राज्य के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने किसानों से कहा कि "मुझे जानकारी मिली कि किसान वल्लभ भवन आ रहे थे, तो सरकार खुद उनके पास आ गई। हमने हमेशा किसानों के हित में फैसले लिए हैं और भविष्य में भी लेते रहेंगे।"
![](/sites/default/files/screenshot_2025-02-06_145157.png?990)
फोटो साभार : आईएएनएस (स्क्रीनशऑट)
मध्य प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई कीमतों और फसलों के घटते दरों के खिलाफ राजधानी भोपाल में किसानों ने प्रदर्शन किया। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में राज्य भर से आए किसानों ने लिंक रोड नंबर-1 पर स्थित कार्यालय के सामने धरना दिया। किसानों का कहना था कि सरकार हमेशा उन्हें केवल आश्वासन देती है और समस्याओं का कोई स्थायी समाधान नहीं मिलता।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों ने मंत्रालय का घेराव करने की योजना बनाई थी, लेकिन उससे पहले ही प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा मौके पर पहुंच गए। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान, किसानों ने अपनी शिकायतों से भरे हुए आवेदनों का थैला उप मुख्यमंत्री को सौंपते हुए तत्काल समाधान की मांग की।
मौके पर पहुंचे उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, "मुझे जानकारी मिली कि किसान वल्लभ भवन आ रहे थे, इसलिए सरकार खुद उनके पास आई है। हमने हमेशा किसानों के हित में फैसले लिए हैं और भविष्य में भी लेते रहेंगे।" उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि किसानों द्वारा दिए गए ज्ञापनों का जल्द समाधान किया जाएगा।
जब उप मुख्यमंत्री मंच से नीचे उतरे और मीडिया से बातचीत करने लगे, तब वहां मौजूद किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों ने गेहूं की अच्छी कीमत सुनिश्चित करने की मांग फिर से उठाई। उनका कहना था कि सरकार बार-बार समर्थन मूल्य बढ़ाने की बात तो करती है, लेकिन जब तक बाजार में फसल के उचित दाम नहीं मिलेंगे, तब तक किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा।
एक किसान नेता ने उप मुख्यमंत्री को किसानों की समस्याओं से जुड़े आवेदनों से भरा झोला सौंपते हुए कहा, "समस्याएं तो बहुत हैं, लेकिन यह झोला आपके साथ जाएगा।" किसानों का कहना है कि वे सिर्फ वादे नहीं, बल्कि ठोस फैसले चाहते हैं।
क्या है किसानों की प्रमुख मांग
बिजली दरों में कटौती – कृषि के इस्तेमाल के लिए सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाए और बढ़ी हुई दरों को वापस लिया जाए।
फसलों के लाभकारी मूल्य – उपज की लागत के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कर सभी किसानों को इसका लाभ सुनिश्चित किया जाए।
समर्थन मूल्य पर अनाज की सुनिश्चित खरीद – सरकारी खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए और सभी किसानों की फसल खरीदी जाए।
कर्जमाफी योजना की पुनर्बहाली – छोटे और मध्यम किसानों के कर्ज माफ किए जाएं और ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा दी जाए।
उप मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद किसानों के बीच सरकार को लेकर संदेह बरकरार है। उनका कहना है कि पहले भी कई बार ऐसे वादे किए गए लेकिन पूरा नहीं हुआ।
किसान संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द से जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे भविष्य में बड़े आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री राहुल धूत ने 'द मूकनायक' से बातचीत में कहा कि बिजली दरों में वृद्धि, फसलों के गिरते दाम और कर्जमाफी जैसी समस्याओं ने किसानों की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि सरकार हर साल समर्थन मूल्य की घोषणा तो करती है, लेकिन किसानों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। सरकारी खरीद केंद्रों पर सीमित मात्रा में अनाज लिया जाता है, जिससे किसानों को मजबूरन अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ती है।
राहुल धूत ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए, नहीं तो राज्यभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन होंगे।
![](/sites/default/files/screenshot_2025-02-06_145157.png?990)
फोटो साभार : आईएएनएस (स्क्रीनशऑट)
मध्य प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई कीमतों और फसलों के घटते दरों के खिलाफ राजधानी भोपाल में किसानों ने प्रदर्शन किया। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में राज्य भर से आए किसानों ने लिंक रोड नंबर-1 पर स्थित कार्यालय के सामने धरना दिया। किसानों का कहना था कि सरकार हमेशा उन्हें केवल आश्वासन देती है और समस्याओं का कोई स्थायी समाधान नहीं मिलता।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों ने मंत्रालय का घेराव करने की योजना बनाई थी, लेकिन उससे पहले ही प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा मौके पर पहुंच गए। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान, किसानों ने अपनी शिकायतों से भरे हुए आवेदनों का थैला उप मुख्यमंत्री को सौंपते हुए तत्काल समाधान की मांग की।
मौके पर पहुंचे उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, "मुझे जानकारी मिली कि किसान वल्लभ भवन आ रहे थे, इसलिए सरकार खुद उनके पास आई है। हमने हमेशा किसानों के हित में फैसले लिए हैं और भविष्य में भी लेते रहेंगे।" उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि किसानों द्वारा दिए गए ज्ञापनों का जल्द समाधान किया जाएगा।
जब उप मुख्यमंत्री मंच से नीचे उतरे और मीडिया से बातचीत करने लगे, तब वहां मौजूद किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों ने गेहूं की अच्छी कीमत सुनिश्चित करने की मांग फिर से उठाई। उनका कहना था कि सरकार बार-बार समर्थन मूल्य बढ़ाने की बात तो करती है, लेकिन जब तक बाजार में फसल के उचित दाम नहीं मिलेंगे, तब तक किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा।
एक किसान नेता ने उप मुख्यमंत्री को किसानों की समस्याओं से जुड़े आवेदनों से भरा झोला सौंपते हुए कहा, "समस्याएं तो बहुत हैं, लेकिन यह झोला आपके साथ जाएगा।" किसानों का कहना है कि वे सिर्फ वादे नहीं, बल्कि ठोस फैसले चाहते हैं।
क्या है किसानों की प्रमुख मांग
बिजली दरों में कटौती – कृषि के इस्तेमाल के लिए सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाए और बढ़ी हुई दरों को वापस लिया जाए।
फसलों के लाभकारी मूल्य – उपज की लागत के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कर सभी किसानों को इसका लाभ सुनिश्चित किया जाए।
समर्थन मूल्य पर अनाज की सुनिश्चित खरीद – सरकारी खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए और सभी किसानों की फसल खरीदी जाए।
कर्जमाफी योजना की पुनर्बहाली – छोटे और मध्यम किसानों के कर्ज माफ किए जाएं और ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा दी जाए।
उप मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद किसानों के बीच सरकार को लेकर संदेह बरकरार है। उनका कहना है कि पहले भी कई बार ऐसे वादे किए गए लेकिन पूरा नहीं हुआ।
किसान संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द से जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे भविष्य में बड़े आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री राहुल धूत ने 'द मूकनायक' से बातचीत में कहा कि बिजली दरों में वृद्धि, फसलों के गिरते दाम और कर्जमाफी जैसी समस्याओं ने किसानों की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि सरकार हर साल समर्थन मूल्य की घोषणा तो करती है, लेकिन किसानों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। सरकारी खरीद केंद्रों पर सीमित मात्रा में अनाज लिया जाता है, जिससे किसानों को मजबूरन अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ती है।
राहुल धूत ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए, नहीं तो राज्यभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन होंगे।