खबर ये आ रही है कि एनटीपीसी की 4200 मेगावाट क्षमतावाले पूर्वी भारत में स्थित प्लांट को कोयले की सप्लाई करनेवाले खदान का स्टॉक लगभग खत्म हो गया है. इससे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल समेत पूरे उत्तर भारत में होने वाली बिजली की आपूर्ति बाधित हो सकती है, हालांकि ऐसी खबरें पहले भी आती रही है पर इस बार मामला कुछ अलग है.
क्योंकि सोचने की बात तो यह भी है कि यदि कोयला खत्म होने से यह स्थिति आ रही है तो आखिर सरकार कर क्या रही है ?
बात दरअसल कोयले की आपूर्ति से अधिक गंभीर है , देश की बिजली कंपनियों पर कर्ज का गहरा संकट मंडरा रहा है.
रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी के सर्कुलर में कर्ज में डूबी इन कंपनियों को 180 दिन का वक्त दिया था जो कि 27 अगस्त को खत्म हो गया अब सिर्फ 15 दिन शेष हैं। अब कर्ज में डूबीं कंपनियों को अपना लोन अकाउंट क्लीयर करना है या समाधान उपलब्ध कराना है.
बिजली क्षेत्र से जुड़ी देश की 34 कंपनियों पर 1.5 लाख करोड़ का बैंक कर्ज है। इनमें कई कंपनियां देश के बिजली उत्पादन में योगदान करती हैं। इन कंपनियों में जिंदल, जेपी पॉवर वेंचर, प्रयागराज पॉवर, झाबुआ पॉवर, केएसके महानंदी, कोस्टल एर्नजन समेत 34 कंपनियां शामिल है। यदि ये बिजली कंपनियां उत्पादन बंद कर देती है तो गम्भीर बिजली संकट खड़ा हो जाएगा,
इस बात का पता सरकार को पहले से है संसद की सब कमेटी ने इस साल की शुरूआत में कहा था कि देश में 34 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन पर संकट है क्योंकि इन बिजली कंपनियों से या तो कोई बिजली खरीद नहीं रहा या फिर उन्हें उत्पादन के लिए कोयला नहीं मिल रहा है.
अब इन पावर कम्पनियों ने सरकार को लॉक आउट करने की धमकी भी दी है.
इस मामले को लेकर ये कम्पनियां इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गयी थी लेकिन 28 अगस्त को इलाहबाद हाईकोर्ट ने आरबीआई के उस सर्कुलर पर रोक लगाने से इंकार कर दिया जिसमें 200 करोड़ से अधिक लोन बकाया कंपनियों को बैंको के साथ 180 दिन के भीतर अदायगी का हल निकालने का समय दिया गया था
यानी इस बार समस्या वाक़ई बहुत गंभीर है.
क्योंकि सोचने की बात तो यह भी है कि यदि कोयला खत्म होने से यह स्थिति आ रही है तो आखिर सरकार कर क्या रही है ?
बात दरअसल कोयले की आपूर्ति से अधिक गंभीर है , देश की बिजली कंपनियों पर कर्ज का गहरा संकट मंडरा रहा है.
रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी के सर्कुलर में कर्ज में डूबी इन कंपनियों को 180 दिन का वक्त दिया था जो कि 27 अगस्त को खत्म हो गया अब सिर्फ 15 दिन शेष हैं। अब कर्ज में डूबीं कंपनियों को अपना लोन अकाउंट क्लीयर करना है या समाधान उपलब्ध कराना है.
बिजली क्षेत्र से जुड़ी देश की 34 कंपनियों पर 1.5 लाख करोड़ का बैंक कर्ज है। इनमें कई कंपनियां देश के बिजली उत्पादन में योगदान करती हैं। इन कंपनियों में जिंदल, जेपी पॉवर वेंचर, प्रयागराज पॉवर, झाबुआ पॉवर, केएसके महानंदी, कोस्टल एर्नजन समेत 34 कंपनियां शामिल है। यदि ये बिजली कंपनियां उत्पादन बंद कर देती है तो गम्भीर बिजली संकट खड़ा हो जाएगा,
इस बात का पता सरकार को पहले से है संसद की सब कमेटी ने इस साल की शुरूआत में कहा था कि देश में 34 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन पर संकट है क्योंकि इन बिजली कंपनियों से या तो कोई बिजली खरीद नहीं रहा या फिर उन्हें उत्पादन के लिए कोयला नहीं मिल रहा है.
अब इन पावर कम्पनियों ने सरकार को लॉक आउट करने की धमकी भी दी है.
इस मामले को लेकर ये कम्पनियां इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गयी थी लेकिन 28 अगस्त को इलाहबाद हाईकोर्ट ने आरबीआई के उस सर्कुलर पर रोक लगाने से इंकार कर दिया जिसमें 200 करोड़ से अधिक लोन बकाया कंपनियों को बैंको के साथ 180 दिन के भीतर अदायगी का हल निकालने का समय दिया गया था
यानी इस बार समस्या वाक़ई बहुत गंभीर है.