रेलवे भर्ती को लेकर आंदोलित छात्रों के दमन और गिरफ्तारी की आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने आलोचना की है। पत्रकार वार्ता में कहा गया कि युवा मंच संयोजक राजेश सचान के बारे में जो सोशल मीडिया पर भड़काने की बात कही गई और वर्चुअल युवा मीटिंग बुलाकर बवाल करने का जो आरोप लगाया गया है, वह पूरी तौर पर निराधार है। क्योंकि 25 जनवरी को गूगल मीट पर आयोजित वर्चुअल मीटिंग की प्रेस विज्ञप्ति से यह पूरे तौर पर स्पष्ट है कि युवा मंच ने छात्रों को न तो भड़काया और न ही युवा पंचायत से बवाल करने की कोई अपील की गई।
फ्रंट ने कहा कि रोजगार की मांग करना छात्रों युवाओं का मौलिक अधिकार है वह उन्हें मिलना ही चाहिए। जिन पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर छात्रों का दमन किया गया है। उनकी शिनाख्त होनी चाहिए और उन्हें दण्ड़ित करना चाहिए। महज एक पुलिस इंस्पेक्टर और 6 पुलिस कर्मियों का निलम्बन करके सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकती है।
इस बीच युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने 31 जनवरी को नैनी जेल से रिहाई के बाद एक प्रेस वक्तव्य जारी किया है जिसमें उन्होंने छात्रों पर की गई पुलिस बर्बरता के बारे में बताते हुए खुद से संबंधित सभी बातों को स्पष्ट किया है।
राजेश सचान का वक्तव्य इस प्रकार है....
मैं जेल से रिहा हो गया हूं। जेल से रिहाई के लिए आम जन, नागरिक समाज, वाम-लोकतांत्रिक राजनीतिक शक्तियों और शुभ चितंकों का हार्दिक अभिनंदन। मीडिया, प्रेस, अधिवक्तागण, न्यायिक संस्थान का सादर धन्यवाद। रोजगार की मांग करने वाले प्रयागराज के छात्रों के ऊपर पुलिस प्रशासन द्वारा जिस तरह से बल प्रयोग किया गया, उनके साथ मार पीट की गई उससे मैं बहुत आहत हूं। छात्र आंदोलन की जो भी मांगें हैं वह वाजिब हैं और उन्हें सरकार को जरूर मानना चाहिए। रेलवे भर्ती में जो अनियमितता हुई, केन्द्र सरकार ने रेलवे में नौकरी के लिए जो विज्ञापन किया था उसके तद्नरूप यदि रेल भर्ती बोर्ड ने काम किया होता तो छात्रों का यह आंदोलन नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट का भी यह मानना है कि नौकरी के लिए दी गई विज्ञापन की शर्तों को बीच में नहीं बदला जा सकता है। सरकार को चाहिए कि कमेटी बनाकर मामले को और न उलझाए बल्कि विज्ञापन के नोटिफिकेशन के अनुसार काम करे। एनटीपीसी की सीबीटी-1 परीक्षा में पदों के सापेक्ष 20 गुना क्वालीफाई कर संशोधित रिजल्ट जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाये और जैसे पहले रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा होती थी तद्नरूप शीघ्र परीक्षा कराकर भर्ती की प्रक्रिया यहां भी शुरू की जाये।
प्रयागराज पुलिस प्रशासन ने मेरे बारे में जिस तरह से बयान जारी किया है उससे मुझे बेहद तकलीफ हुई है। लगभग 20 साल से मेरा जीवन सामाजिक सरोकार और राजनीतिक बदलाव के लिए समर्पित रहा है और आजीवन मैं उसके लिए समर्पित रहूंगा। मेरे बारे में जिस तरह से सनसनीखेज बयान प्रयागराज पुलिस प्रशासन ने दिया, उससे यह लग रहा था कि मैं कोई अपराधी या आतंकी हूं। जहां तक मेरे राजनीतिक जीवन का प्रश्न है, मैं प्रयागराज खासकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आइसा का कार्यकर्ता था, वहीं से मैंने एमए किया और अभी युवा मंच का संयोजक हूं। युवा मंच ने विगत चार महीनों तक प्रयागराज प्रशासन को सूचित करके पत्थर गिरजाघर धरना स्थल पर रोजगार आंदोलन को लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्वक चलाया है। विगत 25 जनवरी को मैंने वर्चुअल मीटिंग करके एक प्रेस वक्तव्य जारी किया था और प्रधानमंत्री से अपील की थी कि रेलवे भर्ती में हो रही अनियमितता को दूर करने का कष्ट करें। हमने अपने वक्तव्य को प्रेस और मीडिया को भी जारी किया था। इसमें कहीं भी छात्रों को भड़काने और उकसाने की बात नहीं है कोई भी मेरे प्रेस वक्तव्य से इसकी तस्दीक़ कर सकता है।
