11 अगस्त को फतेहपुर में हिंदुत्ववादी संगठनों की भीड़ ने सैंकड़ों साल पुराने मकबरे पर तोड़फोड़ की और वहां भगवा झंडे फहराया। वहां हिंदू अनुष्ठान किए गए।

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के आबू नगर क्षेत्र में एक मकबरे में हुई तोड़फोड़ की घटना को लेकर अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। हालांकि, किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक तनाव को टालने के लिए प्रशासन ने घटनास्थल के आसपास एक किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर सुरक्षा बढ़ा दी है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मंगलवार 13 अगस्त को पुलिस ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और शांति भंग करने के आरोप में 150 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें 10 लोगों को नामज़द किया गया है।
एफआईआर में जिन 10 लोगों को नामजद किया गया है, उनमें बजरंग दल के धर्मेंद्र सिंह, भाजपा से जुड़े अभिषेक शुक्ला, देवनाथ धाकड़, पुष्पराज पटेल, ऋतिक पाल और प्रसून तिवारी, जिला पंचायत सदस्य अजय सिंह, नगर पार्षद विनय तिवारी, समाजवादी पार्टी के आशीष त्रिवेदी और पप्पू चौहान शामिल हैं।
इस बीच, स्थानीय लोगों को बाहरी लोगों से बातचीत करने से मना किया गया है और मीडिया के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। सादे कपड़ों में तैनात पुलिसकर्मी मकबरे के आसपास के इलाकों में गश्त कर रहे हैं, स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहे हैं और हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
गौरतलब है कि 11 अगस्त को फतेहपुर के आबू नगर इलाके में उस समय हिंसक झड़प हुई, जब विभिन्न हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़ी भीड़ ने एक प्राचीन मकबरे पर धावा बोल दिया। इस दौरान उन्होंने मकबरे पर भगवा झंडे फहराए, भीतर हिंदू धार्मिक अनुष्ठान किए और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में कब्रों में तोड़फोड़ की।
घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ पथराव और झड़पें हुईं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में आक्रोश पैदा कर दिया और भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि तोड़फोड़ करने वालों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है, पुलिस ने तोड़फोड़ करने वालों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने पर कांग्रेस नगर अध्यक्ष आरिफ उर्फ गुड्डा और उनके कई समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है।
इस दौरान, उस समय पार्टी के जिला अध्यक्ष महेश द्विवेदी को नजरबंद कर दिया गया जब दो पूर्व विधायकों सहित पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने घटनास्थल का दौरा करने की योजना बनाई थी।
द्विवेदी ने पुलिस की कार्रवाई को ‘तानाशाही’ करार दिया और आरोप लगाया कि तोड़फोड़ की घटना के दौरान प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश उत्तम पटेल ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग की है।
उधर, उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को मकबरे में हुई तोड़फोड़ की घटना को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया कि यह सांप्रदायिक तनाव भड़काने की एक 'सुनियोजित साजिश' है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, समाजवादी पार्टी के नेता माता प्रसाद पांडे ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने एक सप्ताह पहले ही इस मकबरे पर कब्जा करने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि ढीली सुरक्षा व्यवस्था के कारण भीड़ मकबरे के अंदर घुसने में सफल रही।
पांडे ने कहा, ‘राज्य भर में एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए मदरसों और मकबरों को गिराना अब एक आम प्रवृत्ति बन गई है।’
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न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मंगलवार 13 अगस्त को पुलिस ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और शांति भंग करने के आरोप में 150 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें 10 लोगों को नामज़द किया गया है।
एफआईआर में जिन 10 लोगों को नामजद किया गया है, उनमें बजरंग दल के धर्मेंद्र सिंह, भाजपा से जुड़े अभिषेक शुक्ला, देवनाथ धाकड़, पुष्पराज पटेल, ऋतिक पाल और प्रसून तिवारी, जिला पंचायत सदस्य अजय सिंह, नगर पार्षद विनय तिवारी, समाजवादी पार्टी के आशीष त्रिवेदी और पप्पू चौहान शामिल हैं।
इस बीच, स्थानीय लोगों को बाहरी लोगों से बातचीत करने से मना किया गया है और मीडिया के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। सादे कपड़ों में तैनात पुलिसकर्मी मकबरे के आसपास के इलाकों में गश्त कर रहे हैं, स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहे हैं और हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
गौरतलब है कि 11 अगस्त को फतेहपुर के आबू नगर इलाके में उस समय हिंसक झड़प हुई, जब विभिन्न हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़ी भीड़ ने एक प्राचीन मकबरे पर धावा बोल दिया। इस दौरान उन्होंने मकबरे पर भगवा झंडे फहराए, भीतर हिंदू धार्मिक अनुष्ठान किए और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में कब्रों में तोड़फोड़ की।
घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ पथराव और झड़पें हुईं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में आक्रोश पैदा कर दिया और भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि तोड़फोड़ करने वालों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है, पुलिस ने तोड़फोड़ करने वालों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने पर कांग्रेस नगर अध्यक्ष आरिफ उर्फ गुड्डा और उनके कई समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है।
इस दौरान, उस समय पार्टी के जिला अध्यक्ष महेश द्विवेदी को नजरबंद कर दिया गया जब दो पूर्व विधायकों सहित पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने घटनास्थल का दौरा करने की योजना बनाई थी।
द्विवेदी ने पुलिस की कार्रवाई को ‘तानाशाही’ करार दिया और आरोप लगाया कि तोड़फोड़ की घटना के दौरान प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश उत्तम पटेल ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग की है।
उधर, उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को मकबरे में हुई तोड़फोड़ की घटना को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया कि यह सांप्रदायिक तनाव भड़काने की एक 'सुनियोजित साजिश' है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, समाजवादी पार्टी के नेता माता प्रसाद पांडे ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने एक सप्ताह पहले ही इस मकबरे पर कब्जा करने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि ढीली सुरक्षा व्यवस्था के कारण भीड़ मकबरे के अंदर घुसने में सफल रही।
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