गुजरात: दलित युवक पर बर्बर जातिगत हमला, तीन हफ्तों में तीसरा मामला

Written by sabrang india | Published on: August 20, 2025
दलित युवक पर बर्बर हमला का वीडियो वायरल सामने आने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। पिछले तीन हफ्तों में जातिवादी हिंसा की तीसरी घटना ने गंभीर सवाल उठाए।



गुजरात के जूनागढ़ में एक दलित युवक के साथ मारपीट, लूटपाट और जान से मारने की धमकी की गंभीर घटना सामने आई है। यह पिछले 21 दिनों में दलितों के खिलाफ सामने आया तीसरा जातिगत हमला है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जो यह दिखाता है कि स्वतंत्रता के दशकों बाद भी समाज में जातिवाद की गहरी जड़ें अब भी मौजूद हैं।

यह घटना 16 अगस्त की दोपहर को उस समय हुई जब पीड़ित दलित युवक अपने एक दोस्त से मिलने गया था। उसी दौरान एक लड़का उसके पास आया और मदद की गुहार लगाई, यह कहते हुए कि उसके भाई को कहीं ले जाया जा रहा है। पीड़ित युवक और उसका मित्र उसकी सहायता के इरादे से लड़के के पीछे-पीछे स्वामी विवेकानंद स्कूल के मैदान तक पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्हें एहसास हुआ कि यह पूरी तरह से एक सोची-समझी साजिश थी और उन्हें फंसाया गया है।

मैदान में तीन ऊंची जाति के युवकों ने दलित युवक को घेर लिया और उसके बारे में पूछताछ शुरू कर दी। जब उस युवक ने बताया कि वह कड़ियावाड़ का है, तो हितेश नाम के युवक और उसके दो और साथी उसे जातिवादी गालियां देने लगे और बेल्ट और डंडों से बुरी तरह पीटा, जिससे युवक को गंभीर चोटें आईं।

हमलावरों ने युवक का मोबाइल फोन भी छीन लिया और पुलिस को शिकायत करने पर जान लेने की धमकी दी।

पीड़ित युवक ने जूनागढ़ सिविल अस्पताल में मौजूद लोगों से बताया, “उन्होंने मुझे बेल्ट और डंडे से पीटा, मेरा फोन छीन लिया और जान से मारने की धमकी दी। आज मेरी बारी थी, कल किसी और की हो सकती है। मैं सिर्फ न्याय चाहता हूं।”

पुलिस ने जूनागढ़ ए डिविजन थाने में भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपियों की तलाश में अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं। डिप्टी एसपी हितेश ढांढलिया ने आश्वासन देते हुए कहा, “आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई जल्द से जल्द की जाएगी।”

जूनागढ़ में हुआ यह हमला कोई अलग-थलग घटना नहीं है। यह पिछले तीन हफ्तों के भीतर गुजरात में दलित समुदाय पर हुआ तीसरा हमला है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि जातिवाद आज भी समाज में गहराई से मौजूद है और हिंसा को बढ़ावा दे रहा है।

हर ऐसी घटना समाज में समानता और न्याय के वादे पर एक गहरी दरार की तरह है। यह दर्शाती है कि कमजोर और वंचित समुदायों के लिए न्याय, सुरक्षा और सम्मान अब भी एक दूर का सपना बना हुआ है और इसके लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

दलितों के साथ भेदभाव की यह कोई अकेली घटना नहीं है। कुछ ही दिन पहले मध्यप्रदेश के सरकारी दफ्तरों से सामने आने वाली तस्वीरें यह दिखाती हैं कि संवैधानिक सिद्धांतों और वास्तविकता के बीच गहरा अंतर है। ग्वालियर से आई कुछ तस्वीरों ने न केवल शासन की कमजोर व्यवस्था को उजागर किया है, बल्कि जातिगत भेदभाव की दर्दनाक सच्चाई को भी बेनकाब कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्वालियर स्थित मध्यप्रदेश भवन विकास निगम में सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) सतीश डोंगरे पिछले एक साल से बिना कुर्सी और टेबल के काम कर रहे हैं। उन्हें कार्यालय में बैठने के लिए न तो कोई चैंबर दिया गया है और न ही कोई कुर्सी-टेबल। मजबूरी में वे रोजाना चटाई बिछाकर जमीन पर बैठकर विभागीय फाइलें निपटाते हैं।

यह कार्यालय एक किराए की इमारत में चलाया जा रहा है, जहां अन्य सभी अधिकारियों को चैंबर और टेबल-कुर्सी की सुविधा मिलती है। लेकिन अनुसूचित जाति के अधिकारी सतीश डोंगरे को अब तक ये बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गई हैं। डोंगरे का आरोप है कि उन्हें उनकी जाति के कारण अपमानित किया जा रहा है!

वहीं पंजाब के मुक्तसर जिले के एणा खेड़ा गांव की एक दलित परिवार को अपने ही घर से एक महीने से ज्यादा वक्त से इसलिए दूर रहना पड़ रहा है, क्योंकि उनके बेटे ने उसी गांव की एक जाट सिख लड़की से शादी कर ली। परिवार का कहना था कि शादी के बाद लड़की के रिश्तेदारों ने उनके घर पर हमला किया और लूटपाट की।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 22 वर्षीय दलित सुरिंदर सिंह ने 18 वर्षीय लड़की से 7 जुलाई को राजस्थान के श्रीगंगानगर स्थित एक गुरुद्वारे में शादी की। इस जोड़े ने कानूनी विवाह प्रमाणपत्र भी ले लिया। लेकिन यह शादी गांव में नाराजगी का कारण बन गया, जहां स्थानीय पंचायत पहले ही एक प्रस्ताव पारित कर चुकी थी जिसमें एक ही गांव में शादी करने पर रोक लगाई गई थी। 

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