भारतीय रेलवे के टिकटों पर 'ऑपरेशन सिंदूर' और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपने को लेकर अब राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने इसे चुनावी फायदा लेने के लिए सैन्य अभियानों का राजनीतिकरण करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।

साभार : सोशल मीडिया
ट्रेन के टिकटों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, इस नए प्रचार को लेकर विपक्षी पार्टियां बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार सेना की कार्रवाई को चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल कर रही है, जो ठीक नहीं है। कई लोग सोशल मीडिया पर भी इसे गलत बता रहे हैं और इसकी आलोचना कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर एक कथित विज्ञापन शेयर हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है। उस पर लिखा है, "ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है।"
विपक्ष को देशभक्ति दिखाने का ये तरीका पसंद नहीं आ रहा है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में पार्टी के सचेतक मणिकम टैगोर ने एक्स पर तंज कसते हुए लिखा, “#ऑपरेशन सिंदूर अब तो शैम्पू की तरह बेचा जा रहा है – कभी रेलवे टिकट पर छप रहा है, तो कभी किसी प्रोडक्ट की तरह उसका प्रचार हो रहा है।”
उन्होंने आगे सवाल उठाया, “जब ट्रंप ने कहा कि उन्होंने चार बार मध्यस्थता की और युद्धविराम भी करवाया, तो मोदी ने कभी इस बात से इनकार नहीं किया। कोई सफाई नहीं, बस प्रचार किया जा रहा है।”
बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वह ‘युद्ध और शहादत को एक अवसर के तौर पर देखते हैं’। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी अपनी छवि को सैनिकों से ऊपर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि ‘अहंकार की पराकाष्ठा’ है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युद्ध और शहादत को भी एक अवसर की तरह देखते हैं। मासूमों का खून बहाया गया और जब हमारे जवानों ने जान की परवाह किए बिना पाकिस्तान को जवाब दिया तो प्रधानमंत्री ने एक नया पोस्टर लॉन्च कर दिया। जो शहीद हुए, उनका न कोई नाम है, न चेहरा, बस तस्वीर और प्रचार– ये तो आत्ममुग्धता की हद हो गई है!”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के सलाहकार पीयूष बबेले, जिन्होंने इस टिकट को पोस्ट किया था, ने सरकार पर ‘विज्ञापन-ग्रस्त’ होने और विशेष रूप से बिहार में मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘सेना की वीरता को एक उत्पाद की तरह बेचने’ का आरोप लगाया.
बबेले ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यह इस बात का उदाहरण है कि मोदी सरकार किस कदर विज्ञापनजीवी है. रेलवे टिकट पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को मोदी विज्ञापन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. ये सेना के पराक्रम को भी प्रोडक्ट की तरह बेच रहे हैं. इनसे देशभक्ति नहीं सौदेबाजी ही हो सकती है.’
भारतीय रेलवे ने भी इस पर गंभीर प्रतिक्रिया दी। रेलवे के अधिकारी दिलीप कुमार ने इंडिया टुडे से कहा कि रेलवे को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सशस्त्र बलों पर गर्व है। उन्होंने इसे एक श्रद्धांजलि बताते हुए कहा कि ये विज्ञापन एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा हैं, जिसका मकसद एक महत्वपूर्ण संदेश फैलाना है।
इस बीच, आईआरसीटीसी के पीआरओ वीके भट्टी ने दैनिक भास्कर अंग्रेजी से कहा कि टिकटों पर जो संदेश छपा है, वह कोई विज्ञापन नहीं है। बल्कि, यह एक संदेश है जो जनता के बीच साझा किया जा रहा है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि यह नया प्रचार अभियान भाजपा की हाल ही में शुरू की गई ‘तिरंगा यात्रा’ के बाद आया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की उपलब्धियों को दिखाने वाली एक और बड़ी यात्रा है। खासकर बिहार जैसे राज्यों में, जहां चुनाव होने वाले हैं।
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साभार : सोशल मीडिया
ट्रेन के टिकटों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, इस नए प्रचार को लेकर विपक्षी पार्टियां बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार सेना की कार्रवाई को चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल कर रही है, जो ठीक नहीं है। कई लोग सोशल मीडिया पर भी इसे गलत बता रहे हैं और इसकी आलोचना कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर एक कथित विज्ञापन शेयर हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है। उस पर लिखा है, "ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है।"
विपक्ष को देशभक्ति दिखाने का ये तरीका पसंद नहीं आ रहा है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में पार्टी के सचेतक मणिकम टैगोर ने एक्स पर तंज कसते हुए लिखा, “#ऑपरेशन सिंदूर अब तो शैम्पू की तरह बेचा जा रहा है – कभी रेलवे टिकट पर छप रहा है, तो कभी किसी प्रोडक्ट की तरह उसका प्रचार हो रहा है।”
उन्होंने आगे सवाल उठाया, “जब ट्रंप ने कहा कि उन्होंने चार बार मध्यस्थता की और युद्धविराम भी करवाया, तो मोदी ने कभी इस बात से इनकार नहीं किया। कोई सफाई नहीं, बस प्रचार किया जा रहा है।”
बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वह ‘युद्ध और शहादत को एक अवसर के तौर पर देखते हैं’। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी अपनी छवि को सैनिकों से ऊपर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि ‘अहंकार की पराकाष्ठा’ है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युद्ध और शहादत को भी एक अवसर की तरह देखते हैं। मासूमों का खून बहाया गया और जब हमारे जवानों ने जान की परवाह किए बिना पाकिस्तान को जवाब दिया तो प्रधानमंत्री ने एक नया पोस्टर लॉन्च कर दिया। जो शहीद हुए, उनका न कोई नाम है, न चेहरा, बस तस्वीर और प्रचार– ये तो आत्ममुग्धता की हद हो गई है!”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के सलाहकार पीयूष बबेले, जिन्होंने इस टिकट को पोस्ट किया था, ने सरकार पर ‘विज्ञापन-ग्रस्त’ होने और विशेष रूप से बिहार में मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘सेना की वीरता को एक उत्पाद की तरह बेचने’ का आरोप लगाया.
बबेले ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यह इस बात का उदाहरण है कि मोदी सरकार किस कदर विज्ञापनजीवी है. रेलवे टिकट पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को मोदी विज्ञापन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. ये सेना के पराक्रम को भी प्रोडक्ट की तरह बेच रहे हैं. इनसे देशभक्ति नहीं सौदेबाजी ही हो सकती है.’
भारतीय रेलवे ने भी इस पर गंभीर प्रतिक्रिया दी। रेलवे के अधिकारी दिलीप कुमार ने इंडिया टुडे से कहा कि रेलवे को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सशस्त्र बलों पर गर्व है। उन्होंने इसे एक श्रद्धांजलि बताते हुए कहा कि ये विज्ञापन एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा हैं, जिसका मकसद एक महत्वपूर्ण संदेश फैलाना है।
इस बीच, आईआरसीटीसी के पीआरओ वीके भट्टी ने दैनिक भास्कर अंग्रेजी से कहा कि टिकटों पर जो संदेश छपा है, वह कोई विज्ञापन नहीं है। बल्कि, यह एक संदेश है जो जनता के बीच साझा किया जा रहा है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि यह नया प्रचार अभियान भाजपा की हाल ही में शुरू की गई ‘तिरंगा यात्रा’ के बाद आया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की उपलब्धियों को दिखाने वाली एक और बड़ी यात्रा है। खासकर बिहार जैसे राज्यों में, जहां चुनाव होने वाले हैं।
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