मुंबई: कल्याण नगर निगम का 15 अगस्त को मांस बिक्री पर प्रतिबंध, विपक्ष ने जताया कड़ा विरोध

Written by sabrang india | Published on: August 12, 2025
महाराष्ट्र की कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका ने एक आदेश जारी करते हुए 14 अगस्त की मध्यरात्रि से लेकर 15 अगस्त की मध्यरात्रि तक 24 घंटे के लिए सभी बकरे, भेड़, मुर्गी और बड़े जानवरों के लाइसेंसधारी कसाइयों की दुकानें बंद करने को कहा है। विपक्षी पार्टियों ने इस आदेश को लोगों के खानपान में दखलअंदाजी करार दिया है।


फोटो साभार : विकीपीडिया

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मीट बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के केडीएमसी (कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका) के फैसले ने विवाद पैदा कर दिया है। विपक्षी दलों ने इस निर्णय की तीखी आलोचना करते हुए इसे नागरिकों की खाद्य स्वतंत्रता में दखल करार दिया है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, केडीएमसी के नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने रविवार को घोषणा की कि वे 15 अगस्त को 'खान-पान की पसंद की आजादी' का जश्न मनाने के लिए मटन पार्टी का आयोजन करेंगे।

केडीएमसी ने अपने आदेश में कहा है कि 14 अगस्त की मध्यरात्रि से 15 अगस्त की मध्यरात्रि तक, 24 घंटे के लिए, सभी लाइसेंस प्राप्त कसाइयों की बकरी, भेड़, मुर्गी और अन्य बड़े जानवरों की दुकानों को बंद रखना अनिवार्य होगा।

महानगरपालिका ने चेतावनी दी है कि इस अवधि के दौरान यदि जानवरों का वध या मांस की बिक्री की गई, तो महाराष्ट्र नगरपालिका अधिनियम, 1949 के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

केडीएमसी की उप आयुक्त कंचन गायकवाड़ ने पीटीआई को बताया कि 1988 से हर वर्ष यह आदेश एक निगम प्रस्ताव के तहत जारी किया जाता रहा है। आदेश पर हस्ताक्षर करने वाली गायकवाड़ ने कहा कि यह निर्णय लंबे समय से लागू प्रशासनिक नीतियों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना और राष्ट्रीय पर्वों का सम्मान सुनिश्चित करना है।

ठाणे जिले की कलवा-मुंबई सीट से विधायक आव्हाड ने पीटीआई से कहा, "मैं स्वतंत्रता दिवस के दिन मटन पार्टी आयोजित करने की योजना बना रहा हूं। जिस दिन देश को आजादी मिली, उसी दिन आप हमारी खान-पान की आजादी छीनने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने इस कदम को 'फूड पुलिसिंग' बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार पहले से ही विभिन्न सामाजिक विवादों को हवा देने के बाद अब समाज में 'शाकाहारी बनाम मांसाहारी' का नया विभाजन खड़ा कर रही है। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि इस तरह का आदेश राज्य सरकार की मंजूरी के बिना जारी नहीं किया जा सकता।

शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने केडीएमसी आयुक्त द्वारा लोगों की खाद्य पसंद पर प्रतिबंध लगाने को लेकर उनकी निलंबन की मांग की। उन्होंने सवाल उठाया, "आयुक्त कौन होते हैं यह तय करने वाले कि लोग मांसाहार खाएं या नहीं?"

भिवंडी के सांसद और एनसीपी नेता सुरेश म्हात्रे ने इस प्रतिबंध का सख्त विरोध करते हुए इसे लोगों की पारंपरिक खानपान आदतों में दखलअंदाजी करार दिया।

म्हात्रे ने कहा, "कौन क्या खाए और क्या न खाए, यह पूरी तरह लोगों का निजी मामला है। यहां की मछुआरा बस्ती में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन आम हैं। खानपान की आदतें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में चली आ रही परंपराओं पर आधारित होती हैं। मांस की बिक्री पर यह प्रतिबंध बिल्कुल असमझदारी भरा है।"

उन्होंने कहा कि महानगरपालिका को इन सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करना चाहिए।

वहीं, कल्याण के विधायक और शिवसेना नेता विश्वनाथ भोईर ने केडीएमसी के इस कदम का समर्थन किया।

उन्होंने कहा, ‘लोग नोटिस का विरोध नहीं कर रहे हैं. एक दिन मांस न खाने में क्या दिक्कत है? विपक्ष को सिर्फ आलोचना करनी आती है।’

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