ड्यूटी के दौरान एक महिला बीएलओ सहायक की गत शनिवार को अचानक गिरकर मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, आईटीआई में कार्यरत उषाबेन को स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद बीएलओ ड्यूटी पर भेजा गया था। उषाबेन के पति इंद्रसिंह सोलंकी का कहना है कि परिवार ने उनकी बीमारी के बारे में अधिकारियों को पहले ही अवगत करा दिया था।

गुजरात के वडोदरा स्थित एक स्कूल में शनिवार 22 नवंबर को ड्यूटी पर तैनात एक महिला बीएलओ सहायक की अचानक गिरने से मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बढ़ते कार्यभार और दबाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में चार दिनों में यह बीएलओ कर्मचारियों की चौथी मौत है। इससे पहले दो बीएलओ कर्मचारियों की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई थी, जबकि एक कर्मचारी की कथित तौर पर काम के दबाव के कारण आत्महत्या करने की खबर सामने आई थी।
गुजरात का यह ताज़ा मामला वडोदरा के कड़क बाजार स्थित प्रताप स्कूल का है, जहां ड्यूटी के दौरान बीएलओ सहायक उषाबेन इंद्रसिंह सोलंकी अचानक गिर पड़ीं और उनकी मौत हो गई। कुछ ही मिनटों में हुई इस घटना ने एक बार फिर एसआईआर प्रक्रिया और उससे जुड़े बढ़ते कार्यभार के पैटर्न पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि गोरवा महिला आईटीआई में कार्यरत उषाबेन को स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद बीएलओ ड्यूटी पर भेजा गया था। उषाबेन के पति, इंद्रसिंह सोलंकी ने बताया कि परिवार ने पहले ही अधिकारियों को उनकी हालत के बारे में अवगत करा दिया था।
उन्होंने बताया, “मेरी पत्नी की तबीयत पहले से ठीक नहीं थी। हम सुभानपुरा के पीडब्ल्यू क्वार्टर में रहते हैं और वह गोरवा आईटीआई में कार्यरत थीं। हमने अधिकारियों से अनुरोध किया था कि उन्हें बीएलओ ड्यूटी से मुक्त रखा जाए, लेकिन हमारी अपील के बावजूद उन्हें ड्यूटी पर भेज दिया गया।”
क्षेत्रीय कार्य के दौरान अपने पर्यवेक्षक का इंतजार करते हुए उषाबेन अचानक बेहोश हो गईं।
द वायर ने लिखा, इंद्रसिंह ने अंतिम क्षणों को दर्द भरी स्पष्टता के साथ याद करते हुए बताया, “वह अचानक बेहोश हो गईं, ऐसा लगता है कि उन्हें दौरा पड़ा था। हम उन्हें सयाजी अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।”
उषाबेन के एक अन्य रिश्तेदार विक्रमसिंह सुहादिया ने भी अत्यधिक बोझ के आरोप की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, “हमें पता चला कि वह आईटीआई क्लर्क की ड्यूटी के अलावा दिए गए काम के दबाव में थीं, यह दर्शाता है कि उन्हें उनकी निर्धारित भूमिका से परे दूसरे काम में लगाया गया था।”
इस घटना को लेकर कलेक्टर अनिल धमेलिया ने कहा, “इस प्रक्रिया की शुरुआत से ही हम बूथ लेवल अधिकारियों पर काम का बोझ कम करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बीएलओ को रात में काम न करना पड़े और डिजिटलीकरण में अतिरिक्त कर्मचारियों को शामिल किया जा रहा है ताकि बीएलओ को पूरी प्रक्रिया अकेले न संभालनी पड़े।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने बीएलओ कर्मचारियों की समस्याओं और चिंताओं को चुनाव आयोग के संज्ञान में ला दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त दबाव न पड़े। हमारा उद्देश्य पूरी प्रक्रिया को और अधिक विकेंद्रीकृत बनाना है।”
ज्ञात हो कि हाल ही में पश्चिम बंगाल, केरल और राजस्थान में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से जुड़े कथित अत्यधिक कार्यदबाव के कारण बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में तैनात कई कर्मचारियों की मौत और आत्महत्या के मामले भी सामने आए हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि इससे पहले बिहार में हुए एसआईआर के दौरान आरा के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक और बीएलओ सुपरवाइजर राजेंद्र प्रसाद की 27 अगस्त को कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों गुजरात के खेड़ा जिले में बीएलओ की जिम्मेदारी निभा रहे एक स्कूल शिक्षक की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बीएलओ के परिवार ने कहा है कि उनकी मौत का कारण चल रहे एसआईआर से जुड़ा ‘काम का बहुत ज्यादा दबाव’ है।
उनके भाई नरेंद्र परमार ने बताया कि बीएलओ की मौत बुधवार और गुरुवार (19–20 नवंबर) की दरमियानी रात घर पर सोते समय हार्ट अटैक से हुई।