25 जनवरी की शाम छोटा बघाड़ा की लाजों में जिस तरह छात्रों के साथ पुलिस ने मारपीट की, दरवाजे तोड़े, आतंक का वातावरण बनाया, उसका एक वीडियो मैंने युवा मंच के ट्विटर हैंडल से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ट्वीट कर घटना को संज्ञान में लेने और उचित कार्यवाही हेतु अनुरोध किया। इसी ट्वीट को पीएमओ, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश व चुनाव आयोग को भी रिट्वीट किया। शायद यह पुलिस प्रशासन को बहुत नागवार लगा क्योंकि मेरी गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधिकारी मुझसे इसी ट्वीट के बारे में पूंछते रहे।
जहां तक मेरे राजनीतिक जीवन का प्रश्न है मैं आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) का सक्रिय कार्यकर्ता हूं और उसके मित्र संगठन स्वराज इंडिया की राज्य कमेटी का आमंत्रित सदस्य भी रहा हूं। जहां तक मेरी आय के स्रोत की बात है मैं एक पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता हूं और मेरी पत्नी सुनीता जी कर्नलगंज कोतवाली के बगल में सबद प्रकाशन चलाती हैं उसी से मेरे और उनके जीवन का खर्चा चलता है। जहां तक मेरे बैंक एकाउंट की बात है मेरे दो एकाउंट एक कानपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और दूसरा बैंक आफ बड़ौदा मेरे गृह जनपद कानपुर देहात में स्थित बैंक में है। जिसमें मेरे परिवार से दिया गया पैसा दर्ज है। मेरे जेल रहने के दौरान ही इसकी कापी प्रयागराज जोन के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रयागराज वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दे दी गई थी। मेरे आय के स्रोत पर पुलिस प्रशासन द्वारा की गई अनावश्यक टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।
मेरे साथ नैनी जेल में बंद दो छात्र प्रदीप यादव और मुकेश यादव की रिहाई की मैं मांग करता हूं और रोजगार अधिकार आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से चलाने में विश्वास करता हूँ। विगत 28 दिसम्बर को ईको गार्डन लखनऊ में हमने धरना देकर राज्य सरकार से यह मांग की थी कि वह प्रदेश में रिक्त पदों की तत्काल भर्ती करे और विपक्षी दलों से भी मांग की थी कि वे अपने घोषणा पत्र में रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने और रिक्त पदों पर भर्ती पर अपनी नीति स्पष्ट करें। युवा मंच रोजगार अधिकार आंदोलन के प्रति प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय स्तर पर छात्र-युवाओं की उठ रही मांग के साथ अपने को एकताबद्ध करता है। हमारा आंदोलन निहायत शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक है और किसी भी तरह की हिंसा की इसमें जगह नहीं है।
भवदीय
राजेश सचान, संयोजक युवा मंच
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इस बीच युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने 31 जनवरी को नैनी जेल से रिहाई के बाद एक प्रेस वक्तव्य जारी किया है जिसमें उन्होंने छात्रों पर की गई पुलिस बर्बरता के बारे में बताते हुए खुद से संबंधित सभी बातों को स्पष्ट किया है।
राजेश सचान का वक्तव्य इस प्रकार है....
