वाराणसी के किला कोहना के निवासियों को रेलवे की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया है जिसमें उनके घर ध्वस्त कर जमीन कब्जाने की बात कही गई है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के किला कोहना के लोग पिछले महीने से परेशान हैं। इनकी परेशानी है रेलवे द्वारा इनके पास भेजे गए ध्वस्तीकरण नोटिस। 12 अप्रैल को नोटिस चस्पा किए जाने के बाद से ही लोग परेशान हैं। तभी से यहां के निवासी लगातार जिला प्रशासन से मिलकर खुद को बेघर करने से बचाने की गुहार लगा रहे हैं।
अप्रैल में चस्पा किए गए नोटिस में लिखा गया था कि यह रेलवे की जमीन है, अत: 13 मई 2023 तक सभी अपने घर खाली कर दें, इसके बाद ध्वस्तीकरण किया जाएगा। इस नोटिस के बाद से ही लोगों में भय का माहौल है कि अगर उनके घर गिरा दिए गए तो वे कहां जाएंगे।
जनसुनवाई
सोमवार को यहां के लोगों ने जनसुनवाई का आयोजन किया जिसमें लोगों ने अपनी बात रखी और कहा कि रेलवे ने जो बेदखली का नोटिस चस्पा किया है वह बिल्कुल गलत है। रेलवे अचानक से इस जमीन पर अपना दावा कर रहा है जबकि यहां लोग 50-60 साल से रह रहे हैं। लेफ्ट फ्रंट के मनीष शर्मा ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर बस्ती उजाड़ना चाहती है जबकि यहां की जमीन पर मंदिर, मस्जिद, कब्रिस्तान आदि हैं। यह सब आज का मामला नहीं है बल्कि लंबे समय से लोग यहां रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां से थोड़ी सी दूरी पर ही नमो घाट बनाया गया है जिसके विस्तार के नाम पर ही जमीन खाली करने के नोटिस चस्पा किए जा रहे हैं जो कि पूरी तरह से गलत है।
मनीष शर्मा ने आगे कहा कि हम दो बार प्रशासन से मिलकर अपना ज्ञापन सौंप चुके हैं लेकिन वह चुप्पी साधे बैठा है। यह चुप्पी बहुत खतरनाक है। जिला प्रशासन को दिए गए ज्ञापन में भी बताया गया है कि यह भूमि मौजा किला कोहना परगना देहात अमानत तहसील सदर जिला वाराणसी वक्फ की संपत्ति है जो वक्फ बोर्ड में भी पंजीकृत है। यहां मस्जिद व मजार 17वीं शताब्दी से आबाद हैं।
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बता दें कि नोटिस चस्पा किए जाने के बाद से ही यहां के अधिकांश लोग लगातार प्रशासन से मिल रहे हैं और बस्ती न उजाड़ने का आग्रह कर रहे हैं। इसके साथ ही जनसुनवाई आयोजित कर अपनी बातें और तर्क रख रहे हैं। शायद यहां के लोगों की एकजुटता ही वह वजह है कि अभी प्रशासन बुलडोजर कार्रवाई करने से हिचक रहा है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो हम कोर्ट भी जाएंगे और अनशन भी करेंगे लेकिन अपने आशियाने नहीं उजाड़ने देंगे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के किला कोहना के लोग पिछले महीने से परेशान हैं। इनकी परेशानी है रेलवे द्वारा इनके पास भेजे गए ध्वस्तीकरण नोटिस। 12 अप्रैल को नोटिस चस्पा किए जाने के बाद से ही लोग परेशान हैं। तभी से यहां के निवासी लगातार जिला प्रशासन से मिलकर खुद को बेघर करने से बचाने की गुहार लगा रहे हैं।
अप्रैल में चस्पा किए गए नोटिस में लिखा गया था कि यह रेलवे की जमीन है, अत: 13 मई 2023 तक सभी अपने घर खाली कर दें, इसके बाद ध्वस्तीकरण किया जाएगा। इस नोटिस के बाद से ही लोगों में भय का माहौल है कि अगर उनके घर गिरा दिए गए तो वे कहां जाएंगे।
जनसुनवाई
सोमवार को यहां के लोगों ने जनसुनवाई का आयोजन किया जिसमें लोगों ने अपनी बात रखी और कहा कि रेलवे ने जो बेदखली का नोटिस चस्पा किया है वह बिल्कुल गलत है। रेलवे अचानक से इस जमीन पर अपना दावा कर रहा है जबकि यहां लोग 50-60 साल से रह रहे हैं। लेफ्ट फ्रंट के मनीष शर्मा ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर बस्ती उजाड़ना चाहती है जबकि यहां की जमीन पर मंदिर, मस्जिद, कब्रिस्तान आदि हैं। यह सब आज का मामला नहीं है बल्कि लंबे समय से लोग यहां रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां से थोड़ी सी दूरी पर ही नमो घाट बनाया गया है जिसके विस्तार के नाम पर ही जमीन खाली करने के नोटिस चस्पा किए जा रहे हैं जो कि पूरी तरह से गलत है।
मनीष शर्मा ने आगे कहा कि हम दो बार प्रशासन से मिलकर अपना ज्ञापन सौंप चुके हैं लेकिन वह चुप्पी साधे बैठा है। यह चुप्पी बहुत खतरनाक है। जिला प्रशासन को दिए गए ज्ञापन में भी बताया गया है कि यह भूमि मौजा किला कोहना परगना देहात अमानत तहसील सदर जिला वाराणसी वक्फ की संपत्ति है जो वक्फ बोर्ड में भी पंजीकृत है। यहां मस्जिद व मजार 17वीं शताब्दी से आबाद हैं।
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बता दें कि नोटिस चस्पा किए जाने के बाद से ही यहां के अधिकांश लोग लगातार प्रशासन से मिल रहे हैं और बस्ती न उजाड़ने का आग्रह कर रहे हैं। इसके साथ ही जनसुनवाई आयोजित कर अपनी बातें और तर्क रख रहे हैं। शायद यहां के लोगों की एकजुटता ही वह वजह है कि अभी प्रशासन बुलडोजर कार्रवाई करने से हिचक रहा है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो हम कोर्ट भी जाएंगे और अनशन भी करेंगे लेकिन अपने आशियाने नहीं उजाड़ने देंगे।
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