घटना का 'वीडियो' बनाने वाले कांस्टेबल का तबादला कर दिया गया है, जबकि सफाई कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है।

साभार : इंडिया टुडे (प्रतीकात्मक तस्वीर)
राजकोट के एक पुलिस थाने में एक युवक (दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने वाला एक नाबालिग) को कथित तौर पर प्रताड़ित करने के मामले में एक पुलिस कांस्टेबल समेत दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आने के दो दिन बाद हुई, जिसमें कथित तौर पर एक व्यक्ति कुर्सी पर बैठा है, एक युवक के बाल पकड़े हुए है, मुट्ठीभर बाल निकालकर कूड़ेदान में फेंक रहा है और हंस रहा है, जबकि युवक उससे रुकने की विनती कर रहा है। पुलिस ने बताया कि बाद में उस व्यक्ति की पहचान एक सफाई कर्मचारी के रूप में हुई। यह वीडियो कथित तौर पर राजकोट के एक पुलिस थाने में तैनात एक कांस्टेबल ने बनाया था।
दोनों पर बीएनएस की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 198 (जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए कानून की अवज्ञा करना) और 54 (दुष्प्रेरक की उपस्थिति) के साथ-साथ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 (बच्चों के साथ क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह कथित घटना पिछले महीने हुई थी, जब युवक पर मारपीट का मामला दर्ज किया गया था और पुलिस ने उसे हिरासत में लिया था।
युवक की दादी की शिकायत के आधार पर दर्ज प्राथमिकी में जिक्र है कि उसे पुलिस ने एक “झगड़े” के सिलसिले में हिरासत में लिया था, जिसमें कथित तौर पर चाकू से किए गए हमले में एक व्यक्ति घायल हो गया था। बाद में उसे किशोर सुधार गृह भेज दिया गया और 16–17 दिनों बाद रिहा कर दिया गया।
हालांकि युवक ने अपनी दादी को तुरंत अपनी आपबीती नहीं बताई, लेकिन कुछ दिन पहले वीडियो ऑनलाइन आने पर यह बात सामने आई। प्राथमिकी में कहा गया है कि युवक ने बाद में अपनी दादी को बताया कि जिस रात उसे हिरासत में लिया गया था, उस रात पुलिस स्टेशन में क्या हुआ था।
अल्पसंख्यक समन्वय समिति (एमसीसी) के मुजाहिद नफीस ने इस मामले में गुजरात के डीजीपी विकास सहाय को पत्र लिखा और आवेदन राजकोट के पुलिस आयुक्त ब्रजेश कुमार झा को भेजा।
इस बीच, राजकोट के सामुदायिक नेताओं की मदद से युवक की दादी ने भी पुलिस आयुक्त को एक लिखित आवेदन दिया। इस आवेदन में एक पुलिस निरीक्षक और एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के अलावा कांस्टेबल और सफाई कर्मचारी का नाम भी शामिल था। हालांकि, प्राथमिकी में केवल दो लोगों को ही आरोपी बनाया गया है।
युवक के परिवार के करीबी सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने उन्हें “ठोस सबूत” दिखाए कि घटना के समय न तो इंस्पेक्टर और न ही एसीपी थाने में मौजूद थे, जिसके कारण उनके खिलाफ लगे आरोप एफआईआर से हटा दिए गए।
डीसीपी ज़ोन-2 राकेश देसाई ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “बाल नोचने वाले नाबालिग के वीडियो के मामले में उसकी दादी ने शिकायत दर्ज कराई है और हमने एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोपी पुलिस कांस्टेबल का मुख्यालय में तबादला कर दिया गया है और सफाई कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया गया है।”
वेबसाइट ने लिखा कि जब इंस्पेक्टर और एसीपी का नाम पुलिस आयुक्त को दिए गए मूल आवेदन में होने और एफआईआर में न होने के बारे में पूछा गया, तो डीसीपी देसाई ने कहा, “हमारी जांच में पाया गया है कि वे इसमें शामिल नहीं थे।”
इसके बाद जांच एसीपी (पश्चिम) राधिका भाराई को सौंप दी गई। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एसीपी भाराई ने कहा कि वह प्रारंभिक जांच कर रही हैं और सभी संबंधित लोगों के बयान ले चुकी हैं। अंतिम रिपोर्ट जल्द ही प्रस्तुत की जाएगी। संबंधित थाने के अंतर्गत एक अलग पुलिस चौकी के पुलिस उप-निरीक्षक द्वारा प्राथमिकी की जांच की जाएगी।
गुजरात में एक महीने के भीतर नाबालिग युवक के खिलाफ कथित पुलिस प्रताड़ना की यह दूसरी घटना है। 13 सितंबर को, अगस्त में कई दिनों तक एक किशोर नाबालिग को कथित रूप से प्रताड़ित करने के आरोप में चार कांस्टेबलों पर मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में एक याचिका पहले सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई थी और वर्तमान में गुजरात उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध है। युवक के वकील ने बताया कि इस याचिका पर सुनवाई, जो सोमवार के लिए सूचीबद्ध थी, नहीं हो पाई।