नरेंद्र परमार के हवाले से द वायर ने लिखा, “बीएलओ का काम खत्म करने के बाद वह बुधवार शाम करीब 7.30 बजे घर लौटा और फ्रेश होने के बाद फिर से पेपरवर्क करने लगा। क्योंकि उसके गांव में मोबाइल नेटवर्क की दिक्कत थी, इसलिए वह अपना काम खत्म करने के लिए मेरे घर आया। उन्होंने रात 11.30 बजे तक काम किया और अपने घर लौट गया। फिर वह खाना खाने के बाद सो गया। लेकिन जब वह सुबह नहीं उठा, तो हम उन्हें तुरंत पास के हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।”
मृतक के भाई ने कहा, “हमें लगता है कि काम के ज्यादा प्रेशर की वजह से उन्हें हार्ट अटैक आया होगा।” रमेशभाई परमार की बेटी शिल्पा ने भी कहा कि वह बीएलओ से जुड़े काम की वजह से दबाव में थे।
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गुजरात के वडोदरा स्थित एक स्कूल में शनिवार 22 नवंबर को ड्यूटी पर तैनात एक महिला बीएलओ सहायक की अचानक गिरने से मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बढ़ते कार्यभार और दबाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में चार दिनों में यह बीएलओ कर्मचारियों की चौथी मौत है। इससे पहले दो बीएलओ कर्मचारियों की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई थी, जबकि एक कर्मचारी की कथित तौर पर काम के दबाव के कारण आत्महत्या करने की खबर सामने आई थी।
गुजरात का यह ताज़ा मामला वडोदरा के कड़क बाजार स्थित प्रताप स्कूल का है, जहां ड्यूटी के दौरान बीएलओ सहायक उषाबेन इंद्रसिंह सोलंकी अचानक गिर पड़ीं और उनकी मौत हो गई। कुछ ही मिनटों में हुई इस घटना ने एक बार फिर एसआईआर प्रक्रिया और उससे जुड़े बढ़ते कार्यभार के पैटर्न पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि गोरवा महिला आईटीआई में कार्यरत उषाबेन को स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद बीएलओ ड्यूटी पर भेजा गया था। उषाबेन के पति, इंद्रसिंह सोलंकी ने बताया कि परिवार ने पहले ही अधिकारियों को उनकी हालत के बारे में अवगत करा दिया था।
उन्होंने बताया, “मेरी पत्नी की तबीयत पहले से ठीक नहीं थी। हम सुभानपुरा के पीडब्ल्यू क्वार्टर में रहते हैं और वह गोरवा आईटीआई में कार्यरत थीं। हमने अधिकारियों से अनुरोध किया था कि उन्हें बीएलओ ड्यूटी से मुक्त रखा जाए, लेकिन हमारी अपील के बावजूद उन्हें ड्यूटी पर भेज दिया गया।”
क्षेत्रीय कार्य के दौरान अपने पर्यवेक्षक का इंतजार करते हुए उषाबेन अचानक बेहोश हो गईं।
द वायर ने लिखा, इंद्रसिंह ने अंतिम क्षणों को दर्द भरी स्पष्टता के साथ याद करते हुए बताया, “वह अचानक बेहोश हो गईं, ऐसा लगता है कि उन्हें दौरा पड़ा था। हम उन्हें सयाजी अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।”
उषाबेन के एक अन्य रिश्तेदार विक्रमसिंह सुहादिया ने भी अत्यधिक बोझ के आरोप की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, “हमें पता चला कि वह आईटीआई क्लर्क की ड्यूटी के अलावा दिए गए काम के दबाव में थीं, यह दर्शाता है कि उन्हें उनकी निर्धारित भूमिका से परे दूसरे काम में लगाया गया था।”
इस घटना को लेकर कलेक्टर अनिल धमेलिया ने कहा, “इस प्रक्रिया की शुरुआत से ही हम बूथ लेवल अधिकारियों पर काम का बोझ कम करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बीएलओ को रात में काम न करना पड़े और डिजिटलीकरण में अतिरिक्त कर्मचारियों को शामिल किया जा रहा है ताकि बीएलओ को पूरी प्रक्रिया अकेले न संभालनी पड़े।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने बीएलओ कर्मचारियों की समस्याओं और चिंताओं को चुनाव आयोग के संज्ञान में ला दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त दबाव न पड़े। हमारा उद्देश्य पूरी प्रक्रिया को और अधिक विकेंद्रीकृत बनाना है।”
ज्ञात हो कि हाल ही में पश्चिम बंगाल, केरल और राजस्थान में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से जुड़े कथित अत्यधिक कार्यदबाव के कारण बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में तैनात कई कर्मचारियों की मौत और आत्महत्या के मामले भी सामने आए हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि इससे पहले बिहार में हुए एसआईआर के दौरान आरा के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक और बीएलओ सुपरवाइजर राजेंद्र प्रसाद की 27 अगस्त को कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों गुजरात के खेड़ा जिले में बीएलओ की जिम्मेदारी निभा रहे एक स्कूल शिक्षक की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई।
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मृतक के भाई ने कहा, “हमें लगता है कि काम के ज्यादा प्रेशर की वजह से उन्हें हार्ट अटैक आया होगा।” रमेशभाई परमार की बेटी शिल्पा ने भी कहा कि वह बीएलओ से जुड़े काम की वजह से दबाव में थे।
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