उत्तर प्रदेश में SIR प्रक्रिया के दौरान BLO पर बढ़ता दबाव स्थिति को बेहद गंभीर बना रहा है। पिछले 12 दिनों में दस बीएलओ की मौत हो चुकी है, जिनमें आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं। बरेली, मेरठ और बुलंदशहर में कर्मचारियों ने अत्यधिक काम के बोझ और उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराई हैं।

फाइल फोटो
उत्तर प्रदेश में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान ने इस सप्ताह हालात को और चिंताजनक बना दिया है। बरेली में एक बीएलओ की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई, जबकि मेरठ में एक अन्य बीएलओ ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। वहीं, बुलंदशहर में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने भी आत्महत्या की धमकी दी है। उनका आरोप है कि SIR के कार्यभार के कारण उन पर असहनीय दबाव डाला जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इन मामलों के सामने आने के बाद पिछले 12 दिनों में यूपी भर में बीएलओ की मौतों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है, जिनमें तीन आत्महत्या के मामले शामिल हैं।
बरेली में एमबी इंटर कॉलेज के प्रवक्ता और बीएलओ अजय अग्रवाल (51) का सोमवार देर रात निधन हो गया। वे SIR ड्यूटी पूरी करके घर लौटे थे। परिवार का कहना है कि 24 नवंबर से उन्हें डेटा फीड करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके चलते वे भारी तनाव में थे। साथ ही यह काम उन्हें एक साधारण मोबाइल फोन पर करना पड़ रहा था, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई थी।
उनके बेटे प्रखर ने कहा, “उन्होंने अधिकारियों को साफ बता दिया था कि उन्हें एंड्रॉयड फोन चलाने में कठिनाई होती है, इसलिए डेटा अपलोड करना उनके लिए बेहद मुश्किल है। लेकिन किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। जब भी उन्हें कोई समस्या होती, अधिकारी उल्टा उन्हें ही डांटते थे। वे लगातार कहते रहते थे कि काम का दबाव बहुत ज्यादा है और वे इसे मैनेज नहीं कर पा रहे हैं।”
अजय अपने पीछे अपनी बीमार पत्नी और पुत्र को छोड़ गए हैं।
उधर, मेरठ जिले में सिंचाई विभाग के क्लर्क और बीएलओ के रूप में तैनात मोहित कुमार (उम्र लगभग 30 वर्ष) ने मंगलवार रात ज़हर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। उनकी पत्नी का आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार बढ़ते दबाव ने उन्हें इस हालत तक पहुंचा दिया।
ज्योति देवी ने कहा, “मेरी बस इतनी ही गुज़ारिश है कि किसी और को मेरे पति की तरह दबाव में न झोंका जाए। मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करती हूं कि कम से कम उन्हें उचित ट्रेनिंग देकर ही काम पर भेजें। यह कहना कि उन्हें ट्रेनिंग दी गई थी, पूरी तरह झूठ है — वास्तव में उन्हें कभी कोई प्रशिक्षण मिला ही नहीं।”
हालांकि मेरठ के डीएम वी.के. सिंह ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया। उनका कहना है, “बूथ लेवल अधिकारी मोहित कुमार का काम पूरी तरह संतोषजनक था। उन्होंने कीटनाशक क्यों खाया, यह जांच का विषय है। फिलहाल वह खतरे से बाहर हैं और उन्हें बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है।”
आत्महत्या की धमकी
इसी दौरान, बुलंदशहर में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका रजनी ने वॉट्सऐप पर एक लिखित संदेश भेजकर आत्महत्या की धमकी दी। उन्होंने कहा कि बीएलओ ड्यूटी से जुड़े “काम के बोझ और लगातार हो रहे उत्पीड़न” को अब और बर्दाश्त नहीं कर सकतीं।
उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “मैं पहले से सौंपे गए काम का 50% से अधिक पूरा कर चुकी हूं, लेकिन अधिकारी बार-बार अपने निर्देश बदल रहे हैं। पहले कहा गया कि सभी फॉर्म बांट दें; फिर अचानक जल्दबाजी में वे फॉर्म वापस मांग लिए गए और मुझ पर ऑनलाइन डेटा अपलोड करने का दबाव डालना शुरू कर दिया गया।”
ये घटनाएं उन कई मौतों के बीच सामने आई हैं, जो हाल के दिनों में SIR ड्यूटी के दौरान हुई हैं। इससे पहले हाथरस में एक 45 वर्षीय सरकारी शिक्षक की मंगलवार सुबह मौत हो गई, जब वे बीएलओ ड्यूटी पर निकलने की तैयारी कर रहे थे। उनकी पत्नी का कहना है कि उनकी मौत की वजह लगातार बढ़ता काम का तनाव था।
संभल में हेडमास्टर अरविंद कुमार (40) की भी ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। उनके परिवार का कहना है कि अत्यधिक तनाव और दबाव ही इसकी मुख्य वजह थे।
ज्ञात हो कि बीते सप्ताह मुरादाबाद में 40 वर्षीय सहायक शिक्षक सर्वेश सिंह ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने एक नोट में डिजिटल अपलोडिंग के दबाव, नींद की कमी और निलंबन के डर का जिक्र किया था।
द वायर के अनुसार, फ़तेहपुर में लेखपाल सुधीर कुमार कुरील (27) ने अपनी शादी से एक दिन पहले आत्महत्या कर ली — कथित तौर पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी गई थी। वहीं गोंडा में 35 वर्षीय सहायक शिक्षक विपिन यादव ने ज़हर खा लिया। उनकी पत्नी ने एक वीडियो में कहा कि उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था।
