हिमाचल: रोहड़ू में दलित नाबालिग की संदिग्ध मौत पर फूटा जनाक्रोश, न्याय की मांग को लेकर CPIM का प्रदर्शन

Written by sabrang india | Published on: October 7, 2025
जातिगत उत्पीड़न से परेशान छात्र ने आत्महत्या कर ली। सीपीआईएम ने SC/ST एक्ट के तहत दोषियों के लिए सख्त सजा की मांग की और शिमला में जोरदार प्रदर्शन किया।



शिमला जिले के रोहड़ू क्षेत्र में जातीय भेदभाव से परेशान एक दलित नाबालिग लड़के की कथित आत्महत्या से पूरे हिमाचल प्रदेश में भारी नाराजगी है। इस दुखद घटना के विरोध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPIM] ने सोमवार को स्थानीय नागरिकों और दलित अधिकार संगठनों के साथ मिलकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की और आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।

शिमला में जुटे प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं और वे जातीय भेदभाव के खिलाफ जोरदार नारेबाजी कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने कड़े शब्दों में नाराजगी जताते हुए कहा कि "हमारा सिस्टम समाज के कमजोर और हाशिए पर खड़े वर्गों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रहा है।"

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे CPIM नेता और पूर्व विधायक राकेश सिंघा और संजय चौहान ने कहा कि भारत की आजादी के 78 साल बाद भी जातीय भेदभाव की घटनाओं का जारी रहना "अत्यंत शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण" है।

CPIM नेता राकेश सिंघा ने कहा, "यह बहुत चिंता का विषय है कि आज भी आजाद भारत में जातीय भेदभाव मासूम जिंदगियों को निराशा की ओर धकेल रहा है।"

उन्होंने आगे कहा, "रोहड़ू की यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक बीमारी को दर्शाती है, जिसका सामना हमारे समाज को करना ही होगा।"

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPIM] के अनुसार, शिमला जिले के रोहड़ू क्षेत्र का एक दलित नाबालिग लंबे समय से जातिगत भेदभाव और अपमान का शिकार था, जिसके चलते उसने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। पार्टी ने आरोप लगाया कि घटना के बाद भी कुछ लोग न्याय की मांग को दबाने की कोशिश कर रहे हैं और उल्टे नाबालिग पर चोरी की आदत का झूठा आरोप लगाकर उसके चरित्र को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।

सिंघा ने कहा, "कुछ लोग अब यह कहकर इस भयानक कृत्य को सही ठहराने का प्रयास कर रहे हैं कि लड़का आदतन चोर था। लेकिन पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि इस तरह के किसी भी आरोप के संबंध में कोई FIR या रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। यह जातीय उत्पीड़न के असली मुद्दे से ध्यान भटकाने का एक क्रूर प्रयास है।"

राकेश सिंघा ने सरकार से मांग की कि इस मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाए और पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने जोर देकर कहा, "हम SC/ST एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं। न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार है। प्रशासन को यह दिखाना होगा कि संविधान में समानता का वादा सिर्फ कागज पर लिखे शब्द नहीं हैं।"

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPIM] ने रोहड़ू में दलित नाबालिग की कथित आत्महत्या की घटना की तुलना कुल्लू में हाल ही में घटी एक अन्य जातीय हिंसा की घटना से की। कुल्लू में दशहरा समारोह के दौरान एक अनुसूचित जाति के अधिकारी पर कथित रूप से हमला किया गया था।

प्रदर्शन के दौरान CPIM नेताओं ने जोर देकर कहा कि भारतीय संविधान हर नागरिक को समानता और सम्मान का अधिकार देता है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि जाति और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव आज भी समाज में गहराई से मौजूद है।

संजय चौहान ने कहा, "हमारा संविधान हर भारतीय को समानता का अधिकार देता है। यह शर्म की बात है कि 2025 में भी हम ऐसी घटनाओं को देख रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार को संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए।"

सीपीआईएम ने घोषणा की है कि जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल जाता और दोषियों को कानून के तहत सजा नहीं हो जाती, तब तक उनका ये अभियान जारी रहेगा।

बता दें कि हाल ही में हफ्ते शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के एक 12 वर्षीय दलित लड़के ने कथित तौर पर पड़ोसी द्वारा अपमानित किए जाने और गौशाला में बंद कर दिए जाने के बाद आत्महत्या कर ली। पुलिस ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के चाचा सुरेश बंता के अनुसार, बच्चा एक ऊंची जाति के पड़ोसी के घर गया था, तभी एक महिला ने उसे पकड़ लिया और उस पर उसके घर को अपवित्र करने का आरोप लगाया। बंता ने बताया, "उसने उसे एक गौशाला में बंद कर दिया। बाद में, उसने लड़के से कहा कि उसके माता-पिता को घर की शुद्धि के लिए उसे एक बकरा देना होगा।" लड़का किसी तरह बचकर घर लौटा, जहां उसने जहर खा लिया। उसे शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन एक दिन बाद उसकी मौत हो गई।

Related

यूपी के रायबरेली में दलित व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या

यूपी के बांदा में 'राम-राम' न कहने पर ऊंची जाति के लोगों ने कथित तौर पर दो दलित बुजुर्गों पर हमला किया

बाकी ख़बरें