उत्तराखंड में धार्मिक नारे लगाने से इनकार करने पर मुस्लिम व्यक्ति पर हमला, 3 गिरफ्तार: पुलिस

Written by sabrang india | Published on: August 18, 2025
पीड़ित ने कहा, "उन्होंने मेरी दाढ़ी पकड़ ली, उसे जोर से खींचा और चिल्लाए- 'इस आदमी की दाढ़ी काट दो!' उन्होंने इस हमले का वीडियो भी बनाया...।"


प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार : अमर उजाला

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक व्यक्ति पर तीन लोगों ने हमला किया क्योंकि उसने कथित रूप से धार्मिक नारे लगाने से इनकार कर दिया था। पुलिस ने मीडिया को ये जानकारी दी। तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के निवासी पीड़ित रिजवान अहमद की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, यह घटना 15 अगस्त को लगभग शाम 4 बजे डुंगरीपंथ के पास एक चाय की दुकान पर हुई।

शिकायत में कहा गया है, "मैं राकेश लाल की चाय की दुकान पर चाय पीने गया था। दुकान के अंदर पहले से ही तीन लोग शराब के नशे में धुत थे। उनमें से एक, मुकेश भट्ट, ने मुझसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने को कहा।" अहमद ने आरोप लगाया कि जब उसने मना किया तो भट्ट और उसके दो साथियों ने उसके साथ मारपीट की, गाली-गलौज की और धमकी दी।

उन्होंने कहा, "उन्होंने मेरी दाढ़ी पकड़ ली, उसे जोर से खींचा और चिल्लाए- 'इस आदमी की दाढ़ी काट दो!' उन्होंने इस मारपीट का वीडियो भी बनाया। मुझे 'भारत माता की जय' और 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया। किसी तरह, मैं दुकान के पिछले हिस्से से भागकर अपनी गाड़ी की तरफ भागा।"

इसी शिकायत में, अहमद ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उसी दिन सहारनपुर के एक अन्य व्यक्ति, मुख्तियार इस्लाम को भी धमकाया और उसे "जय श्री राम" का नारा लगाने के लिए मजबूर करने की कोशिश की।

इस घटना के एक वीडियो में तीनों आरोपियों द्वारा पीटे जाने के बाद उस व्यक्ति के शरीर से खून बहता हुआ दिखाई दे रहा है। एक अन्य व्यक्ति इस हमले का वीडियो बना रहा था, जबकि चाय की दुकान का मालिक देख रहा था। अहमद को आरोपियों द्वारा गालियां दी जा रही थीं। उनमें से एक व्यक्ति उससे पूछ रहा है कि वह स्वतंत्रता दिवस पर "भारत माता की जय" क्यों नहीं बोल सकता, जबकि दूसरा कहता है, "अगर तुम्हें हिंदुस्तान में रहना है, तो तुम्हें जय श्री राम का नारा लगाना होगा।" वे लोग कहते हैं कि सरकार हिंदुओं की है, जब तक कि अहमद कमजोर स्वर में नारा बुदबुदाता है। एक आरोपी कहता सुनाई देता है, "हम तुम्हें हलाल से काटेंगे, हम तुम्हें झटका से काटेंगे।"

आरोपियों की पहचान मुकेश भट्ट, नवीन भंडारी और मनीष बिष्ट के रूप में हुई है। पौड़ी के श्रीनगर पुलिस स्टेशन में शनिवार को बीएनएस की धारा 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना...), 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 351(2) (आपराधिक धमकी) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

एक अधिकारी ने बताया, "पीड़िता के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करने के आरोप में तीनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें अदालत में पेश किया गया और कानूनी कार्यवाही चल रही है।"

भट्ट ऋषिकेश के रहने वाला है, बिष्ट श्रीनगर के रहने वाला है और भंडारी उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ के रहने वाला है।

धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी महीने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सोमवार को हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने एक मकबरे पर कथित तौर पर हंगामा किया। उन्होंने वहां पूजा करने की अनुमति की मांग की, यह दावा करते हुए कि इस स्थल पर पहले एक मंदिर मौजूद था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिले में नवाब अबू समद के सदियों पुराने मकबरे और उसके आसपास के इलाके में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए। यह व्यवस्था तब की गई जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी कि वह 11 अगस्त को हिंदू संगठनों के साथ मिलकर उस स्थल पर पूजा-अर्चना करेंगे। उनका दावा था कि यह प्राचीन इमारत वास्तव में एक मंदिर है, जिसमें 'शिवलिंग' मौजूद है।

एक वीडियो, जिसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है, में कुछ लोगों को इस ढांचे के कुछ हिस्सों को क्षतिग्रस्त करते और एक भगवा झंडा फहराते हुए देखा गया।

ज्ञात हो कि इस महीने की शुरूआत में ओडिशा के जलेश्वर में कथित रूप से भीड़ द्वारा दो कैथोलिक पादरियों और एक कैटेकिस्ट पर हमले किए गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला उस समय हुआ जब जलेश्वर स्थित सेंट थॉमस चर्च के पैरिश पादरी फादर लिजो, एक अन्य पादरी, दो नन और एक कैटेकिस्ट के साथ पास के एक गांव में एक कैथोलिक घर में अंतिम संस्कार की प्रार्थना सभा आयोजित करने के बाद लौट रहे थे।

साउथ फर्स्ट ने इस घटना को लेकर सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा था कि बजरंग दल से जुड़े लगभग 70 लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर दो कैथोलिक पादरियों, दो ननों और एक कैटेकिस्ट पर हमला किया और बिना किसी सबूत के उन पर जबरन धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप लगाया।

भारतीय कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस (सीबीसीआई) ने ओडिशा में किए गए हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी। सीबीसीआई ने अपने एक बयान में कहा था कि यह हालिया घटना कोई अलग मामला नहीं, बल्कि यह देश में बढ़ती असहिष्णुता की पृष्ठभूमि में ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की एक चिंताजनक प्रवृत्ति का हिस्सा है।

इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जुलाई 2025 के बीच भारत में ईसाई समुदाय को निशाना बनाए जाने की कुल 334 घटनाएं दर्ज की गईं।

संगठन का कहना है कि ये मामले एक खतरनाक प्रवृत्ति को दर्शाते हैं, जिसमें हर महीने घटनाएं होती हैं और 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ईसाई समुदायों को प्रभावित करती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रकार की घटनाओं में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ सबसे आगे हैं। उत्तर प्रदेश में 95 और छत्तीसगढ़ में 86 घटनाएं दर्ज की गईं, जो कुल घटनाओं का लगभग 54% हिस्सा हैं।

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