इसी तरह चार अन्य कर्मचारियों — बिजनौर की शोभा रानी (56), बरेली के सर्वेश कुमार गंगवार (47), लखनऊ के विजय कुमार वर्मा (40) और देवरिया की रंजू दुबे (44) — की भी ड्यूटी के दौरान मौत हो चुकी है।
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फाइल फोटो
उत्तर प्रदेश में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान ने इस सप्ताह हालात को और चिंताजनक बना दिया है। बरेली में एक बीएलओ की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई, जबकि मेरठ में एक अन्य बीएलओ ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। वहीं, बुलंदशहर में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने भी आत्महत्या की धमकी दी है। उनका आरोप है कि SIR के कार्यभार के कारण उन पर असहनीय दबाव डाला जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इन मामलों के सामने आने के बाद पिछले 12 दिनों में यूपी भर में बीएलओ की मौतों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है, जिनमें तीन आत्महत्या के मामले शामिल हैं।
बरेली में एमबी इंटर कॉलेज के प्रवक्ता और बीएलओ अजय अग्रवाल (51) का सोमवार देर रात निधन हो गया। वे SIR ड्यूटी पूरी करके घर लौटे थे। परिवार का कहना है कि 24 नवंबर से उन्हें डेटा फीड करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके चलते वे भारी तनाव में थे। साथ ही यह काम उन्हें एक साधारण मोबाइल फोन पर करना पड़ रहा था, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई थी।
उनके बेटे प्रखर ने कहा, “उन्होंने अधिकारियों को साफ बता दिया था कि उन्हें एंड्रॉयड फोन चलाने में कठिनाई होती है, इसलिए डेटा अपलोड करना उनके लिए बेहद मुश्किल है। लेकिन किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। जब भी उन्हें कोई समस्या होती, अधिकारी उल्टा उन्हें ही डांटते थे। वे लगातार कहते रहते थे कि काम का दबाव बहुत ज्यादा है और वे इसे मैनेज नहीं कर पा रहे हैं।”
अजय अपने पीछे अपनी बीमार पत्नी और पुत्र को छोड़ गए हैं।
उधर, मेरठ जिले में सिंचाई विभाग के क्लर्क और बीएलओ के रूप में तैनात मोहित कुमार (उम्र लगभग 30 वर्ष) ने मंगलवार रात ज़हर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। उनकी पत्नी का आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार बढ़ते दबाव ने उन्हें इस हालत तक पहुंचा दिया।
ज्योति देवी ने कहा, “मेरी बस इतनी ही गुज़ारिश है कि किसी और को मेरे पति की तरह दबाव में न झोंका जाए। मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करती हूं कि कम से कम उन्हें उचित ट्रेनिंग देकर ही काम पर भेजें। यह कहना कि उन्हें ट्रेनिंग दी गई थी, पूरी तरह झूठ है — वास्तव में उन्हें कभी कोई प्रशिक्षण मिला ही नहीं।”
हालांकि मेरठ के डीएम वी.के. सिंह ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया। उनका कहना है, “बूथ लेवल अधिकारी मोहित कुमार का काम पूरी तरह संतोषजनक था। उन्होंने कीटनाशक क्यों खाया, यह जांच का विषय है। फिलहाल वह खतरे से बाहर हैं और उन्हें बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है।”
आत्महत्या की धमकी
इसी दौरान, बुलंदशहर में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका रजनी ने वॉट्सऐप पर एक लिखित संदेश भेजकर आत्महत्या की धमकी दी। उन्होंने कहा कि बीएलओ ड्यूटी से जुड़े “काम के बोझ और लगातार हो रहे उत्पीड़न” को अब और बर्दाश्त नहीं कर सकतीं।
उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “मैं पहले से सौंपे गए काम का 50% से अधिक पूरा कर चुकी हूं, लेकिन अधिकारी बार-बार अपने निर्देश बदल रहे हैं। पहले कहा गया कि सभी फॉर्म बांट दें; फिर अचानक जल्दबाजी में वे फॉर्म वापस मांग लिए गए और मुझ पर ऑनलाइन डेटा अपलोड करने का दबाव डालना शुरू कर दिया गया।”
ये घटनाएं उन कई मौतों के बीच सामने आई हैं, जो हाल के दिनों में SIR ड्यूटी के दौरान हुई हैं। इससे पहले हाथरस में एक 45 वर्षीय सरकारी शिक्षक की मंगलवार सुबह मौत हो गई, जब वे बीएलओ ड्यूटी पर निकलने की तैयारी कर रहे थे। उनकी पत्नी का कहना है कि उनकी मौत की वजह लगातार बढ़ता काम का तनाव था।
संभल में हेडमास्टर अरविंद कुमार (40) की भी ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। उनके परिवार का कहना है कि अत्यधिक तनाव और दबाव ही इसकी मुख्य वजह थे।
ज्ञात हो कि बीते सप्ताह मुरादाबाद में 40 वर्षीय सहायक शिक्षक सर्वेश सिंह ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने एक नोट में डिजिटल अपलोडिंग के दबाव, नींद की कमी और निलंबन के डर का जिक्र किया था।
द वायर के अनुसार, फ़तेहपुर में लेखपाल सुधीर कुमार कुरील (27) ने अपनी शादी से एक दिन पहले आत्महत्या कर ली — कथित तौर पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी गई थी। वहीं गोंडा में 35 वर्षीय सहायक शिक्षक विपिन यादव ने ज़हर खा लिया। उनकी पत्नी ने एक वीडियो में कहा कि उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था।
इसी तरह चार अन्य कर्मचारियों — बिजनौर की शोभा रानी (56), बरेली के सर्वेश कुमार गंगवार (47), लखनऊ के विजय कुमार वर्मा (40) और देवरिया की रंजू दुबे (44) — की भी ड्यूटी के दौरान मौत हो चुकी है।
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