकायत के अनुसार, बातचीत के दौरान आलोक सिंह ने कहा, “रिकॉर्ड कर लो ये बात, मैं उत्तर प्रदेश की प्रशासन या कानून-व्यवस्था से नहीं डरता।”

बिल्थरा रोड क्षेत्र के पार्टी अध्यक्ष अरुण कांत तिवारी ने पुष्टि की है कि आलोक सिंह पार्टी से जुड़े हुए हैं और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर के करीबी भी हैं।

दीपक कनौजिया ने यह आरोप भी लगाया कि आलोक सिंह का उनके परिवार से काफी समय से राजनीतिक विवाद रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पिता, कमलेश कनौजिया, लगातार हो रही प्रताड़ना के चलते मानसिक तनाव में रहते थे, जिसके कारण 31 अक्टूबर 2023 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। दीपक ने आशंका व्यक्त की कि अब आलोक सिंह गांव में अकेली रह रही उनकी मां को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने मीडिया को बताया कि धमकी से जुड़ी एक ऑडियो क्लिप हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस मामले में रसड़ा क्षेत्राधिकारी आलोक गुप्ता द्वारा प्रारंभिक जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर आरोपी आलोक सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 352 (जानबूझकर हमला) और 351(3) (आपराधिक धमकी), साथ ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।

दलितों के उत्पीड़न का यह कोई नया मामला नहीं है। हाल ही में महाराष्ट्र के बीड जिले के शिरूर कासार तहसील के शिरापूर गट गांव में जातिगत हिंसा की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई थी। 32 वर्षीय दलित युवक वैभव खांडगाले और उनके परिवार पर ऊंची जाति के लोगों ने हमला किया। वैभव पर यह हमला केवल इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने एक दलित किशोर की मदद की थी। इस घटना ने गांव में गहरे जड़ जमाए जातिगत भेदभाव को उजागर किया।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, 4 जून की शाम करीब 6 बजे वैभव खांडगाले अपने दफ्तर से घर लौटे। उन्होंने देखा कि गांव के एक दलित किशोर की तबीयत बिगड़ गई थी और कोई उसकी मदद नहीं कर रहा था। वैभव ने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया। शाम 7:30 बजे, जब वे घर लौटकर बाहर बैठे थे, तभी 10-12 ऊंची जाति (मराठा) के लोगों ने कार से आकर उन पर अचानक हमला कर दिया। इनमें वैभव के कुछ पुराने साथी भी शामिल थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने जातिसूचक अपशब्द कहे और आगे कहा, "खूप जास्त पैशाचा माज आहे का तुला? महाराचे लोकं लय माजलेत..." ("क्या तुझे पैसे का घमंड हो गया है? ये महार (दलित) लोग बहुत घमंडी हो गए हैं...")। उन्होंने लोहे की रॉड से वैभव की बेरहमी से पिटाई की, उनका बटुआ (8,000 रुपये) लूट लिया और घर से उनकी मां के सोने के गहने भी चुरा लिए। भीड़ ने उन्हें सड़क पर घसीटा और लगातार पीटा। करीब 200 से ज़्यादा लोग तमाशबीन बने रहे लेकिन किसी ने बीच-बचाव नहीं किया।

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