गुजरात : दलित व्यक्ति पर गौरक्षकों ने चाकू-डंडों से कथित तौर पर हमला किया

Written by sabrang india | Published on: August 28, 2025
चमड़ा उतारने का काम करने वाले दलित समुदाय के व्यक्ति पर हमला किया गया। गौरक्षकों के खिलाफ बीएनएस और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।



आदलज के रोहितवास गांव के रहने वाले और चमड़ा उतारने का काम करने वाले 58 वर्षीय दलित महेंद्र परमार पर रविवार को चार कथित गौरक्षकों ने हमला किया। यह हमला तब किया गया जब परमार एक मरी हुई गाय की खाल उतार रहे थे। आरोप है कि हमलावरों ने उन पर चाकू और लाठियों व पाइप से से हमला किया।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, महेंद्र परमार ने आदलज थाने में दर्ज एफआईआर में बताया कि वे अपने परिवार के साथ रोहितवास गांव में रहते हैं और ग्राम पंचायत से मृत पशुओं के निस्तारण की आधिकारिक अनुमति प्राप्त है। उन्होंने कहा कि रविवार दोपहर करीब 2 बजे नरेश परमार का फोन आया कि खोड़ियार गांव के पास एक गाय मृत पड़ी है। परमार मौके पर पहुंचे और गाय की खाल उतारने लगे। इस दौरान नरेश कुछ काम से वहां से चला गया।

एफआईआर के अनुसार, करीब 3 बजे चार युवक वहां आए और परमार से सवाल करने लगे कि वह जीवित गाय को क्यों मार रहे हैं। परमार ने उन्हें बताया कि वे अनुसूचित जाति के चमड़ा उतारने वाले समुदाय से हैं और यह उनका पारंपरिक पेशा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल मृत पशुओं को ही उठाते हैं और उनके पास पंचायत का परमिट भी मौजूद है।

शिकायत के बयान के अनुसार, इन्हीं युवकों में से एक, जिसकी पहचान सचिन सुथार के रूप में हुई है, ने परमार को जातिसूचक गालियां दीं और उनके दाहिने कंधे के नीचे चाकू से हमला किया। बाकी तीन हमलावरों ने डंडों और पाइप से उन पर हमला किया।

महेंद्र परमार ने पुलिस को बताया, “मैं जमीन पर गिर गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा।” तभी रास्ते से गुजर रहे विष्णु सोलंकी ने बीच-बचाव किया और उन्हें बचाया। बाद में परमार को गांधीनगर सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके जख्मों पर टांके लगाए गए।

पुलिस ने परमार की शिकायत के आधार पर चारों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के साथ-साथ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

ज्ञात हो कि गुजरात में या देश के अन्य हिस्सों में दलितों ये अल्पसंख्यकों के गाय के लाने ले जाने पर कथित तौर पर गौरक्षकों द्वारा हमला करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी साल जून महीने में ओडिशा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया था। दक्षिणी जिले गंजाम के धाराकोट थाना क्षेत्र के खरीगुम्मा गांव में रविवार को एक हिंसक भीड़ द्वारा दो दलित के साथ क्रूर और अमानवीय व्यवहार किए जाने का मामला सामने आया था। इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।

गौ तस्करी के आरोप में भीड़ ने दो दलितों के सिर जबरन मुंडवा दिए और उन्हें घसीटा गया और मारपीट की गई।

इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस के हवाले से लिखा था, पीड़ित एक गाय और दो बछड़े खरीदकर घर लौट रहे थे, तभी धारकोटे पुलिस सीमा के अंतर्गत खारीगुम्मा गांव में भीड़ ने उन्हें घेर लिया और 30,000 रुपये मांगे। जब लोगों ने पैसे देने में असमर्थता जताई, तो भीड़ ने कथित तौर पर उनकी पिटाई की, जबरन उनके सिर मुंडवा दिए, उन्हें घसीटने पर मजबूर किया और उन्हें नाले का पानी पिलाया। एक वीडियो में कथित तौर पर दो लोगों को घास को दांतों में दबाए हुए घसीटते हुए दिखाया गया, जबकि कुछ लोग उनका पीछा कर रहे थे।

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