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साभार : इंडिया टुडे (प्रतीकात्मक तस्वीर)
राजकोट के एक पुलिस थाने में एक युवक (दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने वाला एक नाबालिग) को कथित तौर पर प्रताड़ित करने के मामले में एक पुलिस कांस्टेबल समेत दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आने के दो दिन बाद हुई, जिसमें कथित तौर पर एक व्यक्ति कुर्सी पर बैठा है, एक युवक के बाल पकड़े हुए है, मुट्ठीभर बाल निकालकर कूड़ेदान में फेंक रहा है और हंस रहा है, जबकि युवक उससे रुकने की विनती कर रहा है। पुलिस ने बताया कि बाद में उस व्यक्ति की पहचान एक सफाई कर्मचारी के रूप में हुई। यह वीडियो कथित तौर पर राजकोट के एक पुलिस थाने में तैनात एक कांस्टेबल ने बनाया था।
दोनों पर बीएनएस की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 198 (जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए कानून की अवज्ञा करना) और 54 (दुष्प्रेरक की उपस्थिति) के साथ-साथ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 (बच्चों के साथ क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह कथित घटना पिछले महीने हुई थी, जब युवक पर मारपीट का मामला दर्ज किया गया था और पुलिस ने उसे हिरासत में लिया था।
युवक की दादी की शिकायत के आधार पर दर्ज प्राथमिकी में जिक्र है कि उसे पुलिस ने एक “झगड़े” के सिलसिले में हिरासत में लिया था, जिसमें कथित तौर पर चाकू से किए गए हमले में एक व्यक्ति घायल हो गया था। बाद में उसे किशोर सुधार गृह भेज दिया गया और 16–17 दिनों बाद रिहा कर दिया गया।
हालांकि युवक ने अपनी दादी को तुरंत अपनी आपबीती नहीं बताई, लेकिन कुछ दिन पहले वीडियो ऑनलाइन आने पर यह बात सामने आई। प्राथमिकी में कहा गया है कि युवक ने बाद में अपनी दादी को बताया कि जिस रात उसे हिरासत में लिया गया था, उस रात पुलिस स्टेशन में क्या हुआ था।
अल्पसंख्यक समन्वय समिति (एमसीसी) के मुजाहिद नफीस ने इस मामले में गुजरात के डीजीपी विकास सहाय को पत्र लिखा और आवेदन राजकोट के पुलिस आयुक्त ब्रजेश कुमार झा को भेजा।
इस बीच, राजकोट के सामुदायिक नेताओं की मदद से युवक की दादी ने भी पुलिस आयुक्त को एक लिखित आवेदन दिया। इस आवेदन में एक पुलिस निरीक्षक और एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के अलावा कांस्टेबल और सफाई कर्मचारी का नाम भी शामिल था। हालांकि, प्राथमिकी में केवल दो लोगों को ही आरोपी बनाया गया है।
युवक के परिवार के करीबी सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने उन्हें “ठोस सबूत” दिखाए कि घटना के समय न तो इंस्पेक्टर और न ही एसीपी थाने में मौजूद थे, जिसके कारण उनके खिलाफ लगे आरोप एफआईआर से हटा दिए गए।
डीसीपी ज़ोन-2 राकेश देसाई ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “बाल नोचने वाले नाबालिग के वीडियो के मामले में उसकी दादी ने शिकायत दर्ज कराई है और हमने एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोपी पुलिस कांस्टेबल का मुख्यालय में तबादला कर दिया गया है और सफाई कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया गया है।”
वेबसाइट ने लिखा कि जब इंस्पेक्टर और एसीपी का नाम पुलिस आयुक्त को दिए गए मूल आवेदन में होने और एफआईआर में न होने के बारे में पूछा गया, तो डीसीपी देसाई ने कहा, “हमारी जांच में पाया गया है कि वे इसमें शामिल नहीं थे।”
इसके बाद जांच एसीपी (पश्चिम) राधिका भाराई को सौंप दी गई। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एसीपी भाराई ने कहा कि वह प्रारंभिक जांच कर रही हैं और सभी संबंधित लोगों के बयान ले चुकी हैं। अंतिम रिपोर्ट जल्द ही प्रस्तुत की जाएगी। संबंधित थाने के अंतर्गत एक अलग पुलिस चौकी के पुलिस उप-निरीक्षक द्वारा प्राथमिकी की जांच की जाएगी।
गुजरात में एक महीने के भीतर नाबालिग युवक के खिलाफ कथित पुलिस प्रताड़ना की यह दूसरी घटना है। 13 सितंबर को, अगस्त में कई दिनों तक एक किशोर नाबालिग को कथित रूप से प्रताड़ित करने के आरोप में चार कांस्टेबलों पर मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में एक याचिका पहले सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई थी और वर्तमान में गुजरात उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध है। युवक के वकील ने बताया कि इस याचिका पर सुनवाई, जो सोमवार के लिए सूचीबद्ध थी, नहीं हो पाई।
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