मैं जेल से रिहा हो गया हूं। जेल से रिहाई के लिए आम जन, नागरिक समाज, वाम-लोकतांत्रिक राजनीतिक शक्तियों और शुभ चितंकों का हार्दिक अभिनंदन। मीडिया, प्रेस, अधिवक्तागण, न्यायिक संस्थान का सादर धन्यवाद। रोजगार की मांग करने वाले प्रयागराज के छात्रों के ऊपर पुलिस प्रशासन द्वारा जिस तरह से बल प्रयोग किया गया, उनके साथ मार पीट की गई उससे मैं बहुत आहत हूं। छात्र आंदोलन की जो भी मांगें हैं वह वाजिब हैं और उन्हें सरकार को जरूर मानना चाहिए। रेलवे भर्ती में जो अनियमितता हुई, केन्द्र सरकार ने रेलवे में नौकरी के लिए जो विज्ञापन किया था उसके तद्नरूप यदि रेल भर्ती बोर्ड ने काम किया होता तो छात्रों का यह आंदोलन नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट का भी यह मानना है कि नौकरी के लिए दी गई विज्ञापन की शर्तों को बीच में नहीं बदला जा सकता है। सरकार को चाहिए कि कमेटी बनाकर मामले को और न उलझाए बल्कि विज्ञापन के नोटिफिकेशन के अनुसार काम करे। एनटीपीसी की सीबीटी-1 परीक्षा में पदों के सापेक्ष 20 गुना क्वालीफाई कर संशोधित रिजल्ट जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाये और जैसे पहले रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा होती थी तद्नरूप शीघ्र परीक्षा कराकर भर्ती की प्रक्रिया यहां भी शुरू की जाये।
प्रयागराज पुलिस प्रशासन ने मेरे बारे में जिस तरह से बयान जारी किया है उससे मुझे बेहद तकलीफ हुई है। लगभग 20 साल से मेरा जीवन सामाजिक सरोकार और राजनीतिक बदलाव के लिए समर्पित रहा है और आजीवन मैं उसके लिए समर्पित रहूंगा। मेरे बारे में जिस तरह से सनसनीखेज बयान प्रयागराज पुलिस प्रशासन ने दिया, उससे यह लग रहा था कि मैं कोई अपराधी या आतंकी हूं। जहां तक मेरे राजनीतिक जीवन का प्रश्न है, मैं प्रयागराज खासकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आइसा का कार्यकर्ता था, वहीं से मैंने एमए किया और अभी युवा मंच का संयोजक हूं। युवा मंच ने विगत चार महीनों तक प्रयागराज प्रशासन को सूचित करके पत्थर गिरजाघर धरना स्थल पर रोजगार आंदोलन को लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्वक चलाया है। विगत 25 जनवरी को मैंने वर्चुअल मीटिंग करके एक प्रेस वक्तव्य जारी किया था और प्रधानमंत्री से अपील की थी कि रेलवे भर्ती में हो रही अनियमितता को दूर करने का कष्ट करें। हमने अपने वक्तव्य को प्रेस और मीडिया को भी जारी किया था। इसमें कहीं भी छात्रों को भड़काने और उकसाने की बात नहीं है कोई भी मेरे प्रेस वक्तव्य से इसकी तस्दीक़ कर सकता है।
25 जनवरी की शाम छोटा बघाड़ा की लाजों में जिस तरह छात्रों के साथ पुलिस ने मारपीट की, दरवाजे तोड़े, आतंक का वातावरण बनाया, उसका एक वीडियो मैंने युवा मंच के ट्विटर हैंडल से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ट्वीट कर घटना को संज्ञान में लेने और उचित कार्यवाही हेतु अनुरोध किया। इसी ट्वीट को पीएमओ, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश व चुनाव आयोग को भी रिट्वीट किया। शायद यह पुलिस प्रशासन को बहुत नागवार लगा क्योंकि मेरी गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधिकारी मुझसे इसी ट्वीट के बारे में पूंछते रहे।
जहां तक मेरे राजनीतिक जीवन का प्रश्न है मैं आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) का सक्रिय कार्यकर्ता हूं और उसके मित्र संगठन स्वराज इंडिया की राज्य कमेटी का आमंत्रित सदस्य भी रहा हूं। जहां तक मेरी आय के स्रोत की बात है मैं एक पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता हूं और मेरी पत्नी सुनीता जी कर्नलगंज कोतवाली के बगल में सबद प्रकाशन चलाती हैं उसी से मेरे और उनके जीवन का खर्चा चलता है। जहां तक मेरे बैंक एकाउंट की बात है मेरे दो एकाउंट एक कानपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और दूसरा बैंक आफ बड़ौदा मेरे गृह जनपद कानपुर देहात में स्थित बैंक में है। जिसमें मेरे परिवार से दिया गया पैसा दर्ज है। मेरे जेल रहने के दौरान ही इसकी कापी प्रयागराज जोन के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रयागराज वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दे दी गई थी। मेरे आय के स्रोत पर पुलिस प्रशासन द्वारा की गई अनावश्यक टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।
मेरे साथ नैनी जेल में बंद दो छात्र प्रदीप यादव और मुकेश यादव की रिहाई की मैं मांग करता हूं और रोजगार अधिकार आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से चलाने में विश्वास करता हूँ। विगत 28 दिसम्बर को ईको गार्डन लखनऊ में हमने धरना देकर राज्य सरकार से यह मांग की थी कि वह प्रदेश में रिक्त पदों की तत्काल भर्ती करे और विपक्षी दलों से भी मांग की थी कि वे अपने घोषणा पत्र में रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने और रिक्त पदों पर भर्ती पर अपनी नीति स्पष्ट करें। युवा मंच रोजगार अधिकार आंदोलन के प्रति प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय स्तर पर छात्र-युवाओं की उठ रही मांग के साथ अपने को एकताबद्ध करता है। हमारा आंदोलन निहायत शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक है और किसी भी तरह की हिंसा की इसमें जगह नहीं है।
भवदीय
राजेश सचान, संयोजक युवा मंच
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